अमेरिकी सरकार ने गूगल के कथित व्यापार एकाधिकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. गूगल पर ऑनलाइन खोज में प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करने का आरोप लगा है.
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दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल के खिलाफ मुकदमा अमेरिकी न्याय विभाग और 11 अलग-अलग अमेरिकी राज्यों द्वारा देश के एंटीट्रस्ट कानून के कथित उल्लंघन के मामले में दायर किया गया है. गूगल पर आरोप है कि वह ऑनलाइन खोज में प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग कर रही है. गूगल के खिलाफ मुकदमे को वॉशिंगटन डीसी की संघीय अदालत में दाखिल किया गया है. मुकदमा दाखिल करने की कयास लंबे अरसे से लगाई जा रही थी.
करीब 20 साल पहले इसी तरह का मुकदमा सरकार ने माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ किया था और इस नए मुकदमे को ग्राहकों के हित के लिए बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह मामला जमीनी स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया जरूरी कदम है.
मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि गूगल ने ऑनलाइन सर्च और विज्ञापन में अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल प्रतिस्पर्धा को खत्म करने और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने में किया है. गूगल ने फिलहाल इस मुकदमे पर टिप्पणी से इनकार किया है.
गूगल की मालिक अल्फाबेट इंक है और जब कभी भी इंटरनेट का जिक्र होता है तो गूगल का ही नाम आता है. सर्च इंजन के रूप में यही सबसे एक्टिव भी है. यूजर गूगल के माध्यम से किसी भी ऑनलाइन खोज को अंजाम देते हैं और इसका फायदा गूगल को होता है. सर्च इंजन के रूप में गूगल को हर साल साल अरबों डॉलर का मुनाफा होता है. मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि गूगल फोन निर्माता कंपनी को यह सुनिश्चित करने के लिए पैसे देता है कि डिफॉल्ट सर्च इंजन उसका ही हो.
एकाधिकार को चुनौती
गूगल का कारोबार इतना सफल है कि 2019 में उसका राजस्व 162 अरब डॉलर था. गूगल की मूल कंपनी एल्फाबेट इंक है और इसका बाजार मूल्य 1,000 अरब डॉलर से अधिक है. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा दायर मुकदमे को राजनीतिक चाल कहा जा रहा है. कुछ विशेषज्ञ यह कदम राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के राजनीतिक चुनावी वादों का भी हिस्सा कह रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अपने समर्थकों को अतीत में बार-बार आश्वासन दिया था कि वे बड़ी कंपनियों को जवाबदेह ठहराएंगे.
जिस तरह अब अमेरिका में गूगल के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है, उसी तरह पिछले समय विदेश में कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. उदाहरण के लिए 2019 में यूरोपीय संघ ने विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से अपने प्रतिद्वंद्वियों को विज्ञापन देने वाली कंपनियों की खोज में बाधा डालने के लिए गूगल पर जुर्माना लगाया था.
गूगल और एप्पल प्ले स्टोर को चुनौती देते भारतीय प्ले स्टोर
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रिॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, 2019 में भारत में करीब 50 करोड़ स्मार्टफोन यूजर थे. स्मार्ट फोन का बाजार बड़ा है और साथ ही ऐप स्टोर का भी. गूगल और एप्पल को अब भारत से भी चुनौती मिल रही है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Cheung
ऐप स्टोर और कारोबार
गूगल और एप्पल पर अपने ऐप स्टोर पर एकाधिकार जमाने का आरोप लगता आया है. दरअसल ऐप स्टोर पर कई ऐप मुफ्त हैं जैसे कि फेसबुक, व्हॉट्सऐप, आरोग्य सेतु आदि लेकिन कुछ ऐप ऐसे होते हैं जिन्हें खरीदना पड़ता है. इसके बदले कंपनियां ऐप बनाने वालों से भी कमीशन लेती हैं.
तस्वीर: Apple Inc.
भारत में भी विवाद
भारत में पिछले दिनों पेमेंट ऐप पेटीएम को गूगल ने नीतियों के उल्लंघन का हवाला देते हुए उसे प्ले स्टोर से हटा दिया था. इससे पहले जोमाटो और स्विगी को भी गूगल ने नोटिस भेजा था. टिकटॉक बैन होने के बाद भारतीय स्टार्ट कंपनियां अब नए-नए विकल्प तलाश रही हैं. तकनीक के क्षेत्र में स्टार्टअप में अब शॉर्ट वीडियो फॉर्मेट वाले ऐप, गेमिंग ऐप तैयार हो रहे हैं. सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है.
तस्वीर: Propellerhead Software
पेटीएम का मिनी ऐप स्टोर
पिछले दिनों भारतीय कंपनी पेटीएम ने एंड्रॉयड यूजर्स और ऐप डेवलेपर्स के लिए अपना मिनी ऐप स्टोर लॉन्च किया. अब भारतीय यूजर्स को गूगल के अलावा एक और विकल्प मिल गया है. पेटीएम के मिनी ऐप स्टोर पर इस वक्त 1एमजी, नेटमेड्स, डीकैथलॉन जैसे कई और ऐप लिस्ट हो चुके हैं.
तस्वीर: Aamir Ansari/DW
सरकारी ऐप स्टोर
ई गॉव ऐप स्टोर पर भारत सरकार के कई ऐप मौजूद हैं इसके अलावा मॉय गॉव डॉट इव पर पहले ही सैकड़ों ऐप मौजूद हैं जो कि मुफ्त हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार जल्द अपना ऐप स्टोर लॉन्च करने जा रही है ताकि भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को परेशानियों से बचाया जा सके.
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ऐप का बाजार
ऐप स्टोर पर कुछ ऐसे ऐप्स मौजूद हैं जिनको डाउनलोड करने के लिए फीस अदा करनी पड़ती है. इन ऐप्स का बाजार विशाल है. एक अनुमान के मुताबिक 2019 में लोगों ने ऐप स्टोर से 460 अरब डॉलर के ऐप खरीदे और इसके आने वाले सालों में बढ़ने की संभावना है.
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कमाई का जरिया
भारत में करीब 50 करोड़ लोग स्मार्ट फोन इस्तेमाल करते हैं और एक अनुमान के मुताबिक तीन फीसदी लोगों के पास एप्पल के फोन हैं. यानी 97 फीसदी लोगों के पास एंड्रायड के फोन हैं. गूगल ऐप स्टोर से होने वाली कमाई में बहुत आगे निकलना चाहता है. युवा देश में गेमिंग और वीडियो शेयरिंग जैसे ऐप्स काफी लोकप्रिय है और ऐप के लिए पैसे भी चुकाने को तैयार रहते हैं.
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गेमिंग ऐप पर नजर
भारत में पबजी और टिकटॉक बैन होन के बाद कई देसी ऐप बाजार में आ गए हैं और वे लोकप्रिय भी हो रहे हैं. पबजी की तर्ज पर ही भारतीय कंपनी ने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार के साथ एएफयू-जी (फौजी) ऐप लॉन्च किया है. कुछ महीने पहले भारत सरकार ने सुरक्षा का हवाला देते हुए 118 चीनी ऐप्स बैन कर दिए थे.