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यूक्रेन युद्ध: भारत पर बढ़ रहा रूस से दूरी बनाने का दबाव

३ मार्च २०२२

यूक्रेन युद्ध के चलते रूस की निंदा हो रही है. भारत ने ना रूस की निंदा की है, ना संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ गया. भारत को रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम भी लेना है.अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि भारत, रूस से दूरी बनाएगा.

Indien Treffen Wladimir Putin und Narendra Modi
कोल्ड वॉर के शुरुआती सालों से ही भारत और रूस के करीबी रिश्ते रहे हैं. भारत, सोवियत संघ का करीबी माना जाता था और पाकिस्तान की पश्चिमी खेमे से नजदीकी थी. रूस अब भी भारत के सबसे प्रमुख हथियार निर्यातक देशों में है. टी-90 टैंक, मिग और सुखोई, ये सभी भारत के रक्षा ढांचे का अहम हिस्सा रहे हैं. तस्वीर: Money Sharma/AFP

अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह रूस से दूरी बनाए. रूस, भारत को हथियार बेचने वाले मुख्य देशों में है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने रूस पर विस्तृत आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश की जा रही है.

भारत इस मामले में अबतक किसी एक पक्ष के साथ जाने से बच रहा है. उसने बातचीत से विवाद सुलझाने की अपील की, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों  में गैरहाजिर रहा. इसके लिए रूस ने भारत की तारीफ की. भारत के रूस और पश्चिमी देशों, दोनों के साथ रिश्ते हैं. रूस के साथ सोवियत संघ के ही दौर से भारत की पारंपरिक दोस्ती रही है. युद्ध के चलते तनाव के दौर में भी भारत, पश्चिमी देशों और रूस के साथ अपने रिश्तों में संतुलन बनाए रखने की कोशिश में लगा है.

अमेरिका भारत के रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद पर सहमत नहीं था. इसके बावजूद 2018 में इसकी खरीद पर भारत और रूस में करार हुआ. तस्वीर: Vitaliy Ankov/Sputnik/dpa/picture alliance

एस-400 की डिलिवरी पर नजर

अमेरिका के दक्षिण एशियाई मामलों के सहायक सचिव डॉनल्ड लु ने 3 मार्च को कहा कि रूसी बैंकों पर लगाए गए ताजा अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते रूस से हथियार और सैन्य उपकरण खरीदना बहुत मुश्किल हो जाएगा. अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए लगभग पांच अरब डॉलर का सौदा किया था. 2021 से भारत को इसकी डिलीवरी मिलनी शुरू हुई है.

उस समय भी रूस से हथियार खरीदने पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने का खतरा था. भारत और रूस के बीच हुई डील से एक महीने पहले, सितंबर 2018 में अमेरिका ने रूसी लड़ाकू विमान और एस-400 खरीदने के लिए चीन पर प्रतिबंध लगाए थे. अमेरिकी विदेश विभाग ने उस समय चेतावनी भी दी थी कि रूसी सैन्य और खुफिया उपकरण खरीदने वाले देशों पर 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज सैंक्शंस ऐक्ट' (सीएएटीएसए) के तहत स्वतः प्रतिबंध लग जाएगा.

भारत ने इसके बाद भी रूस से हथियार खरीदने का करार किया. जानकारों का कहना था कि भारत उम्मीद कर रहा था कि दक्षिणपूर्व एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने में उसकी क्षेत्रीय और सामरिक अहमियत के मद्देनजर उसे अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिल जाएगी.

अब यूक्रेन युद्ध के चलते बढ़े तनाव के बीच भारत को रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी लेनी है. डॉनल्ड लु ने कहा कि इसके लिए भारत को छूट दिए जाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. लु ने अमेरिकी सीनेट की एक सब कमेटी को बताया, "रूसी बैंकों पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के चलते दुनिया में किसी भी देश के लिए कोई बड़ा रूसी हथियार या सैन्य उपकरण खरीदना बहुत मुश्किल होगा."

रूसी हमले से तबाह हुई कीव की एक इमारततस्वीर: Maksim Levin/REUTERS

अमेरिकी सांसदों ने उठाया मुद्दा

लु ने यह भी कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने भारत से बातचीत भी की है. इसमें भारत से कहा गया है कि रूसी हमले की मिल कर निंदा करना बेहद अहम है. भारत, अमेरिका का अकेला बड़ा सहयोगी है जिसने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की सार्वजनिक निंदा से इनकार कर दिया है. हालांकि उसने हिंसा रोकने की अपील जरूर की है.

सांसदों ने यह पूछे जाने पर कि क्या यूक्रेन संकट के कारण भारत को रूसी हथियार खरीदने पर प्रतिबंध से छूट देने का अमेरिकी फैसला बदला है, डॉनल्ड लु ने कहा, "छूट देने या प्रतिबंध लगाने पर राष्ट्रपति या विदेश मंत्री क्या निर्णय लेंगे, यह मैं अभी नहीं बता सकता हूं. मैं यह भी नहीं बता सकता कि रूस के यूक्रेन पर किए हमले का असर उस फैसले पर पड़ेगा या नहीं. मैं इतना कह सकता हूं कि भारत हमारा अहम रक्षा सहयोगी है और हम उसके साथ अपने संबंधों की कद्र करते हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि रूस की जिस तरह आलोचना हो रही है, उससे भारत को यह लगेगा कि अब रूस के साथ दूरी बढ़़ाने का समय आ गया है." डॉनल्ड लु के इस बयान पर अभी भारतीय विदेश मंत्रालय की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

यूक्रेन में सेना के एक ट्रक के भीतर बंदूक तानकर बैठा रूसी सैनिक. यह तस्वीर रूसी रक्षा मंत्रालय के जारी किए हुए एक वीडियो से ली गई है. तस्वीर: Russian Defense Ministry Press Service via AP/picture alliance

हालिया सालों में भारत के रूस से हथियार खरीदने में काफी कमी आई है. 2011 से अबतक इसमें लगभग 53 प्रतिशत तक की कमी आई है. अमेरिका और इजरायल भारत के बड़े हथियार निर्यातक बन गए हैं. लेकिन अब भी भारत के रक्षा उपकरणों का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा रूस से खरीदा हुआ है.

एसएम/एनआर (रॉयटर्स)

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