अमेरिका में महंगाई बढ़कर सात प्रतिशत हो गई है, जो लगभग चार दशकों में सबसे अधिक वृद्धि है. फेडरल रिजर्व ने पहले ही महामारी से जुड़े स्टीमुलस पैकेज को वापस लेना शुरू कर दिया है.
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दिसंबर के दौरान अमेरिका में महंगाई दर सालाना सात प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है. केंद्रीय बैंक में नंबर-दो की जगह लेने के लिए नामित लाइल ब्रेनार्ड ने कहा अमेरिकी मुद्रास्फीति 'बहुत अधिक' है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व इसे कम करने को प्राथमिकता देगा. दुनिया के सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में महंगाई की दर 1982 के बाद सबसे ज्यादा है. ब्रेनार्ड फेडरल रिजर्व के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की सदस्य हैं और उन्हें पिछले साल नवंबर के अंत में राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा उपाध्यक्ष के पद के लिए नामित किया गया था.
महंगाई से बढ़ी चिंता
अमेरिका में उपभोक्ता मूल्य महंगाई सूचकांक पिछले साल दिसंबर में सात फीसदी से अधिक की सालाना दर से बढ़ा जो जून 1982 के बाद सबसे अधिक है. यानी अमेरिका में महंगाई पिछले 40 सालों में सबसे तेज गति से बढ़ी है. नवंबर में यह 6.8 फीसदी बढ़ी थी. ब्रेनार्ड ने एक बयान में कहा, "हमारी मुद्रा नीति मुद्रास्फीति को वापस 2 प्रतिशत तक लाने पर केंद्रित है, साथ ही एक रिकवरी को बनाए रखना है जिसमें सभी शामिल हों."
साथ ही उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था "स्वागत योग्य प्रगति कर रही है, लेकिन महामारी चुनौतियां पेश कर रही है." उन्होंने कहा, "हमारी प्राथमिकता हमारे द्वारा किए गए लाभ की रक्षा करना और पूर्ण रिकवरी का समर्थन करना है."
फेडरल रिजर्व ने पहले ही उस स्टीमुलस पैकेज को वापस लेना शुरू कर दिया है जो महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए दिया गया था. देश में खाने की चीजें, गैस और मकान का किराया बढ़ने की वजह से यहां के नागरिकों की माली हालत खस्ता हो रही है.
दुनिया के सबसे महंगे शहर का नाम जानकर आप चौंक जाएंगे
इकॉनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की ताजा रैंकिंग में दुनिया का सबसे महंगा शहर कौन सा पाया गया है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह ना लंदन है, ना न्यू यॉर्क, ना पेरिस और ना हांग कांग.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
नंबर 10 पर ओसाका, जापान
रैंकिंग में दसवां स्थान जापान के ओसाका को मिला है. नौवें स्थान पर है अमेरिका का लॉस एंजेलेस और आठवें पर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन. इस रैंकिंग के लिए इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के वैश्विक निर्वाह खर्च सर्वे से डाटा लिया गया था.
तस्वीर: Carl Court/Getty Images
न्यू यॉर्क छठे नंबर पर
न्यू यॉर्क को ताजा रैंकिंग में छठा स्थान मिला है और स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा को सातवां. इस सर्वे में 173 देशों में 200 से ज्यादा उत्पादों और सेवाओं के दामों की तुलना की जाती है. दामों को स्थानीय मुद्रा की जगह अमेरिकी डॉलरों में देखा जाता है.
तस्वीर: Eduardo Munoz/REUTERS
हांग कांग को मिला पांचवां स्थान
हांग कांग पांचवें स्थान पर रहा और स्विट्जरलैंड का ही एक शहर ज्यूरिख चौथे स्थान पर रहा. समीक्षकों का कहना कि सप्लाई चेन की समस्याओं और कोरोना वायरस की वजह से लगे प्रतिबंधों के कारण कई शहरों में निर्वाह खर्च बढ़ गया है.
तस्वीर: Virgile Simon Bertrand Courtesy of Herzog & de Meuron
पेरिस फिसला नंबर दो पर
फ्रांस की राजधानी रैंकिंग में पिछले साल के शीर्ष स्थान से फिसल कर इस साल दूसरे स्थान पर आ गई है. साथ ही सिंगापुर को भी दूसरा स्थान मिला है. दुनिया भर में तेल के दामों में उछाल की वजह से यातायात का खर्च बढ़ गया.
तस्वीर: Vincent Isore/IP3press/imago images
सबसे महंगा शहर
पेरिस को पहले स्थान से हटा कर अब दुनिया का सबसे महंगा शहर बन गया है तेल अवीव. इस्राएल की राजधानी ने डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा शेकेल की मजबूती और यातायात और किराना के सामान के दामों में आई उछाल की वजह से पांच स्थान ऊपर आकर पहली बार यह स्थान हासिल किया.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
जर्मनी में हैं सस्ते शहर
जर्मनी की राजधानी बर्लिन आठ स्थान गिर कर 50वें स्थान पर पहुंच गई. रैंकिंग में जर्मनी के छह शहर हैं और बर्लिन को उनमें से सबसे सस्ता पाया गया है. फ्रैंकफर्ट जर्मनी का सबसे महंगा शहर है लेकिन वो भी 19वें स्थान पर है.
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दुनिया का सबसे सस्ता शहर
सीरिया की राजधानी दमिश्क को दुनिया का सबसे सस्ता शहर पाया गया है. (सीके/एए)
पिछले एक साल में वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ी है, आंशिक रूप से उच्च ऊर्जा लागत और कोरोना वायरस महामारी के कारण सप्लाई चेन बाधित होना भी इसका एक कारण है. भारत में भी खुदरा महंगाई दर छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. इसका कारण खाने पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी, पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई के आंकड़े बढ़े हैं. इसी के साथ माल ढुलाई भी महंगा हुआ है जिससे किराना और सब्जी-भाजी के दाम बढ़े हैं. सरकारी आंकड़े के मुताबिक भारत में दिसंबर 2021 में खुदरा महंगाई दर 5.59 प्रतिशत हो गई. जुलाई 2021 में भी महंगाई दर 5.59 प्रतिशत थी.
एए/सीके (एपी, एएफपी)
नया साल, नई महंगाई
2022 की शुरुआत भारतीयों के लिए महंगाई के झटके के साथ हो रही है. कार से लेकर एटीएम से पैसे निकालने तक महंगा हो रहा.
मुफ्त निकासी की सीमा खत्म होने के बाद एटीएम से नकद निकालने पर ज्यादा शुल्क देना होगा.
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ऐप से खाना मंगाना महंगा
ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर अब रेस्तरां के बजाय डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर से ही टैक्स वसूल होगा. ऐसे में ग्राहकों पर इसका बोझ पड़ सकता है. ऐप से टैक्सी और ऑटो बुक कराने पर भी जीएसटी लगेगा.
तस्वीर: Nasir Kachroo/NurPhoto/picture-alliance
कार महंगी
साल 2021 में ऑटो कंपनियां महंगे कच्चे माल के कारण कारों की कीमत कई बार बढ़ा चुकी हैं. करीब 10 ऑटो कंपनियां अपनी कारों के अलग-अलग मॉडलों के दाम बढ़ा रही हैं.