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समाज

'अमेरिकी चुनाव में रूस और ईरान दे रहे दखल'

२२ अक्टूबर २०२०

अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का कहना है रूस और ईरान ने अमेरिकी चुनावी प्रणाली में विश्वास को कम करने और मतदाताओं को प्रभावित करने के मकसद से मतदाता जानकारी हासिल कर ली है.

तस्वीर: Ty Wright/Getty Images

अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि रूस और ईरान दोनों ने ही 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव से पहले जनमत को प्रभावित करने के लक्ष्य के साथ अमेरिकी मतदाताओं की जानकारी प्राप्त कर ली है. बुधवार को आनन-फानन में बुलाई गई प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए खुफिया विभाग के निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने चेतावनी देते हुए कहा, "दोनों ही पंजीकृत मतदाताओं को गलत जानकारी देने के लिए संपर्क करना चाहते हैं, जिससे उन्हें उम्मीद है कि देश में भ्रम पैदा होगा, अराजकता फैलेगी और अमेरिकी लोकतंत्र में विश्वास कम होगा." उन्होंने कहा, "यह विरोधियों द्वारा की गई हताशा भरी कार्रवाई है." साथ ही उन्होंने कहा है कि अमेरिका ऐसा करने वाले देशों पर जुर्माना लगाएगा और उन्हें नतीजे भुगतने होंगे.

पत्रकारों से बात करते हुए एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने कहा, "अमेरिकी मतदाताओं को विश्वास होना चाहिए कि उनका वोट मायने रखता है." साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिकी चुनाव प्रणाली में विश्वास को कम करने वाले असत्यापित दावों पर मतदाता को संदेह करना चाहिए.

हालांकि अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि देशों ने जानकारी कैसे प्राप्त की. सिर्फ इतना बताया कि ईरान और रूस ने अलग से जानकारी प्राप्त की है. लंबे समय से अमेरिकी अधिकारी इस बात को लेकर चेतावनी देते आए थे कि देश के चुनाव में बाहरी देश दखल देने की फिराक में हैं क्योंकि मतदाता पंजीकरण डाटा आसानी से प्राप्त किए जाने वाला सार्वजनिक डाटा माना जाता है. रैटक्लिफ ने कहा, "अगर आपको कोई डराने या छेड़छाड़ करने वाला ईमेल मिलता है, तो चौंकिएगा मत और इसे आगे न बढ़ाएं."

ईरान भेज रहा वीडियो और ईमेल

रैटक्लिफ ने बताया कि ईरान ने अमेरिकी मतदाताओं को डराने-धमकाने के लिए  ईमेल भेजे जिससे सामाजिक अशांति फैले और राष्ट्रपति ट्रंप को नुकसान झेलना पड़े. फ्लोरिडा और पेंसिल्वेनिया समेत चार ‘बैटलग्राउंड स्टेट' में डेमोक्रेटिक मतदाताओं को धमकी भरे ईमेल मिलने के बाद यह संवाददाता सम्मेलन बुलाया गया था. यह ईमेल इस तरह से डिजाइन किए गए थे जो दिखने में ऐसे लग रहे थे जैसे वे दक्षिणपंथी "प्राउड ब्यॉज" समूह द्वारा भेजे गए हो. ईमेल में कथित तौर पर लिखा था, "चुनाव वाले दिन आप ट्रंप को ही वोट देना नहीं तो हम आपके पीछे आएंगे." समाचार एजेंसी रॉयटर्स को खुफिया अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए उन्हें ईरान पर शक है, हालांकि इसके लिए सबूत अधूरे हैं.

रैटक्लिफ ने साथ ही कहा कि ईरान एक ऐसे वीडियो के लिए जिम्मेदार है जिसमें बताया जा रहा है कि अमेरिका से बाहर से धोखाधड़ी वाले मतपत्र जमा किए जा रहे हैं. अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि रूस ने जानकारी का इस्तेमाल किस मकसद के लिए किया.

रैटक्लिफ ने कहा, "हालांकि हमने रूस से समान दखल को नहीं देखा है, हम जानते हैं कि उन्होंने कुछ मतदाता जानकारी प्राप्त की है जैसा कि उन्होंने 2016 में किया था."

एए/सीके (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)

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