ट्रंप अमेरिका को तीसरे विश्व युद्ध की ओर धकेल रहे हैं?
९ अक्टूबर २०१७
क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अपने देश को तीसरे विश्व युद्ध की तरफ धकेल रहे हैं? कम से कम अमेरिकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के प्रमुख तो ऐसा ही मानते हैं.
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अमेरिकी रिपब्लिकन नेता बॉब कोर्कर का कहना है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका को तीसरे विश्व युद्ध की तरफ धकेल सकते हैं. कभी ट्रंप के समर्थक रहे कोर्कर लगातार ट्रंप की आलोचना कर रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ रहे हैं. रविवार को सीनेटर कोर्कर ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति जिस तरह दूसरे देशों को धमकियां दे रहे हैं उससे अमेरिका तीसरे विश्व युद्ध की तरफ जा सकता है.
उन्होंने ट्रंप पर आरोप लगाया कि वह एक रियलिटी शो की तरह सरकार चला रहे है. क्रोर्कर ने कहा, "वह मुझे चिंता में डालते हैं. उनकी वजह से हर वह शख्स चिंतित है जो अपने देश की परवाह करता है."
कभी ट्रंप के समर्थक रहे कोर्कर सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष हैं. हाल के महीनों में वह ट्रंप के एक बड़े आलोचक बन कर सामने आये हैं. सोशल मीडिया पर दोनों के बीच तू तू मैं मैं होती रही है जिससे रिपब्लिकन पार्टी के मतभेद सबके सामने आते हैं.
रविवार को ट्रंप ने कोर्कर पर निशाना साधते हुए कहा कि कोर्कर ने 2018 में फिर से चुनाव न लड़ने का फैसला किया है क्योंकि उनमें "दम" नहीं है और वह ईरान के साथ हुई "भयानक डील के लिए जिम्मेदार" हैं.
उत्तर कोरिया के साथ चल रहे विवाद में ट्रंप ने उसे भयानक परिणाम भुगतने की चेतवानी दी थी. पिछले दिनों ट्रंप ने एक ट्वीट के जरिए अपने विदेश मंत्री पर भी अविश्वास दिखाया. उत्तर कोरिया के साथ बातचीत के रास्ते तलाश रहे टिलरसन के बारे में उन्होंने लिखा, "वह अपना समय बर्बाद कर रहे हैं." कोर्कर ने कहा कि विदेश मंत्री को ऊपर से वह समर्थन नहीं मिल रहा है जो मिलना चाहिए. उन्होंने विदेश मंत्री टिलरसन, रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस और चीफ ऑफ स्टाफ जॉन कैली को ऐसे लोग बताया "जो देश को अव्यवस्था से बचाने के लिए कोशिश कर रहे हैं".
एके/एनआर (एएफपी, एपी)
अमेरिकी नागरिकों से ऐसा सलूक करता है उत्तर कोरिया
एक अमेरिकी कैदी की उत्तर कोरियाई जेल से रिहाई के महज एक हफ्ते बाद हुई मौत ने उत्तर कोरियाई सरकार पर फिर सवाल उठा दिये है. अमेरिकी नागरिकों के साथ उत्तर कोरिया हमेशा से ही सख्त रहा है. एक नजर ऐसे ही सख्त निर्णयों पर.
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राज्य के खिलाफ आरोप
साल 2016 में उत्तर कोरिया ने एक अमेरिकी छात्र ओट्टो वार्मबीयर को एक प्रोपेगेंडा पोस्टर चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया था. राज्य के खिलाफ अपराध के मामले में ओट्टो को 15 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनायी गयी थी. उत्तर कोरिया ने जून 2017 में ओट्टो को अमेरिका को सौंपा लेकिन उस वक्त वह कोमा में था. देश वापसी के एक हफ्ते बाद ही उसकी मौत हो गई.
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शासन को उखाड़ फेंकने का आरोप
साल 2013 में उत्तर कोरिया ने एक अमेरिकी नागिरक कैनेथ बे को 15 साल की सश्रम कैद की सजा सुनायी थी. कैनेथ पर राज्य के खिलाफ अपराध का मामला था. उत्तर कोरियाई शहर रेसन में घूमने आये कैनेथ एक टूर ग्रुप में शामिल थे और इसी दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उत्तर कोरिया की अदालत ने कैनथ को एक आतंकी इसाई प्रचारक बताया था. साल 2014 में कैनथ को रिहा कार दिया गया.
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खराब व्यवहार और शत्रुतापूर्ण व्यवहार
साल 2013 में अमेरिकी नागरिक मैथ्यू मिलर को उत्तर कोरिया की राजधानी से गिरफ्तार किया गया था जहां उसने अपना अमेरिकी पासपोर्ट फाड़ कर कारावास की सजा मांगी थी. अदालत ने मिलर को जासूसी के आरोप में छह साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी थी. अदालत ने कहा कि मिलर की इच्छा कारावास का अनुभव लेने की है ताकि वह उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों की गुप्त रूप से जांच कर सकें. मिलर को साल 2014 में रिहा कर दिया गया.
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नागरिकों की हत्या में शामिल'
साल 2013 में 85 वर्षीय अमेरिकी सेना के अनुभवी मेरिल न्यूमैन को उत्तर कोरिया ने एक महीने के लिए हिरासत में लिया था. मेरिल पर जासूसी गतिविधियों का मास्टरमांइड होने और विनाशकारी कृत्यों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. उन्हें माफी मांगने के बाद रिहा कर दिया गया लेकिन उनसे एक बयान पढ़ने के लिए कहा गया जिसमें लिखा था कि वह, "उत्तर कोरियाई सरकार और यहां के लोगों के खिलाफ अपराधों के दोषी हैं."
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जासूसी और विनाश का आरोप
दक्षिण कोरियाई नागरिक किम दोंग चुल को उत्तर कोरियाई प्रशासन ने साल 2015 में जासूसी और विनाश के आरोप में 10 साल की सश्रम सजा सुनायी थी. उत्तर कोरियाई अधिकारियों के मुताबिक उन्हें चुल के पास एक यूएसबी स्टिक मिला था जिसमें परमाणु योजनाओं और सेना से जुड़ी गुप्त सूचनायें थीं. चुल को विशेष आर्थिक क्षेत्र के इलाके में ऐसे ही घूमते-फिरते गिरफ्तार कर लिया गया था.
तस्वीर: Reuters/KCNA
कूटनीतिक रिहाई
उत्तर कोरिया में रिफ्यूजी मामले की रिपोर्ट करने पहुंचीं अमेरिकी पत्रकार इयुना ली और लोरा लिंग को साल 2009 में उत्तर कोरियाई सरकार ने प्योंगयांग से गिरफ्तार किया था. इसके बाद दोनों को एक महीने की हिरासत में रखा गया. अवैध तरीके से देश में घुसने और शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने के आरोप में दोनों पत्रकारों को 12 साल की सश्रम कारावास की सजा दी गयी लेकिन कूटनीतिक प्रयासों के बाद दोनों को रिहा कर दिया गया.