पिछले दो साल से अमेरिका के परमाणु हथियार कम हो गए हैं. हालांकि यह कमी बहुत मामूली है. चार साल में पहली बार अमेरिका ने ये आंकड़े प्रकाशित किए हैं.
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अमेरिका ने चार साल बाद पहली बार बताया है कि उसके पास कितने परमाणु हथियार हैं. पिछले राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी. बाइडेन प्रशासन ने यह रोक हटाते हुए पहली बार ये आंकड़े प्रकाशित किए हैं.
5 अक्टूबर को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर 2020 को अमेरिका के पास सक्रिय और निष्क्रिय सब मिलाकर 3,750 परमाणु हथियार थे. यह संख्या 2018 से 55 जबकि 2019 से 72 कम है.
तस्वीरेंः बढ़ रही है परमाणु हथियारों की संख्या
बढ़ रही है दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या
दुनिया में 1990 के बाद से परमाणु हथियारों में लगातार हो रही कमी अब रुक रही है. परमाणु अस्त्रों वाले देश अपने हथियारों के भंडार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं जिससे हथियारों की संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं.
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शीत युद्ध के बाद
शोधकर्ताओं ने कहा है कि शीत युद्ध के अंत के बाद से 1990 के बाद के दशकों में परमाणु हथियारों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी, लेकिन अब यह स्थिति बदल रही है. यह कहना है स्वीडन के संस्थान सिपरी में एसोसिएट सीनियर फेलो हांस क्रिस्टेनसेन का.
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हथियारों का खतरा काम
क्रिस्टेनसेन के अनुसार यह स्थिति शीत युद्ध के समय कहीं ज्यादा गंभीर थी. 1986 में दुनिया में 70,000 से भी ज्यादा परमाणु हथियारों के होने का अनुमान था.
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आज कितने हैं हथियार
इस समय परमाणु हथियारों वाले नौ देश हैं - अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया. सिपरी के मुताबिक 2021 में इनके पास कुल मिलाकर 13,080 हथियार हैं. संस्थान के मुताबिक पिछले साल इन देशों के पास कुल 13,400 हथियार थे.
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असल में गिरावट नहीं
सिपरी का कहना है कि यह असल में संख्या में गिरावट नहीं है, क्योंकि इन हथियारों में पुराने वॉरहेड भी हैं जिन्हें नष्ट कर दिया जाना है. अगर इन्हें गिनती से बाहर कर दिया जाए, तो परमाणु हथियारों की कुल संख्या एक साल में 9,380 से बढ़ कर 9,620 हो गई है.
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तैनात हथियार भी बढ़े
सिपरी के मुताबिक अलग अलग सेनाओं के पास तैनात परमाणु हथियारों की संख्या भी एक साल में 3,720 से बढ़ कर 3,825 हो गई. इनमें से करीब 2,000 हथियार "इस्तेमाल किए जाने की उच्च अवस्था" में रखे गए हैं, यानी ऐसी अवस्था में कि जरूरत पड़ने पर उन्हें कुछ ही मिनटों में चलाया जा सके.
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आधुनिकीकरण
हांस क्रिस्टेनसेन का कहना है कि इस समय पूरी दुनिया में काफी महत्वपूर्ण पैमाने पर परमाणु कार्यक्रमों का आधुनिकीकरण हो रहा है और परमाणु हथियारों वाले देश अपनी सैन्य रणनीतियों में परमाणु हथियारों का महत्व बढ़ा रहे हैं.
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रूस और अमेरिका की भूमिका
रूस और अमेरिका के पास दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से भी ज्यादा भंडार है. क्रिस्टेनसेन का कहना है दोनों ही देश परमाणु हथियारों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं. उनका मानना है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसी रणनीति को आगे बढ़ा रहे थे और नए राष्ट्रपति जो बाइडेन भी काफी स्पष्ट रूप से संदेश दे रहे हैं कि वो भी इसे जारी रखेंगे.
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तैयार हथियार
अमेरिका और रूस दोनों पुराने वॉरहेड को लगातार हटा रहे हैं लेकिन दोनों के पास पिछले साल के मुकाबले करीब 50 और हथियार हैं जो 2021 की शुरुआत में "क्रियाशील तैनाती" की अवस्था में थे. - एएफपी
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यह संख्या इस मायने में भी अहम है कि 1967 के बाद यह अमेरिका के परमाणु हथियारों की सबसे कम संख्या है. 1967 में जब शीत युद्ध अपने चरम पर था, तब अमेरिका के पास 31,255 परमाणु हथियार थे.
रूस के साथ बेहतर संबंधों की खातिर
बाइडेन सरकार रूस के साथ परमाणु हथियारों के नियंत्रण को लेकर गंभीर बातचीत शुरू करने की कोशिश मे है. पिछले प्रशासन के दौरान यह वार्ता ठंडे बस्ते में चली गई थी. इसी साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जब स्विट्जरलैंड में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से मुलाकात की थी तो इस मसले पर काफी चर्चा हुई थी.
डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका को रूस के साथ हुई इंटरमीडिएट-रेंज न्यूकलियर फोर्सेस (INF) संधि से अलग कर लिया था और ईरान के साथ हुई परमाणु संधि से भी तोड़ दी थी. इसी के साथ रूस के साथ हुई न्यू स्टार्ट ट्रीटी को आगे बढ़ाने की बात भी अधर में छोड़ दी गई थी. न्यू स्टार्ट ट्रीटी 5 फरवरी को खत्म हो रही थी और इसके आगे बढ़ने की संभावनाओं पर तब पानी फिर गया जब ट्रंप सरकार ने इस बारे में कोई बात नहीं की.
बाइडेन इसी साल जून में यूरोप दौरा किया तो पुतिन से मुलाकात की. तब न्यू स्टार्ट ट्रीटी पर भी बातचीत हुई थी.
ताजा आंकड़े जारी करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा, "परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण की कोशिशों के लिए देश के परमाणु भंडार पर पारदर्शिता बढ़ाना जरूरी है.”
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न्यू स्टार्ट समझौते से आगे
न्यू स्टार्ट ट्रीटी नाम का यह समझौता तय करता है कि अमेरिका और मॉस्को कितने-कितने परमाणु हथियार रख सकते हैं. इस संधि के होने के बाद से दोनों देश लगातार अपने परमाणु हथियार कम करते रहे थे.
ट्रंप ने कहा कि वह एक नया समझौता चाहते हैं जिसमें चीन भी शामिल हो. हालांकि चीन के पास रूस और अमेरिकी की तुलना में बहुत कम परमाणु हथियार हैं.
तस्वीरेंः सिर्फ 6 देशों के पास हैं परमाणु पनडुब्बियां
सिर्फ 6 देशों के पास हैं परमाणु पनडुब्बियां
आकुस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी बनाई जाएगी. इसके तैयार हो जाने पर वह सातवां ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास परमाणु पनडुब्बी है. अब तक यह क्षमता हासिल कर चुके देश हैं..
तस्वीर: Reuters/S. Andrade
ऑस्ट्रेलिया होगा 7वां देश
2016 की इस तस्वीर में फ्रांसीसी पनडुब्बी है जो ऑस्ट्रेलिया को मिलनी थी. अब फ्रांस की जगह वह अमेरिका से परमाणु पनडुब्बी लेकर सातवां देश बन जाएगा. बाकी छह देशों में भारत भी है. लेकिन सबसे ज्यादा पनडुब्बियां किसके पास हैं? अगली तस्वीर में जानिए...
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Blackwood
अमेरिका
अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 68 परमाणु पनडुब्बियां हैं. इनमें से 14 ऐसी हैं जो बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकती हैं.
तस्वीर: Amanda R. Gray/U.S. Navy via AP/picture alliance
रूस
रूस के पास 29 परमाणु पनडुब्बियां हैं जिनमें से 11 में बैलिस्टिक मिसाइल से हमला करने की क्षमता है.
तस्वीर: Peter Kovalev/TASS/dpa/picture alliance
चीन
चीन के पास 12 परमाणु पनडुब्बियां हैं जिनमें से आधी ऐसी हैं जो बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकती हैं. बाकी छह परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां हैं.
तस्वीर: Imago Images/Xinhua/L. Ziheng
ब्रिटेन
ब्रिटेन 11 परमाणु पनडुब्बियों के साथ इस सूची में चौथे नंबर पर है. उसकी 4 पनडुब्बियां बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता रखती हैं.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस के पास भी बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकने वाली चार परमाणु पनडुब्बियां हैं. हालांकि उसकी कुल पनडुब्बियों की संख्या 8 है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/DCNS Group
भारत
भारत इस सूची में एक पनडुब्बी के साथ शामिल है. भारत की परमाणु ऊर्जा संपन्न यह पनडुब्बी मिसाइल भी दाग सकती है.
तस्वीर: Reuters/S. Andrade
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बाइडेन सरकार ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद संधि को पांच साल के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जिस पर व्लादीमीर पुतिन ने भी सहमति जताई.
इस समझौते के तहत दोनों देश अधिकतम 1,550 परमाणु हथियार ही तैनात कर सकते हैं. पिछले हफ्ते ही अमेरिका और रूस के कूटनीतिज्ञों के बीच जेनेवा में एक बातचीत शुरू हुई है जिसका मकसद न्यू स्टार्ट ट्रीटी का विकल्प खोजना है. इस विकल्प में पारंपरिक हथियारों को शामिल करने की भी चर्चा है.
अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि चर्चा काफी उपयोगी रही. दोनों पक्षों ने कहा कि इस मुद्दे पर बात होना ही एक सकारात्मक कदम है.
दुनियाभर में कितने हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट दुनियाभर में परमाणु हथियारों की संख्या पर नजर रखता है. उसके मुताबिक जनवरी 2021 तक अमेरिका के पास 5,550 परमाणु हथियार थे. हालांकि इनमें वे परमाणु हथियार नहीं हैं जिन्हें रिटायर कर दिया गया है.
SIPRI के मुताबिक रूस के पास 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनके मुकाबले चीन में 350, ब्रिटेन में 255 और फ्रांस में 290 में परमाणु हथियार हैं.
परमाणु हथियार रखने वाले अन्य देशों में भारत के अलावा पाकिस्तान और उत्तर कोरिया भी हैं जिनके पास सिप्री के मुताबिक कुल मिलाकर 460 परमाणु हथियार हैं.