ऐमेट टिल की हत्या ने अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन को दिशा दी. इस हत्या ने अमेरिकी अश्वेतों को एकजुट करने, उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित करने में बड़ी भूमिका निभाई.
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अमेरिकी संसद ने एक 14 साल के लड़के और उनकी मां को कॉन्ग्रेसनल मेडल देने का फैसला किया है. यह मेडल अमेरिकी कांग्रेस द्वारा दिया जाने वाला सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है. जिन्हें सम्मानित किया जा रहा है, उनके नाम हैं- ऐमेट टिल और उनकी मां मैमी टिल मोबले. ये दोनों अब जिंदा नहीं हैं. ऐमेट की मौत 67 साल पहले हुई. और, मैमी का 2003 में निधन हुआ. ये दोनों अमेरिकी इतिहास के दो अहम किरदार हैं. पढ़िए इनकी कहानी...
तारीख: 28 अगस्त, 1955.
स्थानीय समय के मुताबिक, रात के तकरीबन ढाई बजे थे. रॉय ब्रायंट नाम का एक शख्स अपने भाई जेडब्ल्यू मिलाम को साथ लेकर राइट परिवार के घर पहुंचा. उन्होंने घर का बाहरी दरवाजा खटखटाया. उनके हाथ में पिस्तौल थी. दरवाजा खुलते ही रॉय ने पूछा, "मैं उस लड़के को खोज रहा हूं जिसने बात की थी." इसके बाद रॉय और मिलाम जबरन घर में घुसे. उन्होंने एक कमरे में सो रहे ऐमेट टिल को उठाया. ऐमेट को जबरन अपनी कार में बिठाया और चले गए.
क्या हुआ ऐमेट के साथ?
ऐमेट के घरवाले बहुत परेशान थे. उन्हें ऐमेट की कोई खबर नहीं मिल रही थी. तीन दिन बाद 31 अगस्त को कुछ दूर पर टैलाहाची नदी में एक लाश मिली. शव काफी खराब स्थिति में था. मृतक के सिर में गोली मारी गई थी. दोनों कलाइयां मरोड़ दी गई थीं. खोपड़ी पर भी गहरे चोट के निशान थे. लाश की एक आंख निकाली हुई थी और दूसरी आंख बाहर लटक रही थी.
लाश के गले में एक तार बंधा था, जिसकी मदद से तकरीबन 34 किलो वजनी एक पंखा बांधकर उसे नदी में डुबाया गया था. उंगली में मौजूद अंगूठी से पता चला कि वह शव ऐमेट का था. यह वही अंगूठी थी जो ऐमेट के मेसेसिपी आते समय उनकी मां मैमी ने उन्हें पहनाई थी. ऐमेट, जिन्हें उनका परिवार प्यार से बोबो कहता था, उसकी जिंदगी केवल 14 साल की उम्र में यातना देकर खत्म कर दी गई.
ऐमेट अश्वेत अमेरिकन थे. उनकी हत्या ने अमेरिका में सिविल राइट्स मुहिम को दिशा दी. इस हत्या ने अमेरिकी अश्वेतों को एकजुट करने, उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने में बड़ी भूमिका निभाई.
हत्या के पहले क्या हुआ था?
अपहरण के चार दिन पहले- 24 अगस्त, 1955 को ऐमेट और उनके भाई दिनभर काम करने के बाद एक स्थानीय दुकान पर पहुंचे. उन्हें च्यूंगम चाहिए थी. यह दुकान एक व्हाइट जोड़े- रॉय और कैरोलिन ब्रायंट की थी. उस समय दुकान में कैरोलिन अकेली थीं. ऐमेट ने उनसे बबलगम मांगा. इसके कुछ देर बाद कैरोलिन ब्रायंट गुस्से में अपनी दुकान से बाहर निकलीं. शायद वह बाहर खड़ी अपनी कार से पिस्तौल लेने गई थीं.
ऐमेट को पता नहीं था कि क्या होने वाला है. मगर उसके भाई डर गए थे. वे ऐमेट को साथ लेकर वहां से चले गए. कैरोलिन ने आरोप लगाया कि ऐमेट ने उनके साथ बदतमीजी की है. उन्हें देखकर सीटी बजाई. इसी घटना के चार दिन बाद कैरोलिन के पति रॉय ने अपने भाई के साथ मिलकर ऐमेट को उसके रिश्तेदार के घर से अगवा किया था.
अंतिम संस्कार में क्या हुआ?
ऐमेट का क्षत-विक्षत शव एक ट्रेन से शिकागो पहुंचाया गया. इस वक्त तक हत्या की खबर दूर-दूर तक फैल गई थी. ऐमेट का शव जब स्टेशन पहुंचा, तब बड़ी भीड़ वहां पहले से मौजूद थी. ऐमेट की मां मैमी ने अपने बेटे के शव को खुली गाड़ी में रखवाया. उन्होंने ताबूत बंद नहीं करवाया. मैमी चाहती थीं कि लोग देखें कि उनके बेटे को कितनी क्रूरता से मारा गया है. उन्होंने कहा था, "मैं चाहती हूं कि पूरी दुनिया ये देखे."
करीब चार दिन तक शव को ऐसे ही रखा गया. हजारों लोग उसे देखने पहुंचे. ऐमेटे के शव की तस्वीरें अखबारों, पत्रिकाओं और टीवी कवरेज के माध्यम से और दूर-दूर तक फैल गईं. ऐमेट की हत्या का मामला तब अमेरिका में होने वाले नस्लीय भेदभाव, हिंसा और पक्षपात की मिसाल बन गया. इसने अमेरिकी अश्वेतों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया.
अमेरिका में नस्लीय नफरत से भड़के दंगों का इतिहास
अमेरिका वैसा नहीं है जैसा हॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में दिखाती हैं. अमेरिका अपने ही भीतर त्वचा के रंग को लेकर संघर्ष करने वाला देश भी है. एक नजर बीते 60 साल में अमेरिका में हुए दंगों पर.
तस्वीर: picture-alliance/AA/I. Tayfun Salci
अगस्त 1965
लॉस एजेंलिस शहर में पुलिस ने आईडेंटिटी चेक के लिए दो अश्वेत पुरुषों को रोका और फिर उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया. पुलिस पर आरोप लगा कि उसने ऐसा नस्लीय घृणा के चलते किया. इसके बाद 11-17 अगस्त तक शहर के एक हिस्से में भयानक दंगे हुए. 34 लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: AFP
जुलाई 1967
दो श्वेत पुलिस अधिकारियों ने एक मामूली ट्रैफिक नियम उल्लंघन के लिए एक अश्वेत टैक्सी ड्राइवर को गिरफ्तार किया और पीटा. इसके बाद नेवार्क में 12-17 जुलाई तक दंगे हुए. 26 लोगों की मौत हुई और 1,500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए. इसके हफ्ते भर बाद डेट्रॉएट और मिशीगन में भी दंगे हुए, वहां 43 लोग मारे गए और 2,000 से ज्यादा घायल हुए.
तस्वीर: AFP
अप्रैल 1968
मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद टेनेसी में हिंसा भड़ गई. 4-11 अप्रैल तक चले इन दंगों में 46 लोग मारे गए और 2,600 से ज्यादा घायल हुए. हिंसा इस कदर भड़की कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन को दंगा रोकने के लिए सेना भेजनी पड़ी.
तस्वीर: AFP
मई 1980
दिसंबर 1979 में चार श्वेत पुलिस अधिकारियों पर एक अश्वेत मोटरसाइकिल सवार को पीट पीटकर मार डालने का आरोप लगा. सुनवाई के बाद मई में पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया गया. इससे नाराज अश्वेत समुदाय ने मियामी लिबर्टी सिटी में भारी हिंसा की. चार दिन के दंगों में 18 लोग मारे गए.
तस्वीर: AFP
अप्रैल 1992
लॉस एंजेलिस के दंगों में 59 लोग मारे गए. अश्वेत कार चालक की पिटाई के वीडियो बनाने वाले श्वेत पुलिस अधिकारियों की रिहाई की वजह से ये दंगे हुए. यह दंगे अटलांटा, कैलिफोर्निया, लॉस वेगस, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और सैन जोस में भी फैले.
तस्वीर: picture-alliance/AP/K. Djansezian
अप्रैल 2001
19 साल के अश्वेत युवक टिमोथी थॉमस को एक पुलिस अधिकारी ने मार डाला. इसके बाद सिनसिनैटी शहर में दंगे भड़क उठे. चार रातों तक शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा.
तस्वीर: AFP/D. Maxwell
अगस्त 2014
श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों एक निहत्थे अश्वेत किशोर की मौत के बाद फर्गुसन शहर में दंगे हुए. 9-19 अगस्त तक हुई हिंसा में काफी आर्थिक नुकसान हुआ. नवंबर में आरोपी पुलिस अधिकारी से हत्या की धाराए हटाने के बाद शहर में फिर तनाव लौट आया.
तस्वीर: AFP/S. Olson
अप्रैल 2015
25 साल के अश्वेत युवा फ्रेडी ग्रे को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने इतनी ताकत लगाई कि युवक की पुलिस वैन में मौत हो गई. फ्रेडी की गिरफ्तारी का वीडियो भी सामने आया. वीडियो के प्रसारित होने के बाद बाल्टीमोर में भारी हिंसा हुई जिसके इमरजेंसी लगानी पड़ी.
तस्वीर: Reuters/M. Stone
सितंबर 2016
पुलिस फायरिंग में 43 साल के कीट लैमॉन्ट स्कॉट की मौत के बाद शारलोटे शहर में दंगे हुए. प्रशासन को हिंसा रोकने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना बुलानी पड़ी.
तस्वीर: AFP/S. Rayford
मई 2020
मिनियापोलिस शहर में पुलिस अधिकारियों ने जॉर्ज फ्लॉएड नाम के एक अश्वेत शख्स को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के दौरान फ्लॉएड ने पुलिस को अपनी बीमारी के बारे में बताया. इसके बावजूद पुलिस अधिकारियों ने उन पर ताकत आजमाई. फ्लॉएड की मौके पर ही मौत हो गई. उनकी मौत के एक दिन बाद से ही अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं. ओएसजे/एके (एएफपी)
तस्वीर: picture-alliance/AA/I. Tayfun Salci
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सिविल राइट्स आंदोलन पर असर
इस प्रकरण ने लोगों को ऐसा झकझोरा कि उस पीढ़ी के कई अमेरिकी अश्वेत खुद को 'दी ऐमेट टिल जनरेशन' कहने लगे. अमेरिका के मशहूर मुक्केबाज मुहम्मद अली ने ऐमेट के साथ हुए अपराध पर कहा था, "मुझे महसूस हुआ कि यह मेरी या मेरे भाई की आपबीती भी हो सकती थी."
अमेरिका में नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध चले नागरिक अधिकार आंदोलन की मशहूर कार्यकर्ता रोजा पार्क्स ने भी इस प्रकरण से प्रेरणा पाई थी. उन्होंने जब अलबामा में एक नस्लीय बंटवारे वाली बस में अपनी सीट छोड़ने से इनकार किया, तब वह ऐमेट के ही बारे में सोच रही थीं. उन्होंने कहा था, "ऐमेट के ही बारे में सोचते हुए मैं अपनी सीट से हिल भी नहीं पाई." रोजा को आगे अमेरिकी कांग्रेस ने "फर्स्ट लेडी ऑफ सिविल राइट्स" से सम्मानित किया था.
ऐमेट की हत्या के लिए रॉय ब्रायंट और उनके भाई जेडब्ल्यू मिलाम पर मुकदमा चला. हालांकि कई लोगों का कहना था कि हत्या में और भी लोग शामिल थे. बचाव पक्ष के वकील ने साबित करने की कोशिश की कि ऐमेट मरा ही नहीं है. कि वह कहीं छुपा हुआ है. नदी में मिली लाश उसकी नहीं, किसी और की है.
इस मुकदमे की सुनवाई में शामिल जूरी के सभी सदस्यों में दो समानताएं थीं. पहली, सभी पुरुष थे. दूसरी, सभी व्हाइट थे. उन्होंने रॉय और मिलाम दोनों को बरी कर दिया. सालों बाद लुक मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने हत्या की बात कबूल की. लेकिन फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
दोबारा क्यों खुला केस?
2017 में ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिमोथी बी टायसन की एक किताब आई- दी ब्लड ऑफ ऐमेट टिल. इसके लिए उन्होंने कैरोलिन ब्रायंट से भी बात की. कैरोलिन ने उनसे कहा कि उनका आरोप कि ऐमेट ने उन्हें दबोचा, सीटी बजाई और असहज करने वाला बर्ताव किया, ये सही नहीं थे.
इस खुलासे के बाद जस्टिस विभाग ने इस मामले की जांच दोबारा शुरू की. मगर जांच में कैरोलिन पर केस दर्ज करने का कोई आधार नहीं मिला. कैरोलिन ने भी पुराना बयान बदलने की बात से इनकार किया. दिसंबर 2021 में विभाग ने ऐलान किया कि वह इस केस से जुड़ी जांच को बंद कर रहे हैं.
ऐमेट की हत्या के लिए किसी को सजा नहीं मिली. उसकी मां मैमी अपने बेटे की हत्या के बाद शिक्षिका और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता बन गईं. 2003 में उनकी मृत्यु हो गई. वह पूरी जिंदगी अपने बेटे के लिए न्याय पाने की कोशिश करती रहीं. अपनी मौत के समय वह एक किताब लिख रही थीं- डेथ ऑफ इनोसेंस.
किन किन लोगों के गिरे पुतले?
अमेरिका में पुलिस के हाथों एक काले व्यक्ति की मौत के बाद दुनिया भर में प्रदर्शन शुरू हुए, जिनमें कई ऐतिहासिक हस्तियों के पुतले गिराए गए. लोगों का गुस्सा इन पुतलों पर क्यों निकला?
तस्वीर: Reuters/B. Synder
क्रिस्टोफर कोलंबस
अमेरिका के बॉस्टन में कोलंबस के पुतले का सिर धड़ से अलग कर दिया गया. इससे पहले वर्जीनिया में कोलंबस के एक अन्य पुतले को भीड़ ने तालाब में फेंक दिया था. मायामी में भी कोलंबस के पुतले के साथ तोड़ फोड़ हुई. कोलंबस को अमेरिका की खोज करने के लिए जाना जाता है. लेकिन वही कोलंबस अमेरिका के मूल निवासियों की प्रताड़ना के लिए भी जिम्मेदार थे.
तस्वीर: Reuters/B. Synder
जेफरसन डेविस
अमेरिका के वर्जीनिया में जेफरसन डेविस के भी दो पुतले तोड़े गए. ये 19वीं सदी के एक अमेरिकी नेता थे जो गुलामी को बढ़ावा देते थे और इनके पास खुद 113 गुलाम थे. जिस जमाने में ये अमेरिका में गुलामी का प्रचार और गुलाम बनाए गए लोगों का शोषण कर रहे थे, उस जमाने में यूरोप में गुलामी पर रोक लग चुकी थी.
तस्वीर: Getty Images/C. Somodevilla
लियोपोल्ड द्वितीय
ये बेल्जियम के राजा थे जिन्होंने 1885 से 1908 तक कॉन्गो पर भी राज किया. वहां रबर के बागान थे जिनमें स्थानीय लोगों से काम कराया जाता था. मजदूरों को यहां इतना प्रताड़ित किया जाता था कि इनके काल में एक से डेढ़ करोड़ अफ्रीकी लोगों की जान गई. ब्लैक लाइव्स मैटर के प्रदर्शनों के बाद बेल्जियम में जगह जगह इनके पुतले गिराए जा रहे हैं और सरकार देश भर से इन्हें हटाने पर विचार कर रही है.
तस्वीर: AFP/Belga/J. Roosens
विंस्टन चर्चिल
उनके नाम के नीचे लिखा गया, "नस्लभेदी था." 1943 में बंगाल में आए अकाल के दौरान भुखमरी से करीब 30 लाख लोगों की जान गई थी जिसके लिए चर्चिल को जिम्मेदार माना जाता है. चर्चिल ने इस दौरान जानबूझ कर वहां खाने का सामान भेजने से इंकार कर दिया था.
तस्वीर: Reuters/D. Martinez
एडवर्ड कॉलस्टन
ब्रिटेन के ब्रिस्टल में प्रदर्शनकारियों ने एडवर्ड कॉलस्टन के पुतले को रस्सियों से बांध कर नीचे गिराया और फिर नहर में फेंक दिया. 17वीं शताब्दी ने कॉलस्टन ने अमेरिका से करीब 80 हजार महिला, पुरुषों और बच्चों को गुलाम बना कर अमेरिका में बेचा और इसके जरिए जो धन कमाया उसका निवेश ब्रिस्टल में किया. यही वजह है कि ब्रिस्टल में कई स्कूल, कॉलेज, इमारतें और सड़कें कॉलस्टन के नाम पर बनी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/B. Birchall
रॉबर्ट मिलिगन
लंदन के एक म्यूजियम के बाहर लगे मिलिगन के पुतले के साथ भी ऐसा ही हुआ. ये भी गुलामों की खरीद फरोख्त करने वाले व्यापारी थे. इस घटना के बाद लंदन के मेयर सादिक खान ने कहा कि वे शहर की सभी सड़कों के नाम और वहां मौजूद पुतलों की जांच कराएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि गुलामी का कहीं भी महिमामंडन ना हो.
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रॉबर्ट ई ली
ये 19वीं सदी में अमेरिका में हुए गृहयुद्ध में एक अहम नाम थे. ये लोगों को गुलाम बनाए जाने के खिलाफ थे लेकिन काले और गोरे लोगों को बराबरी के हक दिलाने को सही नहीं मानते थे. अमेरिका की अदालत इस पर सुनवाई कर रही है कि क्या इनके सभी पुतलों को हटा दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Helber
हेनरी ग्रैडी
ये अमेरिका के जाने माने पत्रकार थे. अमेरिका में इनका नाम सम्मान से लिया जाता है, कई कॉलेजों के साथ यह नाम जुड़ा हुआ है. लेकिन ये एक व्हाइट सुप्रीमेसिस्ट भी थे. इनका कहना है था कि गोरे लोग हमेशा काले लोगों से बेहतर होते हैं और उन्हें किसी भी हाल में काले लोगों के सामने सिर नहीं झुकाना चाहिए. इसलिए अब अमेरिकी कॉलेजों के नाम से इनका नाम हटाने की बहस छिड़ गई है.
तस्वीर: Reuters/D. Chambers
जेईबी स्टुअर्ट
अमेरिका में गुलाम रखने वालों की सूची निकालेंगे तो उसमें एक नाम इनका भी आता है. इनका पुतला भी गिराया गया और अब कम से कम अमेरिका में यह बड़ा सवाल उठ गया है कि लोग इस तरह से और किस किस के पुतलों को गिराएंगे.
तस्वीर: Reuters/J. Rendleman
नाम और भी हैं
सेसिल रोड्स, जेम्स कुक, हेनरी डंडास, जनरल विलियम्स कार्टर विकहैम समेत अमेरिका और यूरोप में कई लोगों के पुतले हटाए जाने की मांग की जा रही है. जॉर्ज फ्लॉएड की मौत ने लोगों को इतिहास के पन्नों को एक बार फिर ध्यान से पढ़ने पर मजबूर कर दिया है.