एप्पल को आयरलैंड में बचाए 13 अरब डॉलर के टैक्स की पाई-पाई चुकानी होगी. इससे पता चलता है कि कंपनियां क्या कर रही हैं. एप्पल ऐसा करने वाली अकेली कंपनी नहीं है.
विज्ञापन
विशालकाय टेक कंपनी एप्पल पर आयरलैंड में लगे अरबों डॉलर के जुर्माने ने दुनियाभर में हड़कंप मचा दिया है. अमेरिका ने तो यहां तक कह दिया है कि इससे संबंध तक खराब हो सकते हैं. लेकिन यूरोपीय संघ का कहना है कि ऐसा करने के लिए दिशा तो अमेरिका ने ही दिखाई थी.
एप्पल को आयरलैंड में बचाया गया टैक्स चुकाने का आदेश दिया गया है. इस पूरे विवाद की शुरुआत अमेरिका में 2013 में हुई थी जब अमेरिकी सीनेट ने मई में रिपोर्ट दी कि आयरलैंड की सरकार से एप्पल का समझौता इस तरह का है कि कंपनी की कमाई का बड़ा हिस्सा कर से बच जाएगा. रिपोर्ट आने पर यूरोपीय संघ ने अपने देशों में इस मामले में जांच शुरू कर दी. और मंगलवार को कंपनी को आदेश हुआ कि आयरलैंड को 13 अरब डॉलर टैक्स चुकाए. कंपनी ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी. अमेरिकी वित्त मंत्रालय का कहना है कि इस फैसले से यूरोपीय संघ और अमेरिका के आर्थिक रिश्ते खतरे में पड़ जाएंगे. अमेरिका की सत्ताधारी डेमोक्रैटिक पार्टी के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा, “यूरोपीय संघ ने पैसा हड़पने का बहुत सस्ता तरीका अपनाया है.”
देखिए, ये हैं सबसे महंगे 10 ब्रैंड्स
सबसे महंगे 10 ब्रैंड
फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक इस साल के 10 सबसे महंगे ब्रैंड्स में 5 टेक्नॉलजी से हैं. ऑटो का एक ब्रैंड है और दो खाने-पीने से जुडे हैं. दो अलग फील्ड के हैं. तो यह रही पूरी लिस्ट, ब्रैंड वैल्यू के साथ...
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एप्पल
लगभग 103 खरब रुपये
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Cheng
गूगल
लगभग 55 खरब रुपये
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Elzinga
माइक्रोसॉफ्ट
लगभग 50 खरब रुपये
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Schwarz
कोका कोला
लगभग 39 खरब रुपये
तस्वीर: Coca-Cola
फेसबुक
लगभग 35 खरब रुपये
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Büttner
टोयोटा
लगभग 28 खरब रुपये
तस्वीर: picture-alliance/dpa/U. Deck
आईबीएम
लगभग 27 खरब रुपये
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Szenes
डिज्नी
लगभग 26 खरब रुपये
तस्वीर: picture alliance/United Archives/IFTN
मैक्डॉनल्ड
लगभग 26 खरब रुपये
तस्वीर: picture-alliance/Sven Simon
जीई
लगभग 24 खरब रुपये
तस्वीर: picture-alliance/dpa
10 तस्वीरें1 | 10
हालांकि तीन साल पहले सीनेट की रिपोर्ट लिखने वाले कार्ल लेविन भी डेमोक्रैट सांसद ही हैं. उन्होंने कहा है कि यूरोपीय अधिकारी वही कर रहे हैं जो अमेरिकी अधिकारी नहीं कर पाए. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, “आईआरएस अमेरिका के कर के दावे को हासिल करने में नाकाम रहा इसलिए यूरोपीय संघ उस खाली जगह को भर रहा है. अमेरिकी करों की चोरी करने के लिए एप्पल को शर्म आनी चाहिए. आईआरएस को ऐसा ना करवा पाने के लिए शर्म आनी चाहिए.”
विभिन्न देशों के राजनेताओं के बीच इस तरह कीचड़ उछालने की यह घटना क्या दिखाती है? जर्मनी में आर्थिक मामलों के प्रमुख थिंक टैंक डीआईडब्ल्यू बर्लिन के प्रमुख मार्सेल फ्रात्शर कहते हैं कि इससे पता चलता है कि निवेश के लिए देशों के बीच जो प्रतिस्पर्धा है, बहुराष्ट्रीय कंपनियां कैसे उसका फायदा उठा रही हैं. उन्होंने कहा, “कंपनियां देशों की सरकारों को एक दूसरे से भिड़ा रही हैं.”
जानिए, कैसे पड़े कंपनियों के नाम
ऐसे हुआ इन मशहूर कंपनियों का नामकरण
क्या आप जानते हैं कि गूगल, कैनन या एप्पल समेत दुनिया की कई बड़ी कंपनियों के नाम कैसे तय किए गए. जानिए उनके नामकरण की दिलचस्प कहानी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
गूगल
कंपनी का नाम गूगल रखने के लिए संस्थापकों ने अंग्रेजी शब्द गूगोल (Googol) से प्रेरणा ली. गूगोल का मतलब है एक के पीछे 100 शून्य, यानि बहुत ही बड़ी संख्या. कंपनी भी इसी बड़ी संख्या जैसा विस्तार पाना चाहती थी, इसीलिए नाम चुना गूगल (google).
तस्वीर: picture-alliance/dpa
कैनन
कैमरा और लेंस बनाने वाली जापानी कंपनी ने पहले अपना नाम क्वानन रखा. जापानी में भाषा क्वानन का मतलब होता है बौद्ध देवी. लेकिन 1935 तक कंपनी दुनिया भर में मशहूर होने लगी और फिर ग्लोबल ब्रांड वैल्यू को ध्यान में रखते हुए नाम कैनन रखा गया.
तस्वीर: Canon
एप्पल
एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स को किशोरावस्था में सेब बहुत पंसद थे. 1970 के दशक में जॉब्स भारत आए और उत्तराखंड में नीम करौली आश्रम गए. वहां पहुंचने पर उन्हें पता चला कि बाबा साल भर पहले गुजर चुके हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक इसी दौरान स्टीव को एक दूसरे बाबा ने थोड़ा सा खाया हुआ सेब प्रसाद के तौर पर दिया. कुछ लोग कयास लगाते हैं कि एप्पल का लोगो यहीं से आया.
तस्वीर: picture alliance/dpa/J. G. Mabanglo
कोका कोला
पहली बार इस सॉफ्ट ड्रिंक को बनाने के लिए कोका की पत्तियों और कोला बीजों का इस्तेमाल किया गया. बस तभी कोका कोला नाम पड़ गया. संस्थापक जॉन एस पेम्बर्टन ने कोला की स्पेलिंग को Kola के बदले Cola कर दिया ताकि नाम सुंदर दिखे.
तस्वीर: Coca-Cola
सोनी
लैटिन भाषा में सोनुस शब्द का मतलब है आवाज. जापानी कारोबारी ने इसी से प्रेरणा ली. कंपनी के नाम को दुनिया भर के लिए आसान बनाने के लिए उन्होंने सोनुस की जगह सोनी शब्द चुना.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नोकिया
इस कंपनी की शुरुआत एक वुड पल्प मिल के रूप में हुई. फिर उसने फिनलैंड के शहर नोकिया में रबर उत्पादन शुरू किया और इसके बाद नोकिया नाम से फोन बनाने शुरू किए.
तस्वीर: gemeinfrei
रिबॉक
जूते और खेल सामग्री बनाने वाली कंपनी रिबॉक ने अफ्रीकी-डच शब्द रेहबॉक से प्रेरणा ली. रेहबॉक अफ्रीकी हिरण की एक प्रजाति है जो सौम्यता और तेज रफ्तार के लिए जानी जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
वर्जिन
रिचर्ड ब्रेससन जब अपने दोस्तों के साथ कंपनी शुरू करने की तैयारी में थे तो तभी एक दोस्त ने कहा, वर्जिन नाम कैसा रहेगा. हम कारोबार में बिल्कुल वर्जिन (कुंवारे) हैं. कंपनी को नाम यहीं से मिला.
तस्वीर: picture alliance/dpa
ऐमेजॉन
जेफ बेजोस अपनी कंपनी का नाम अंग्रेजी वर्णामाला के पहले अक्षर ए से शुरू करना चाहते थे. ऐसा कर कंपनी नाम के हिसाब से ऊपर आती. तभी उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी नदी ऐमेजॉन (हिंदी में अमेजन) का ख्याल आया. बस यहीं से कंपनी का नाम ऐमेजॉन पड़ा. बेजोस ने उम्मीद जताई कि कंपनी नदी जितनी बड़ी हो जाएगी.
तस्वीर: Emmanuel Dunand/AFP/Getty Images
फोल्क्सवागेन
1940 के दशक में जर्मनी में मर्सिडीज और आल्डर जैसी कारें विलासिता का प्रतीक बन चुकी थीं. लेकिन ये आम लोगों की पहुंच से बाहर थीं. तभी इन कारों के निर्माण में बचे पुर्जों से कारीगरों ने एक कार बनाई. धीरे धीरे प्रोजेक्ट में और लोग जुड़ते गए और कार का नाम पड़ा वोल्क्सवागेन यानि आम लोगों की कार.
एक दूसरे से जुड़कर कई आकार बनाने वाले लेगो कंपनी के खिलौने आज दुनिया भर में मशहूर हैं. इसके संस्थापकों ने डैनिश भाषा के "लेग गोड्ट" (अच्छे से खेलें) शब्द से प्रेरणा ली. और उसे मिलाकर लेगो कर दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एडोबी
इस कंपनी के सह संस्थापक जॉन वारनॉक के घर में एक दिन एडोबी क्रीक नाम का कीड़ा घुस आया. बस यहीं से एडोबी नाम पड़ा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
12 तस्वीरें1 | 12
एप्पल के खिलाफ आया यह फैसला उसके लिए और देशों में भी मुश्किलें बढ़ा सकता है. यूरोपीय संघ ने अपने फैसले में कहा है कि अमेरिका और बाकी देश भी अपने बचे हुए टैक्स पर दावा करने के लिए आ सकते हैं.
एप्पल इस तरह टैक्स का गोलमाल करने वाली अकेली कंपनी नहीं है. स्टारबक्स को भी नीदरलैंड्स में टैक्स चुकाने का आदेश हो चुका है. अमेजॉन और मैक्डॉनल्ड्स के खिलाफ जांच चल रही है. गूगल के खिलाफ भी यूरोपीय संघ आरोप लगा चुका है कि उसने बाजार में अपनी ताकतवर स्थिति का गलत इस्तेमाल किया है. गूगल पर यूरोपीय संघ के आरोपों के बाद तो अमेरिका सरकार ने यहां तक कह दिया था कि यूरोप अमेरिकी सफलता से चिढ़ रहा है.
प्रतिस्पर्धा मामलों के वकील पिएर सबादीन कहते हैं कि जब जांच के घेरे में आई कंपनियां एप्पल जैसी विशाल हों तो उन्हें राजनीतिक समर्थन मिल ही जाता है.
देखिए, ऐसा होगा हमारा गूगल फ्यूचर
ऐसा होगा हमारा गूगल फ्यूचर
इंटरनेट का चेहरा बदलने के बाद अब गूगल हमारी आम जिंदगी भी बदलने जा रहा है. गूगल के सीईओ सुंदर पिचई इसका एलान भी कर चुके हैं. कैसा होगा हमारा गूगल फ्यूचर.
तस्वीर: samhoud media
गूगल एसिस्टेंट
ये फोन में छुपा एक स्मार्ट सहायक होगा. शुरुआत में एप्पल से पिछड़ने के बावजूद गूगल का दावा है उसका एसिस्टेंट एप्पल के सिरी से ज्यादा स्मार्ट होगा. आपके एक निर्देश पर फोन खुद बात करके टैक्सी या एंबुलेंस को बुला लेगा. जटिल से जटिल सवालों का भी ये एसिस्टेंट आपको पढ़कर ऑडियो उत्तर देगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Roessler
हमसाया सा एसिस्टेंट?
आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की मदद से गूगल एसिस्टेंट आपके व्यवहार पर नजर रखेगा. यह आपकी भाषा और लिखने के तरीके को भी याद करेगा. धीरे धीरे एसिस्टेंट आपको इतना करीब से जानने लगेगा कि वह हर चीज में मदद करने लगेगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
दुनिया देखने का नया अंदाज
सुंदर पिचई के मुताबिक आप न्यूयॉर्क में कहीं खड़े हो जाइये, एक फोटो लीजिए और गूगल एसिस्टेंट से पूछिये कि यह ईमारत किसने डिजायन की. सहायक तुरंत आपको सटीक जानकारी मुहैया करा देगा. आप फोटो लेकर पेड़ पौधों या अथाह चीजों के नाम खोज सकते हैं और उनकी जानकारी भी पा सकते हैं.
तस्वीर: picture alliance/Arco Images
कम होगी टेंशन
फिलहाल गूगल मैप्स मंजिल तक तो पहुंचा देता है, लेकिन खाली पार्किंग की जानकारी नहीं दे पाता. भविष्य में गूगल एसिस्टेंट और मैप साथ में काम करेंगे और गाड़ी पार्क करने की जगह भी बताएंगे. साथ ही फ्लाइट, सिनेमा, स्टेडियम, ट्रेन या किसी इवेंट की बुकिंग का भी ख्याल फोन रखेगा.
एंड्रॉयड एन
स्मार्टफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम में फिलहाल गूगल के एंड्रॉयड और एप्पल के आईओएस का ही दबदबा है. इस कड़े मुकाबले में आगे निकलने के लिए गूगल ने एंड्रॉयड एन पेश किया है. इसमें मोबाइल स्क्रीन पर एक साथ दो ऐप चलाए जा सकते हैं. फिलहाल एक बार में एक ही ऐप इस्तेमाल किया जा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Kerkmann
इनस्टेंट ऐप
अभी नया ऐप इनस्टॉल करने के लिए डाउनलोड पूरा होने का इंतजार किया जाता है. कभी कभार इसमें बहुत समय लगता है. इनस्टेंट ऐप इस झंझट से निजात दिलाएगा. डाउनलोड शुरू होते ही आप ऐप के कई फीचर्स इस्तेमाल करना शुरू कर सकते हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/Google
डेड्रीम
गूगल ने अपनी आभासी दुनिया को डेड्रीम नाम दिया है. एप्पल, फेसबुक या सैमसंग के उलट गूगल की आभासी दुनिया में किसी भी स्मार्टफोन से दाखिल हुआ जा सकेगा.
तस्वीर: TU Bergakademie Freiberg/Wolfgang Thieme
ऑलओ
ऑलओ के जरिये गूगल फेसबुक की मैसेजिंग सर्विस व्हॉट्सऐप को टक्कर देना चाहता है. ऑलओ गूगल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निर्भर होगा. जैसे किसी दोस्त ने मुस्कुराती हुई तस्वीर भेजी तो यह "बहुत सुंदर फोटो" जैसा संदेश तैयार कर लेगा. मैसेजिंग बॉक्स के अहम संदेश भी याद दिलाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/HOCH ZWEI
ऑल इन वन
अलग अलग ब्रांड के टीवी, स्मार्टफोन या कंप्यूटर को फिलहाल एक दूसरे से कनेक्ट करना आसान नहीं होता. किसी में कुछ इनस्टॉल करना पड़ता है, किसी में कुछ. सुंदर पिचई ने एलान किया है कि गूगल इस दीवार को गिरा देगा. अलग अलग मशीनों को आपस में कनेक्ट करना आसान कर देगा. गूगल ने अपना होम थिएटर भी लाएगा.
तस्वीर: Fotolia/Matthias Buehner
कब होगा ऐसा
गूगल के मुताबिक 2016 के अंत से यह नई चीजें बाजार में आने लगेंगी. ऑपरेटिंग सिस्टम और गूगल एसिस्टेंस नेक्सस फोन के नए वर्जन के साथ आएंगे.