रूस ने एक मिसाइल का परीक्षण कर अपने ही एक उपग्रह को ध्वस्त कर दिया. लेकिन इस परीक्षण ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्ष यात्रियों की जान को खतरे में डाल दिया. अमेरिका ने इसका जवाब देने की बात कही है.
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रूस ने मिसाइल से उपग्रह को ध्वस्त किया है, जिसपर अमेरिका ने कहा है कि अंतरिक्ष में मलबे के कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के परिचालन में बाधा आई और वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को आपात स्थिति के लिए तैयार होना पड़ा. इस घटना के लिए अमेरिका ने रूस के एक मिसाइल टेस्ट को जिम्मेदार ठहराते हुए उसकी आलोचना की है.
अमेरिका ने कहा है कि रूस ने एक ‘खतरनाक और गैरजिम्मेदार' मिसाइल परीक्षण कर अपने ही एक उपग्रह को ध्वस्त कर दिया लेकिन इसके मलबे ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र को खतरा पैदा कर दिया. अमेरिका को इस परीक्षण के बारे में पहले से नहीं बताया गया था और इस पर प्रतिक्रिया के लिए वह अपने सहयोगियों से बातचीत करेगा.
तस्वीरेंः बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल का फर्क
बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
मिसाइल आधुनिक समय में युद्ध के अहम हथियार बनते जा रहे हैं. आम तौर पर मिसाइल को उनके प्रकार, लॉन्च मोड, रेंज, संचालन शक्ति, वॉरहेड और गाइडेंस सिस्टम के आधार पर बांटा जाता है. एक नजर मिसाइलों के प्रकार पर.
तस्वीर: picture-alliance/Zumapress/Department of Defense
क्रूज और बैलेस्टिक
मिसाइल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. एक क्रूज मिसाइल होता है जिसके तहत सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाईपर सोनिक क्रूज मिसाइल आते हैं. ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल है और ब्रह्मोस 2 हाइपरसोनिक मिसाइल है. वहीं दूसरा बैलेस्टिक मिसाइल होता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
क्रूज मिसाइल
क्रूज मिसाइल एक मानवरहित स्व-चालित वाहन है जो एयरोडायनामिक लिफ्ट के माध्यम से उड़ान भरता है. इसका काम एक लक्ष्य पर विस्फोटक या विशेष पेलोड गिराना हैं. यह जेट इंजन की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरते हैं. इनकी गति काफी तेज होती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Tass/Ministry of Defence of the Russian Federation
बैलेस्टिक मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल एक ऐसी मिसाइल है जो अपने स्थान पर छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से नीचे आते हुए अपने लक्ष्य को निशाना बनाती है. बैलेस्टिक मिसाइल को बड़े समुद्री जहाज या फिर संसाधनों से युक्त खास जगह से छोड़ा जाता है. पृथ्वी, अग्नि और धनुष भारत के बैलिस्टिक मिसाइल हैं.
तस्वीर: Reuters/Courtesy Israel Ministry of Defense
सरफेस टू सरफेस मिसाइल
लॉन्च मोड के आधार पर भी मिसाइलों को कई तरह से बांटा गया है. सरफेस टू सरफेस मिसाइल एक निर्देशित लक्ष्य पर वार करती है. इसे वाहन पर रखकर या किसी जगह पर इंस्टॉल कर लॉन्च किया जाता है. आमतौर पर इसमें रॉकेट मोटर लगा होता है या फिर कभी-कभी लॉन्च प्लेटफॉर्म से विस्फोटक के माध्यम से छोड़ा जाता है.
तस्वीर: Reuters
सरफेस टू एयर मिसाइल
इस मिसाइल का उपयोग जमीन से हवा में किसी निशाने को भेदने के लिए किया जाता है, जैसे कि हवाईजहाज, हेलिकॉप्टर या फिर बैलेस्टिक मिसाइल. इस मिसाइल को आमतौर पर एयर डिफेंस सिस्टम कहते हैं क्योंकि ये दुश्मनों के हवाई हमले को रोकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/H. Ammar
लैंड टू सी मिसाइल
इस मिसाइल को जमीन से छोड़ा जाता है जो दुश्मनों की समुद्री जहाज को निशाना बनाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Noroozi
एयर टू एयर मिसाइल
एयर टू एयर (हवा से हवा में मार करने वाली) मिसाइल को किसी एयरक्राफ्ट से छोड़ा जाता है, जो दुश्मनों के एयरक्राफ्ट को नष्ट कर देती है. इसकी गति 4 मैक (करीब 4800 किलोमीटर प्रतिघंटा) होती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/File/Lt. Col.. Leslie Pratt, US Air Force
एयर टू लैंड मिसाइल
एयर टू लैंड मिसाइल को सेना के विमान से छोड़ा जाता है जो समुद्र, जमीन या दोनों जगहों पर निशाना लगाती है. इस मिसाइल को जीपीएस सिग्नल के माध्यम से लेजर गाइडेंस, इफ्रारेड गाइडेंस या ऑप्टिकल गाइडेंस से निर्देशित किया जाता है.
तस्वीर: Getty Images/J. Moore
सी टू सी मिसाइल
इस मिसाइल को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि यह समुद्र में मौजूद अपने दुश्मनों के जहाज या पनडुब्बियों को नष्ट कर देती है. इसे समुद्री जहाज से ही लॉन्च किया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/U.S Navy
सी टू लैंड मिसाइल
इस तरह के मिसाइल को समुद्र से लॉन्च किया जाता है जो सतह पर मौजूद अपने दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर देती है.
तस्वीर: AP
एंटी टैंक मिसाइल
एंटी टैंक मिसाइस वह होती है जो दुश्मनों के सैन्य टैंकों और अन्य युद्ध वाहनों को नष्ट कर देती है. इसे एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, टैंक या कंधे पर रखे जाने वाले लांचर से भी छोड़ा जा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Militant Photo
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इस तरह का यह चौथा परीक्षण था. इससे अंतरिक्ष में मार कर सकने वाले हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिल सकता है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने एक बयान जारी कर सोमवार को कहा, "15 नवंबर को रूस ने गैरजिम्मेदाराना तरीके से एक उपग्रह-रोधी मिसाइल का परीक्षण अपने ही एक उपग्रह के खिलाफ किया. इस परीक्षण में मलबे के 1,500 से ज्यादा बड़े टुकड़े और हजारों छोटे-छोटे टुकड़े पैदा हुए."
क्यों खतरनाक था टेस्ट?
आईएसएस पर इस वक्त चार अमेरिकी, एक जर्मन और दो रूसी अंतरिक्ष यात्री काम कर रहे हैं जिन्हें मलबे के कारण अपने वापसी वाहनों में शरण लेनी पड़ी. यह एक आपातकालीन व्यवस्था है जिसमें अंतरिक्ष यात्री किसी तरह का खतरा होने पर उन वाहनों में चले जाते हैं जिनके जरिए उन्हें पृथ्वी पर लौटाया जा सके. रूसी स्पेस एजेंसी रोसकॉसमोस ने ट्वीट कर बताया कि स्टेशन बाद में ग्रीन लेवल यानी खतरे से बाहर आ गया.
इस घटना पर अमेरिका की प्रतिक्रिया में तीखे शब्दों का प्रयोग किया गया है. अपने बयान में ब्लिंकेन ने कहा कि खतरा टला नहीं है. उन्होंने कहा, "इस खतरनाक और गैर जिम्मेदाराना परीक्षण के कारण लंबे समय तक कक्षा में रहने वाला मलब पैदा हुआ है जो उपग्रहों और अंतरिक्ष में अन्य उपकरणों के लिए दशकों तक खतरा बना रहेगा. रूस दावे तो करता है कि वह अंतरिक्ष में हथियार नहीं बढ़ा रहा है लेकिन इन दावों के उलट वह अंतरिक्ष के आने वाले लंबे समय तक खोज और अनुसंधान के प्रयोग को खतरे में डाल रहा है.”
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बढ़ रही है होड़
पेंटागन में पत्रकारों से बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने कहा कि अमेरिका को इस परीक्षण के बारे में पहले से नहीं बताया गया था. अंतरिक्ष उद्योग पर नजर रखने वाली कंपनी सेराडाटा के मुताबिक रूसी मिसाइल ने 1982 में भेजे गए उपग्रह कॉसमोस 1408 को निशाना बनाया था. जासूसी के लिए स्थापित किया गया यह उपग्रह दशकों पहले ही काम बंद कर चुका है.
भारत की मिसाइलें
भारत ने मिसाइलों के मामले में काफी तरक्की की है, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के नेतृत्व में चले मिसाइल कार्यक्रम ने भारत को कई मिसाइलें दी हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Raveendran
अग्नि 1
भारत ने अग्नि 1 मिसाइल का 18 वां परीक्षण किया है. 700 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम मिसाइल का निशाना अचूक है.
तस्वीर: PIB
अग्नि 5
सतह से सतह पर सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली भारत की मिसाइल. रेंज 5000 किलोमीटर
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/Indian Ministry of Defence
अग्नि 4
परमाणु हथियार ढोने में सक्षम अग्नि 4 मिसाइल 2500-3000 किलोमीटर तक मार कर सकती है
तस्वीर: AP
अग्नि 3
ये मिसाइल 3000-5000 किलोमीटर तक मार कर सकती है.
तस्वीर: Getty Images
अग्नि 2
अग्नि 2 मिसाइल की रेंज 2000- 2500 किलोमीटर है.
तस्वीर: AP
पृथ्वी मिसाइल
भारत के पास पृथ्वी मिसाइल भी हैं. इसके भी तीन संस्करण हैं जिनकी रेंज 150 से 600 किलोमीटर तक है.
तस्वीर: AP
ब्रह्मोस
रूस के सहयोग से तैयार यह मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से भी तेज उड़ान भरती है. इनकी रेंज 450-600 किलोमीटर तक है.
तस्वीर: dapd
के मिसाइल
भारत के पास के श्रेणी की मिसाइलें भी हैं जो पनडुब्बियों के जरिए दागी जाती हैं. मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के सम्मान में उनका नाम रखा गया है.
तस्वीर: UNI
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उपग्रह-रोधी हथियार (ASAT) अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित मिसाइल हैं जो कुछ ही देशों के पास हैं. पिछली बार ऐसा परीक्षण भारत ने 2019 में किया था जिससे बड़ी मात्रा में अंतरिक्षीय मलबा पैदा हुआ था जिसके कारण अमेरिका ने भारत की आलोचना की थी. इससे पहले 2007 में चीन ने और फिर अमेरिका ने 2008 में ऐसा ही परीक्षण किया था.