अमेरिकी हवाई हमले में आम लोगों के मारे जाने की जांच होगी
३० अगस्त २०२१
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने काबुल में किए हवाई हमले में आम नागरिकों के मारे जाने की खबरों की जांच का वादा किया है. तालिबान भी अपने स्तर पर जांच करेगा.
विज्ञापन
अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड के प्रवक्ता बिल अर्बन ने कहा कि हम किसी भी आम नागरिक की जान जाने की संभावना से दुखी हैं. एक बयान जारी कर अर्बन ने कहा, "हम आज काबुल में एक वाहन पर किए गए हमले के दौरान आम नागरिकों के मारे जाने की खबरों से परिचित हैं. हम जानते हैं कि वाहन के नष्ट होने से ताकतवर धमाके हुए थे, जिससे संकेत मिलता है कि वाहन में बड़ी मात्रा में विस्फोटक थे. हो सकता है इससे और लोगों की भी जानें गई हों. अगर ऐसा हुआ होगा तो हमें बहुत दुख है."
अमेरिका ने रविवार को काबुल के करीब एक वाहन पर रॉकेट से हमला किया था. कहा गया था कि इस वाहन में एक आत्मघाती हमलावर था जो काबुल में हमला करने के मकसद से जा रहा था. शुक्रवार को इस्लामिक स्टेट खोरसान ने काबुल में एक आत्मघाती हमला कर सौ से ज्यादा लोगों मार डाला था.
अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन ने खबर दी कि इस हमले में एक ही परिवार के नौ लोगों की जान गई. मरने वालों में छह बच्चे होने की बात कही गई है. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी एपी को बताया कि काबुल एयरपोर्ट के करीब हुए इस हवाई हमले में तीन बच्चे मारे गए.
उधर तालिबान ने कहा है कि वे भी इस हमले की जांच कर रहे हैं और पता लगाया जाएगा कि जिस वाहन पर हमला किया गया, उसमें वाकई कोई आत्मघाती हमलावर सवार था या नहीं.
देखें:तस्वीरों में मिशन काबुल
तस्वीरों में मिशन काबुल
अगस्त के मध्य में तालिबान के नियंत्रण में आने के बाद से हजारों लोगों को अफगानिस्तान से निकाला गया है. लेकिन कई हजार लोग पीछे ही छूट जाएंगे. वे देश में रहेंगे और तालिबान के बदले के जोखिम से घिरे रहेंगे.
तस्वीर: U.S. Air Force/Getty Images
दूतावास कर्मियों को बचाते अमेरिकी हेलीकॉप्टर
जैसे ही तालिबान ने राजधानी काबुल में दाखिल किया, एक अमेरिकी चिनूक सैन्य हेलीकॉप्टर 15 अगस्त, 2021 को काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी कर्मचारियों को निकालने के काम में लग जाता है. जर्मनी ने लोगों को निकालने की कोशिशों में मदद के लिए काबुल में छोटे हेलीकॉप्टर भेजे हैं.
तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP/Getty Images
काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचने की जद्दोजहद
काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 16 अगस्त और उसके बाद के दिनों में हजारों लोग अफगानिस्तान छोड़ने की उम्मीद में पहुंचे. लोग दीवार फांदते, कंटीली तारों को पार करते दिखे. वे किसी तरह से देश छोड़ने की कोशिश करते नजर आए.
तस्वीर: Reuters
तालिबान से बचने को बेताब
अफगानिस्तान से भागने की कोशिशों में सैकड़ों लोग अमेरिकी वायुसेना के विमान के साथ-साथ दौड़ने लगे. कुछ लोग विमान से लिपट गए. उन्हें नहीं पता था कि यह कितना खतरनाक हो सकता है. विमान से गिरकर कुछ लोगों की मौतें भी हुईं.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
दो दशक बाद तालिबान की वापसी
दो दशकों तक अफगानिस्तान से तालिबान एक तरह से गायब था. लेकिन जैसे ही अमेरिका, जर्मनी और अन्य देशों के सैनिकों की वापसी शुरू हुई तालिबान तेजी से प्रांतों पर कब्जा जमाने लगा. ये तालिबान लड़ाके अफगान राजधानी पर कब्जा करने के कुछ दिनों बाद काबुल के एक बाजार में गश्त करते दिखाई दे रहे हैं.
तस्वीर: Hoshang Hashimi/AFP
ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की कोशिश
लोग किसी तरह से अफगानिस्तान से बाहर जाना चाहते हैं. इस वायुसेना के विमान में क्षमता से अधिक लोग बैठे हैं. जर्मन वायु सेना के इस परिवहन विमान में लोगों ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद के लिए उड़ान भरी. काबुल से निकलने वाले अधिकांश सैन्य विमान उज्बेकिस्तान, दोहा या इस्लामाबाद जाते हैं जहां से यात्रियों को अलग-अलग गंतव्यों के लिए भेजा जाता है.
तस्वीर: Marc Tessensohn/Bundeswehr/Reuters
तालिबानी शासन में जीवन
तालिबान के देश पर कब्जा करने के कुछ दिनों बाद 23 अगस्त को बुर्का पहने अफगान महिलाएं काबुल के एक बाजार में खरीदारी करती हुईं. महिलाओं और बच्चों के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों को देश में अब काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं.
तस्वीर: Hoshang Hashimi/AFP
सुरक्षित हाथों में
24 अगस्त, 2021 को काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर निकासी अभियान के दौरान एक अमेरिकी मरीन एक बच्चे को उसके परिवार के पास ले जाता हुआ. अमेरिका कह चुका है कि वह 31 अगस्त तक अपने सभी सैनिकों को देश से हटा लेगा.
तस्वीर: Sgt. Samuel Ruiz/U.S. Marine Corps/Reuters
जब बचने में कामयाब हुए
अफगानिस्तान से भागने में कामयाब होने वालों में से कई ने मिलीजुली प्रतिक्रियाएं दी हैं. वे कहते हैं कि वे भाग्यशाली महसूस करते हैं कि वे सुरक्षित रूप से अफगानिस्तान से बाहर आ गए. लेकिन तालिबान शासन से बचने में असमर्थ हजारों लोग के भाग्य पर संकट के बादल मंडरा रहे है. इस परिवार को काबुल से निकाला गया है और एक अमेरिकी शरणार्थी केंद्र में ले जाया जा रहा है.
तस्वीर: Anna Moneymaker/AFP/Getty Images
8 तस्वीरें1 | 8
विदेश मंत्रियों की बैठक
सोमवार को कई देशों के विदेश मंत्री अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए मिलने वाले हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया है कि कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, युनाइटेड किंग्डम, तुर्की, कतर, यूरोपीय संघ और नाटो के प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल होंगे.
विज्ञापन
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा, "ये प्रतिनिधि आने वाले दिनों और हफ्तों में अफगानिस्तान पर एक साझी रणनीति अपनाने पर चर्चा करेंगे." बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन का संबोधन भी होगा जिसमें वह अफगानिस्तान में हो रही गतिविधियों पर जानकारी देंगे.
तालिबान के महिमामंडन पर बिफरीं अफगान महिला नेता
07:04
अफगानिस्तान में जिंदगी दूभर
सरकार के न रहने के कारण अफगानिस्तान में लोगों की आम जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है, जिस कारण भुखमरी और आर्थिक संकट का अंदेशा जताया जा रहा है. आम जरूरत की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं और लोगों के पास संसाधन खत्म हो रहे हैं.
देश में आटा, तेल और चावल बहुत महंगा हो चुका है. देश की मुद्रा कमजोर हो रही है और पाकिस्तान में करंसी बदलने वाले अफगान मुद्रा को लेने से इनकार कर रहे हैं. शनिवार को अधिकारियों ने बैंकों को दोबारा खोलने के आदेश दिए. पैसे निकालने की सीमा 20 हजार अफगानी यानी लगभग 17 हजार भारतीय रुपये कर दी गई है. बैंकों के बाहर लंबी कतारें देखी जा सकती हैं.
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि कुछ दिन के भीतर नई कैबिनेट का ऐलान किया जाएगा और नए प्रशासन के आने के साथ ही ये दिक्कतें खत्म हो जाएंगी.
तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों से अफगानिस्तान के साथ संबंध कायम रखने की अपील की है. ब्रिटेन ने कहा है कि ऐसा तभी हो सकता है जब तालिबान मानवाधिकारों का सम्मान करे और देश से बाहर जाना चाहने वाले लोगों को सुरक्षित निकलने दे.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)
तालिबान आतंक से निजात
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत अपने नागरिकों समेत वहां के नागरिकों को सुरक्षित निकालने के मिशन पर लगा हुआ है. हर रोज वायुसेना के विमान से सैकड़ों लोग भारत आ रहे हैं. भारत आकर वे राहत की सांस ले रहे हैं.
तस्वीर: IANS
सुरक्षा का अहसास
22 अगस्त को भारतीय वायुसेना ने काबुल में फंसे भारतीयों और अफगानों को वहां से एयरलिफ्ट किया. भारत आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली.
तस्वीर: IANS
जब फंस गए थे काबुल में
रोजगार और व्यापार के सिलसिले में अफगानिस्तान गए कई भारतीय तालिबान के कब्जे के बाद वहीं फंस गए थे. काबुल एयरपोर्ट से भारतीय वायुसेना का विमान हर रोज सैकड़ों लोगों को संकटग्रस्त देश से निकाल रहा है.
तस्वीर: IANS
अफगान सांसद भी बचाए गए
22 अगस्त को काबुल से 392 लोगों को तीन विमानों के जरिए भारत लाया गया. इन लोगों में 329 भारतीय नागरिक और दो अफगान सांसद समेत अन्य लोग हैं. भारतीय वायुसेना का सी-19 विमान 107 भारतीयों और 23 अफगान सिख-हिंदुओं समेत कुल 168 लोगों को लेकर हिंडन एयरबेस पर उतरा.
तस्वीर: IANS
जब रो पड़े सांसद
काबुल से भारत पहुंचे लोगों में दो अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा और अनारकली होनरयार भी हैं. हिंडन एयरबेस पर उतरते ही खालसा की आंखें भर आईं. अपने देश का हाल बयान करते हुए उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान 20 साल पीछे चला गया है.
तस्वीर: IANS
मिशन काबुल
अमेरिका, कतर और कई मित्र देशों के साथ मिलकर भारत अपने नागरिकों के साथ-साथ अफगान लोगों को काबुल से निकालने के मिशन में जुटा हुआ है. भारत सरकार अफगानिस्तान की स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है.
तस्वीर: IANS
दूतावास के बाहर लंबी कतारें
दिल्ली में कई अफगान नागरिक अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों के दूतावास के बाहर सुबह से इकट्ठा हो जाते हैं और वे दूतावास से मदद की गुहार लगाते हैं. ऑस्ट्रेलिया के दूतावास के बाहर जमा हुए अफगान नागरिकों का कहना है कि उन्होंने सुना है कि ऑस्ट्रेलिया ने शरणार्थियों को स्वीकार करने और उन्हें आव्रजन वीजा देने की घोषणा की है.
तस्वीर: IANS
लंबा इंतजार
दूतावास के बाहर लोग घंटों इंतजार करते हैं. कुछ अफगानों का कहना है कि जब वे ऑस्ट्रेलियाई दूतावास आए तो उन्हें एक फॉर्म दिया गया और कहा गया कि यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त) को एक ईमेल भेजना होगा जो उन्हें वीजा के लिए दूतावास के पास भेजेगा. लोगों का आरोप है कि यूएनएचसीआर कार्यालय कोई जवाब नहीं देता.
तस्वीर: IANS
बच्चों के भविष्य की चिंता
काबुल से आए कई परिवारों में छोटे बच्चे भी हैं. यह परिवार भी ऑस्ट्रेलिया दूतावास में वीजा की गुहार के लिए आया हुआ है. दूतावास के बाहर भीड़ को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
तस्वीर: IANS
मदद की गुहार
अफगानिस्तान में एक ओर लोग तालिबान के डर से भाग रहे हैं वहीं दूसरी ओर जो नागरिक दूसरे देशों में हैं, वे वापस अपने देश जाना नहीं चाहते हैं. ऐसे में वे वीजा के लिए दूतावासों के चक्कर काट रहे हैं.
तस्वीर: IANS
खतरे में लोग
संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी का कहना है कि ज्यादातर अफगान देश नहीं छोड़ पा रहे हैं और जो खतरे में हो सकते हैं उनके पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है. ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, ईरान और भारत जैसे देश शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं.