अमेरिका ने नवंबर से भारत, चीन, ब्राजील और यूरोप के अधिकतर देशों समेत कुल 33 देशों पर लगे यात्रा प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है. व्हाइट हाउस के मुताबिक वैक्सीन की पूरी खुराक ले चुके लोग अमेरिका आ-जा सकेंगे.
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व्हाइट हाउस के कोरोना वायरस प्रतिक्रिया संयोजक जेफ जिएंट्स ने सोमवार को एक बयान जारी कर नवंबर की शुरुआत से सीमाएं खोलने का ऐलान किया है. इसके साथ ही 18 महीने से जारी सीमा प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी. हालांकि पिछले ही हफ्ते बाइडेन सरकार ने कहा था कि अभी सीमाएं खोलने का सही वक्त नहीं आया है क्योंकि कोविड के मामले बढ़ रहे हैं.
अनेक देशों ने अमेरिका के इस फैसले का स्वागत किया है. करीब डेढ़ साल से जारी इन प्रतिबंधों का असर हजारों लोगों पर पड़ा था जो व्यापार, शिक्षा या निजी कारणों से अमेरिका की यात्रा करना चाहते हैं.
डेढ़ साल बाद खुलेंगी सीमाएं
अमेरिका ने कहा है कि वैक्सीन की पूरी खुराक ले चुके लोगों को ही यात्रा की इजाजत होगी. जिन देशों को छूट दी गई है उनमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, स्विट्जरलैंड और ग्रीस समेत शेनेगन क्षेत्र के 26 देश शामिल हैं. इनके अलावा ब्रिटेन, आयरलैंड, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका, ईरान और ब्राजील के लोगों को भी यात्रा की इजाजत होगी.
अमेरिका ने अपनी सीमाएं पिछले साल जनवरी में विदेशियों के लिए तब बंद कर दी थीं जब कोरोना वायरस के मामले आने लगे थे. सबसे पहले चीन से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगाया गया था जो धीरे धीरे अन्य देशों पर भी लागू हो गया.
अभी प्रतिबंध हटाने की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है और बस इतना कहा गया है कि नवंबर की शुरुआत में यात्राएं शुरू की जा सकेंगी. वैसे कोरोना वायरस के दौरान भी 150 से ज्यादा देशों के लोगों पर अमेरिका आने जाने की कोई पाबंदी नहीं थी. लेकिन सोमवार की घोषणा का अर्थ है कि अब उन देशों से भी केवल वही लोग अमेरिका जा सकेंगे जिन्होंने वैक्सीन की खुराक ली है.
घोषणा का स्वागत
अमेरिका में उद्योगपतियों के संगठन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा है कि यह "अमेरिकी अर्थव्यवस्था की तेज बहाली में मदद करेगी." एक अन्य संगठन ‘एयरलाइन फॉर अमेरिका‘ के मुताबिक कोविड महामारी के फैलने से पहले की तुलना में अगस्त में अंतरराष्ट्रीय यात्राएं 43 प्रतिशत कम हुईं.
देखिएः कहां कहां पहुंची वैक्सीन
कहां कहां पहुंची वैक्सीन
कोविड-19 वैक्सीन को लोगों तक पहुंचाने के लिए दुनियाभर के सैकड़ों स्वास्थ्यकर्मी दूभर यात्राएं कर रहे हैं. उनका काम है वैक्सीन को उन जगहों पर ले जाना जहां आना-जाना आसान नहीं है. मिलिए, ऐसे ही लोगों से.
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पहाड़ की चढ़ाई
दक्षिणी तुर्की में दूर-दराज पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए सिर्फ स्वास्थ्यकर्मी होना काफी नहीं है. उन्हें शारीरिक रूप से तंदुरुस्त और मजबूत भी होना पड़ता है क्योंकि पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं. डॉ. जैनब इरेल्प कहती हैं कि लोग अस्पताल जाना पसंद नहीं करते तो हमें उनके पास जाना पड़ता है.
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बर्फीली यात्राएं
पश्चिमी इटली के ऐल्पस पहाड़ी के मारिया घाटी में कई बुजुर्ग रहते हैं जो वैक्सिनेशन सेंटर तक नहीं पहुंच सकते. 80 साल से ऊपर के लोगों को घर-घर जाकर वैक्सीन लगाई जा रही है.
तस्वीर: Marco Bertorello/AFP
हवाओं के उस पार
अमेरिका के अलास्का में यह नर्स युकोन नदी के किनारे बसे कस्बे ईगल जा रही है. उसके बैग में कुछ ही वैक्सीन हैं क्योंकि ईगल सौ लोगों का कस्बा है जहां आदिवासी लोग रहते हैं. उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है.
तस्वीर: Nathan Howard/REUTERS
मनाना भी पड़ता है
दक्षिणी-पश्चिमी कोलंबिया के पहाड़ी इलाकों में 49 साल के ऐनसेल्मो टूनूबाला का काम सिर्फ वैक्सीन ले जाना नहीं है. उन्हें वैक्सीन की अहमियत भी समझानी पड़ती है क्योंकि कुछ आदिवासी समूह दवाओं से ज्यादा जड़ी-बूटियों पर भरोसा करते हैं.
तस्वीर: Luis Robayo/AFP
कई-कई घंटे चलना
मध्य मेक्सिको नोवा कोलोन्या इलाके में ये लोग चार घंटे पैदल चलकर टीकाकरण केंद्र पहुंचे. ये हुइशोल आदिवासी समूह के लोग हैं.
तस्वीर: Ulises Ruiz/AFP/Getty Images
नाव में सेंटर
ब्राजील के रियो नेग्रो में नोसा सेन्योरा डो लिवरामेंटो समुदाय के लोगों तक वैक्सीन नाव पर बने एक टीकाकरण केंद्र के जरिए पहुंची है.
तस्वीर: Michael Dantas/AFP
अंधेरे में उजाला
ब्राजील के इस आदिवासी इलाके में बिजली नहीं पहुंची है लेकिन वैक्सीन पहुंच गई है. 70 साल की रैमुंडा नोनाटा को वैक्सीन की पहली खुराक मोमबत्ती की रोशनी में मिली.
तस्वीर: Tarso Sarraf/AFP
झील के उस पार
यूगांडा की सबसे बड़ी झील बनयोन्यनी के ब्वामा द्वीप पर रहने वालों को वैक्सीन लगवाने के लिए नाव से आना पड़ता है.
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सब जल-थल
जिम्बाब्वे के जारी गांव में पहुंचने के लिए बनी सड़क टूट गई है. नदी पार करने का यही तरीका है लेकिन वैक्सीन तो पहुंचेगी.
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जापान के गांव
जापान में शहर भले चकाचौंध वाले हों, आज भी बहुत से लोग दूर-दराज इलाकों में रहते हैं. जैसे किटाएकी में इस बुजुर्ग के लिए स्वास्थ्यकर्मी घर आए हैं टीका लगाने.
तस्वीर: Kazuhiro Nogi/AFP
बेशकीमती टीके
इंडोनेशिया में टीकाकरण जनवरी में शुरू हो गया था. बांडा आचेह से मेडिकल टीम नाव के रास्ते छोटे छोटे द्वीपों पर पहुंची. टीके इतने कीमती हैं कि सेना मेडिकल टीम के साथ गई.
तस्वीर: Chaideer Mahyuddin/AFP
दूसरी लहर के बीच
भारत में जब कोरोना वायरस चरम पर था, तब वैक्सीनेशन जारी था. लेकिन ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थित बहाकजरी गांव में मेडिकल टीम के पास पहुंचे लोग मास्क आदि से बेपरवाह दिखाई दिए. (ऊटा श्टाइनवेयर)
तस्वीर: Anupam Nath/AP Photo/picture alliance
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अमेरिका का यह फैसला मंगलवार को जो बाइडेन के संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन के ठीक एक दिन पहले आया है. हालांकि व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि इस फैसले का कूटनीतिक आधार नहीं है. उन्होंने कहा, "अगर हमें अपने लिए चीजें आसान करनी होतीं तो यह फैसला तब लेते जब राष्ट्रपति बाइडेन जून में अपने पहले विदेश दौरे पर गए थे. या फिर गर्मियों की शुरुआत में यह फैसला करते. हमारा फैसला विज्ञान पर आधारित है."
अमेरिका में जून से डेल्टा वेरिएंट के कारण कोविड के मामले और मौतें लगातार बढ़ रही हैं. रविवार को देश में लगभग 29,000 नए मामले दर्ज हुए थे.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अमेरिका की घोषणा का स्वागत करते हुए इसे उद्योग और व्यापार के लिए एक शानदार प्रोत्साहन बताया. अमेरिका में जर्मनी की राजदूत एमिली हाबेर ने ट्विटर पर कहा, "लोगों के आपसी संपर्क और अटलांटिक में व्यापार के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण फैसला है."
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कौन सी वैक्सीन मान्य होंगी?
अमेरिका जाने के लिए लोगों को यात्रा से पहले ही वैक्सीन का सबूत देना होगा. उन्हें अमेरिका में एकांतवास में रहने जरूरत नहीं होगी. व्हाइट हाउस ने कहा कि कौन कौन सी वैक्सीन मान्य होंगी, इसका फैसला सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (CDC) करेगी.
सीडीसी का कहना है कि उसी व्यक्ति को पूरी तरह से वैक्सिनेटेड माना जाएगा जिसने मान्यता प्राप्त वैक्सीन ली हों. संस्था की प्रवक्ता क्रिस्टन नोर्डलंड ने कहा, "सीडीसी उसी को पूरी तरह वैक्सीनेटेड मानता है जिसने एफडीए से अधिकृत या मान्यताप्राप्त वैक्सीन लो हो या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जिस वैक्सीन को मान्यता दी हो. लेकिन यह सूची बदली जा सकती है."
तस्वीरों मेंः टीका लगवाने पर दावत
कोरोना का टीका लगाने पर "दावत"
लंबे समय के बाद लॉकडाउन खत्म हुआ है, इसलिए सर्बिया में रेस्तरां खुल गए हैं. हालांकि, पूरे देश में अभी भी टीकाकरण गतिविधियां जारी हैं. ऐसे में शहर के एक रेस्तरां ने एक खास पेशकश की है.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
टीका लगवाओ और भुना गोश्त पाओ
वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए सर्बिया के क्रागुएवात्स शहर में रेस्तरां मालिक स्ताव्रो रासकोविच ने उन लोगों को मुफ्त में स्थानीय व्यंजन खाने का मौका दिया जिन लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवा ली. इसके जरिए रासकोविच ने लोगों को धन्यवाद करने की कोशिश की.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
वैक्सीन और खाना
लॉकडाउन की वजह से देश के रेस्तरां, कैफे और बार बुरी तरह प्रभावित हुए. इस साल भी कोरोना को लेकर पाबंदियां लगाई गई थीं, अब पाबंदियां हटा ली गईं हैं और ऐसे में स्ताव्रो रासकोविच ने इस मौके पर लोगों को रेस्तरां के बाहर खाना पेश किया, रेस्तरां के भीतर लोगों को वैक्सीन दी जा रही.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
रेस्तरां में दो टीके
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने रेस्तरां के मुख्य हॉल को एक टीकाकरण केंद्र में बदल डाला है. यहां पर लोगों को फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन और चीन की सिनोफार्म वैक्सीन दी जा रही है. टीका लगवाने के बाद लोग भुने गोश्त का आनंद ले सकते हैं.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
टीकाकरण पर जोर
सर्बिया ने पिछले साल दिसंबर में ही पूरे देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी. उसने जनता को फाइजर-बायोएनटेक, एस्ट्राजेनेका, स्पुतनिक वी या फिर सिनोफार्म की वैक्सीन लेने का विकल्प दिया.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
इतिहास का हिस्सा
बीयर के साथ रोस्टेड मीट का आनंद लेते 63 साल के बेन यायिक रासकोविच की पहल की सराहना करते हैं और कहते हैं, "एक दिन कोई कहेगा कि बेन अंकल ने यहीं टीका लगवाया था." 70 लाख की आबादी वाले देश में करीब एक तिहाई लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
डिस्काउंट वाउचर
सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में तो एक शॉपिंग मॉल ने वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए डिस्काउंट वाउचर देने का ऐलान किया. मॉल में वैक्सीन लगवाने वालों की भीड़ लग गई और पहले 100 लोगों को करीब 30 डॉलर का वाउचर भी मिला.
तस्वीर: Marko Djurica/REUTERS
कोरोना टेस्ट पर बीयर
डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में एक बार ऐसे लोगों को बीयर पिलाता है जो उनके बार में कोरोना के लिए एंटीजेन टेस्ट करवाने के लिए आते हैं. बार का मानना है कि इस तरह से उसका कारोबार चल पड़ेगा.
तस्वीर: TIM BARSOE/REUTERS
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भारत इस बात को लेकर खासा परेशान रहा है कि उसके यहां निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन को कुछ देश मान्यता नहीं दे रहे हैं. मसलन ब्रिटेन ने भारत की कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता नहीं दी है जिस पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है. भारत के ऐतराज के बाद ब्रिटिश उच्चायोग ने एक बयान जारी कर कहा कि इस बारे में बातचीत की जा रही है.
कोविशील्ड को भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफर्ड-एस्ट्रेजेनेका के साथ मिलकर बनाया है. नए नियमों के मुताबिक यह वैक्सीन लेने वाले लोगों को ब्रिटेन जाने के बाद 10 दिन तक एकांतवास मे रहना होगा क्योंकि उन्हें वैक्सीनेटेड नहीं माना जा रहा है.