भारत को मिली राहत, समझौते के बाद केस वापस लेगा अमेरिका
२५ नवम्बर २०२१
अमेरिका ने भारत के खिलाफ शुरू किया व्यापारिक प्रतिकार का मामला रद्द करने की बात कही है. दोनों देशों के बीच हुए समझौते के बाद यह कदम उठाया गया है. समझौते में भारत को अन्य देशों से ज्यादा राहत दी गई.
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अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि ने कहा है कि भारत के खिलाफ व्यापारिक प्रतिकार का मामला रद्द किया जा रहा है. दोनों देशों के बीच वैश्विक कर संद्धि पर हुए समझौते के बाद यह फैसला लिया गया. साथ ही, भारत डिजिटिल सर्विस टैक्स वापस लेने पर भी सहमत हो गया है.
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने कहा है कि भारत और अमेरिका के वित्त मंत्रालयों के बीच उन्हीं शर्तों पर समझौता हुआ है, जो ऑस्ट्रिया, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्पेन और तुर्की के साथ लागू होती हैं. हालांकि भारत के मामले में समझौता लागू करने की तारीख थोड़ी बढ़ा दी गई है.
भारत को राहत
भारत और अमेरिका के बीच हुआ समझौता उसी समझौते के तहत हुआ है जिस पर अक्टूबर में 136 देशों ने सैद्धांतिक सहमति जताई थी. 8 अक्टूबर को हुए इस समझौते में ये देश इस बात पर सहमत हुए थे कि वैश्विक कंपनियों से कम से कम 15 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स उस देश में लिया जाना चाहिए, जहां वे काम कर रही हैं. साथ ही उन्हें कुछ कर अधिकार दिए जाने चाहिए.
महंगाई से कराहते आम भारतीय
पेट्रोल, डीजल, खाने का तेल या फिर आटा, भारत में हर चीज की कीमत आसमान छू रही है. बेकाबू महंगाई से रोजमर्रा की चीजें भी अछूती नहीं है. कोविड काल में महंगाई जनता को जोर का झटका दे रही है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
महंगा पेट्रोल
पेट्रोल का दाम करीब-करीब हर रोज बढ़ता जा रहा है. दाम बढ़ने से मिडिल क्लास परिवारों पर काफी बोझ पड़ रहा है. कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के स्तर को अर्से पहले ही पार कर चुका है.
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डीजल महंगा, माल ढुलाई महंगी
डीजल का दाम भी आसमान छूता जा रहा है. कई शहरों में डीजल तो 100 रुपये के पार जा चुका है, जिससे माल ढुलाई भी महंगी हो गई है. खेतों में सिंचाई के लिए भी डीजल का इस्तेमाल होता है.
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रसोई गैस
रसोई गैस पिछले चार महीनों में 90 रुपये के करीब महंगी हो चुकी है. फिलहाल दिल्ली और मुंबई में रसोई गैस सिलेंडर का दाम 899.50 रुपये है. वहीं कोलकाता में यह 926 रुपये है.
तस्वीर: AFP
सीएनजी भी महंगी
कभी किफायती मानी जाने वाली सीएनजी और पीएनजी अब महंगी होती जा रही है. अक्टूबर महीने में सीएनजी 4.56 रुपये प्रति किलो और पीएनजी 4.20 रुपये प्रति यूनिट तक महंगी हो चुकी है.
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खाने का तेल
सरसों का तेल 200 रुपये प्रति किलो के ऊपर जा चुका है. सरकार ने हाल ही में खाद्य तेलों पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी घटाई थी लेकिन इसका कीमत पर असर होता नहीं दिख रहा है.
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सब्जी और फल
बेमौसमी बारिश और माल ढुलाई दर में वृद्धि के कारण सब्जियों के दामों पर खासा असर पड़ा है. आलू, प्याज, टमाटर और हरी सब्जियां खुदरा बाजार में महंगी हो गई है. त्योहारों के मौसम में लोग इस महंगाई से खासे परेशान हैं.
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माचिस पर महंगाई की मार
14 साल के अंतराल के बाद माचिस की डिबिया महंगी होने वाली है. एक दिसंबर से इसकी कीमत एक रुपये से बढ़कर दो रुपये हो जाएगी. आखिरी बार 2007 में माचिस की कीमत में संशोधन हुआ था.
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केंद्रीय बैंक की चिंता
रिजर्व बैंक ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल से उत्पाद और सेवाओं के रिटेल दाम बढ़ने की चिंता जताई है. आरबीआई का कहना है कि महंगा पेट्रोल-डीजल यातायात और माल ढुलाई का बोझ बढ़ा रहा है.
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ये देश इस बात पर भी सहमत हुए थे कि 2023 में विकसित देशों के समूह (OECD) द्वारा टैक्स डील लागू किए जाने से पहले नया डिजिटल टैक्स नहीं लगाया जाएगा. चूंकि अमेरिकी कंपनियों गूगल, फेसबुक और अमेजॉन आदि के साथ इन सात देशों के पहले से हुए समझौते भी हैं तो इस बारे में कई कदम उठाए जाने की जरूरत होगी.
हाल ही में अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन टाइ ने भारत की यात्रा की थी. इस दौरान उनकी भारत के वाणिज्य मंत्री से लंबी बातचीत हुई थी, जिसके बाद यह समझौता हुआ है. इस समझौते की शर्तें ओईसीडी के अन्य देशों के साथ भी लागू होंगी.
भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते में यह बात भी शामिल है कि जब तक ग्लोबल टैक्स डील लागू नहीं हो जाती, तब तक सभी देश डिजिटल सर्विस टैक्स लेना जारी रख सकते हैं. लेकिन तुर्की और अन्य यूरोपीय देशों के मामले में अगर यह टैक्स ‘वैश्विक कर' से ज्यादा है, तो कंपनी जनवरी 2022 के बाद कंपनी जितना अतिरिक्त कर देती है, उतना ‘वैश्विक कर समझौता' लागू हो जाने के बाद उसे क्रेडिट मिल जाएगा. अमेरिका ने कहा कि भारत के मामले में यह तारीख जनवरी 2022 से बढ़ाकर 1 अप्रैल 2022 कर दी गई है.
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क्या है वैश्विक ग्लोबल टैक्स
अभी जो वैश्विक कर व्यवस्था लागू है, वह 1920 के दशक में बनाई गई थी. इसे बदलने पर कई साल से चर्चा चल रही थी और हाल ही में अमेरिका ने 15 फीसदी टैक्स का यह प्रस्ताव पेश किया था.
इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों से एक निश्चित न्यूनतम टैक्स लेने और उसके लिए विशेष नियम बनाने की बात है. ये नियम सुनिश्चित करेंगे कि कंपनियां कितना टैक्स देंगी और किस देश में देंगी. यह टैक्स दुनिया की 100 सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनियों पर लगाया जाएगा.
दुनिया के सात सबसे महंगे देश
समय के साथ रहने का खर्च भी बढ़ा है. घर का किराया, बिजली, पानी और राशन जैसी आवश्यकताओं की कीमत भी बढ़ी है. लेकिन कुछ देशों में रहने की लागत बहुत है, जिससे कई व्यक्तियों और परिवारों के लिए जीवन यापन करना मुश्किल हो जाता है.
तस्वीर: Erik Lattwein/Zoonar/picture alliance / Zoonar
नंबर 7: बहामास
एक द्वीप पर रहने की विलासिता की अपनी कीमत होती है. बहामास में अधिकांश सामान आयात करना पड़ता है, जिससे रोजमर्रा के किराने के सामान की कीमत आसमान छू सकती है.
तस्वीर: Daniel Slim/AFP/Getty Images
नंबर 6: डेनमार्क
डेनमार्क उन लोगों के लिए नहीं है जो सस्ते में रहना चाहते हैं. यहां रेस्तरां में खाना बहुत महंगा होता है. एक मिड-रेंज रेस्तरां में दो लोगों के लिए तीन-कोर्स भोजन लगभग 600 डेनिश क्रोन (6,800 रुपये) है. राजधानी कोपेनहेगन दुनिया के सबसे महंगे शहरों में से एक है.
तस्वीर: Bruno Coelho/Zoonar/picture alliance
नंबर 5: लक्जेमबर्ग
छोटे देश लक्जेमबर्ग की क्रय शक्ति बहुत अधिक है. जबकि यह उच्च-स्तरीय बैंकिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थानों से भरा है. इसी वजह से यहां महंगे रेस्तरां, कैफे और बार भी हैं. कुछ लोग अपनी साप्ताहिक खरीदारी सीमा पार से करना पसंद करते हैं. क्योंकि दूध से लेकर बीफ तक सब कुछ फ्रांस में लक्जेमबर्ग की तुलना में काफी सस्ता है.
तस्वीर: DW/M. M. Rahman
नंबर 4: नॉर्वे
नॉर्वे हमेशा से ही दुनिया के सबसे महंगे देशों की सूची में उच्च स्थान पर रहा है. यह देश पर्यटकों के बीच भी काफी लोकप्रिय है. नॉर्वे में वैट की दर करीब 25 फीसदी है, जिस वजह से रोज की खरीदारी महंगी हो जाती है.
तस्वीर: Imago Images/robertharding/E. Rooney
नंबर 3: आइसलैंड
नॉर्डिक देश आइसलैंड हाल के सालों में मिलेनियल यात्रा ब्लॉगरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय मंजिल रहा है. आइसलैंड में रहने की लागत अधिक है क्योंकि यहां राशन काफी महंगा है.
तस्वीर: Hans Lucas/picture alliance
नंबर 2: बरमूडा
बरमूडा टैक्स चोरी करने वालों के लिए स्वर्ग है. इसे आम भाषा में टैक्स हेवन कहा जाता है क्योंकि यहां करों की दर बहुत ही कम होती है. बरमूडा में कोई भी आसानी से कंपनी खोल सकता है.
तस्वीर: AP
नंबर 1: स्विट्जरलैंड
कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि स्विट्जरलैंड रहने के लिए सबसे महंगे देशों में से एक है. स्विट्जरलैंड में जब भोजन, पेय पदार्थ, होटल, आवास, रेस्तरां, कपड़े और स्वास्थ्य बीमा की बात आती है तो यह खास तौर से महंगा साबित होता है.
तस्वीर: Nataliya Nazarova/Zonnar/picture alliance
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इसका अर्थ होगा कि कंपनियों को एक न्यूनतम टैक्स तो देना ही होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसकी दर 15 फीसदी रखने का सुझाव दिया था जिसे बाकी देशों ने मान लिया. यानी यदि कोई कंपनी किसी देश में 15 फीसदी से कम टैक्स दे रही है, तो बाकी का टैक्स उसे टॉप-अप के तौर पर देना होगा.
यह व्यवस्था कर-पनाह कही जाने वाली उस व्यवस्था को तोड़ने की कोशिश है, जिसके तहत कंपनियां अपना मुनाफा सबसे कम टैक्स लेने वाले देशों में दिखाकर अधिक कर देने से बच जाती हैं. कर-पनाह उन देशों को कहा जाता है, जो कम टैक्स का लालच देकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने यहां कारोबार करने के लिए आमंत्रित करते हैं.