अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने एक नया समझौता किया है जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी बनाने की तकनीक मिलेगी. अपने पड़ोस में हुए इस समझौते को चीन ने "शीत युद्ध वाली सोच" बताया है.
तस्वीर: Andrew Harnik/abaca/picture alliance
विज्ञापन
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और युनाइटेड किंग्डम ने मिलकर एक नया रक्षा समूह बनाया है जो विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित होगा. इस समूह के समझौते के तहत अमेरिका और ब्रिटेन अपनी परमाणु शक्तिसंपन्न पनडुब्बियों की तकनीक ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करेंगे. इस कदम को क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के बरअक्स देखा जा रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ ऑनलाइन बैठक की. बैठक के बाद तीनों नेताओं ने नए गठबंधन का ऐलान एक वीडियो के जरिए किया.
देखें, तालिबान के लिए छूटे अमेरिकी हथियार
तालिबान को मिला होगा हथियारों का जखीरा
अफगानिस्तान में अपने मिशन के दौरान अमेरिका ने अफगानिस्तान की नवगठित सेना को बड़ी संख्या में हथियार दिए. उनमें से कितने तालिबान के हाथ पहुंच गए हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है. देखिए, क्या क्या हो सकता है तालिबान के पास.
अमेरिका ने अफगान नेशनल आर्मी को बड़ी संख्या में हथियार दिए हैं. अमेरिका की एकाउंटेबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक 2003 से 2016 के बीच अफगानिस्तान की सेना को अलग-अलग तरह की 3,58,530 राइफल, 64 हजार से ज्यादा मशीनगन, 25 हजार ग्रेनेड लॉन्चर दिए. 2017 में ही लगभग 20 हजार एम16 राइफल दी गईं.
तस्वीर: picture-alliance/McClatchy/A. Rizvi
एम-4 कार्बाइन
स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रीकंस्ट्रक्शन (सिगार) की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका ने 2017 और 2021 के बीच अफगानिस्तान की सेना को कम से कम 3,598 एम4 राइफल दी हैं.
सिगार की ही रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका ने 3,012 हमवी दी थीं. पिछले दिनों जब तालिबान एक के बाद एक शहरों पर कब्जा कर रहा था तब कई वीडियो फुटेज में उसके लड़ाकों को हमवी पर सवार हुए देखा गया.
तस्वीर: Ahmad Sahel Arman/AFP/Getty Images
एमएसएफ गाड़ियां
नाटो की मौजूदगी में प्रशिक्षित की गई अफगान सेना के पास मोबाइल स्ट्राइक फोर्स गाड़ियां भी थीं, जिन्हें लोगों या उपकरणों को ले जाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है.
तस्वीर: Mustafa Andaleb/REUTERS
हेलिकॉप्टर और विमान
अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान छोड़ने से ठीक पहले कहा कि अफगानिस्तान में मौजूद सारे विमान अयोग्य कर दिए गए हैं और उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. सिगार की रिपोर्ट कहती है कि जून के आखिर तक अफगानिस्तान की एयरफोर्स के पास लड़ाकू हेलिकॉप्टर और विमान मिलाकर कुल 167 एयरक्राफ्ट थे. ये सारे अयोग्य हो गए हैं या कुछ तालिबान के पास भी पहुंच गए हैं, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है.
इस गठबंधन में शामिल तीनों देश साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और पानी के नीचे की क्षमताओं समेत अपनी तमान सैन्य क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए एक दूसरे से तकनीक साझा करेंगे. यह गठबंधन इसलिए अहम माना जा रहा है कि चीन के अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही के साथ संबंध लगातार खराब हो रहे हैं.
‘ऐतिहासिक समझौता'
वीडियो लिंक के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने बैठक के दौरान कहा, "आज हम एक और ऐतिहासिक कदम उठा रहे हैं और तीनों देशों के सहयोग को औपचारिक करते हुए और गहरा कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम सभी हिंद प्रशांत क्षेत्र में लंबे समय तक शांति और स्थिरता बने रहने की अहमियत समझते हैं."
ये तीनों देश पहले से ही फाइव आइज नाम के उस गठबंधन का हिस्सा हैं जिसमें कनाडा और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं और एक दूसरे से खुफिया सूचनाएं साझा करते हैं. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि तीनों साझीदार एक नया अध्याय शुरू कर रहे हैं.
जॉनसन ने कहा, "हम अपनी मित्रता का एक नया अध्याय शुरू कर रहे हैं और पहला काम है ऑस्ट्रेलिया को परमाणु शक्ति संपन्न पनडुब्बियां उपलब्ध कराना." जॉनसन ने इस बात पर जोर दिया कि ऑस्ट्रेलिया को उपलब्ध कराए जाने वाली पनडुब्बी में परमाणु रिएक्टर होंगे ना कि परमाणु हथियार. उन्होंने कहा, "हमारा काम परमाणु अप्रसार संधि की शर्तों के दायरे में होगा."
ऑस्ट्रेलिया को मिलेगी ताकत
इस समझौते के बाद ऑस्ट्रेलिया दुनिया का दूसरा ऐसा देश बन जाएगा जिसे अमेरिका ने अपनी परमाणु पनडुब्बी की तकनीक दी है. ऐसा अमेरिका ने पहले सिर्फ ब्रिटेन के साथ किया है.
इस समझौते का अर्थ यह भी है कि ऑस्ट्रेलिया की फ्रांस से नई पनडुब्बियां खरीदने की योजना अब रद्द हो सकती है. ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि ब्रिटेन और अमेरिका के सहयोग से यह पनडुब्बी ऐडिलेड में बनाई जाएगी.
तस्वीरेंः दुनिया में बढ़ते परमाणु हथियार
बढ़ रही है दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या
दुनिया में 1990 के बाद से परमाणु हथियारों में लगातार हो रही कमी अब रुक रही है. परमाणु अस्त्रों वाले देश अपने हथियारों के भंडार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं जिससे हथियारों की संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं.
तस्वीर: picture alliance / dpa
शीत युद्ध के बाद
शोधकर्ताओं ने कहा है कि शीत युद्ध के अंत के बाद से 1990 के बाद के दशकों में परमाणु हथियारों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी, लेकिन अब यह स्थिति बदल रही है. यह कहना है स्वीडन के संस्थान सिपरी में एसोसिएट सीनियर फेलो हांस क्रिस्टेनसेन का.
तस्वीर: Getty Images
हथियारों का खतरा काम
क्रिस्टेनसेन के अनुसार यह स्थिति शीत युद्ध के समय कहीं ज्यादा गंभीर थी. 1986 में दुनिया में 70,000 से भी ज्यादा परमाणु हथियारों के होने का अनुमान था.
तस्वीर: picture-alliance/CPA
आज कितने हैं हथियार
इस समय परमाणु हथियारों वाले नौ देश हैं - अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया. सिपरी के मुताबिक 2021 में इनके पास कुल मिलाकर 13,080 हथियार हैं. संस्थान के मुताबिक पिछले साल इन देशों के पास कुल 13,400 हथियार थे.
तस्वीर: Imago Images/StockTrek Images/J. Parrot
असल में गिरावट नहीं
सिपरी का कहना है कि यह असल में संख्या में गिरावट नहीं है, क्योंकि इन हथियारों में पुराने वॉरहेड भी हैं जिन्हें नष्ट कर दिया जाना है. अगर इन्हें गिनती से बाहर कर दिया जाए, तो परमाणु हथियारों की कुल संख्या एक साल में 9,380 से बढ़ कर 9,620 हो गई है.
तस्वीर: Peter Macdiarmid/Getty Images
तैनात हथियार भी बढ़े
सिपरी के मुताबिक अलग अलग सेनाओं के पास तैनात परमाणु हथियारों की संख्या भी एक साल में 3,720 से बढ़ कर 3,825 हो गई. इनमें से करीब 2,000 हथियार "इस्तेमाल किए जाने की उच्च अवस्था" में रखे गए हैं, यानी ऐसी अवस्था में कि जरूरत पड़ने पर उन्हें कुछ ही मिनटों में चलाया जा सके.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
आधुनिकीकरण
हांस क्रिस्टेनसेन का कहना है कि इस समय पूरी दुनिया में काफी महत्वपूर्ण पैमाने पर परमाणु कार्यक्रमों का आधुनिकीकरण हो रहा है और परमाणु हथियारों वाले देश अपनी सैन्य रणनीतियों में परमाणु हथियारों का महत्व बढ़ा रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Frey
रूस और अमेरिका की भूमिका
रूस और अमेरिका के पास दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से भी ज्यादा भंडार है. क्रिस्टेनसेन का कहना है दोनों ही देश परमाणु हथियारों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं. उनका मानना है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसी रणनीति को आगे बढ़ा रहे थे और नए राष्ट्रपति जो बाइडेन भी काफी स्पष्ट रूप से संदेश दे रहे हैं कि वो भी इसे जारी रखेंगे.
तस्वीर: Colourbox/alexlmx
तैयार हथियार
अमेरिका और रूस दोनों पुराने वॉरहेड को लगातार हटा रहे हैं लेकिन दोनों के पास पिछले साल के मुकाबले करीब 50 और हथियार हैं जो 2021 की शुरुआत में "क्रियाशील तैनाती" की अवस्था में थे. - एएफपी
तस्वीर: picture alliance / dpa
8 तस्वीरें1 | 8
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया क्वाड समूह का भी हिस्सा हैं, जो भारत और जापान के साथ मिलकर हिंद प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी के लिए बनाया गया है. अगले हफ्ते क्वाड की पहली ऐसी बैठक होनी है जिसमें सारे सदस्य देशों के नेता आमने सामने मिलेंगे. अमेरिका में होने वाली इस बैठक के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वॉशिंगटन में होंगे.
अमेरिका-चीन तनाव
ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूके का यह समझौता भले ही एक सैन्य संगठन है लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने इस बात पर सावधानी बरती कि इसे चीन के खिलाफ एक समझौते के रूप में पेश ना किया जाए.
वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस समझौते की प्रतिक्रिया में फिर कहा कि पश्चिमी देश "शीत युद्ध की मानसिकता और वैचारिक पूर्वाग्रहों को झाड़ दें."
जो बाइडेन सरकार के आने के बाद अमेरिका चीन पर कई कड़े प्रतिबंध लगा चुका है. शिनजियांग और हांग कांग में मानवाधिकारों के हनन जैसे मुद्दे और कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति की जांच में आनाकानी जैसे विषयो पर वह चीन की आलोचना करता रहा है.
वैसे, पिछले दिनों बाइडेन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ डेढ़ घंटा लंबी बातचीत की थी. बुधवार को बाइडेन ने कहा कि वह चीन के साथ महामारी और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर काम करने को तैयार हैं लेकिन साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की गतिविधियों से वह और उनके सहयोगी देश चिंतित भी हैं.
वीके/एए (डीपीए, एपी, रॉयटर्स)
कोरोना महामारी के बावजूद अबु धाबी में हथियारों का मेला
कोरोना ने भले ही दुनिया के कई इलाकों में कहर मचा रखा हो, हथियारों के सौदागरों के लिए मौका कारोबार रोकने का नहीं है. अबु धाबी में हथियारों का मेला लगा है.