नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ भारत में विपक्षी दलों की आलोचना के बीच, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने भी इस पर चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र ने सीएए को "भेदभावपूर्ण" बताया है.
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संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स से कहा है कि सीएए "मूलभूत रूप से भेदभावपूर्ण है". उन्होंने कहा, "जैसा कि हमने 2019 में भी कहा था, हमें चिंता है कि भारत का सीएए मूलभूत रूप से भेदभावपूर्ण है और भारत के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों का उल्लंघन करता है."
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि उनका कार्यालय अभी यह मालूम करने की कोशिश कर रहा है कि सीएए के नियम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुकूल हैं या नहीं. साथ ही अमेरिकी सरकार ने भी इस कानून को लेकर चिंता जाहिर ही है.
एनआरसी की वापसी का डर
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने ईमेल पर रॉयटर्स को बताया, "हम 11 मार्च की सीएए की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं. इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा हम इसकी करीब से निगरानी कर रहे हैं." प्रवक्ता ने यह भी कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता का आदर करना और कानून के तहत सभी समुदायों के साथ बराबरी से पेश आना मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं."
ऐक्टिविस्टों और मानवाधिकार वकीलों का कहना है कि प्रस्तावित एनआरसी के साथ मिल कर यह कानून भारत के मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव कर सकता है. हालांकि भारत सरकार ने इस समय एनआरसी को लागू करने के बारे में कुछ नहीं कहा है. कुछ लोगों को यह चिंता है कि सरकार कुछ सीमावर्ती राज्यों में बिना कागजात के रह रहे मुसलमानों की नागरिकता रद्द कर सकती है.
कानून 2019 में ही पारित हो गया था लेकिन उस समय उसके खिलाफ देश के कई कोनों में इतने प्रदर्शन हुए कि सरकार ने उसे लागू नहीं किया. अब एक बार फिर इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो रहे हैं. असम में विपक्षी पार्टियां और कई गैर सरकारी संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.
लंबित हैं याचिकाएं
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने पूरे प्रदेश में सीएए के खिलाफ सत्याग्रह करने की घोषणा की है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मिजोरम में भी छात्रों का संगठन मीजो जीरलाई पॉल भी सीएए का विरोध कर रहा है. संगठन ने मंगलवार को कानून के नियमों की प्रतियां जलाईं.
नागरिकता कानून के खिलाफ भारत में प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भारत के कई शहरों में विरोध हो रहा है. इस कानून के खिलाफ छात्र विशेष तौर पर अपनी आवाज उठा रहे हैं. कई यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ-साथ नागरिक समाज, अधिकार समूह के सदस्य सड़क पर उतर आए हैं.
तस्वीर: Surender Kumar/Student Union of Jamia Milia University
कानून का विरोध
जामिया मिल्लिया के छात्रों पर कार्रवाई करती दिल्ली पुलिस. सादी वर्दी में पुलिस के जवान को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि पुलिस कब से ड्यूटी के दौरान सादी वर्दी पहनने लगी. सोशल मीडिया पर पुलिस कार्रवाई की बहुत सारी तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
तस्वीर: Surender Kumar/Student Union of Jamia Milia University
आगजनी
दिल्ली के जामिया नगर में हिंसक प्रदर्शन के दौरान डीटीसी की चार बसों में आग लगा दी गई. छात्रों का कहना है कि वह शांति के साथ अपना प्रदर्शन कर रहे थे. छात्रों के मुताबिक रविवार को हुई हिंसा उन्होंने नहीं शुरू की.
तस्वीर: Surender Kumar/Student Union of Jamia Milia University
यूनिवर्सिटी के बाहर जुटे छात्र
रविवार को भारी संख्या में जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. उनका आरोप है कि नागरिकता कानून के जरिए देश में विभाजनकारी नीति लागू करने की साजिश है.
तस्वीर: Surender Kumar/Student Union of Jamia Milia University
पुलिस पर पथराव
दिल्ली पुलिस का कहना है कि रविवार को प्रदर्शन कर रही भीड़ को रोकने की कोशिश कर रही टीम पर पथराव किया गया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस दौरान कुछ पुलिस के जवान भी घायल भी हुए हैं. उधर जामिया यूनिवर्सिटी का कहना है कि पुलिस कार्रवाई में करीब 200 छात्र घायल हुए हैं.
तस्वीर: Surender Kumar/Student Union of Jamia Milia University
पुलिस ज्यादती के खिलाफ एकजुट हुए लोग
दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर रविवार रात नागरिक समाज, छात्र, राजनीतिक दल के सदस्य एकत्रित होकर छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का विरोध किया. लोगों ने महात्मा गांधी और बाबा साहेब आंबेडकर की तस्वीरों के साथ अपनी मांग रखते हुए दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
पुलिस की सख्ती के खिलाफ विरोध
जामिया मिल्लिया के छात्रों के साथ पुलिस की कार्रवाई के विरोध में कई कॉलेजों में रविवार रात और सोमवार सुबह प्रदर्शन हुए. हैदराबाद, अलीगढ़, जादवपुर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पुलिस के बल प्रयोग के खिलाफ प्रदर्शन किया.
तस्वीर: Surender Kumar
कई शहरों में विरोध की आवाज
नागरिकता कानून के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक दल के साथ-साथ अधिकार समूह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. असम, बंगाल, त्रिपुरा और मेघालय में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भी हुई. जिनमें गुवाहाटी, डिब्रुगढ़, तिनसुकिया, मालदा, उत्तर 24 परगना, हावड़ा और मुर्शिदाबाद शामिल हैं.
तस्वीर: Surender Kumar
जानलेवा प्रदर्शन
असम में नागरिकता कानून के खिलाफ हुई हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि असम के गुवाहाटी और डिब्रुगढ़ में अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. हालात को देखते हुए इन इलाकों में कर्फ्यू में भी ढील दी जा रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Boro
अफवाह से फैलती है हिंसा
सोशल मीडिया के जरिए भ्रामक और अफवाह को फैलने से रोकने के लिए कई राज्यों की पुलिस सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी कर रही है. ऐसे में राज्यों की पुलिस समय-समय पर समीक्षा कर इंटरनेट पर रोक लगा देती है जिससे अफवाह ना फैल सकें.
तस्वीर: AFP
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इस बीच सीएए पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. इस तरह की कई याचिकाएं पिछले कई सालों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़ी हैं. ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक इस समय सुप्रीम कोर्ट में ऐसी 230 से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं.
ये याचिकाएं दिसंबर 2019 के बाद दायर की गई थीं. जनवरी 2020 में अदालत ने सीएए और एनपीआर पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था और कहा था कि अंत में पांच जजों की एक पीठ इस मामले में अपना फैसला सुना सकती है.