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समाज

आतंकियों की 'घर वापसी' वाले प्रस्ताव पर अमेरिका का वीटो

१ सितम्बर २०२०

अमेरिका ने आईएसआईएस के लड़ाकों की घर वापसी पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव को वीटो कर दिया है. यह प्रस्ताव आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों के भाग्य का फैसला करने में निर्णायक हो सकता था.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Ahmad

इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों और आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव उनको सजा दिलाना, पुनर्वास करना और समाज की मुख्य धारा में लाने के बारे में था. लेकिन अमेरिका को प्रस्ताव पर कुछ आपत्तियां थीं, जिसके कारण उसने उसे वीटो कर दिया. अमेरिका ने कहा है कि प्रस्ताव इस्लामिक स्टेट के विदेशी लड़ाकों और उनके परिवार की वापसी के बारे में एक महत्वपू्र्ण हिस्से को संबोधित नहीं करता है.

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा, "हमारे सामने इंडोनेशियाई प्रस्ताव है, जिसे माना जाता है कि आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई को सुदृढ़ करने के लिए तैयार किया गया था. यह प्रस्ताव भी नहीं है, उससे बदतर है."

प्रस्ताव को इंडोनेशिया ने पेश किया था, जिसने अगस्त के महीने में सुरक्षा परिषद का नेतृत्व किया था. हालांकि 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव को अमेरिका को छोड़कर सभी 14 सदस्यों का समर्थन हासिल था. लेकिन एक स्थायी सदस्य के रूप में अमेरिका के पास वीटो शक्ति है, जिसका उसने इस्तेमाल किया.

क्राफ्ट के मुताबिक, "प्रस्ताव में पहले चरण का ही उल्लेख नहीं था. आईएस के आतंकियों की मूल देशों में वापसी या नागरिकता वाले देशों में वापसी." अमेरिका का कहना है कि ऐसे आतंकवादियों पर उनके देश में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए और उनका पुनर्वास उनके गृह देश में होना चाहिए. हालांकि यूरोपीय देश जैसे ब्रिटेन और फ्रांस इस मुद्दे पर अमेरिका के समर्थन में नहीं नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि इराक और सीरिया में किए गए अपराध के लिए सबूत जुटाना कठिन काम है.

आईएस के आतंकी अब अपने देश लौटना चाहते हैं. तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Aamaq News Agency

वहीं आतंकियों के परिवार के सदस्यों की वापसी के बारे में प्रस्ताव में ठीक तरीके से उल्लेख किया गया. प्रस्ताव में बच्चों की उनके मूल देश में वापसी के बारे में कहा गया है.

इस्लामिक स्टेट सीरिया में बड़े क्षेत्रों में अपनी पकड़ खो रहा है, इस दौरान कुर्द सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) ने हजारों आईएस के लड़ाकों को हिरासत में ले लिया है जो अब भी बड़ी संख्या में अपने शिविरों में कैद हैं. इस तरह के बड़े शिविरों में हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश संदिग्ध आतंकवादियों के परिवार के सदस्य हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने शिविरों की हालत को लेकर चिंता जाहिर की है, ये शिविर भीड़भाड़ वाले हैं. अधिकारियों का कहना है कि विदेशी लड़ाकों और उनके परिवारों की समस्या का जल्द समाधान जरूरी है, जिससे आतंकवादी गतिविधियों को दोबारा होने से को रोका जा सके.

एए/सीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)

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