एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक भारत द्वारा रूस से तेल का आयात बढ़ाने के कारण ‘बड़े खतरे’ का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिका रूस पर लगे प्रतिबंधों को लागू करवाने में ज्यादा सख्ती बरतने के लिए कदम उठा रहा है.
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एक अमेरिकी अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को नाम ना छापने की शर्त पर बताया, "अमेरिका को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि भारत रूस से तेल खरीदे, बशर्ते वह इसे डिस्काउंट पर खरीद रहा है और आयात पिछले सालों के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ा नहीं रहा है. आयात का थोड़ा बहुत बढ़ना ठीक है."
अमेरिका ने रूस पर फिलहाल जो प्रतिबंध लगाए हैं वे किसी देश को रूस से तेल खरीदने से नहीं रोकते. लेकिन ऐसे संकेत हैं कि अमेरिका अन्य देशों को पाबंदियों के दायरे में ला सकता है ताकि रूस को मिलने वाली मदद बंद की जा सके. अमेरिकी अधिकारी के भारत संबंधी ये बयान तब आए हैं जबकि रूस के विदेश मंत्री सर्गई लावरोव भारत आने वाले हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति के आर्थिक सुरक्षा मामलों के उप सलाहकार दलीप सिंह भी भारत दौरे पर आने की बात कह चुके हैं. बुधवार को जर्मनी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारत का दौरा किया था और गुरुवार को ब्रिटिश विदेश मंत्री भारत पहुंच रही हैं.
रूस से संबंध
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है. रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद उसने रूस से तेल आयात बढ़ा दिया है. 24 फरवरी के बाद से ही भारत ने 1.3 करोड़ बैरल तेल खरीदा है जबकि पिछले पूरे साल में उसका रूस से तेल आयात 1.6 करोड़ बैरल था.
यूक्रेन में आम लोग भी कर रहे हैं सेना की मदद
यूक्रेन युद्ध अब अपने दूसरे महीने में प्रवेश कर चुका है. देश भर में कलाकार और दूसरे वालंटियर यूक्रेन की सेना की मदद करने के लिए बचाव और सुरक्षा का सामान भी बना रहे हैं. देखिए क्या क्या कर रहे हैं यूक्रेन के नागरिक.
तस्वीर: Pavlo Palamarchuk/REUTERS
मूर्तियों की जगह टैंक-रोधी उपकरण
शांति के समय कलाकार वोलोदिमिर कोलेस्निकोव हंगरी की सीमा के पास उजोरोड़ में अपनी कार्यशाला में धातुओं की मूर्तियां बनाते हैं. लेकिन आजकल वो इसी कार्यशाला में टैंक रोधी उपकरण बना रहे हैं. इन्हें 'चेक हेजहॉग' कहा जाता है और इन्हें बनाने में दूसरे कलाकार और श्रमिक कोलेस्निकोव की मदद कर रहे हैं.
तस्वीर: Hudak/Ukrinform/abaca/picture alliance
युद्ध क्षेत्र के लिए चूल्हे
धातुओं से सामान बनाने वाले यान पोत्रोहोश कुछ और लोगों के साथ मिल कर पोर्टेबल चूल्हे बना रहे हैं. इन चूल्हों का इस्तेमाल युद्ध क्षेत्र में और अन्य इलाकों में किया जा सकता है. यह तस्वीर धातु की उस पट्टी की है जिसका इस्तेमाल ये लोग अपनी बनाई कृतियों को चिन्हित करने के लिए करते हैं.
साश्को होरोन्दी की कंपनी युद्ध शुरू होने से पहले पीठ पर लटकाए जाने वाले बस्ते और उनकी एक्सेसरीज बनाया करती थी. लेकिन फरवरी में उन्होंने अपने उत्पाद बदल दिए और अब वो यूक्रेन के सैनिकों के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट बनाते हैं.
तस्वीर: Pavlo Palamarchuk/REUTERS
ओडेसा में बन रहे हैं बैरिकेड
तटीय शहर ओडेसा में रहने वाले विक्टर एक वालंटियर बन गए हैं और अपने शहर के अन्य लोगों के साथ समुद्र तट पर बोरियों में रेत भरने का काम कर रहे हैं. इन बोरियों का इस्तेमाल संभावित रूसी हमले के खिलाफ बैरिकेड बनाने में किया जा रहा है.
तस्वीर: /Nacho Doce/REUTERS
चर्च में कैमोफ्लाज जालियां
इवानो फ्रैंक्विसक शहर में वालंटियर एक चर्च में मिल कर सेना के लिए कैमोफ्लाज जालियां बना रहे हैं. इस तस्वीर में एक महिला कपड़ों को एक साथ बांधकर जाली का ढांचा बना रही है.
तस्वीर: Yuriy Rylchuk/REUTERS
साथ मिल कर मदद
लवीव पॉलिटेक्निक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय यूक्रेन के सबसे पुराने और सबसे जाने माने शिक्षण संस्थानों में से है. वालंटियर यहां भी मिल कर सेना के लिए कैमोफ्लाज जालियां बना रहे हैं. (उलरीक शुल्ज)
तस्वीर: Pavlo Palamarchuk/REUTERS
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अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि सरकार भारत और रूस के बीच तेल खरीद को लेकर चल रही बातचीत के बारे में जानती है. प्रवक्ता ने कहा, "हम भारत और बाकी दुनिया में हमारे साझीदारों के साथ लगातार संपर्क में हैं ताकि रूस पर यूक्रेन में विनाशकारी युद्ध जल्द से जल्द खत्म करने के लिए दबाव डालने के लिए एक साझी और मजबूत कार्रवाई की जा सके, जिसमें सख्त प्रतिबंध लगाना भी शामिल है."
प्रवक्ता ने कहा कि बाइडेन सरकार भारत और यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इस बात की कोशिश कर रही है कि यूक्रेन युद्ध का दुनिया के ऊर्जा बाजार पर कम से कम असर हो और साथ ही रूसी ऊर्जा पर निर्भरता घटाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं.
प्रतिबंधों के दायरे में रहे भारत
अमेरिकी प्रतिबंधों का असर रूस की कच्चा तेल बेचने की क्षमता पर हुआ है. दुनिया के कुल उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत रूस में होता है. पेरिस स्थित इंटरनेशनल ऊर्जा एजेंसी (IEA) का अनुमान है कि प्रतिबंध और खरीददारों द्वारा रूस से तेल खरीदने में परहेज के चलते अप्रैल में रोजाना लगभग 30 लाख बैरल कम तेल बाजार में पहुंचेगा.
अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक उन्हें इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि भारत रूस के साथ व्यापार डॉलर में ना करके रूबल में करे, बशर्ते लेनदेन में प्रतिबंधों के नियमों का पालन किया जाए. भारत और रूस रूबल-रुपये में लेनदेन की प्रक्रिया तैयार करने पर काम कर रहे हैं. अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "वे जो भी भुगतान करें, जो भी करें वह प्रतिबंधों के दायरे में होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो वे बड़ा खतरा उठा रहे हैं. जब तक कि वे प्रतिबंधों का पालन करते हैं और खरीद की मात्रा बहुत ज्यादा नहीं बढ़ाते हैं, तब तक हमें कोई दिक्कत नहीं है."
कौन खरीद रहा है रूस का कच्चा तेल
ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका रूस के तेल पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. लेकिन कई देश रूस का तेल लगातार खरीद रहे हैं. देखिए, अभी भी कौन खरीद रहा है रूस का कच्चा तेल...
तस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance
हंगरी
हंगरी की तेल कंपनी एमओएल क्रोएशिया, हंगरी और स्लोवायिका में तेल शोधन के तीन कारखाने चला रही है और उसे रूस से ही तेल मिल रहा है. हंगरी ने रूस पर गैस और तेल क्षेत्र के प्रतिबंधों का विरोध किया था.
तस्वीर: Marton Monus/REUTERS
पोलैंड
पोलैंड की सबसे बड़ी तेल कंपनी पीकेएन ओरलेन अपने पोलैंड, लिथुआनिया और चेक रिपब्लिक स्थित कारखानों के लिए रूस से तेल खरीद रही है.
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जर्मनी
जर्मनी की सबसे बड़ी रिफाइनरी मीरो में 24 प्रतिशत हिस्सा रूसी कंपनी रोसनेफ्ट का है. कंपनी का 14 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से आ रहा है. इसके अलावा जर्मनी की पीसीके श्वेट में रोसनेफ्ट की 54 फीसदी हिस्सेदारी है और यह भी रूसी कच्चे तेल का इस्तेमाल कर रही है. एक अन्य जर्मन रिफाइनरी लेऊना भी रूसी कच्चे तेल पर ही चल रही है.
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ग्रीस
ग्रीस का सबसे बड़ा तेल शोधक कारखाना हेलेनिक पेट्रोलियम अपनी जरूरत का 15 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है. कंपनी ने सऊदी अरब से भी हाल ही में काफी तेल खरीदा है.
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बुल्गारिया
बुल्गारिया की नेफ्टोचिम बर्जस नामक रिफाइनरी का मालिकाना हक रूस की लूक ऑयल के पास है. इसका 60 प्रतिशत ईंधन रूस से आता है.
तस्वीर: Alexandar Detev/DW
इटली
इटली की सबसे बड़ी रिफाइनरी आईएसएबी पर लूकऑयल का कब्जा है और वहां भी कुछ कच्चा तेल रूस से आ रहा है.
तस्वीर: Valeria Ferraro/imago images
नीदरलैंड्स
डच कंपनी जीलैंड रिफाइनरी में लूक ऑयल की 45 फीसदी हिस्सेदारी है. जब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने उनसे पूछा कि वे रूस से तेल खरीद रहे हैं या नहीं, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. एक अन्य डच कंपनी एक्सॉन मोबिल ने भी इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
भारत की दो बड़ी तेल कंपनियां हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल ने हाल ही में रूस से कुल मिलाकर कम से कम 50 लाख बैरल तेल खरीदा है. भारत की निजी तेल कंपनी नायारा एनर्जी में रूस की रोसनेफ्ट की हिस्सेदारी है और उसने भी 18 लाख बैरल तेल खरीदा है.
तस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance
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रूस भारत को हथियारों और अन्य सामरिक साज ओ सामान का सबसे बड़ा सप्लायर है. हालांकि दोनों देशों के बीच कुल व्यापार का आकार बहुत बड़ा नहीं है. बीते कुछ सालों में दोनों देशों के बीच सालाना औसतन नौ अरब डॉलर का ही व्यापार हुआ है जिसमें खाद और तेल प्रमुख हैं. इसके मुकाबले भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार सालाना 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा है.
ऐसा कोई संकेत नहीं है कि भारत रूस के साथ अपने व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों में किसी तरह की कटौती करेगा. उसने हाल ही में कई बड़े समझौते किए हैं. रूस पर भारत के रूख को लेकर अमेरिका बहुत खुश नहीं है. पिछले हफ्ते ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि क्वॉड देशों में भारत ही है जो रूस के खिलाफ कार्रवाई में "थोड़ा गड़बड़ा" रहा है. भारत का कहना है कि उसके रूस और अमेरिका दोनों से अच्छे संबंध हैं.
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भारत दौरे पर लिज ट्रस
इस बीच ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस आज भारत पहुंच रही हैं. उनका मकसद भी रूस के खिलाफ राजनयिक माहौल तैयार करने में भारत का साथ पाने के लिए चर्चा करना है. ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने कहा कि लिज ट्रस “आक्रामकों को रोकने के लिए लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर काम करने की अहमियत” पर बात करेंगी.
ट्रस ने एक बयान जारी कर कहा, “रूस द्वारा यूक्रेन बिना किसी उकसावे के किये गए हमले के मामले में तो यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है और इस बात की अहमियत को और बढ़ा देता है कि आजाद लोकतंत्रों को रक्षा, व्यापार और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में साथ मिलकर काम करने की कितनी ज्यादा जरूरत है.”
ब्रिटेन की व्यापार मंत्री ऐन-मरी ट्रेवेलयान ने कहा कुछ दिन पहले कहा था किरूस पर भारत के रुख को लेकर उनका देश बहुत निराश है. भारत के साथ व्यापार वार्ताओं के दूसरे दौर के समापन से पहले ट्रेवेलयान ने यह बात कही. इससे पहले भी ब्रिटेन भारत को रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आग्रह कर चुका है.
यूक्रेन के लिए हथियार उठाने वाले स्पोर्ट्स स्टार
यूक्रेन के कई जानेमाने खिलाड़ी सेना में भर्ती हो गए हैं. इनमें से कोई वर्ल्ड चैंपियन है तो कोई रिटायर होकर कोच बन चुका है. देखिए, कौन-कौन है इस फेहरिस्त में...
तस्वीर: imago sportfotodienst
दमित्रो पिडरूचनी (बायाथलॉन)
2022 के बीजिंग ओलंपिक से लौटकर दमित्रो पिडरूचिनो नैशनल गार्ड में भर्ती हो गए हैं. 30 साल के दमित्रो पूर्व यूरोपीय बायथलीट चैंपियन हैं और दो बार ओलंपिक खेल चुके हैं.
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विटाली क्लिश्को (बॉक्सर)
यूक्रेन के सबसे मशहूर खिलाड़ियों में से एक विटाली वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियन मुक्केबाज हैं. वह 2014 से कीव के मेयर हैं. 50 साल के विटाली ने कहा है कि वह अपनी मातृभूमि के लिए हथियार उठाने को तैयार हैं.
तस्वीर: FABIAN BIMMER/REUTERS
व्लादिमीर क्लिश्को (बॉक्सर)
विटाली के भाई व्लादिमीर क्लिश्को 1996 में ओलंपिक में गोल्ड जीत चुके हैं. पेशेवर मुक्केबाजी में भी उनकी खूब धाक रही है. 2016 में संन्यास लेने वाले 45 साल के व्लादिमीर अब यूक्रेन की सेना में भर्ती हो गए हैं.
तस्वीर: Efrem Lukatsky/AP Photo/picture alliance
सर्गेय स्टाचोवस्की (टेनिस)
पूर्व टेनिस खिलाड़ी स्टाचोवस्की ने 2013 में विंबलडन ओपन के दूसरे दौर में रॉजर फेडरर को हराकर तहलका मचा दिया था. तब उनकी विश्व रैंकिंग 116 थी. अब 35 साल के हो चुके स्टाचोवस्की ने सेना में भर्ती होकर हथियार उठा लिए हैं.
तस्वीर: JB Autissier/PanoramiC/imago images
ओलेक्सांद्र उसिक (बॉक्सर)
उसिक पेशेवर हेवीवेट बॉक्सिंग चैंपियन हैं. 2012 के ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाले उसिक ने अपने देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, “मैं गोली नहीं चलाना चाहता. मैं किसी की हत्या नहीं करना चाहता. लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं है.”
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ओले लुजनी (फुटबॉल)
इस सदी की शुरुआत में प्रीमियर लीग और एफए कप जैसी प्रतिष्ठित प्रतियोगितों में खेल चुके ओले लुजनी अब 53 वर्ष के हैं. सेना में भर्ती होते वक्त उन्होंने कहा, “हालात भयानक हैं. मैं कोच के रूप में ब्रिटेन जाना चाहता हूं लेकिन बाकी सबसे पहले मैं अपने लोगों के लिए, अपने देश और लोकतंत्र के लिए मजबूती से खड़ा होना चाहता हूं.”
तस्वीर: Chris Lobina/Getty Images
वासिली लोमाचेंको (बॉक्सिंग)
यूक्रेन के महानतम मुक्केबाजों में से एक माने जाने वाले लोमाचेंको ने दिसंबर में ही अपना एक मैच खेला था जिसमें उन्होंने रिचर्ड कॉमी को हराया था. 34 साल के लोमाचेंको अब सेना में भर्ती हो गए हैं.
तस्वीर: Sarah Stier/Getty Images
यूरी वेर्नीदूब (फुटबॉल)
वेर्नीदूब एक फुटबॉल कोच हैं. उन्होंने मोल्डोवा के क्लब शेरिफ तिरासपोल को कोच किया है जो रियाल मैड्रिड को हरा चुकी है. 56 साल के यूरी खुद भी बेहतरीन मिडफील्डर रह चुके हैं. रूस के क्लब जेनित सेंट पीटर्सबर्ग के लिए खेल चुके यूरी अब बंदूक उठा रहे हैं.
तस्वीर: Pavlo Bahmut/Ukrinform/imago images
यारोस्लाव अमोसोव (एमएमए)
मिक्स्ड मार्शल आर्ट खिलाड़ी अमोसोव वेल्टरवेट चैंपियन हैं. 28 साल के अमोसोव को मई में माइकल पेज के खिलाफ मैच खेलना है. लेकिन उससे पहले वह अपने देश के लिए लड़ना चाहते हैं और सेना में भर्ती हो गए हैं.
तस्वीर: imago sportfotodienst
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जब ब्रिटिश मंत्री ट्रेवेलयान से पूछा गया कि रूस को लेकर भारत के रूख का मुक्त व्यापार समझौते से संबंधित बातचीत पर असर पड़ेगा या नहीं, तो उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपना रूख बदल लेगा. ट्रेवेलयान ने कहा, “हम बहुत निराश हैं लेकिन हम अपने भारतीय साझीदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे और उम्मीद करेंगे कि उनके विचार बदलें.”