विस्कॉन्सिन में विरोध प्रदर्शनों के बीच इमरजेंसी घोषित
२६ अगस्त २०२०
विस्कॉन्सिन में एक अश्वेत व्यक्ति को गोली मारे जाने के बाद बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच गवर्नर ने इमरजेंसी की घोषणा की है. केनोशा में लगातार हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. गवर्नर ने "नुकसान और विनाश" के खिलाफ चेतावनी दी है.
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विस्कॉन्सिन में अश्वेत जेकब ब्लेक को गोली मारे जाने के खिलाफ लगातार तीसरे दिन विरोध प्रदर्शन हुए. पुलिसकर्मियों पर जेकब ब्लेक को सात गोलियां मारने का आरोप है. इस बीच विस्कॉन्सिन के गवर्नर टोनी इवर्स ने उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए मंगलवार को राज्य में इमरजेंसी की घोषणा कर दी. ब्लेक के परिवार के वकील का कहना है कि वे दोबारा नहीं चल पाएंगे. गवर्नर इवर्स ने प्रदर्शनकारियों से शांति की अपील करते हुए कहा है कि वे नेशनल गार्ड की संख्या को 125 से दोगुना कर 250 करेंगे. एक रात पहले ही प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों की झड़प हुई थी और प्रदर्शनकारियों ने कई दुकानों और इमारतों में तोड़फोड़ की थी और कारों को आग के हवाले कर दिया था.
गवर्नर इवर्स ने एक बयान में कहा, "हम नस्लवाद और अन्याय के चक्र को जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकते हैं." उन्होंने कहा, "साथ ही हम लोगों को नुकसान और विनाश के रास्ते पर चलने भी नहीं दे सकते है." आशंका है कि केनोशा में विरोध प्रदर्शनों का दौर आने वाले दिनों में जारी रह सकता है. ब्लेक के परिवार के वकील का कहना है कि ब्लेक लकवाग्रस्त हो गए हैं. ब्लेक का इलाज मिलवॉकी के अस्पताल में चल रहा है. परिवार का कहना है कि पुलिस की एक गोली से ब्लेक की रीढ़ क्षतिग्रस्त हो गई है और पेट, कोलन और हाथ जख्मी हो गए हैं. वकील बेन क्रेंप के मुताबिक, "जेकब ब्लेक के लिए यह चमत्कार ही हो सकता है कि वे दोबारा चल पाए."
ब्लेक को पुलिस द्वारा गोली मारने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. रविवार को हुई घटना में निहत्थे ब्लेक कार में बैठने जा रहे थे तभी पुलिसवालों ने उन्हें बाहर खींच लिया और उनपर कई बार गोली चला दी. ब्लेक की पार्टनर लाक्विशा बुकर ने स्थानीय मीडिया को इस बात की पुष्टि की है कि घटना के वक्त कार के अंदर उनके तीन बेटे मौजूद थे. फायरिंग की इस घटना के बाद केनोशा के बाद अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन भड़क गए. लॉस एंजेलिस, न्यूयॉर्क और मिनियापोलिस में भी लोग सड़कों पर उतर कर विरोध जता रहे हैं. जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद भी इन शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित हुए थे.
ब्लेक के परिवार ने शांति की अपील की
ब्लेक की मां जूलिया जैक्सन ने शांति की अपील करते हुए कहा, "जब मैं शहर से गुजर रही थी तो मैंने बहुत नुकसान देखा. यह मेरे बेटे या मेरे परिवार के विचार को नहीं दर्शाता है. अगर जेकब को पता चला कि हिंसा और तोड़फोड़ हो रही है तो वह बहुत दुखी होगा." ब्लेक की मां ने आगे कहा, "जेकब के साथ न्याय होना चाहिए...मैं अपने बेटे के शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से इलाज के लिए प्रार्थना करती हूं. मैं इससे पहले से भी अपने देश के ठीक होने के लिए प्रार्थना करती आई हूं." ब्लेक के परिवार ने गवर्नर से मुलाकात का वक्त मांगा है और परिवार के वकील ने ब्लेक को गोली मारने वाले पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग की है.
मामले की जांच विस्कॉन्सिन का न्याय विभाग कर रहा है जिसने इस मामले पर अभी तक कोई जानकारी नहीं जारी की है. हालांकि ब्लेक के पिता ने कहा है कि उन्हें जांच पर भरोसा नहीं है.
अमेरिका के मिनियापोलिस में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से पूरी दुनिया आंदोलित है. वीकएंड में सभी महादेशों में लाखों लोगों ने नस्लवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया है. भारत में भी सेलेब्रिटी "ब्लैक लाइव्स मैटर" का समर्थन कर रहे हैं.
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पेरिस: भेदभाव का विरोध
कुछ दिन पहले फ्रांस की राजधानी में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आंसू गैस का इस्तेमाल कर तितर बितर कर दिया था. शनिवार को भी आइफेल टॉवर और अमेरिकी दूतावास के सामने प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी गई थी. फिर भी दसियों हजार लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. पेरिस के बाहरी इलाकों में रहने वाले काले नागरिकों के खिलाफ पुलिस हिंसा आम है.
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लिएज: प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन
कई दूसरे यूरोपीय देशों की तरह बेल्जियम का भी औपनिवेशिक शोषण और लोगों को गुलाम बनाने का इतिहास रहा है. आज का डेमोक्रैटिक रिपब्लिक कॉन्गो कभी किंग लियोपोल्ड द्वितीय की निजी संपत्ति हुआ करता था. उनके नाम पर वहां नस्लवादी शासन चलता था. ब्रसेल्स, अंटवैर्पेन और लिएज शहरों में कोरोना के प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन हुए.
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म्यूनिख: रंग बिरंगा बवेरिया
जर्मनी के बड़े प्रदर्शनों में से एक दक्षिणी प्रांत बवेरिया की राजधानी म्यूनिख में हुआ. यहां करीब 30,000 लोग नस्लवाद का विरोध करने सड़कों पर उतरे. इसके अलावा कोलोन, फ्रैंकफर्ट और हैम्बर्ग में भी प्रदर्शन हुए. राजधानी बर्लिन में प्रदर्शन के लिए जाते लोगों को रोकने के लिए पुलिस ने कुछ समय के लिए सिटी सेंटर में स्थित अलेक्जांडरप्लात्स का रास्ता रोक दिया था.
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वियना: 50,000 लोगों का विरोध प्रदर्शन
ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में शुक्रवार को ही 50,000 लोगों ने प्रदर्शन किया. ये देश में पिछले सालों में हुए बड़े प्रदर्शनों में एक रहा. स्थानीय पुलिसकर्मी भी प्रदर्शन के समर्थन में दिखे. रिपोर्टरों के अनुसार पुलिस की एक गाड़ी पर भी "ब्लैक लाइव्स मैटर" का नारा लिखा दिखा.
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सोफिया: सैकड़ों नस्लवाद विरोधी
कई दूसरे यूरोपीय देशों की तरह बुल्गारिया में भी दस लोगों से ज्यादा के साथ प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. फिर भी नस्लवाद का विरोध करने राजधानी सोफिया में सैकड़ों लोग पहुंचे. वे जॉर्ज फ्लयॉड के कहे कथित तौर पर अंतिम शब्द "आई कांट ब्रीद" के नारे लगा रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने साथ बुल्गारियाई समाज में व्याप्त नस्लवाद की ओर भी ध्यान दिलाया.
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तूरीन: कोरोना काल में विरोध
इस महिला ने अपना नारा कोरोना काल में जरूरी किए गए मास्क के ऊपर लिख रखा है, "काली जिंदगियां इटली में भी कीमती हैं." रोम और मिलान में हुए प्रदर्शनों में कोरोना महामारी की वजह से हुई तालाबंदी के बाद पहली बार लोग इतनी बड़ी तादाद में एक साथ इकट्ठा हुए. यूरोपीय संघ में सबसे ज्यादा अफ्रीकी आप्रवासी इटली में रहते हैं.
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लिस्बन: बिना अनुमति के रैली
पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में निकाले गए मार्च में इस प्रदर्शनकारी ने अपनी तख्ती पर लिख रखा है, "अब कार्रवाई करो." हालांकि विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई थी, लेकिन पुलिस ने रैली को नहीं रोका. पुर्तगाल में भी काले नागरिकों के खिलाफ पुलिस बर्बरता की घटना अक्सर होती रहती है. जनवरी 2019 में पुलिस ने नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों पर रबर की गोलियां चलाई थी.
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मेक्सिको सिटी: फ्लॉयड और लोपेस
मेक्सिको में सिर्फ जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का गुस्सा नहीं है बल्कि जोवानी लोपेस के साथ हुए बर्ताव पर भी है. राजमिस्त्री का काम करने वाले लोपेस को मई में पश्चिमी प्रांत खालिस्को में मास्क नहीं पहनने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था. कथित तौर पर पुलिस हिंसा के कारण उनकी मौत हो गई थी. कुछ समय एक वीडियो सामने आने के बाद मेक्सिको के लोगों में आक्रोश है.
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सिडनी: मूल निवासियों के खिलाफ नस्लवाद
सिडनी में प्रदर्शन की शुरुआत धुआं करने के परंपरागत महोत्सव के साथ हुई. यहां प्रदर्शन में शामिल होने वालों की एकजुटता सिर्फ जॉर्ज फ्लॉयड के साथ नहीं बल्कि देश के अबोरिजिन मूल निवासियों के साथ भी थी. वे भी पुलिस हिंसा के शिकार रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उनमें से किसी की मौत पुलिस हिरासत में नहीं होनी चाहिए.
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प्रिटोरिया: मुक्का तान कर प्रदर्शन
हवा में तना हुआ मुक्का ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का प्रतीक चिह्न है. लेकिन यह प्रतीक हाल के आंदोलन से कहीं पुराना है. जब दक्षिण अफ्रीका की नस्लवादी सरकार ने फरवरी 1990 में नस्लवाद विरोधी नेता नेल्सन मंडेला को 27 साल बाद जेल से रिहा किया था, तो वे हवा में मुक्का लहराते जेल से बाहर निकले थे. अभी भी दक्षिण अफ्रीका में गोरी आबादी बेहतर स्थिति में है. रिपोर्ट: डाविड एल