मुफ्त क्रिप्टो करंसी के लिए आंखें स्कैन करवा रहे हैं लोग
२६ जुलाई २०२३
डाटा सुरक्षा और निजता की चिंताओं की परवाह किये बगैर दुनियाभर में लोग अपनी आंखों का स्कैन करवा रहे हैं ताकि डिजिटल आईडी मिल सके.
आइरिस स्कैनः प्रतीकात्मक तस्वीरतस्वीर: Martin Meissner/AP Photo/picture alliance
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चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपन एआई के सीईओ सैम आल्टमैन ने वर्ल्डकॉइन नाम के इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. उनका कहना है कि उनका मकसद एक नया ‘आइडेंटिटी और फाइनैंशल नेटवर्क' तैयार करना है.
वह दावा कर रहे हैं कि उनके द्वारा तैयार डिजिटल आईडी के जरिये लोग बहुत सारे काम कर पाएंगे, जिनमें इंटरनेट पर यह साबित करना भी शामिल है कि वे इंसान हैं, बॉट नहीं.
सोमवार को ही इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है और ब्रिटेन, जापान व भारत समेत दुनिया के कई देशों में लोगों ने यह स्कैन करवाना भी शुरू कर दिया है. मंगलवार को टोक्यो में एक क्रिप्टो कॉन्फ्रेंस में आंखें स्कैन करवाने के लिए लोग लंबी कतारों में खड़े नजर आये.
चांदी के रंग के एक विशाल चमकते ग्लोब के सामने सामने खड़े इन लोगों की आंखें एक डिवाइस के जरिये स्कैन की गईं, जिसके बाद उन्हें 25 वर्ल्डकॉइन मिले. कंपनी का कहना है कि अपनी पहचान की पुष्टि कराने के बाद ही लोग इस डिजिटल करंसी को पा सकेंगे.
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120 देशों में पहुंचा प्रोजेक्ट
वर्ल्डकॉइन का दावा है कि दो साल तक चले ट्रायल पीरियड के दौरान वह 120 देशों में 20 लाख से ज्यादा लोगों को डिजिटल आईडी जारी कर चुकी है.
स्कैन कराने वाले कुछ लोगों ने कहा कि अपनी आंखों के स्कैन से पहले उन्होंने डाटा जमा करने से जुड़ीं चिताओं पर विचार किया था.
33 साल के साएकी सासाकी कहते हैं, "किसी कंपनी द्वारा आपकी आंखों का डाटा लेने से जुड़े खतरे तो हैं लेकिन मैं तमाम क्रिप्टो प्रोजेक्ट के बारे में जानना चाहता हूं. मैं थोड़ा डरा हुआ था लेकिन अब तो यह हो चुका है और मैं इसे वापस नहीं ले सकता.”
डाटा सुरक्षा और निजता अधिकारों के लिए काम करने वाले कई कार्यकर्ता इस प्रोजेक्ट को खतरनाक बताते हैं. अमेरिका की एक संस्था इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेसी इन्फॉर्मेशन सेंटर का कहना है कि वर्ल्डकॉइन का यह प्रोजेक्ट एक निजता के लिए संभावित खतरा है.
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
तस्वीर: STRF/STAR MAX/IPx/picture alliance
एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Lipinski
कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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वर्ल्डकॉइन ने इस संबंध में पूछे गये सवालों के जवाब नहीं दिये. कंपनी की वेबसाइट कहती है कि यह प्रोजेक्ट पूरी तरह निजी है और ग्राहक अपने डाटा को डिलीट करने या इन्क्रिप्शन के साथ सेव करने का विकल्प भी चुन सकते हैं.
मुफ्त क्रिप्टो करंसी
सोमवार को लंदन के एक को-वर्किंग ऑफिस में जब वर्ल्डकॉइन के दो प्रतिनिधियों ने कुछ लोगों को दिखाया कि कैसे ऐप डाउनलोड करें और अपनी आंखें स्कैन करें, तब साथ में वे मुफ्त टीशर्ट और स्टिकर भी बांट रहे थे, जिन पर लिखा थाः ‘वेरिफाइड ह्यूमन'.
34 साल के ग्राफिक डिजाइनर क्रिस्टियान कहते हैं कि वह उत्सुकता की वजह से इस प्रोजेक्ट में शामिल हुए. हालांकि वह कहते हैं कि क्रिप्टो करंसी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर उनकी उत्सुकता बस मजे के लिए है.
क्रिस्टियान कहते हैं, "मुझे लगता है कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंसान में फर्क करना मुश्किल हो जाएगा और यह प्रोजेक्ट उस समस्या का बढ़िया हल है.”
दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज बाइनैंस में वर्ल्डकॉइन की कीमत 2.30 अमेरिकी डॉलर के आसपास है और बहुत से लोग सिर्फ मुफ्त करंसी के लिए ही वर्ल्डकॉइन प्रोजेक्ट का हिस्सा बन रहे हैं.
केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे 22 साल के अली कहते हैं कि उन्होंने अपने स्टूडेंट लोन में से भी कुछ धन क्रिप्टो करंसी में निवेश किया है. वह खुश हैं कि 25 मुफ्त वर्ल्डकॉइन के रूप में उन्हें 70-80 डॉलर मिल सकते हैं.
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अली बताते हैं, "मैंने आज सुबह ही अपने भाई को इसके बारे में बताया. मैंने कहा कि मुफ्त में पैसा मिल रहा है, और चाहिए तो वह भी आ सकता है.”
निजता की परवाह नहीं
क्रिस्टियान और अली दोनों ने ही वर्ल्डकॉइन की प्राइवेसी पॉलिसी नहीं पढ़ी है, जो कहती है कि डाटा को कंपनी के साथ काम करने वाले ठेकेदारों और सरकार को दिया जा सकता है. हालांकि नीति में स्पष्ट किया गया है कि खतरों को कम करने के लिए कदम उठाये गये हैं.
कुछ ऐसा ही भारत के बेंगलुरू में भी हो रहा है. राह चलते लोगों को रोक-रोक कर इस प्रोजेक्ट के बारे में बताया जा रहा है. ज्यादातर लोगों ने कहा कि उन्हें निजता की परवाह नहीं है.
18 साल के एक छात्र सुजीत ने कहा कि उन्होंने वर्ल्डकॉइन की शर्तें और नियम नहीं पढ़े हैं और डाटा सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं. सुजीत अपने जेब खर्च में से कुछ धन क्रिप्टो में निवेश करते रहते हैं. वह कहते हैं, "मैं गुजर रहा था तो उन्होंने मुझसे पूछा कि कुछ मुफ्त कॉइन लोगे. मैंने सोचा, क्यों नहीं.”