इटली के चर्चों में यौन शोषण पर पहली रिपोर्ट जारी
१७ नवम्बर २०२२41 पन्नों की रिपोर्ट में 2020-21 से जुड़े मामलों का ब्यौरा है. एक और रिपोर्ट का वादा किया गया है जिसमें साल 2000 तक के मामलों का ब्यौरा होगा. हालांकि यह कब जारी होगा इसके बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
पीड़ितों ने इस बारे में विस्तार से पूरी जांच की मांग की है. इसके साथ ही इटली के बाहर फ्रांस और जर्मनी में हुए यौन शोषण के मामलों को भी इसमें शामिल करने की मांग की गई है.
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यौन शोषण पर पहली रिपोर्ट
2020-21 की रिपोर्ट में इन सालों के दौरान दर्ज कराये गये मामलों का ब्यौरा है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ये घटनाएं उन्हीं सालों में हुई हों. यह रिपोर्ट उत्तरी इटली में कैथोलिक यूनिवर्सिटी ने तैयार की है. इसमें कहा गया है कि 89 पीड़ितों का शोषण हुआ और शोषण करने वाले 68 लोग थे. इनमें पादरी के साथ ही ऐसे लोग भी थो जो चर्च के लिए काम करते थे या फिर धर्म की शिक्षा देते थे.
इस रिपोर्ट के लिए आंकड़े डायसीज के "लिसनिंग सेंटर" के और जो थोड़े से लोगों ने सामने आ कर शिकायत की है उनसे जुटाये गए हैं. तकरीबन 53 फीसदी मामले हाल के हैं जबकि बाकि पुराने हैं हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि ये कब हुए.
रिपोर्ट की आलोचना
द अब्यूज नेटवर्क के प्रमुख फ्रांसेस्को जानार्दी का कहना है, "यह बिल्कुल अपर्याप्त और शर्मनाक है." इस संगठन के पास इटली के चर्चों में हुए यौन शोषण का सबसे बड़ा डिजिटल अर्काइव है.
जानार्दी का कहना है, "यह तो पहले से ही शर्मनाक है क्योंकि इसमें केवल साल 2000 के बाद के ही मामलों को लिया जायेगा." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में शोषण के मामलों की जो संख्या बताई गई है वह उम्मीद से ज्यादा है. जानार्दी ने कहा, "अगर यह संख्या सही है तो यह बहुत ज्यादा है लेकिन असल संख्या इससे भी ज्यादा है." उनका कहना है कि पिछले 22 सालों में यह संख्या कम से कम 2,000 होगी.
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चर्च के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को एक प्रेस कांफ्रेंस में जारी किया और इसे सही बताया. आर्कबिशप लोरेंजो गिजोनी ने कहा, "यह तो बस शुरुआत है" उन्होंने उम्मीद जताई है कि रिपोर्टिंग सिस्टम के शामिल होने और पीड़ितों के लिए सहजता होने के बाद और ज्यादा पीड़ित सामने आयेंगे.
शिकायत करना आसान होगा
गिजोनी का कहना है कि इटली के चर्च पीड़ितों के लिए सामने आ कर शिकायत करने को आसान बनाना चाहते हैं. इसमें लिसनिंग सेंटर को चर्च के बाहर बनाने की भी बात है जिससे कि पीड़ितों पर दबाव ना बनाया जा सके.
चर्च के अधिकारियों का कहना है कि वो लिसनिंग सेंटर बना कर पीड़ितों को प्रशासन के पास जाने से नहीं रोकना चाहते बल्कि उन्हें ऐसा करने के लिए बढ़ावा दिया जायेगा.
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इटली में पीड़ितों का समूह चर्च के प्रति सालों से निराशा जता रहा है. उन्होंने मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है और वे कम से कम पिछले सदी के कुछ सालों तक के मामलों को इसमें शामिल कराना चाहते हैं. माना जाता है कि सबसे ज्यादा शोषण दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के दौर में हुआ.
जानार्दी का शोषण एक पादरी ने साल 2000 के पहले किया था इसका मतलब है कि उनका मामला अगली रिपोर्ट में भी नहीं आयेगा. दुनिया भर में यौन शोषण के संकट ने रोमन कैथोलिक चर्च के भरोसे को काफी नुकसान पहुंचाया है. इसकी वजह से चर्च को मामला निपटाने के लिए करोड़ों डॉलर भी देने पड़े. कुछ डायोसिज तो इस वजह से दिवालिया भी हो गये.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स)