तुर्की का एक फुटबॉल फैन कुत्ता सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसका जश्न देखने लायक है. जैसे ही गोल हुआ, कुत्ते ने जोर का जश्न किया.
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जानवरों और इंसानों में सबसे बड़ा फर्क यही है. जानवर कभी आपको दुखी नहीं करते. उनकी बातें, उनकी हर हरकत प्यारी होती है और दिल खुश कर देती है. अब इस कुत्ते को ही देखिए. अपनी फुटबॉल टीम का स्कार्फ गले में बांधे इस कुत्ते ने जब टीवी में देखा कि टीम ने गोल कर दिया है तो क्या जोर का जश्न मनाया है. तुर्की का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जोरदार वायरल हो रहा है. देखिए वीडियो...
तुर्की की फुटबॉल टीम फेनेबाचे और कायसेरिसपोर के बीच 28 अगस्त को इस्तांबुल में मैच हो रहा था. फ्री किक के बाद जैसे ही गोल हुआ. कुत्ते ने हाथ हिला-हिला कर डांस किया और भौंक-भौंक कर अपनी खुशी जाहिर की. वैसे वीडियो देखकर बहुत से लोगों को यह भी लगा कि कुत्ता टीवी नहीं देख रहा है बल्कि उसके ऊपर कुछ देख रहा है. हो सकता है ऐसा ही हो. तब भी इतना तो साफ है कि कुत्ता खुश है और उसकी खुशी में खुश होने में क्या दिक्कत है. ट्विटर पर यह वीडियो कुत्ते के मालिक दामला यूजेर ने डाला था और इसे 14 हजार से ज्यादा लाइक्स मिले हैं.
क्या आप जानते हैं कि जानवर अपना इलाज कैसे करते हैं? देखिए...
कैसे अपना इलाज करते हैं जानवर
आपने कुत्ते और बिल्ली को घास खाते देखा होगा. बीमार होने पर वो ऐसा करते हैं. और भी कई जीव ऐसे ही अपना प्राकृतिक इलाज करते हैं. उनका सहज ज्ञान इंसान के लिए भी फायदेमंद हो सकता है.
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परजीवियों से बचाव
चिंपाजी जब विषाणुओं के संक्रमण से बीमार होते हैं या फिर उन्हें डायरिया या मलेरिया होता है तो वे एक खास पौधे तक जाते हैं. चिंपाजियों का पीछा कर वैज्ञानिक आसपिलिया नाम के पौधे तक पहुंचे.
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आसपिलिया का फायदा
इसकी खुरदुरी पत्तियां चिंपाजियों का पेट साफ करती हैं. आसपिलिया की मदद से परजीवी जल्द शरीर से बाहर निकल जाते हैं. संक्रमण भी कम होने लगता है. तंजानिया के लोग भी इस पौधे का दवा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.
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वंडर प्लम
काला प्लम विटेक्स डोनियाना, बंदर बड़े चाव से खाते हैं. ये सांप के जहर से लड़ता है. येलो फीवर और मासिक धर्म की दवाएं बनाने के लिए इंसान भी इसका इस्तेमाल करता है.
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अभिभावकों से सीख
मेमना बड़ी भेड़ों को चरते हुए देखता है और काफी कुछ सीखता है. की़ड़े की शिकायत होने पर भेड़ ऐसे पौधे चरती है जिनमें टैननिन की मात्रा बहुत ज्यादा हो. तबियत ठीक होने के बाद भेड़ फिर से सामान्य घास चरने लगती है.
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अल्कोहल की जरूरत
फ्रूट फ्लाई कही जाने वाली बहुत ही छोटी मक्खियां परजीवी से लड़ने के लिए सड़ते फलों का सहारा लेती है. फलों के खराब पर उनमें अल्कोहल बनता है. फ्रूट फ्लाई ऐसे फलों में अंडे देती हैं ताकि विषाणु और परजीवियों खुद मर जाएं.
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समझदार गीजू
विषाणु के चलते बीमार होने पर गीजू ऐसे पौधे खाता है जिनमें एल्कोलॉयड बहुत ज्यादा हो.
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जहरीले फूल
मोनार्क तितली अंडे देने के लिए मिल्कवीड पौधे का इस्तेमाल करती है. इसके फूल में बहुत ज्यादा कार्डेनोलिडेन होता है, जो तितली के दुश्मनों के लिए जहरीला होता है.
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मेहनती मधुमक्खियां
मधुमक्खियां प्रोपोलिस बनाती हैं. ये शहद और प्राकृतिक मोम का मिश्रण है. यह बैक्टीरिया, विषाणु और संक्रमण से बचाता है. शहद का इस्तेमाल इंसान, बंदर, भालू और चिड़िया भी करते हैं.
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निकोटिन वाला बसेरा
मेक्सिको की गोरैया घोंसला बनाने के लिए सिगरेट के ठुड्डों का सहारा लेने लगी है. रिसर्चरों के मुताबिक सिग्रेट बट्स में काफी निकोटिन होता है जो परजीवियों से बचाता है. लेकिन इसके नुकसान भी हैं.
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घास से इलाज
बिल्ली और कुत्ते प्राकृतिक रूप से शुद्ध शाकाहारी नहीं हैं. लेकिन बीमार पड़ने पर दोनों खास किस्म की घास खाते हैं. घास खाने के उनका पेट गड़बड़ा जाता है और बीमार कर रही चीज उल्टी या दस्त के साथ बाहर आ जाती है.
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मिट्टी से संतुलन
कुआला पेड़ पौधे और छाल खाता है. लेकिन बीमार होने पर वो खाने के तुरंत बाद मिट्टी खाता है. मिट्टी खुराक के अम्लीय और क्षारीय गुणों को फीका कर देती है.
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मच्छरों को धोखा
कापुचिन बंदरों के पास इंसान की तरह मच्छरदानी नहीं होती. लेकिन मच्छरों से बचने के लिए वो अपने शरीर पर खास गंध वाला पेस्ट रगड़ते हैं. गंध से परजीवी दूर भागते हैं.
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क्रमिक विकास की देन
कनखजूरा खुद को एक खास तरह के जहर में लपेट लेता है. वैज्ञानिकों को लगता है जीव जंतुओं ने लाखों साल के विकास क्रम में अपनी रक्षा के लिए कई जानकारियां जुटाई और भावी पीढ़ी को दीं.