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राजनीतिअफगानिस्तान

तालिबान ने रोकी अफीम की खेती तो किसान हुए नाराज

८ मई २०२४

अप्रैल 2022 में तालिबान के सर्वोच्च नेता के एक आदेश के बाद पोस्त की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

अफीम की फसल को नष्ट करते तालिबान के अधिकारी
अफीम की फसल को नष्ट करते तालिबान के अधिकारीतस्वीर: Mohammad Noori/AA/picture alliance

उत्तरपूर्वी अफगानिस्तान में अफीम की खेती को साफ करने के प्रभावी अभियान के खिलाफ स्थानीय किसानों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है. अफीम की फसल नष्ट होने से अपनी आय गंवा चुके किसान गुस्से में हैं.

सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान अफीम उत्पादन को कम करने में सक्षम हुआ है, लेकिन जो किसान खेती वाली जमीन पर अफीम की फसल उगाकर अपना जीवन यापन करते हैं, उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है.

इन किसानों ने कुछ खतरनाक क्षेत्रों में एंटी-नारकोटिक्स यूनिट का विरोध किया और कभी-कभी इसकी कीमत अपनी जान देकर भी चुकाई.

प्रांतीय पुलिस के मुताबिक पिछले सप्ताह के अंत में पहाड़ी प्रांत बदख्शां में एंटी-नारकोटिक्स यूनिट और किसानों के बीच हिंसक झड़प में दो लोगों की मौत हो गई थी.

बदख्शां में वसंत के मौसम में केवल एक ही पोस्त की फसल पैदा होती है और जैसे ही एंटी-नारकोटिक्स यूनिट ग्रामीण प्रांत के कुछ हिस्सों में फसलों को नष्ट करने के लिए आगे बढ़ीं, वहां झड़पें शुरू हो गईं.

स्थानीय पुलिस ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि शुक्रवार और शनिवार को दरायिम और अर्गो जिलों में झड़पों में एक व्यक्ति की मौत हो गई. एक बयान में कहा गया है कि अर्गो में तालिबान अधिकारियों और किसानों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें "साजिशकर्ता तत्वों" ने तोड़फोड़ की थी.

एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा, "स्थानीय लोगों ने मुजाहिदीन (तालिबान अधिकारियों) पर पत्थरों और लाठियों से हमला किया और उनके वाहनों और सामान को जलाने की कोशिश की." उन्होंने बताया कि जवाब में एक स्थानीय निवासी की मौत हो गई. स्थानीय लोगों ने बताया कि अर्गो में छह लोग घायल भी हुए हैं.

पोस्त की खेती पर बैन लगा चुका है तालिबानतस्वीर: Oriane Zerah/picture alliance/abaca

पोस्त की खेती पर रोक

अप्रैल 2022 में तालिबान के सर्वोच्च नेता ने आदेश जारी कर पोस्त की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे पहले अफगानिस्तान दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक था. संयुक्त राष्ट्र मादक द्रव्यों और अपराध संबंधी कार्यालय यूएनओडीसी के आंकड़ों के मुताबिक अफगानिस्तान में अफीम के उत्पादन में पिछले साल 95 प्रतिशत की गिरावट आई है.

काबुल में तालिबान अधिकारियों के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सराहना की. लेकिन मुनाफे वाली फसल पर निर्भर रहने वाले अफगान किसानों ने अफीम के उत्पादन पर कार्रवाई के नतीजतन पिछले साल अपनी आय का 92 प्रतिशत खो दिया.

किसानों को अलग-अलग फसलें लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, लेकिन कोई भी पोस्त के वित्तीय लाभ के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रही है, जिसके कारण कुछ लोग छोटी जमीनों पर चोरी छिपे से खेती करना जारी रखे हुए हैं.

अफगान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने घोषणा की कि पिछले सप्ताह हुई घटनाओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति भेजी गई है. उन्होंने कहा कि पोस्त की खेती बंद करने का आदेश "बिना किसी अपवाद के सभी क्षेत्रों पर लागू होता है."

तालिबान पर भेदभाव का आरोप

तालिबान सरकार के मादक द्रव्य विरोधी अभियान को स्थानीय किसान अनैतिक मानते हैं और वे इसकी शिकायत करते हैं. इन किसानों का दावा है कि तालिबान अधिकारी उन लोगों के अवैध उत्पादन पर आंखें मूंद लेते हैं जिनके साथ उनके अच्छे संबंध हैं.

अर्गो जिले के एक 29 वर्षीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जब एंटी-नारकोटिक्स यूनिट के अधिकारी गुप्त रूप से पोस्त की फसल की तलाश में आए तो वे "घरों के दरवाजे तोड़ कर अंदर दाखिल हो गए. जब लोगों ने इसका विरोध किया तो उनपर फायरिंग की गई."

अर्गो के एक अन्य निवासी ने शिकायत की कि अधिकारी स्थानीय बुजुर्गों, समुदाय के नेताओं या मस्जिदों के इमामों को सूचित किए बिना नमाज के समय स्थानीय लोगों के घरों में घुस गए.

दरायिम में हुई घटनाओं पर दर्जनों नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन किया. सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए फुटेज के मुताबिक कुछ प्रदर्शनकारियों को एक शव ले जाते देखा गया. प्रदर्शनकारी "अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात मुर्दाबाद" के नारे भी लगा रहे थे.

एए/वीके (एएफपी)

अफगानिस्तान में अफीम किसानों के साथ क्या कर रहा तालिबान

02:17

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