ब्रिटेन के ऐलिस्टेयर ब्राउनली की इस हरकत ने उन्हें बाजीगर बना दिया है. बाजीगर इसलिए क्योंकि हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं. ब्राउनली ने जो किया है, उसे देखकर आंखें नम हो जाती हैं और रिश्तों पर डगमगाया भरोसा वापस लौट आता है. ब्राउनली ने अपना मेडल दांव पर लगाकर अपने भाई को जिताने में मदद की. उनके भाई जॉनी भी उसी आईटीयू ट्राइथलन में प्रतिभागी थे. रविवार को मेक्सिको में हो रही इस रेस में फिनिशिंग लाइन से कुछ सौ मीटर पहले जॉनी का दम टूट गया और वह गिर गए. रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले जॉनी तब जीत के करीब थे और उनका मेडल जीतना पक्का दिख रहा था. लेकिन गर्मी ने उनका दम तोड़ दिया और वह लड़खड़ा गए. तब पीछे से आए उनके भाई ऐलिस्टेयर चाहत तो आगे दौड़ना जारी रखकर गोल्ड जीत सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐलिस्टेयर ने अपने भाई को सहारा दिया और उनके साथ दौड़े. देखिए, यह अद्भुत वीडियो.
ऐलिस्टेयर और जॉनी साथ दौड़े और दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे. जॉनी ने सिल्वर जीता जबकि ऐलिस्टेयर तीसरे नंबर पर कांसा पा सके. 28 साल के ऐलिस्टेयर ने रियो में गोल्ड जीता था. 26 साल के जॉनी अगर मेक्सिको में गोल्ड जीत पाते तो यह उनका दूसरा वर्ल्ड टाइटल होता. लेकिन उनके लड़खड़ाने का फायदा दक्षिण अफ्रीका के हेनरी शूमन ने उठाया और वह जॉनी से आगे निकलकर गोल्ड मेडल हासिल कर गए. लेकिन पूरी दनिया की निगाह में इस रेस के असली विजेता तो तीसरे नंबर पर आए ऐलिस्टेयर ही रहे. रेस के बाद ऐलिस्टेयर ने कहा कि उनके भाई की जगह कोई और खिलाड़ी भी होता, तो भी वह ऐसा ही करते.
ये तस्वीरें देखना तो बनता है
खेलों में अक्सर ऐसा रवैया देखा जाता है कि कुछ भी कर के जीत हासिल करनी है. कई बार ऐसे में लोग अपने प्रतिस्पर्धियों को नुकसान भी पहुंचाते हैं. लेकिन रियो ओलंपिक की दौड़ में इंसानियत की एक मिसाल देखने को मिली.
तस्वीर: Getty Images/P. Smith5000 मीटर की दौड़ के दौरान न्यूजीलैंड की एथलीट निकी हैंबलिन और अमेरिका की एथलीट एबी डेगोस्टीनो आपस में टकरा गईं. उनके पैर एक दूसरे में उलझे और दोनों ट्रैक पर गिर गयीं.
तस्वीर: Getty Images/I. Waltonइसके बाद हैंबलिन तो उठ खड़ी हुईं लेकिन डेगोस्टीनो के लिए उठना मुश्किल लगा. हैंबलिन चाहतीं, तो उन्हें वहीं छोड़ कर अपनी रेस पूरी कर सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
तस्वीर: Getty Images/I. Waltonउन्होंने डेगोस्टीनो को अपना हाथ दिया और उठने में मदद की. जब उन्होंने देखा कि डेगोस्टीनो को अब भी चलने में मुश्किल हो रही है, तो उन्होंने उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा, चलो हमें यह रेस पूरी करनी है.
तस्वीर: Reuters/P. Nobleडेगोस्टीनो को इतनी जोर से चोट लगी थी कि अब वे भाग नहीं सकती थीं. आखिरकार उनके लिए व्हीलचेयर बुलाई गयी. इस दौरान रेस चल रही थी और हैंबलिन इंसानियत का फर्ज अदा कर रही थीं.
तस्वीर: Getty Images/P. Smithअंत में दोनों एक दूसरे के गली लगीं. स्पोर्ट्समैनशिप की इस मिसाल के लिए दोनों एथलीटों की खूब तारीफ हो रही है. रेस के बाद डेगोस्टीनो ने कहा, "मैं इसे कभी नहीं भूलूंगी. 20 साल बाद जब कोई मुझसे रियो के बारे में पूछेगा, तो मैं अपनी ये कहानी सुनाऊंगी."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Sukiहैंबलिन ने पत्रकारों को बताया, "मैं गिरी और सोचने लगी, ये हो क्या रहा है? मैं जमीन पर क्यों पड़ी हूं? फिर अचानक मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा और कहा, उठो, उठो, हमें रेस खत्म करनी है. और मैंने कहा, हां, ये ओलंपिक है, रेस तो पूरी करनी ही है."
तस्वीर: Reuters/D. Grayडेगोस्टीनो और हैंबलिन रेस से पहले एक दूसरे से कभी नहीं मिली थीं. अब वे रेस हार भले ही गई हों, दिल जीतने में कामयाब हो गई हैं और उन्हें जीवन भर के लिए एक नया दोस्त मिल गया है.
तस्वीर: Getty Images/P. Smithहैंबलिन ने कहा, "मैं उनकी बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मेरे लिए ऐसा किया. वह कमाल की महिला हैं. उन्होंने मेरे लिए जो किया, अगर मैं उसका एक फीसदी भी लौटा सकूं, तो मेरे लिए बड़ी बात होगी."
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Meissner