ऑस्ट्रेलिया के सांसद ने भरी संसद में ऐलान किया कि उन्होंने न सिर्फ हाथी को मारा है बल्कि उसे पकाकर भी खाया है.
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रॉबर्ट बोरसैक के इस दावे से सनसनी मच गई है. मंगलवार को अपने भाषण में बोरसैक ने कहा, "हां मैंने ऐसा किया है. लेकिन यह सिर्फ एक बार में नहीं हुआ था." यह बात ग्रीन पार्टी के एक सांसद के एक सवाल से निकली. ग्रीन पार्टी के जर्मनी बकिंगम ने बोरसैक से पूछा था कि वह मरे हाथियों के साथ तस्वीरों में नजर आते हैं, क्या कभी उन्होंने इन्हें चखा है. तब बोरसैक ने कहा कि हां, मैंने हाथी खाया है. उन्होंने इसका स्वाद भी बताया. उन्होंने कहा, "यह हिरण के मांस जैसा ही लगता है. गले और सिर के कुछ हिस्सों को हमने टुकड़ों में काटकर तला और फिर मक्खन के साथ खाया. आहा... बहुत स्वाद था."
बोरसैक की यह कहानी कोई दस साल पुरानी है, जब वह जिम्बाब्वे में शिकार करने गए थे. उन्होंने भले ही इसे लुत्फ लेकर सुनाया लेकिन यह दावा ग्रीन पार्टी के गले नहीं उतरा. बकिंगम ने कहा, "सिर्फ आनंद के लिए किसी हाथी को गोली मार देना घिनौना है. वह इस पद के लायक नहीं हैं." आप भी विडियो देखिए और सुनिए, इन सांसद महोदय के दावे...
क्या है पशुओं की सामूहिक मौत का राज
चेतावनी: यहां दिखाई गई तस्वीरों से आप विचलित हो सकते हैं! दुनिया के कोने कोने से कई जंगली जीव जन्तुओं की सामूहिक मृत्यु की जानकारी मिल रही है. इन नाटकीय घटनाओं में से कई के कारण उतने ही संदिग्ध और रहस्यमयी बने हुए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Scorza
समुद्रवासियों की मौत
2016 में अब तक ही मछलियों की सामूहिक मौत की कम से कम 35 अलग अलग घटनाएं सामने आ चुकी हैं. तस्वीर में दिखाई गई घटना 2015 में रियो डी जेनेरो के एक तट की है जहां 33 मीट्रिक टन भार की मृत मछलियां किनारे आ लगी थीं. कारण प्रदूषण के कारण पानी में सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की कमी को बताया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Scorza
भूखे मरते समुद्री पक्षी
पिछले पूरे साल उत्तरी अमेरिका के पूरे वेस्टर्न कोस्ट इलाके में समुद्री पक्षियों के अनगिनत शव देखे गए. करीब 10,000 शवों को गिना जा सका. जब इन मौतों के पीछे किसी बीमारी या चोट का पता नहीं चल सका तो इसके लिए ग्लोबल वॉर्मिंग को जिम्मेदार माना गया. फरवरी 2016 में भी अलास्का में एक बार फिर करीब 8,000 सीबर्ड मृत पाई गई. इनका मुख्य भोजन मछली है, जो कि खुद भी मर रही हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Thiessen
कछुओं पर हर्पीज अटैक
पूरे विश्व के सबसे बड़े समुद्री कछुओं में एक खतरे में पड़ी समुद्री हरे कछुओं की प्रजाति है. उन पर जानलेवा हर्पीज वायरस ने हमला बोल दिया है. यह वायरस ना केवल कछुए की दृष्टि छीन लेते हैं बल्कि धीरे धीरे उनकी सारी गतिविधियां बंद कर देते हैं. विशेषज्ञ अभी तक इन वायरसों को फैलने से रोकने में कामयाब नहीं हो सके हैं. यहां भी प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग की अहम भूमिका हो सकती है.
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि 2015 के वसंत में ही कुल साइगा हिरणों की आधी आबादी दो हफ्तों से भी कम समय में खत्म हो गई. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रजाति क्लाइमेट चेंज से प्रभावित है और एक साल के अंदर पूरी तरह विलुप्त हो सकती है. शुक्र है कि उसके बाद से अब तक और किसी सामूहिक मृत्यु की सूचना नहीं मिली है.
तस्वीर: Imago/blickwinkel
समुद्र तट की घातक छुट्टियां
2016 की शुरुआत से ही चिली के तट पर विघटित हो रहे हैं हजारों जाएंट स्कविड के मृत शरीर. स्थानीय लोग स्वास्थ्य और सफाई के लिए चिंतित हैं, तो वैज्ञानिक इतने बड़े स्तर पर ऐसा होने को लेकर परेशान हैं. यहां भी ग्लोबल वॉर्मिंग और अल नीनो को संभावित हत्यारा माना जा रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Stringer
ड्रैकुला आपके द्वार
2015 में भारत के भोपाल में आसमान से हजारों चमगादड़ गिरे थे. इसके एक साल पहले करीब एक लाख चमगादड़ क्वीन्सलैंड ऑस्ट्रेलिया में भी मृत पाए गए थे. सड़कें, पेड़ और बाजार मरे हुए चमगादड़ों से अटे पड़े थे. ये उड़ने वाले स्तनधारी गर्मी को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं और यही उनके मरने की वजह भी समझी गई.
तस्वीर: Berlinale
व्हेलों की आत्महत्या
व्हेलें मरने से पहले खुद ही किनारों की तरफ आती हैं. लेकिन प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन इस प्रक्रिया को और तेज कर रहा है. जर्मनी, अमेरिका, न्यूजीलैंड और चिली तक से सैकड़ों व्हेलों के इस तरह मरने की खबरें आईं. 2016 में ही अब तक यूरोप के तटीय इलाकों में 29 स्पर्म व्हेलें मृत पाई जा चुकी हैं.