ढीले ब्रेस्ट को लेकर मजाक उड़ाने वालों की स्टेसी ने ली क्लास
विवेक कुमार२६ अगस्त २०१६
लोगों ने स्टेसी सोलोमन के ढीले ब्रेस्ट्स वाली बॉडी का मजाक उड़ाया तो उन्होंने लोगों की क्लास लगा दी. स्टेसी ने कहा कि मुझे अपने शरीर से प्यार है.
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टीवी स्टार और सिंगर स्टेसी सोलोमन ने उनके शरीर को लेकर उनकी आलोचना करने वालों की जमकर क्लास ली है. कुछ दिन पहले सोलोमन की एक फोटो छपी थी जिसमें वह ढीली-ढाली सी ब्रा को अडजस्ट करती नजर आ रही थीं. लोगों ने उनकी यह कहकर आलोचना की थी कि उनकी बॉडी बिकिनी लायक नहीं है.
सोलोमन की यह फोटो क्रोएशिया के इबित्सा बीच की है जहां वह अपने बच्चों के साथ छुट्टियां मना रही थीं. देखिए वीडियो...
ये फोटो जब छपे तो उनके ढीले ब्रेस्ट्स को लेकर लोग मजाक उड़ाने लगे या तानाकशी करने लगे. सोलोमन ने अपने ट्विटर पर ऐसे लोगों की जमकर क्लास ली. फिर एक टीवी शो में भी उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी शरीर पर फख्र है. ट्विटर पर अपने 14.2 लाख फॉलोअर्स से उन्होंने कहा, "मैं अपने शरीर से प्यार करती हूं. मेरे ऐसे स्तन प्रेग्नेंसी और स्तनपान की वजह से हैं और मुझे उससे प्यार है. मैं बहुत सेक्सी हूं."
सोलोमन के इस तरह खुलकर सामने आने के बाद उनके समर्थकों में भी जोश आ गया और उन्होंने भी सोलोमन के समर्थन में ट्वीट किए. एक ने लिखा, "दुनिया को ऐसे और ज्यादा ट्वीट्स चाहिए. स्टेसी, तुम शानदार हो. ऐसी शानदार और ताकतवर बनी रहो."
देखिए, बिकिनी को बिकिनी क्यों कहते हैं
70 साल की जवान बिकिनी
1946 में जब एक फ्रांसीसी इंजीनियर ने बिकिनी बनाई तो बहुत बिगड़े थे सब. बिकिनी जितना छिपाती है, उससे ज्यादा दिखाती है. 70 साल की हो गई है और दिन पर दिन जवान होती जाती है.
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चार त्रिभुज
बिकिनी क्या है. चार त्रिभुज जो धागों के सहारे लटकी रहती हैं. 5 जुलाई 1946 को पैरिस के स्विमिंग पूल में इन्हीं चार त्रिभुजों को लटकाए दिखीं. यह पहली बिकिनी थी जिसे एक इंजीनियर लुई रिआर्द ने बनाया था.
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अटॉमिक बम के बाद का धमाका
तब दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो चुका था. शीत युद्ध शुरू हो रहा था. अमेरिका साउथ पैसिफिक के बिकिनी अटॉल में परमाणु परीक्षण कर रहा था. इसी जगह के नाम पर रिआर्द ने बिकिनी को यह नाम दिया था. उन्होंने विज्ञापनों में लिखा थाः पहला एन-अटॉमिक बम.
बिकिनी रिआर्द ने बनाई जरूर थी, लेकिन यह उनकी भी ईजाद नहीं थी. रोमन सैकड़ों साल पहले ऐसा कर चुके थे. चौथी सदी के कुछ भित्तिचित्रों में बिकिनी पहने लड़कियां दिखती हैं.
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मॉडल्स की पसंद
मर्लिन मुनरो ऐक्ट्रेस बनने से पहले जब मॉडलिंग कर रही थीं तो बिकिनी ने ही उन्हें चर्चित किया था. मॉडल्स के लिए तो बिकिनी खुदा के भेजे तोहफे जैसी थी. सब इसे पहनते थे.
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हॉलीवुड का फॉर्मूला
1950 के दशक में तो हॉलीवुड फिल्मों की सफलता का फॉर्मूला बिकिनी से निकलता था. जिस फिल्म में हीरोईन बिकिनी पहनकर बीच पर नहीं भागी, वह फिल्म ही भाग जाती थी.
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बॉन्ड गर्ल्स
बिकिनी ने बॉन्ड गर्ल्स को चमकाया या बॉन्ड गर्ल्स ने बिकिनी को, कहना मुश्किल है. हां, दोनों एक दूसरे का प्रतीक और पर्याय बन गए थे. शुरुआत 1962 में उरसूला आंद्रेस ने की थी.
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कितना कपड़ा चाहिए
1963 से बिकिनी के अलग-अलग तरह के रूप नजर आने शुरू हुए. बाएं कैपरी मॉडल है और दाहिने को सिसी मॉडल कहते हैं. दोनों हैम्बर्ग में 1963 में लॉन्च हुए.
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क्रोएशिए से बुनी बिकिनी
पूर्वी जर्मनी के लोग भी बिकिनी के दीवाने थे. 1971 में एक महिला पत्रिका ने क्रोएशिए की बिकिनी की तारीफ की तो घर-घर में बिकिनी बुनी जाने लगीं. ये सस्ती भी पड़ती थीं.
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बिकिनी का विरोध
1950 के दशक में ही बिकिनी का विरोध भी शुरू हो गया था. और साथ ही शुरू हुआ कपड़े का कटना. ब्राजील में बनी स्ट्रिंग टांगा में बहुत कम कपड़ा इस्तेमाल हुआ. आजकल तो यह खूब चलती है.
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बिकिनी बॉडी
दुनिया के सबसे खूबसूरत बीच फोटोग्राफरों को खूब लुभाते हैं क्योंकि वहां बिकिनी बॉडी दिखती हैं. और बिकिनी की चाहने वाली युवतियां अपनी बॉडी को बिकिनी के लिए फिट रखने के वास्ते क्या क्या करती हैं.
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बीच वॉलीबॉल
1996 से बीच वॉलीबॉल ओलंपिक में शामिल हो गया. और इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी. वजह? बिकिनी. वैसे 2012 तक बिकिनी पहनना जरूरी था. उसके बाद यह हुआ कि जो चाहे पहनो.
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क्लासिक बिकिनी
बिकिनी शब्द का अर्थ है लैंड ऑफ कोकोनट्स यानी जहां नारियल उगते हैं. बिकिनी अटॉल में अब कोई नहीं रहता क्योंकि वहां रेडियोएक्टिव विकिरणों का प्रभाव है. लेकिन उस जगह का नाम अमर हो गया है. देखना है कि वक्त के साथ कैसे बदली बिकीनी? ऊपर जो और लिखा है, उस पर क्लिक कीजिए.