शरीर के अंदर की सैर
४ जुलाई २०१८वैकल्पिक चिकित्सा या अल्टरनेटिव मेडिसिन है क्या?
इलाज के और भी कई तरीके हैं
भारत में डॉक्टर एनएमसी विधेयक से नाराज हैं क्योंकि यह वैकल्पिक चिकित्सा को मुख्यधारा से जोड़ता है. लेकिन यह वैकल्पिक चिकित्सा या अल्टरनेटिव मेडिसिन है क्या?
एलोपैथी
भारत के अलावा शायद ही कहीं इस शब्द का इस्तेमाल होता है. आम तौर पर इसे मेनस्ट्रीम मेडिसिन कहा जाता है क्योंकि दुनिया भर में दवा से इलाज का यही तरीका स्थापित है. इसके अलावा हर तरीके को अल्टरनेटिव माना जाता है. इसमें घरेलू नुस्खे भी आते हैं और कुछ तरह की खास तकनीक भी.
आयुर्वेद
जड़ी बूटियों पर आधारित भारत का प्राचीन विज्ञान आयुर्वेद अब विदेशों में भी प्रचलित होने लगा है. भारत में कई कॉलेज हैं जहां आयुर्वेद की पढ़ाई की जा सकती है. आयुर्वेद के डॉक्टर अक्सर नाड़ी पकड़कर ही बीमारी के बारे में बता देते हैं.
नैचुरोपैथी
यह भी आयुर्वेद जैसा ही है लेकिन पश्चिम के सिद्धांतों और वहां मिलने वाली चीजों पर आधारित है. जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें नेचर यानि कुदरत पर यकीन किया जाता है. दवाओं की जगह तरह तरह के फूल पत्तों और बीजों का इस्तेमाल किया जाता है.
होम्योपैथी
जर्मनी से निकला चिकित्सा का यह तरीका आज जर्मनी से ज्यादा भारत में लोकप्रिय है. इसका सिद्धांत है कि जहर को जहर ही काटता है, इसलिए बीमारी की वजह से ही बीमारी को ठीक किया जाता है. होम्योपैथी का नाम सुनते ही चीनी की छोटी छोटी गोलियां याद आती हैं लेकिन इन गोलियों में दवा मिली होती है.
एक्यूप्रेशर
हाथों और पैरों पर कुछ खास बिंदुओं पर जोर लगाया जाता है और इससे बीमारी को ठीक किया जाता है. इस तकनीक में माना जाता है कि हाथों और पैरों से पूरे शरीर में ऊर्जा पहुंचती है. ऊर्जा के बहाव के रुकने के कारण ही इंसान बीमार होता है. इसलिए बिंदुओं पर जोर लगा कर ऊर्जा के बहाव को फिर से शुरू करना होता है.
एक्यूपंक्चर
इसका सिद्धांत भी एक्यूप्रेशर जैसा ही है, फर्क इतना है कि बिंदुओं को दबाने की जगह उनमें सुई लगाई जाती है. जोड़ों के दर्द ने निजात पाने के लिए और अवसाद में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. चीन से निकला इलाज का यह तरीका आज पश्चिम में अपनी जगह बना चुका है.
रेकी
यहां भी ऊर्जा ही केंद्र में है. रेकी में माना जाता है कि बीमारी या अवसाद शरीर में ऊर्जा के कम होने का संकेत हैं. जब शरीर में ऊर्जा की मात्रा सही होती है, तो शरीर स्वस्थ और व्यक्ति खुशमिजाज रहता है. रेकी के दौरान चिकित्सक अपने हाथों के जरिये मरीज में ऊर्जा उतारने की कोशिश करता है.
कायरोप्रैक्टिस
पारंपरिक रूप से पीठ में दर्द होने पर पहलवान के पास मालिश के लिए भेजा जाता है. कायरोप्रैक्टिकर भी कुछ ऐसे ही काम करता है. इस चिकित्सक का मुख्य काम रीढ़ की हड्डी को ठीक करना है. रीढ़ पर दबाव डाल कर वह उसे सीधा करता है और रीढ़ की मांसपेशियों के संतुलन पर ध्यान देता है.
अरोमा थेरेपी
यहां अरोमा यानि खुशबू से इलाज किया जाता है. तरह तरह के फूल पत्तों और बीजों के तेल का इस्तेमाल होता है. अक्सर इस तेल को पानी में मिला कर जलाया जाता है, जिससे मरीज खुशबू ले सके. कई बार इस तेल से मालिश भी की जाती है. सरदर्द, घबराहट और डिप्रेशन में इसका काफी फायदा देखा गया है.
कीगॉन्ग
यह एक चीनी विद्या है जो व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान और मार्शल आर्ट्स का मिश्रण है. यह आध्यात्म से भी जुड़ा है और माना जाता है कि कीगॉन्ग के सही इस्तेमाल से मरीज खुद ही अपना इलाज कर सकता है.