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रूस ने टेस्ट की न्यूक्लियर पावर मिसाइल

६ अक्टूबर २०२३

बीते दो दिनों में रूस से आए बयान बताते हैं कि परमाणु परीक्षण के क्षेत्र में हालात और पेचीदा हो सकते हैं. गुरुवार को ही पुतिन ने नई परमाणु मिसाइल बनाने की जानकारी दी थी.

Scharfe Kritik am Westen: Putin will "eine neue Welt errichten
तस्वीर: Grigory Sysoyev/AFP

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की संभावना जताने के बाद शुक्रवार को रूस ने संकेत दिया कि वह 'व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि' (CTBT) का अनुमोदन रद्द करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.

1962 में क्यूबा मिसाइल संकट के बाद से आज अमेरिका और रूस के बीच तनाव सबसे उच्च स्तर पर है. ऐसे में रूस या अमेरिका या दोनों ही देशों का परमाणु परीक्षण शुरू करना बहुत अस्थिर करने वाला होगा.

पुतिन ने गुरुवार को कहा कि रूस के परमाणु सिद्धांत को अपडेट करने की जरूरत नहीं है. हालांकि, वह अभी यह कहने को तैयार नहीं है कि रूस को परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की जरूरत है या नहीं.

तस्वीर: Mikhail Metzel/Pool Sputnik Kremlin/AP/picture alliance

किन बयानों से लगाया जा रहा अनुमान

पुतिन ने कहा कि रूस को CTBT का अनुमोदन रद्द करने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि अमेरिका ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इसे अंगीकार नहीं किया है. पुतिन के यह कहने के कुछ ही घंटों के भीतर रूस के एक वरिष्ठ सांसद वीचेसलाव वोलोदीन ने कहा कि विधायिका के प्रमुख लोग संधि पर रूस का समर्थन रद्द करने की जरूरत पर तेजी से विचार करेंगे.

संसद में स्पीकर वोलोदीन ने कहा, "दुनिया में हालात बदल गए हैं. अमेरिका और बेल्जियम ने हमारे देश के खिलाफ जंग छेड़ दी है. 'स्टेट डूमा काउंसिल' की अगली बैठक में हम निश्चित रूप से CTBT से अपनी सहमति रद्द करने के मुद्दे पर बात करेंगे."

पुतिन के बाद वोलोदीन के बयान से अनुमान लगाया जा रहा है कि रूस इस संधि से बाहर आने का मन बना चुका है. यह संधि कहीं भी, किसी के भी द्वारा परमाणु विस्फोट या हथियारों के लिए परमाणु परीक्षण करने पर प्रतिबंध लगाती है. रूस के पास परमाणु हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा जखीरा है, जो इसे सोवियत संघ से विरासत में मिला है.

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तस्वीर: The State Duma/Russian Federation/AP/picture alliance

संधि से पहले और बाद में हुए परीक्षण

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 1945 से 1996 में संधि होने तक दो हजार से ज्यादा परमाणु परीक्षण किए गए थे. इनमें से 1,032 अमेरिका ने और 715 सोवियत संघ ने किए थे. सोवियत संघ ने अपना आखिरी परीक्षण 1990 में अमेरिका ने 1992 में किया था.

CTBT संधि के बाद से अब तक 10 परमाणु परीक्षण किए जा चुके हैं. दो परीक्षण भारत ने 1998 में किए थे. पाकिस्तान ने भी उसी साल दो परमाणु परीक्षण किए थे. वहीं संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक उत्तर कोरिया ने 2006, 2009, 2013, 2016 में दो और फिर 2017 में एक परीक्षण किया था.

पुतिन ने गुरुवार को बताया कि रूस ने परमाणु ऊर्जा से संचालित और परमाणु क्षमता से लैस क्रूज मिसाइल 'ब्यूरवेस्टनिक' का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. पुतिन ने इस मिसाइल की क्षमताओं को बेजोड़ बताया है.

तस्वीर: AP

इतनी अहम क्यों है यह मिसाइल

ब्यूरवेस्टनिक का अंग्रेजी में अर्थ 'स्टॉर्म पेट्रोल' होता है. यह जमीन से लॉन्च की जाने, कम ऊंचाई पर उड़ने वाली क्रूज मिसाइल है, जो न सिर्फ परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है, बल्कि यह परमाणु ऊर्जा से चलती है. पुतिन ने मार्च 2018 में पहली बार इस प्रोजेक्ट का खुलासा किया था.

2020 में अमेरिकी वायु सेना के 'नेशनल एयर ऐंड स्पेस इंटेलिजेंस सेंटर' ने कहा था कि अगर रूस ब्यूरवेस्टनिक को सफलतापूर्वक तैयार कर लेता है, तो इससे रूस को 'अंतरमहाद्वीपीय रेंज की क्षमता वाला एक अनूठा हथियार' मिल जाएगा. वहीं गुरुवार को पुतिन ने बताया कि रूस ने ब्यूरवेस्टनिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है.

इसका न्यूक्लियर प्रोपल्शन मिसाइल को पारंपरिक टर्बोजेट या टर्बोफैन इंजन के मुकाबले ज्यादा दूर जाने की सुविधा देता है. मिसाइल कितनी दूर जाएगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितना ईंधन ले जा सकती हैं.

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तस्वीर: Mikhail Metzel/Sputnik via REUTERS

अमेरिका भी होगा निशाने पर?

'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज' ने 2021 में रूस की एक खास सैन्य पत्रिका के हवाले बताया था कि ब्यूरवेस्टनिक की अनुमानित सीमा 20 हजार किलोमीटर तक होगी. ऐसे में इसे रूस में कहीं भी स्थापित किया जा सकता है और अमेरिका तक निशाना लगाया जा सकता है.

इसी पत्रिका में यह भी लिखा गया था कि मिसाइल की अनुमानित ऊंचाई महज 50 से 100 मीटर होगी, जो पारंपरिक क्रूज मिसाइलों की ऊंचाई से कहीं कम है. इससे एयर-डिफेंस रडार के लिए इस मिसाइल का पता लगाना मुश्किल हो जाएगा.

इस मिसाइल के निर्माण में इसकी न्यूक्लियर प्रोपल्शन यूनिट तैयार करना सबसे बड़ी तकनीकी चुनौती थी. इस पर हुए प्रयोग कई बार विफल हुए. 2019 में श्वेत सागर में एक प्रयोग के दौरान विस्फोट होने से कम से कम पांच रूसी परमाणु विशेषज्ञ मारे गए थे और विकिरण का उत्सर्जन भी हुआ था. अमेरिका खुफिया सूत्रों ने संदेह जताया था कि ब्यूरवेस्टनिक के परीक्षण का हिस्सा था.

तस्वीर: Adam Schultz/The White House/CNP/picture alliance

लंबे समय से चल रही थी कयासबाजी

पश्चिमी विशेषज्ञ लंबे समय से सवाल उठाते रहे हैं कि क्या यह मिसाइल कभी रूस के बेड़े में शामिल भी होगी. एक गैर-लाभकारी सुरक्षा संगठन 'न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव' ने 2019 में अनुमान लगाया था कि इस मिसाइल की तैनाती में एक दशक का समय लग सकता है.

'न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव' ने कहा था कि ब्यूरवेस्टनिक का न्यूक्लियर प्रोपल्शन मिसाइल को जरूरत पड़ने पर कई दिनों तक हवा में रहने में सक्षम बना सकता है. रिपोर्ट में कहा गया, "संचालन की बात करें, तो ब्यूरवेस्टनिक परमाणु हथियार ले जाएगी, कम ऊंचाई पर दुनिया का चक्कर लगाएगी, मिसाइल-डिफेंस को चकमा देगी और हथियारों को मुश्किल से पता चलने वाली जगहों पर गिराएगी."

सांकेतिक तस्वीरतस्वीर: Russian Defense Ministry Press Service/AP/picture alliance

ब्यूरवेस्टनिक और रूस के अन्य नए रणनीतिक तंत्र विकसित करना नई START संधि के लिए किसी भी रिप्लेसमेंट पर रूस और अमेरिका के बीच बातचीत को पेचीदा बना सकता है. यह संधि किसी भी पक्ष द्वारा तैनात किए जा सकने वाले परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करता है. इस समझौते का भविष्य अधर में है, क्योंकि फरवरी में रूस ने अपनी भागीदारी निलंबित कर दी थी और यह 2026 में समाप्त होने वाली है.

पुतिन ने यह नहीं बताया कि मिसाइल का नवीनतम परीक्षण कब हुआ, लेकिन अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने आर्कटिक में रूस बेस पर विमानों और वाहनों की गतिविधियों के आधार पर सोमवार को रिपोर्ट छापी कि यह परीक्षण हाल ही में हुआ हो सकता है.

वीएस/ओएसजे (रॉयटर्स)

 

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