नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के पास रहने वाले सैकड़ों जानवरों को मंदिर आने वाले श्रद्धालु खाना खिला देते थे, लेकिन तालाबंदी की वजह से अब उन्हें कोई खाना खिलाने वाला नहीं है. हालांकि अब कुछ लोगों ने इन जानवरों की सुध ली है.
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नेपाल में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तालाबंदी लागू है. देश की राजधानी काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के पास रहने वाले सैकड़ों जानवरों की भूख को दूर करने के लिए कुछ लोग सामने आए हैं. इन लोगों में कुछ वॉलंटियर्स, कुछ गार्ड और दर्जनभर कर्मचारी शामिल हैं. ये लोग हर सुबह जानवरों को खाना परोसते हैं. कोरोना वायरस के फैलने और तालाबंदी के पहले तक पशुपतिनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालु ही इन जानवरों का ख्याल रखते थे, तालाबंदी की वजह से लोग अब घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं और मंदिर भी बंद है. हालत यह हो गई थी कि जानवर भूखे मर रहे थे.
पशुपतिनाथ विकास ट्रस्ट के अधिकारी प्रदीप ढकल कहते हैं, "हमारी कोशिश है कि जानवर भूखे ना रहें और उनका ध्यान रखा जाए." पशुपतिनाथ विकास ट्रस्ट मंदिर और उसके आस पास की देखरेख करता है. नेपाल में 24 मार्च को तालाबंदी लागू हुई, जिसके बाद सभी फ्लाइट्स, सड़क परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया, सभी बाजार बंद कर दिए गए और स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी दे दी गई. तालाबंदी के पहले तक मंदिर आने वाले श्रद्धालु गाय को खाना खिलाते आए थे. हिंदू धर्म में गाय पवित्र मानी जाती है. मंदिर परिसर में रहने वाले बंदरों को भी श्रद्धालु खाना परोसते थे.
मंदिर के रास्ते पर गाय खड़ी हैं और बंदर मंदिर के बगल में पहाड़ों में आजादी के साथ घूम रहे हैं. बागमती नदी के किनारे मक्के के दाने डाले गए हैं ताकि कबूतरों को भूखा ना रहना पड़े. वॉलंटियर्स दस्ताने और मास्क के साथ बंदरों को बारी-बारी से भोजन दे रहे हैं और बंदर भी कतार में लगकर भोजन का इंतजार कर रहे हैं. जानवरों के लिए भोजन तैयार करने में चार से छह बोरी अनाज की जरूरत पड़ती है. निवेश दुगर कहते हैं कि बंदरों ने वॉलंटियर्स पर हमला नहीं किया है, लेकिन उसी दौरान एक बड़ा बंदर खाने के थैले को झपट लेता है. पर्यावरण इंजीनियर दुगर कहते हैं, "हमारी कोशिश है कि जानवर किसी तरह से जीवित रहें." कोरोना वायरस के संकट के समय में तरह तरह की खबरें आ रही हैं. अधिकतर खबरें नकारात्मक हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दया और बलिदान दिखा रहे हैं.
एए/सीके (एपी)
कोरोना की जद में कौन कौन से जीव
हाल के शोध में पता चला है कि नेवला और बिल्ली प्रजाति के जीव कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. दोनों ही वायरस को आगे भी फैला सकते हैं.
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कौन कौन सी प्रजातियां मुश्किल में
चीन के हार्बिन वेटेरिनैरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के शोध में इस बात की पुष्टि हुई कि बिल्ली प्रजाति के जीव कोविड-19 को आगे फैला सकते हैं. यह शोध पत्र 31 मार्च को साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
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घबराने की जरूरत नहीं
लेकिन बिल्ली पालने वालों को डरने की जरूरत नहीं है. बिल्लियां बहुत तेजी से कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी बना लेती हैं और उनमें यह संक्रमण ज्यादा दिन तक नहीं टिकता है. लेकिन बुजुर्गों को इस वक्त बिल्लियों से दूर रहना चाहिए. स्वस्थ लोगों को भी बिल्ली को दुलारने के बाद हाथ अच्छे से धोने की सलाह दी गई है.
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सुरक्षित हैं कुत्ते
हांग कांग में एक कुत्ते के कोविड-19 से संक्रमित होने के बावजूद चिंता की बात नहीं है. वैज्ञानिकों के मुताबिक कोविड-19 कु्त्ते के शरीर में अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाता है. इसीलिए कुत्ते के साथ खेलने में कोई परेशानी नहीं हैं.
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कौन किसे इंफेक्ट कर रहा है?
इटली की राजधानी रोम में घूमने का आनंद ले रहा यह एक पालतू सुअर हैं. कोरोना वायरस के दौर में सूअर और कुत्ते को एक दूसरे से डरने की जरूरत नहीं है. पशु विज्ञानियों के मुताबिक सूअर के शरीर में भी कोरोना वायरस के लिए कोई कमजोर कोना नहीं है.
तस्वीर: Reuters/A. Lingria
मुसटेलेडाई प्रजाति मुश्किल में
नेवला, बिज्जू और गिलहरी जैसे मुसटेलेडाई प्रजाति के जीवों में भी कोविड-19 वायरस अपनी संख्या बढ़ाता है. इन जीवों के श्वसन तंत्र से छोटी छोटी बूंदों के जरिए यह वायरस फैलता है. बिल्लियों और नेवलों के गले से लिए गए नमूनों में इसका सबूत भी मिला. लेकिन दोनों ही प्रजातियों में इंफेक्शन फेफड़ों तक नहीं पहुंचा.
वुहान के बाजार में फिर से मुर्गियां बिकने लगी हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक मुर्गियों से इंसान को कोई खतरा नहीं है. वुहान के ही वाइल्ड एनिमल मीट मार्केट में दिसंबर 2019 में पहली बार कोविड-19 सामने आया. मुर्गी, बत्तख और अन्य पक्षी इस वायरस से सुरक्षित हैं.
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इंसान ही खतरा बना
कोविड-19 के मामले में तो अब इंसान ही जानवरों के लिए बड़ा खतरा बन गया है. न्यूयॉर्क के ब्रांक्स जू में एक बाघिन इंसान के चलते कोविड-19 से संक्रमित हुई. नेशनल जियोग्राफिक पत्रिका से बात करते हुए जू के मुख्य चिकित्सक ने इसे इंसान से जंगली जानवर में इंफेक्शन का पहला मामला बताया.
तस्वीर: Reuters/WCS
चमगादड़ों पर गलत आरोप?
अभी तक यही कहा जाता है कि कोविड-19 वायरस चमगादड़ों में होता है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस की चमगादड़ से इंसान तक की यात्रा के बीच में और भी कुछ जीव शामिल हुए हैं. हो सकता है कि ये बिल्लियां हों या नेवले या बिज्जू.