दुनियाभर में मौसमी आपदाओं की वजह से इस साल 170 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है. करोड़ों लोगों को प्रभावित करने वाली आगजनी, तूफान, चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं ने दुनिया के हर महाद्वीप में अपना असर दिखाया है.
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साल 2021 की 10 बड़ी मौसमी आपदाओं में 170 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ है. ब्रिटेन की चैरिटेबल संस्था क्रिश्चियन ऐड के मुताबिक, ये आंकड़ा बीते साल के मुकाबले 20 अरब डॉलर बढ़ा है. क्रिश्चियन ऐड ने आगजनी, बाढ़, तूफान, सूखा और गर्म हवाओं जैसी मौसमी आपदाओं से हुए आर्थिक नुकसान के ये आंकड़े बीमा राशि के आधार पर गिने हैं. यानी असल आर्थिक नुकसान के आंकड़े इससे भी बड़े हैं. क्रिश्चियन ऐड का कहना है कि बढ़ती मौसमी आपदाएं इंसानी दखल से जलवायु में हो रहे परिवर्तनों को दिखाती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की 10 बड़ी आपदाओं में 1075 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और 13 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.
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अमेरिका में हरिकेन
अमेरिका के पूर्वी हिस्से अगस्त 2021 में इडा हरिकेन से बुरी तरह प्रभावित हुए थे. ये इस साल की सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान करने वाली मौसमी आपदा थी, जिसमें करीब 65 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. हरिकेन इडा से न्यूयॉर्क शहर समेत आसपास के इलाके में पानी भर गया था और 95 लोगों की मौत हो गई थी. अमेरिका के ही टेक्सस प्रांत में फरवरी 2021 में सर्द तूफान आया था, जिसने बड़े स्तर पर बिजली का संकट पैदा कर दिया था. इससे करीब 23 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था.
जुलाई 2021 में मध्य और पश्चिमी यूरोप के कई हिस्सों में बाढ़ आई थी. अकेले जर्मनी में बाढ़ से 240 लोगों की मौत हुई थी और करीब 43 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. इसी समय जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड्स, बेल्जियम जैसे देशों में सामान्य से कहीं ज्यादा बारिश हुई थी. वैज्ञानिक वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को इस बाढ़ का कराण मानते हैं.
कठोर मौसम और संघर्ष से बढ़ रहा विस्थापन
आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र और नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल की संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं ने लाखों लोगों को देश के अंदर विस्थापित होने को मजबूर किया. यह संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है.
तस्वीर: DW/S. Tanha
कोरोना काल में भी विस्थापन
डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (आईडीएमसी) और नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) की रिपोर्ट कहती है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने लिए आवाजाही पर प्रतिबंध के बावजूद आंतरिक विस्थापन हुआ. पर्यवेक्षकों को उम्मीद थी कि पाबंदियों से आंतरिक विस्थापन कम होगा.
तस्वीर: picture-alliance/AA/M. Abdullah
हिंसा, संघर्ष और प्राकृतिक आपदा
आईडीएमसी और एनआरसी की संयुक्त रिपोर्ट कहती है कि साल 2020 में तीव्र तूफानों, लगातार संघर्षों और हिंसा की घटनाओं के कारण देशों के भीतर कुल साढ़े चार करोड़ नए विस्थापन हुए.
तस्वीर: DW
नए विस्थापित
रिपोर्ट में बताया गया कि 10 सालों में विस्थापितों की यह रिकॉर्ड संख्या है. दुनिया भर में आंतरिक रूप से विस्थापन में रहने वालों की कुल संख्या साढ़े पांच करोड़ हो गई है.
तस्वीर: Alfredo Zuniga/AFP
"अभूतपूर्व संकट"
आईडीएमसी की निदेशक एलेक्जेंड्रा बिलाक कहती हैं, "इस साल दोनों संख्या असामान्य रूप से अधिक थी." वह इसे "अभूतपूर्व" बताती हैं. आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या बतौर शरणार्थी अब देश छोड़कर गए 2.6 करोड़ लोगों से दोगुनी हो गई है.
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एशिया और प्रशांत के क्षेत्र प्रभावित
एशिया और प्रशांत के घनी आबादी वाले क्षेत्र तीव्र चक्रवात, मानसून की बारिश और बाढ़ से प्रभावित हुए थे, जबकि अटलांटिक तूफान का मौसम "रिकॉर्ड पर सबसे अधिक सक्रिय था." रिपोर्ट के मुताबिक, "मध्य पूर्व और उप-सहारा अफ्रीका में विस्तारित बारिश के मौसम ने लाखों और लोगों को विस्थापित किया."
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भविष्य में विस्थापन बढ़ेगा?
आईडीएमसी की निदेशक एलेक्जेंड्रा बिलाक कहती हैं, "भविष्य में हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के साथ इन आपदाओं के बारंबार आने और तीव्र होने की उम्मीद कर सकते हैं, इस वजह से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ सकती है."
आंतरिक रूप से विस्थापित लोग अक्सर प्राकृतिक आपदा के तुरंत बाद घर लौट जाते हैं, लेकिन आंतरिक विस्थापन में रहने वाले अधिकांश लोग युद्ध ग्रस्त क्षेत्रों से भागते रहते हैं क्योंकि उनके लिए लौटना अभी भी असुरक्षित है.
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नई-नई जगह से विस्थापन
सीरिया, अफगानिस्तान और डीआर कांगो में लंबे समय से जारी संघर्ष के कारण लोग अपने घरों को छोड़ ही रहे हैं लेकिन अब इथियोपिया, मोजाम्बिक और बुरकिना फासो में हिंसा लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है.
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आर्थिक नुकसान
जलवायु परिवर्तन ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में गंभीर मौसम की स्थिति पैदा कर दी है. मौसम की यह स्थिति कम नहीं हो रही बल्कि लगातार बढ़ रही है. पिछले साल, ऑस्ट्रेलिया ने अत्यधिक गर्मी के कारण जंगल की आग में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी, तूफान की संख्या में भी वृद्धि हुई है और इससे कई देशों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है.
तस्वीर: Reuters/
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एशिया में चक्रवात
एशिया में मौसमी आपदाओं से 24 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. मई 2021 में भारत और बांग्लादेश ने यास चक्रवात का सामना किया था. इससे कुछ ही दिनों में 3 अरब डॉलर का नुकसान हो गया था. इस आपदा की वजह से विस्थापन का बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया था. करीब 12 लाख लोगों को तटीय इलाकों से सुरक्षित इलाकों की ओर ले जाना पड़ा था.
चीन में आई बाढ़ ने 17.6 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान किया था. मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ से 302 लोगों की मौत भी हुई थी. हेनान प्रांत की राजधानी जेंगजाओ में सिर्फ तीन दिन में पूरे साल जितना पानी बरस गया था. भयंकर बाढ़ से यहां का भूमिगत यातायात जलमग्न हो गया था.
इसके अलावा कनाडा में भी बाढ़ से काफी नुकसान हुआ था. फ्रांस में शीतलहर से अंगूरों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था. इस रिपोर्ट ने माना है कि "जुटाए गए आंकड़ों का प्राथमिक आधार बीमा क्लेम की राशि के आंकड़े ही हैं. इसलिए बेहतर बीमा व्यवस्था वाले समृद्ध देशों के नुकसान का मोटामोटी अंदाजा लगाया जा सका है. पिछड़े देशों में हुए आर्थिक नुकसान का सही अंदाजा लगाना मुश्किल है. जैसे कि दक्षिण सूडान में, जहां 8 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए, लेकिन आंकड़ों में आर्थिक नुकसान स्पष्ट नहीं है."
रिपोर्ट के मुताबिक, मौसमी आपदाओं का बड़ा नुकसान पिछड़े देशों को सहना पड़ा है, जबकि जलवायु परिवर्तन में उनका नाममात्र योगदान है. लगभग हर साल चक्रवात और बाढ़ की मार सहने वाले बांग्लादेश में क्रिश्चियन ऐड की अधिकारी नुसरत चौधरी ने कहा कि साल 2022 में, खतरे की दहलीज पर खड़े देशों की ओर से आपदा में होने वाले नुकसान और तबाही का खर्च वहन करने के लिए नया फंड बनाने की मांग एक वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए.
आरएस/एए (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन, एएफपी)
10 आपदाएं जो जलवायु परिवर्तन की वजह से आईं
आग हो या बाढ़, शीत लहर हो या टिड्डियों का हमला, विशेषज्ञों का कहना है कि मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन दुनिया के मौसम पर कहर बरपा रहा है. देखिए पिछले दो सालों में कैसी कैसी आपदाएं आईं.
तस्वीर: Ethan Swope/AP Photo/picture alliance
जंगली आग
इसी साल गर्मियों में ग्रीस में गर्मी की ऐसी लहर देखी गई जैसी पहले कभी नहीं आई. उसकी वजह से घातक जंगली आग फैल गई जिसने करीब 2,50,000 एकड़ जंगलों को जला कर राख कर दिया. अल्जीरिया और तुर्की में तो आग से करीब 80 लोग मारे गए. इटली और स्पेन में भी आग का प्रकोप देखा गया.
तस्वीर: NICOLAS ECONOMOU/REUTERS
रिकॉर्ड-तोड़ गर्मी
जून में पश्चिमी कनाडा और उत्तर पश्चिमी अमेरिका में अभूतपूर्व गर्मी देखी गई. ब्रिटिश कोलंबिया के लिट्टन शहर में पारा 49.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया जो कि एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड था. वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) विज्ञान संघ का कहना था कि इस तरह की रिकॉर्ड-तोड़ गर्मी मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन के बिना "वास्तव में असंभव" थी.
तस्वीर: Jeff McIntosh/empics/picture alliance
घातक बाढ़
जुलाई में जर्मनी में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ में 165 लोग मारे गए. स्विट्जरलैंड, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया और बेल्जियम में भी बाढ़ का प्रकोप रहा और 31 लोग मारे गए. डब्ल्यूडब्ल्यूए ने कहा कि धरती के लगातार गर्म होने की वजह से इस तरह की भीषण बारिश की संभावना बढ़ जाती है.
तस्वीर: David Young/dpa/picture alliance
चीन में तबाही
जुलाई में ही चीन में भी बाढ़ की तबाही देखी गई. केंद्रीय शहर जेनजाउ में एक साल के बराबर की बारिश बस तीन दिनों में हो जाने के बाद ऐसी बाढ़ आई कि उसमें 300 से भी ज्यादा लोग मारे गए. कई लोग तो सुरंगों और सबवे ट्रेनों में अचानक बढ़े पानी में डूब कर ही मर गए.
तस्वीर: Wang Zirui/Costfoto/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया में भी बाढ़
मार्च में पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में भारी बारिश के बाद ऐसी बाढ़ आई जो दशकों में नहीं देखी गई थी. कई दिनों तक लगातार हुई बारिश की वजह से देश की नदियों में पानी का स्तर 30 सालों में सबसे ऊंचे स्थान पर पहुंच गया. हजारों लोगों को बाढ़ ग्रस्त इलाकों से दूर भागना पड़ा.
तस्वीर: Dan Himbrechts/VAAP/imago images
फ्रांस में शीत लहर
बसंत में फ्रांस में आई शीत लहर ने देश के लगभग एक तिहाई अंगूर के बागीचों को नष्ट कर दिया, जिनसे करीब 2.3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. डब्ल्यूडब्ल्यूए के मुताबिक जलवायु परिवर्तन ने इस ऐतिहासिक ठंड की संभावना को 70 प्रतिशत बढ़ा दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Desmazes
अमेरिका में तूफान
अगस्त में इदा तूफान ने उत्तरपूर्वी अमेरिका में भारी तबाही फैलाई. कम से कम 100 लोग मारे गए और करीब 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. अमेरिका के छह सबसे ज्यादा नुकसानदायक तूफानों में से चार पिछले पांच सालों में ही आए हैं.
तस्वीर: Sean Rayford/AFP/Getty Images
टिड्डियों का हमला
जनवरी 2020 में पूर्वी अफ्रीका में अरबों टिड्डियों ने इतनी फसलें तबाह कीं कि इलाके में खाद्य संकट का खतरा पैदा हो गया. विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में टिड्डियों के जन्म के पीछे भी जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली चरम मौसम की घटनाएं ही हैं.
तस्वीर: Yasuyyoshi Chiba/AFP/Getty Images
अफ्रीका में बाढ़
अक्टूबर 2019 में भारी बारिश की वजह से सोमालिया में हजारों लोग विस्थापित हो गए, दक्षिणी सूडान में पूरे के पूरे शहर जलमग्न हो गए और केन्या, इथियोपिया और तंजानिया में बाढ़ और भूस्खलन में दर्जनों लोग मारे गए.
तस्वीर: Reuters/A. Campeanu
अमेरिका में सूखा
अमेरिका के पश्चिमी हिस्सों में आए 500 साल में सबसे बुरे सूखे का प्रकोप जारी है. 'साइंस' पत्रिका में छपे एक अध्ययन के मुताबिक ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से सूख के ये हालात दशकों तक जारी रह सकते हैं. -सीके/एए (एएफपी)