जिस शिद्दत से विमान बनाने वाली कंपनियां और एयरलाइंस चाहती हैं कि मोटापा खत्म हो जाए, कोई अन्य उद्योग शायद ही इस समस्या के बारे में इतनी शिद्दत से सोचता होगा.
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दुनिया की कई दवा बनाने वाली कंपनियां मोटापा कम करने के लिए दवाएं खोजने और बनाने में लगी हैं. वजन घटानापूरा एक उद्योग क्षेत्र है और दवा कंपनियां उस क्षेत्र के विस्तृत बाजार को भुनाने में लगी हैं. इसके लिए अरबों डॉलर खर्च किये जा रहे हैं.
एयरपोर्ट पर जब्त हुई अजीब सी चीजें
जर्मनी के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट से बीते साल 60 करोड़ से ज्यादा लोगों ने उड़ान भरी. इस दौरान यात्रियों के सामान की कस्टम अधिकारियों ने जांच भी की. देखिये जांच में कैसी कैसी गैरकानूनी चीजें मिलीं.
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छुरा
हर दिन फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट में गैरकानूनी छुरे बरामद होते हैं. ऐसे छुरे जर्मनी के हथियार नियंत्रण कानून का उल्लंघन करते हैं.
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नकली सामान
कस्टम अधिकारियों का सबसे ज्यादा सामना नकली सामान से होता है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों ने रिबॉक कंपनी का नकली जूता पेश किया.
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नकली नेल कटर
एयरपोर्ट में जब बड़े पैमाने पर नेल कटर मिलने लगे तो अधिकारियों को शक हुआ. जांच में पता चला कि चाकू और कई तरह के छोटे औजार बनाने की एक्सपर्ट जर्मन कंपनी की नकल हो रही है. उसके नाम का इस्तेमाल कर नकली सामान बनाया जा रहा है.
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असली हाथी दांत
हाथी दांत की बनी चीजें खरीदना वॉशिंगटन संधि के खिलाफ है. संधि के मुताबिक खतरे में बड़ी प्रजातियों का अंतरराष्ट्रीय कारोबार नहीं होगा. लेकिन इसके बावजूद एयरपोर्ट पर असली हाथी दांत की बनी चीजें बरामद होती हैं.
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इलेक्ट्रॉनिक पल्स लाइटर
इलेक्ट्रॉनिक पल्स सिगरेट लाइटर में बहुत ज्यादा करंट होता है. सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए कस्टम अधिकारी इन्हें जब्त कर लेते हैं.
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फर्जी लेगो
लेगो के खिलौने दुनिया भर में मशहूर हैं. लेकिन इन खिलौनों की चीन में नकली कॉपियां भी खूब बनाई जाती हैं. यूरोप तक पहुंचने के चक्कर में नकली खिलौने अक्सर पकड़े भी जाते हैं.
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लिफाफों में गोलियां
हथियारों के तस्कर जबरदस्त पैकिंग कर डाक के जरिये गोलियां भेजने की खूब कोशिश करते हैं. लेकिन अक्सर ये कोशिशें कस्टम अधिकारियों से बच नहीं पातीं.
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इन कोशिशों की ओर एयरलाइंस और विमान बनाने वाली कंपनियां बहुत उम्मीद से देख रही हैं क्योंकि लोग पतले हो जाएं तो इन कंपनियों का मुनाफा कई गुना बढ़ सकता है. हाल ही में फाइनैंस कंपनी जेफरीज ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया कि अगर यात्रियों का औसत वजन 4.5 किलो घट जाए तो अमेरिका की युनाइटेड एयरलाइंस को सालाना आठ करोड़ डॉलर की बचत होगी.
जेफरीज के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाली फाइनैंशल एनालिस्ट शीला कायाग्लू ने मोटापा घटाने वाली दवाओं के लाभार्थियों पर शोध किया है. वह कहती हैं कि ऐसी दवाओं का बाजार 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा का हो सकता है और इस दशक के अंत तक इन दवाओं की बिक्री में भारी उछाल आ सकता है.
क्यों है वजन को लेकर चिंता
यात्रियों का वजन विमान कंपनियों के लिए एक बड़ी चिंता है क्योंकि विमान में जितना ज्यादा वजन होता है, वह उतना ही ज्यादा ईंधन प्रयोग करता है. ईंधन और मजदूरी विमान कंपनियों के लिए दो सबसे बड़े खर्चे हैं. इसमें सिर्फ ईंधन पर खर्च कुल लागत का 25 फीसदी है.
कितना मुश्किल है एयर होस्टेस का काम?
खूबसूरत, छरहरी और मृदुभाषी - ऐसी ही ग्लैमरस तस्वीर उभरती है ना एयरहोस्टेस के नाम पर. लेकिन एयर होस्टेस का काम उतना आसान नहीं होता है.
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कुछ साल पहले एयर इंडिया ने अपने कुल 3,500 केबिन क्रू कर्मियों में से करीब 600 को छह महीने के अंदर वजन कम करने का निर्देश दिया था. उनमें से करीब 130 को निर्धारित बीएमआई से ऊपर पाने पर क्रू से हटाने का निर्णय लिया गया था.
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केबिन क्रू के फिट न होने से किसी एमरजेंसी की स्थिति में उन्हे फ्लाइट में अपनी ड्यूटी ठीक ढंग से निभाने में परेशानी हो सकती है. इससे यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती है.
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नागरिक उड्डयन महानिदेशालय केबिन क्रू के लिए बॉडी मास इंडेक्स और स्वास्थ्य संबंधी मानक तय करता है. अगर फ्लाइट अटेंडेंट का बीएमआई यानि शरीर के भार और कद के बीच का अनुपात निर्धारित पैमाने से बाहर निकले तो उन्हें उड़ान भरने की मनाही हो सकती है.
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ऐसा पहली बार नहीं है कि एयर इंडिया ने अपने केबिन क्रू के किसी सदस्य को मोटापे के कारण हवाई जहाज पर ड्यूटी से हटाया हो. 2009 में भी ऐसे 10 फ्लाइट अटेडेंट्स को ज्यादा वजन के कारण ही केबिन ड्यूटी से हटाया गया था.
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चीन की इस एयरलाइन में अटेंडेंट सीट बेल्ट बांधने और दूसरी कई सुरक्षा संबंधी जानकारी देती हुई. बजट कही जाने वाले सस्ते हवाई टिकटों वाले एयरलाइंस में भी भले ही मुफ्त खाना ना मिले लेकिन केबिन क्रू तो होता ही है.
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लंबी दूरी की यात्राओं में केबिन क्रू को भी काफी लंबी शिफ्टें करनी पड़ती हैं. अटेंडेंट्स को नींद की कमी और कई कई दिनों तक घर से दूर रहना पड़ता है. कई बार हवाई जहाज में ही क्रू को किसी यात्री की तबीयत खराब होने जैसी मेडिकल एमरजेंसी का सामना करना पड़ता है.
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यात्रियों को उड़ान संबंधी सुरक्षा जानकारी देना और पूरी यात्रा के दौरान उनकी सुविधा का ख्याल रखना इनकी मुख्य जिम्मेदारियां हैं. इसके अलावा फ्लाइट अटेंडेंट्स को हर समय आपातकाल में तेज प्रतिक्रिया के लिए भी तैयार रहना पड़ता है.
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यात्रियों के लिए हमेशा तरोताजा और मुस्कुराने वाले फ्लाइट अटेंडेंट्स को इन सब मुश्किलों के बावजूद अपनी सुंदरता, सेहत और फिटनेस का अच्छी तरह ध्यान रखना होता है.
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इस खर्च को कम करने के लिए एयरलाइंस ने कई तरह के नुस्खे आजमाए हैं. मसलन, यात्रियों के सामान की वजन सीमा कम की गयी है. पत्रिकाएं हटायी गयी हैं. बर्तनों और विमान में खाना बांटने के दौरान इस्तेमाल होने वाली कार्ट का वजन कम किया गया है.
जेफरीज की रिपोर्ट कहती है कि अगर यात्रियों का औसत वजन 4.5 किलो कम हो जाए तो हर युनाइटेड फ्लाइट 800 किलोग्राम से ज्यादा हल्की हो जाएगी. इससे सालाना 276 गैलन तेल की बचत होगी. 2023 में ईंधन का औसत दाम 2.89 अमेरिकी डॉलर प्रति गैलन रहा है. इस हिसाब से युनाइटेड को हर साल आठ करोड़ डॉलर बचेंगे.
अपनी रिपोर्ट में कायाग्लू लिखती हैं, "सभी एयरलाइंस को इसी तरह का लाभ पहुंचेगा.” मसलन, ऑस्ट्रेलियाई एयरलाइंस ने पिछले महीने कहा कि उसकी ईंधन लागत 20 करोड़ डॉलर से ज्यादा बढ़ सकती है और अगर ईंधन की कीमतें इसी तरह ऊंची रहती हैं तो किराये बढ़ाने पड़ सकते हैं.
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खतरनाक स्तर पर बढ़ता मोटापा
अमेरिका के ब्यूरो ऑफ ट्रांसपोर्टेशन स्टैटिस्टिक्स एंड एयरलाइंस के मुताबिक ईंधन के दाम में प्रति गैलन 10 अमेरिकी सेंट यानी करीब आठ रुपये की वृद्धि होने पर विमानन कंपनियों का खर्च सालाना 2 अरब डॉलर बढ़ जाता है.
क्या बीएमआई पेट का मोटापा मापने का सही तरीका है
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अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक हर तीन में से एक वयस्क और हर पांच में से एक बच्चे का वजन स्वस्थ सीमा से ज्यादा है. जेफरीज की रिपोर्ट इस आंकड़े वैश्विक स्तर पर विस्तार देते हुए कहती है कि 2013 में दुनिया की 36.4 फीसदी आबादी का वजन सीमा से ज्यादा था जो इस साल 41.5 फीसदी तक पहुंच सकती है.
इस साल मई में लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में बताया गया कि भारत में 40 प्रतिशत महिलाएं और 12 फीसदी पुरुष मोटापे का शिकार हैं. हालांकि यह मोटापा सिर्फ पेट के बढ़े आकार के कारण है. अगर बीएमआई के आधार पर आंका जाए तो 23 फीसदी महिलाएं ही मोटापे की श्रेणी में आएंगी. यानी जो महिलाएं बीएमआई के आंकड़े पर मोटापे का शिकार नहीं हैं, वे भी बड़े पेट के कारण स्वस्थ सीमा से अधिक वजन वाली हैं.
एक ताजा अध्ययन बताता है कि दुनिया मोटापे की भारी आर्थिक कीमत चुका रही है और इसका सबसे ज्यादा असर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ रहा है. बुधवार को प्रकाशित हुए इस अध्ययन में बताया गया है कि 2060 तक मोटापा जीडीपी का 3.3 फीसदी नुकसान कर देगा.
बीएमजे ग्लोबल हेल्थ पत्रिका में छपा यह अध्ययन मोटापे का हरेक देश पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण करता है. मोटापा अपने आप में तो एक बीमारी है ही, यह कैंसर, डायबीटीज और हृदय रोगों की भी सबसे बड़ी वजहों में से एक है.विवेक कुमार (रॉयटर्स)