पश्चिम अफ्रीका में बाल सैनिकों की संख्या सबसे अधिक
२६ नवम्बर २०२१
यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्षों में फंसे पश्चिम और मध्य अफ्रीका के बच्चों को सशस्त्र समूहों द्वारा सबसे अधिक भर्ती किया जाता है. एजेंसी का कहना है कि यहां यौन शोषण के शिकार बच्चों की संख्या भी सबसे अधिक है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच सालों में इस क्षेत्र में संघर्ष बढ़े हैं, जिसमें सरकारी बलों और सशस्त्र समूहों द्वारा 21,000 से अधिक बच्चों की भर्ती की गई है. इसके अलावा इस क्षेत्र में 2016 से 2,200 से अधिक बच्चे यौन हिंसा के शिकार हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 3,500 से अधिक बच्चों का अपहरण किया जा चुका है, जिससे यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा अपहरण वाला इलाका बन गया है.
यूनिसेफ के पश्चिम और मध्य अफ्रीका की क्षेत्रीय निदेशक मारी-पियरे पोइयर के मुताबिक, ''संख्या और रुझान बच्चों की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद चिंताजनक हैं.'' उन्होंने कहा, "न केवल पश्चिम और मध्य अफ्रीका में गुटों द्वारा किए गए बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघन हुए, बल्कि हमने पिछले पांच वर्षों में एक उछाल भी देखा है. जिसमें सत्यापित गंभीर उल्लंघनों की कुल संख्या में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है."
इथियोपिया: टिग्रे संकट का एक साल
टिग्रे में सरकारी फौजों और टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के बीच युद्ध को एक साल हो चुका है. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है टिग्रे प्रांत में लगभग साढ़े तीन लाख लोगों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है.
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जलता शहर
20 अक्टूबर को सरकारी बलों द्वारा किए गए हवाई हमले के बाद टिग्रे की राजधानी मेकेले के निवासी मलबे से बाहर निकलते हुए. सेना ने कहा कि वह टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट द्वारा संचालित एक हथियार निर्माण सुविधा को लक्षित कर रही थी, जिसे विद्रोही टिग्रे बलों ने इनकार किया है.
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युद्ध की धुंध
सैन्य हवाई हमले के बाद धुआं मेकेले की सड़कों से ऊपर उठता नजर आ रहा है. टिग्रे अलगाववादियों ने सरकार पर नागरिकों की हत्या का आरोप लगाया है, जबकि अदीस अबाबा का कहना है कि वह हथियारों के डिपो को निशाना बना रहा है. स्थानीय लोगों ने पुष्टि की है कि मेकेले में कम से कम एक प्रमुख औद्योगिक परिसर नष्ट हो गया है.
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बंधक बनाए गए सैनिक
टिग्रेयाई बलों द्वारा पकड़े गए इथियोपियाई सरकार के सैनिक पंक्तियों में बैठे हुए. उन्हें यहां से एक डिटेंशन केंद्र में ले जाया गया.
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मिलती मदद
एक इथियोपियाई रेड क्रॉस सोसाइटी (ईआरसीएस) वाहन सरकारी हवाई हमलों के बाद मेकेले से गुजरता हुआ. ईआरसीएस टिग्रे क्षेत्र में चिकित्सा उपचार प्रदान करने, बुनियादी आश्रय और स्वच्छता वस्तुओं को वितरित करने के लिए काम कर रहा है.
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महत्वपूर्ण सहायता एक दुर्लभ दृश्य
सहायता संगठन समैरिटन पर्स से संबंधित एक मालवाहक विमान मार्च में वापस मेकेले हवाई अड्डे पर आपूर्ति करता हुआ. टिग्रे में मानवीय सहायता का प्रवाह तब से गंभीर रूप से बाधित हो गया है जब से प्रमुख मार्गों पर बाधाओं के कारण काफिले को गुजरने से रोक दिया गया है.
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युद्ध के शिकार
तोगोगा हवाई हमले के पीड़ित का अस्पताल में इलाज चल रहा है. 22 जून को इथियोपियाई वायु सेना ने व्यस्त बाजार के दिन टोगोगा के टिग्रेयन शहर पर हवाई हमला किया, जिसमें 64 नागरिक मारे गए और 184 घायल हो गए. घटनास्थल तक पहुंचने का प्रयास करने वाली एंबुलेंस को शुरू में सैनिकों द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया था.
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एक हताश अपील
मेकेले में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर स्वास्थ्य कर्मचारी भोजन और दवा की भारी कमी के कारण मरीजों की मौत की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. राजधानी में महत्वपूर्ण आपूर्ति का स्टॉक तेजी से घट रहा है, जिससे बच्चों में कुपोषण की दर तेजी से बढ़ रही है. संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह अपने आधे कर्मचारियों को देश से वापस बुलाएगा.
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अंतरराष्ट्रीय विरोध
दुनिया के दूसरी ओर 19 अक्टूबर को लंदन के व्हाइटहॉल में सैकड़ों लोगों ने हिंसा के विरोध में नारेबाजी की. उन्होंने टिग्रे में हिंसा और सहायता नाकाबंदी को समाप्त करने का आह्वान किया.
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चौंकाने वाली है रिपोर्ट
बाल शोषण पर रिपोर्ट संकलित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में 2005 से एक प्रणाली मौजूद है. इन शोषणकारी रिपोर्टों में बाल सैनिकों की भर्ती, बच्चों का अपहरण, स्कूलों-अस्पतालों पर हमले और यौन शोषण शामिल हैं. यूनिसेफ के मुताबिक वर्तमान में दुनिया भर में शोषित होने वाले चार बच्चों में से एक मध्य या पश्चिम अफ्रीका से है.
यूएन का कहना है कि बुरकिना फासो, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कैमरून, चाड, कांगो, माली, मॉरिटानिया और नाइजर जैसे संघर्ष प्रभावित देशों में हिंसा बच्चों और समुदायों के लिए विनाशकारी मानवीय परिणाम साबित हुए. महामारी के साथ स्थिति और बिगड़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक 5.7 करोड़ बच्चों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और संघर्षों के जारी रहने के कारण पिछले वर्ष की तुलना में इस साल ऐसे वंचित बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है.
यूएन के मुताबिक कुछ देशों में सशस्त्र संघर्ष एक दशक से अधिक समय से चल रहे हैं, लेकिन तीन नए क्षेत्र चिंता का विषय बने हुए हैं. बुरकिना फासो, कैमरून और चाड में बच्चों को जबरन संघर्ष का हिस्सा बनाया जा रहा है.
एए/सीके (एपी)
2021 के साहित्य पुरस्कारों पर हावी रहा अफ्रीका
नोबेल हो या बुकर, साल 2021 के सबसे बड़े साहित्यिक पुरस्कार अफ्रीकी लेखकों ने ही जीते हैं. एक नजर अफ्रीका के साहित्य को विश्व मंच पर लाने वाले इन लेखकों और उनकी कृतियों पर.
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अब्दुलरजाक गुरनाह
तंजानियाई मूल के अब्दुलरजाक गुरनाह को 2021 के साहित्य नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. गुरनाह जंजीबार सल्तनत में पैदा हुए थे और 1960 के दशक में जंजीबार क्रांति के दौरान यूके चले गए थे. उनकी किताबों में "पैराडाइस", "डेजर्शन" और "बाई द सी" शामिल हैं.
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डेमन गालगुट
दक्षिण अफ्रीका के डेमन गालगुट ने अपनी किताब "द प्रॉमिस" के लिए 2021 का ब्रिटेन का बुकर पुरस्कार जीता. उनके पहले उन्हीं के देश के नदिन गोर्डिमर और जे एम कोएट्जी भी बुकर जीत चुके हैं.
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मोहम्मद बुगर सार
सेनेगल के रहने वाले 31 साल के मोहम्मद बुगर सार फ्रांस का प्रतिष्ठित प्री गोन्कुअर पुरस्कार जीतने वाले उप-सहारा अफ्रीका के पहले लेखक बने. सार की किताब "द मोस्ट सीक्रेट मेमरी ऑफ मेन" साहित्य की दुनिया पर ही आधारित है.
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डेविड डिओप
सेनेगल के ही रहने वाले डेविड डिओप ने इस साल का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता. उनकी किताब "ऐट नाइट ऑल ब्लड इस ब्लैक" प्रथम विश्व युद्ध में भाग ले रहे एक सैनिक के पागल होने की कहानी है.
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बूबकर बोरिस डिओप
बूबकर बोरिस डिओप को इस साल के प्री नुश्टाट से सम्मानित किया गया. डिओप नाटक भी लिखते हैं और इसके अलावा संपादक भी हैं. उन्होंने सेनेगल के अखबार 'सोल' की स्थापना की थी.
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पॉलिना चिजिआने
मोजाम्बिक की पॉलिना चिजिआने ने इस साल का प्री कैमो पुरस्कार जीता. पॉलिना पुर्तगाली भाषा में उपन्यास और लघु कहानियां लिखती हैं.
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अफ्रीका में रूचि
पेरिस के सोर्बोन में अफ्रीकी साहित्य पढ़ाने वाले जेवियर गार्नियेर कहते हैं, "यूरोपीय साहित्य की दुनिया में अफ्रीका को लेकर रूचि का पुनर्जागरण हो रहा है." उनका मानना है कि संभव है यह इस वजह से हो रहा हो क्योंकि अफ्रीका में अभी वो सभी समस्याएं नजर आ रही हैं जो भविष्य में हम सभी के सामने आने वाली हैं, चाहे वो पर्यावरणीय संकट हो या सामाजिक संकट. (एएफपी)