ऑस्ट्रेलिया में तस्मानिया के बीच पर ठीक दो साल बाद व्हेलों का बड़ा झुंड फिर फंस गया है. झुंड में करीब 230 व्हेलें हैं जो जिंदगी और मौत के बीच फंसी हैं.
विज्ञापन
ऑस्ट्रेलियाई प्रांत तस्मानिया के मैक्वायर हार्बर के पास एक बीच में फंसी करीब 230 व्हेलों में से अभी कई जिंदा हैं. मरीन कंजर्वेशन प्रोग्राम की एक टीम मौके पर पहुंची है और पायलट व्हेलों को बचाने में जुटी है. इसी जगह पर ठीक दो साल पहले भी 21 सितंबर 2020 में लंबे फिन वाली 470 पायलट व्हेलें फंसी थीं. उनमें से 111 को ही बचाया जा सका. ठीक उसी जगह पर फिर से बड़ी संख्या में ये विशाल समुद्री स्तनधारी कैसे अटक गए, ये सवाल हैरान कर रहा है.
दो साल पहले फंसी व्हेलों को बचाने में सालमन मछली पालने वाले लिंटन क्रिंगल ने अहम भूमिका निभाई. क्रिंगल कहते हैं कि इस बार मुश्किल ज्यादा बड़ी है, "पिछली बार वे हार्बर के पास थी. वहां पानी शांत था और हम अपनी नावों के जरिए उन तक पहुंच सकते हैं. लेकिन इस बीच तक आप नाव से नहीं पहुंच सकेते हैं पानी बहुत छिछला है, बहुत लहरदार है." क्रिंगल को लगता है कि इस बार व्हेलों को समंदर में पहुंचाने के लिए गाड़ियों की मदद लेनी पड़ेगी.
वाइल्डलाइफ साइंटिस्ट वेनेसा पिरोटा, समुद्री स्तनधारियों की विशेषज्ञ हैं. पिरोटा कहती है, "सच्चाई तो यही है कि हम एक जैसी प्रजातियों को उसी जगह पर, एक ही समय पर फंसते हुए देख रहे हैं. इस स्पॉट से हमें यहां के पर्यावरण के बारे में कुछ संकेत मिल सकते हैं."
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बीच से दूर रहें.
तस्मानिया राज्य के ही एक और तट पर सोमवार को 14 स्पर्म व्हेले फंसी हुई मिलीं. ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के मरीन साइंटिस्ट ओलाफ मेनेक को लगता है कि समुद्री जल का बढ़ता तापमान इसकी वजह हो सकता है. गर्म होते महासागरों में पानी को बहाने वाला धाराएं बदल रही हैं, हो सकता है कि इसकी वजह से व्हेलें नए इलाकों तक पहुंच रही हों.
मेनेक कहते हैं, "दूसरे इलाकों में दूसरे किस्म के आहार की खोज हो रही है. और जब वे ऐसा करती हैं, तो शारीरिक रूप से ये बहुत बढ़िया नहीं होता है क्योंकि वे भूखी हो सकती है और भोजन खोजने के लिए ज्यादा जोखिम उठा सकती हैं. इस दौरा वे तटों के करीब पहुंच सकती हैं."
ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)
जहां एक साथ 55,000 बेलुगा व्हेल पहुंच जाती हैं
उत्तरी कनाडा के हडसन बे में हर साल हजारों बेलुगा व्हेल बच्चों को जन्म देने के लिए पहुंच जाती हैं. लेकिन अब जलवायु परिवर्तन उनके प्राकृतिक वास को प्रभावित कर रहा है.
तस्वीर: imago images/Michael S. Nolan
बर्फ के पिघलते ही
नवंबर से जून के बीच सात महीनों से भी ज्यादा समय के लिए उत्तरी कनाडा के हडसन बे पर बर्फ जमी रहती है. लेकिन हर साल जैसे ही समुद्री बर्फ पिघलती है, करीब 55,000 बेलुगा व्हेल बच्चों को जन्म देने आर्कटिक से वहां चली जाती हैं. कारण है वहां का तुलनात्मक रूप से ज्यादा गर्म तापमान. बे की व्हेल की आबादी दुनिया में सबसे बड़ी आबादी है.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
मिलिए एक बेलुगा व्हेल परिवार से
बेलुगा व्हेलों के बच्चे दो सालों तक अपनी मां पर निर्भर रहते हैं. माएं उन्हें ज्यादातर ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा, उत्तरी नॉर्वे और उत्तरी रूस के इर्द गिर्द फैले बर्फीले पानी में पालती हैं. बच्चे अमूमन स्लेटी रंग के होते हैं और व्यस्क सफेद. व्यस्क 20 फुट तक लंबे हो सकते हैं और 40 से 60 सालों तक जिंदा रहते हैं.
तस्वीर: imago images/Xinhua
पर्यटकों के लिए आकर्षण
ये खेलना पसंद करती हैं और और इनके चेहरे पर बच्चों के जैसी मुस्कान होती है. पानी से गुजरती हुई यह इंसानों के पास बड़ी जिज्ञासा से आती हैं. आपस में से ध्वनियों की अद्भुत भाषा में बात करती हैं और यह भाषा खास उन्हें देखने के लिए कनाडा आने वाले पर्यटकों के लिए बड़े अचंभे की चीज है.
तस्वीर: Danita Delimont/imago images
समुद्र की कैनरी चिड़िया
बेलुगा व्हेलें 50 तक अलग अलग ध्वनियां निकाल सकती हैं, जिनमें तरह तरह की सीटियां, क्लिक, कलरव और किलकारियां शामिल हैं. इस वजह से इन्हें "समुद्र की कैनरी चिड़िया" भी कहा जाता है. रेनकोस्ट संरक्षण फाउंडेशन की शोधकर्ता वलेरिया वेरगारा ने एएफपी समाचार एजेंसी को बताया, "बेलुगा ध्वनि-केंद्रित जीव हैं और उनके लिए ध्वनि वैसा ही है जैसा हमारे लिए दृष्टि."
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
सहजीवी रिश्ता
गर्मियों के वो महीने जिनमें ये व्हेलें आर्कटिक से दक्षिण की तरफ आती हैं उन्हें इनुइट लोग "द ग्रेट माइग्रेशन" कहते हैं. बेलुगा व्हेलें कनाडा के मूल निवासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, सांस्कृतिक रूप से और भोजन के स्रोत के रूप में भी. चर्चिल शहर का यह म्यूरल इंसानों और वन्य जीवों के बीच के रिश्ते को सम्मान देता है.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP/Getty Images
लुप्तप्राय वन्य जीव
हडसन बे में बेलुगा को शिकार करने वाली ओर्का से तो सुरक्षा मिल जाती है, लेकिन वहां दूसरे खतरे हैं, जैसे शिकारी ध्रुवीय भालू. हालांकि पशु शोधकर्ताओं और संरक्षणकर्ताओं को एक ऐसी समस्या में ज्यादा दिलचस्पी है जो इंसानों की बनाई हुई है. वो है जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्री बर्फ का कम होना. इससे स्थानीय वन्य-जीवों को काफी खतरा है.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
चिंताजनक स्थिति
इंसानी गतिविधियों ने इन व्हेलों के लिए दूसरे खतरे भी खड़े कर दिए हैं. 12 लाख किलोमीटर वर्ग से भी ज्यादा इलाके में फैला हडसन बे यूं तो विशालकाय है लेकिन इसका विषैले पदार्थों से दूषण बढ़ता जा रहा है. इसका बेलुगा व्हेलों पर भी असर पड़ रहा है. व्हेलों में कैंसर और चर्म रोगों का होना बढ़ता जा रहा है. (नेले जेंश)