न्यूजीलैंड की खाड़ी में दो दर्जन से ज्यादा व्हेल मारी गई हैं. यह 10वां मौका है जब इस खाड़ी में व्हेलें फंसी हैं. ऐसा बार बार क्यों हो रहा है?
विज्ञापन
न्यूजीलैंड के संरक्षण विभाग के मुताबिक, अब तक लंबे फिन वाली 29 पायलट व्हेलों की मौत हो चुकी है. गुरुवार देर शाम गोल्डन बे कही जाने वाली खाड़ी में 34 व्हेलों के फंसने की जानकारी मिली थी. संरक्षण विभाग के प्रवक्ता डेव विंटरबर्न का कहना है कि पांच व्हेलों को बचाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन उनके बचने की उम्मीदें भी कम ही हैं क्योंकि "व्हेलें काफी समय से पानी से बाहर हैं."
विभाग के मुताबिक शुक्रवार सुबह ऊंची लहरों के दौरान पांच व्हेलों को समंदर में वापस पहुंचाने की कोशिश की गई. लेकिन इतने बड़े और विशाल जीवों को बिना नुकसान पहुंचाए सागर में लौटाना आसान नहीं है.
व्हेलों के झुंड का इस तरह तटों पर फंसना और मारा जाना नया नहीं है. विज्ञान और विशेषज्ञ अभी तक यह नहीं समझ सके हैं कि महासागरों में मौजूद ये विशाल स्तनधारी जीव तटों पर क्यों अटक जाते हैं. विंटरबर्ग कहते हैं, "यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन व्हेलों को इस तरह तटों पर फंसना प्राकृतिक है."
बीच पर क्यों अटक जाती हैं व्हेलें
गोल्डन बे में व्हेलें जिस जगह पर निढाल पड़ी हैं, उसे फेयरवेल स्पिट भी कहा जाता है. फेयरवेल स्पिट तस्मान सागर में एक पतली लकीर जैसा इलाका है. वहां 26 किलोमीटर लंबी और 800 मीटर चौड़ी एक जमीनी रेखा समंदर को बांटती हैं. व्हेलें इसी रेतीले तट में फंसी हैं.
व्हेलें सोनार सिग्नल छोड़ती हैं. यह सिग्नल दूसरे जीवों या तटों से टकराकर वापस लौटते हैं. इससे व्हेलों को इलाके और भोजन की सटीक जानकारी मिलती है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि छिछले समंदर में व्हेलों का सोनार नेविगेशन सिस्टम गड़बड़ा जाता है. इसके कराण व्हेलें रास्ता भटक जाती हैं और ऊंची लहरों के साथ वे छिछले इलाके तक पहुंच जाती हैं. लेकिन कुछ घंटे बाद लहरें तो नीचे उतर जाती हैं पर व्हेलें वहीं फंसी रह जाती हैं.
व्हेलों की दुनिया का सफर
05:27
फेयरवेल स्पिट में बीते 15 साल में व्हेलों के अलग-अलग झुंड 10 बार फंस चुके हैं. इस इलाके में व्हेलों के फंसने का सबसे बड़ा मामला फरवरी 2017 में सामने आया. तब करीब 700 व्हेलें रेत में अटक गई थीं. बचाव की तमाम कोशिशों के बावजूद 250 व्हेलों ने दम तोड़ दिया था.
पायलट व्हेलें न्यूजीलैंड के आस पास महासागर में मिलने वाली सबसे आम प्रजाति हैं. पायलट व्हेलें 20 फुट तक लंबी हो सकती हैं. झुंड में रहने वाली समुद्री स्तनधारी जीवों की ये प्रजाति सबसे ज्यादा तटों पर अटकती है.
दुनिया भर के महासागरों में विशेषज्ञों को पांच ऐसी जगहें मिली हैं जो वाकई अद्भुत हैं. ज्यादातर लोगों को इनके बारे में कुछ नहीं पता. देखिये इन अजूबों को.
1. हाइड्रोथर्मल फील्ड
जियो बायोलॉजी के ये जबरदस्त नमूना अटलांटिक महासागर में 800 मीटर की गहरायी पर है. असल में यह एक ज्वालामुखीय छिद्र है. यूनेस्को के विशेषज्ञों के मुताबिक, "पृथ्वी पर शायद इसके जैसा और कोई इकोसिस्टम नहीं है." चिमनियों जैसे ये ढांचे लगातार धरती के गर्भ से रिस रही हाइड्रोजन को बाहर निकाल रहे हैं. अनुमान है कि यह ज्वालामुखीय छिद्र बीते 1,20,000 साल से सक्रिय है.
तस्वीर: Woods Hole Oceanographic Institute and Charles Fisher, Pennsylvania State University
2. कोस्टा रिका का थर्मल डोम
500 किलोमीटर लंबा और पूर्वी ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर तक फैला यह इलाका दुनिया के सबसे बड़े जीवों को आकर्षित करता है. यहां शार्क, टूना, डॉल्फिन और ब्लू व्हेल हमेशा दिखाई पड़ती हैं. खतरे में पड़े लेदरबैक कछुए भी इसी समुद्री कॉरिडोर को पार कर दूसरे इलाकों में जाते हैं.
तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE
3. व्हाइट शार्क कैफे
यह नाम मरीन बायोलॉजिस्ट ने ही दिया है. उत्तरी अमेरिका और हवाई के बीच के इस समुद्री इलाके में व्हाइट शार्कों की अद्भुत दुनिया दिखती है. ये विशाल समुद्री मछलियां यहां प्रजनन और भोजन की तलाश में आती हैं. अनुमान है कि समुद्री करंट के चलते उन्हें यह इलाका पसंद है.
तस्वीर: Pterantula (Terry Goss) via Wikimedia Commons
4. सारगासो सागर
माना जाता है कि इस जगह की खोज 1492 में कोलंबस ने अपनी पहली समुद्री यात्रा के दौरान की थी. सारगासो सागर बरमूडा के द्वीपों को घेरता है. इसकी खासियत समुद्र के भीतर मिलने वाली वनस्पतियां हैं. समुद्र विज्ञानी इस सागर का वर्षावन कहते हैं. यहां सैकड़ों प्रजातियां रहती हैं. यूरोप और अमेरिका की ईल भोजन और प्रजनन के लिए यहां आती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Courtesy Chris Burville
5. अटलांटिस बैंक
हिंद महासागर के भीतर 700 मीटर से 4,000 मीटर की गहराई तक जाने वाली यह चट्टानें नायाब हैं. यहां कई किस्म के मूंगें मिलते हैं. असल में यह एक द्वीप था जो लाखों साल पहले समुद्र में डूब गया.
तस्वीर: The Natural Environment Research Council and IUCN/GEF Seamounts Project C/O Alex D Rogers
नक्शे में यह अजूबे
समुद्र के भीतर कहीं हाइड्रोजन के बुलबुले निकल रहे हैं, तो दूसरी जगह पर डूबे हुए द्वीप हैं और कहीं विशाल मछलियों का अड्डा. इस बात की पूरी संभावनाएं हैं कि यह जगहें विश्व धरोहर का हिस्सा बनेंगी.