प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीते दो कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत ने अहम भूमिका निभाई है. अब तीसरे कार्यकाल में इस भूमिका को किस स्तर तक ले जा पाएंगे मोदी?
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73 वर्षीय नरेंद्र मोदी भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए पिछले दस साल से कोशिश कर रहे हैं. वह भारत को ग्लोबल साउथ के नेता की तरह पेश करते रहे हैं और खुद को उसके मुख्य प्रवक्ता की तरह. भले ही लोकसभा में उनका समर्थन कम हुआ हो लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर पांच और साल मिलने पर उनकी यह स्थिति और मजबूत हो सकती है क्योंकि वह वैश्विक नेताओं में काफी वरिष्ठ माने जाएंगे.
भारत: बड़े नेता जो चुनाव हार गए
4 जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजे कई बड़े नेताओं के लिए बहुत बुरे रहे. देखिए, वे नेता जिन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
तस्वीर: Imago Images/Hindustan Times
स्मृति ईरानी
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से चुनाव हार गईं. यहीं से राहुल गांधी को हराने वालीं ईरानी को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने हराया.
तस्वीर: @hdmalhotra/X/IANS
अधीर रंजन चौधरी
कांग्रेस के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में पश्चिमी बेहरामपुर सीट से उम्मीदवार थे जो पार्टी का गढ़ माना जाता है. छह बार के सांसद चौधरी को टीएमसी उम्मीदवार और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने 85 हजार से ज्यादा मतों से हराया.
तस्वीर: Syamantak Ghosh/DW
प्रज्वल रेवन्ना
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना परिवार का गढ़ मानी जाने वाली कर्नाटक की हासन सीट से चुनाव हारे. उन्हें कांग्रेस के श्रेयस पटेल ने करीब 40 हजार मतों से मात दी.
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कन्हैया कुमार
पूर्व जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार दिल्ली की उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार थे. उन्हें बीजेपी के मनोज तिवारी ने एक लाख 38 हजार से ज्यादा मतों से हराया.
कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व सांसद राज बब्बर गुड़गांव सीट से चुनाव हारे. उन्हें बीजेपी के राव इंद्रजीत सिंह ने 75 हजार से ज्यादा वोटों से हराया.
तस्वीर: Qamar Sibtain/IANS
भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाए. उन्हें राजनंदगांव सीट पर बीजेपी के संतोष पांडेय ने 44 हजार से ज्यादा मतों से हराया.
तस्वीर: Hindustan Times/IMAGO
दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. उन्हें बीजेपी के रोडमल नागर ने राजगढ़ सीट पर एक लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया.
तस्वीर: Sanjeev Verma/Hindustan Times/IMAGO
दिनेश यादव निरहुआ
गायक दिनेश लाल यादव निरहुआ आजमगढ़ से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार थे. उन्हें समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने लगभग डेढ़ लाख वोटों से हराया.
बीजेपी के तमिलनाडु अध्यक्ष अन्नामलाई कुप्पुसामी को कोयंबटूर सीट पर हार मिली. उन्हें डीएमके के गणपति राजकुमार पी ने एक लाख 18 हजार से ज्यादा वोटों से हराया.
तस्वीर: Mohd Zakir/Hindustan Times Former/imago
उमर अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को निर्दलीय उम्मीदवार राशिद इंजीनियर ने बारामुल्ला सीट पर एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया.
तस्वीर: AB Raoof Ginie/DW
महबूबा मुफ्ती
पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अनंतनाग-राजौरी सीट पर हार मिली. उन्हें नेशनल कान्फ्रेंस के मियां अल्ताफ अहमद ने दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया.
तस्वीर: Mukhtar Khan/AP/picture alliance
मेनका गांधी
आठ बार की सांसद मेनका गांधी को समाजवादी पार्टी के रामभाऊ निषाद ने सुल्तानपुर सीट पर 40 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी. 2019 में मेनका गांधी पीलीभीत से चुनाव जीती थीं.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
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किंग्स कॉलेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हर्ष वी पंत कहते हैं, "वैश्विक मंच पर मोदी सबसे वरिष्ठ नेताओं में से होंगे. वह भी ऐसा नेता, जिसने तीन चुनाव जीते हैं. उन्होंने अपने और भारत के लिए बड़े लक्ष्य तय किए हैं और इसकी संभावना कम ही है कि वह अपनी विरासत से कोई समझौता करेंगे.”
पश्चिम के साथ फायदे की दोस्ती
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के साझीदार कम हैं, हितसाधक ज्यादा हैं. यही वजह है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा मोदी सरकार पर तानाशाही के आरोप लगाने के बावजूद पश्चिमी देश नरेंद्र मोदी को साथ खड़ा करते हैं. जैसे कि अमेरिका और यूरोप भारत को चीन का प्रभाव कम करने वाले एक देश के रूप में देखते हैं.
भारत क्वॉड संगठन का सक्रिय सदस्य है, जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी हैं. इस संगठन को प्रशांत महासागर में चीन का बढ़ता प्रभाव रोकने वाली ताकत के रूप में देखा जाने लगा है. इस संगठन के सदस्य होने के नाते नरेंद्र मोदी को इन तीनों देशों में खासी तवज्जो मिलती है. पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन्हें ‘राजकीय मेहमान' के तौर पर वॉशिंगटन बुलाया था.
मिलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमशक्लों से
लोग उनकी पहली झलक देख कर अवाक रह जाते हैं और फिर उनके साथ सेल्फियां खिंचवाते हैं. कोई क्यों ना चौंके भला? वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमशक्ल जो हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
'हमारा मोदी'
राशीद अहमद दिल्ली में बिजली से चलने वाले रिक्शा चलाते हैं. लोग उन्हें प्यार से "हमारा मोदी" कहते हैं, क्योंकि उनकी शक्ल मोदी से काफी मिलती है. 60 साल के अहमद दो कमरों के एक मकान में अपनी पत्नी, बच्चों और पोते-पोतियों के साथ रहते हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
'मोदी अंकल'
अहमद अपने मोहल्ले में एक सेलिब्रिटी हैं. लोग उन्हें अक्सर उनके काम के बीच में रोक कर उनके साथ तस्वीर खिंचवाने का अनुरोध करते हैं. आस-पड़ोस के बच्चे भी उन्हें "मोदी अंकल" ही बुलाते हैं. उनमें से कई बच्चों को वो अपने रिक्शे में स्कूल छोड़ने जाते हैं.
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एक इत्तेफाक
अहमद कहते हैं, "मैं तो शुरू से ऐसा ही दिखता हूं, लेकिन जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से इस बात की ज्यादा चर्चा होने लगी है." अहमद बीजेपी की रैलियों में भी शामिल हुए हैं. उन्हें देख कर लोग उत्साहित हो जाते हैं.
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रैली में जाते हैं
ऐसी रैलियों में हिस्सा लेकर अहमद करीब 1,000 रुपए कमा लेते हैं, जो उनके रिक्शा से एक दिन में होने वाली कमाई के आस पास ही है. वो कहते हैं, "हां लोग हमें (रैलियों के लिए) पैसे देते हैं और हमें लेने भी पड़ते हैं क्योंकि हमें उस दिन काम छोड़ना पड़ता है."
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सब साथ रहें
हाल ही में मुसलमानों पर मोदी के बयानों को लेकर जो विवाद हुआ था, उस पर अहमद का मानना है कि प्रधानमंत्री नहीं बल्कि पार्टी में निचले दर्जे के लोग "धर्मों को बांटते हैं." चुनावों के नतीजों के बारे में वो कहते हैं, "समय ही बताएगा. हम तो बस इतना चाहते हैं कि अच्छा काम हो...विकास हर तरफ होना चाहिए...सबको साथ रहना चाहिए."
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एक और हमशक्ल
68 साल के रियल एस्टेट व्यापारी जगदीश भाटिया भी मोदी के हमशक्ल हैं. वो शहर के एक समृद्ध इलाके में रहते हैं और निरंकारी पंथ के अनुयायी हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
मोदी के प्रशंसक
जगदीश कहते हैं कि वो बीजेपी की रैलियों में शामिल होने के लिए पैसे नहीं लेते हैं, क्योंकि वो इसे "समाज सेवा" मानते हैं. वो मोदी के नजरिए को पसंद करते हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
पार्टी का काम
जगदीश कहते हैं, "मुझे मोदी के काम करने का तरीका और जो चीजें उन्होंने देश के विकास के लिए की वो बेहद पसंद है. इसलिए मुझे अच्छा लगता है अगर मैं पार्टी के किसी काम आ सकूं."
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कपड़े भी मोदी जैसे
जगदीश मोदी के जैसे दिखने के लिए कपड़े भी उन्हीं के जैसे पहनते हैं. इसके विपरीत, अहमद खुद को मोदी का हमशक्ल होना महज एक इत्तेफाक बताते हैं.
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फरवरी में अमेरिका ने भारत को 4 अरब डॉलर के अत्याधुनिक ड्रोन्स बेचने के समझौते को मंजूरी दी थी. इसे अमेरिका द्वारा चीन के सामने भारत को एक बड़ी रक्षा ताकत बनाने की कोशिश के रूप में देखा गया.
यह तब हो रहा है जबकि अमेरिका और दुनिया के मानवाधिकार संगठनों ने लगातार मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों और मीडिया के अधिकारों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए. इसके अलावा अमेरिका ने पिछले साल एक भारतीय नागरिक पर न्यूयॉर्क में अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश रचने का भी मुकदमा दर्ज किया.
इसी तरह यूरोप के साथ भी भारत के संबंध खासकर रक्षा और व्यापार क्षेत्र में काफी मजबूत हुए हैं. मोदी के पिछले कार्यकाल में फ्रांस के साथ रफाएल लड़ाकू विमान और स्कॉर्पियन पनडुब्बियों का समझौता हुआ था.
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दूसरी दुनिया से संबंध
भारत ने पश्चिमी देशों के साथ-साथ उनके विरोधियों से भी संबंध अच्छे बनाए रखे हैं. यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने यह सुनिश्चित किया कि वह रूस के विरोध में ना बोले. बल्कि उसने रूस से जमकर तेल खरीदा.
चीन के साथ भारत के संबंधों में तनाव रहा है लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत और चीन मिलकर खड़े रहे हैं. इनमें ब्रिक्स संगठन के अलावा शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन फोरम भी है. फिर भी, विश्लेषकों को लगता है कि मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारत-चीन संबंधों में तनाव बढ़ सकता है.
भारत के पूर्व राजदूत जयंत प्रसाद कहते हैं कि रिश्ते और खराब हो सकते हैं. उन्होंने कहा, "अपने दोस्तों के साथ मिलकर भारत, चीन के दबदबे को कम करने की कोशिश करेगा.”
मिडल ईस्ट का सबसे बड़ा मंदिर
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबु धाबी में एक हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया है. देखिए कैसा है मध्य पूर्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर.
तस्वीर: Amr Alfiky/REUTERS
मिडल ईस्ट का पहला मंदिर
अबु धाबी में बना स्वामी नारायण मंदिर मुस्लिम बहुल मध्य एशिया का पहला हिंदू मंदिर है, जिसका उद्घाटन भारत में होने वाले आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया.
तस्वीर: Amr Alfiky/REUTERS
स्वामीनारायण मंदिर
अबु धाबी के अबु मुरेक्का इलाके में बना यह मंदिर स्वामीनारयण संस्था ने बनवाया है, जिसके दुनिया के कई देशों में विशाल मंदिर हैं.
तस्वीर: Ryan Lim/AFP/Getty Images
पांच साल निर्माण
27 एकड़ में बने इस मंदिर का निर्माण 2019 में शुरू हुआ था. इसके लिए गुलाबी पत्थर राजस्थान से भेजे गए. इसके अलावा इटली के संगमरमर का भी इस्तेमाल हुआ है.
तस्वीर: Amr Alfiky/REUTERS
200 से ज्यादा स्वयंसेवक
स्वामीनारायण संस्था का कहना है कि 200 से ज्यादा स्वयंसेवकों ने करीब सात लाख घंटे तक इस मंदिर के निर्माण के दौरान स्वयंसेवा की है. इनमें खाड़ी देशों के अलावा अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप और भारत से भी लोग गए थे.
तस्वीर: Amr Alfiky/REUTERS
10 हजार लोगों की जगह
अबु धाबी का मंदिर पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है, जिसमें एक वक्त में दस हजार तक लोग आ सकते हैं. इसकी ऊंचाई 108 फुट, चौड़ाई 180 फुट और लंबाई 262 फुट है.
तस्वीर: Ryan Lim/AFP/Getty Images
दो गुंबद, सात शिखर
इस मंदिर में सात शिखर हैं जो यूएई के सात अमीरात के प्रतीक हैं. मंदिर में 402 खंबे हैं. इसे बनाने में कुल 25 हजार पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है. दीवारों पर रामायण, शिव पुराण, भागवत और महाभारत की कहानियां उकेरी गई हैं.
तस्वीर: Kamran Jebreili/AP/picture alliance
यूएई के चिह्न भी
मंदिर की दीवारों पर पांच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश - के साथ-साथ ऊंट और घोड़े भी दिखाए गए हैं, जो यूएई के प्रतीक हैं.
तस्वीर: Amr Alfiky/REUTERS
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मोदी सरकार ने अफ्रीका में भारत की स्थिति को खासा मजबूत किया है. पिछले साल जब भारत में जी20 सम्मेलन हुआ तो अफ्रीकी संघ को उसकी स्थायी सदस्यता मिली थी. भारत ने इस बात को जोर देकर रखा था कि विकासशील देशों को अंतरराष्ट्रीय फैसलों में ज्यादा भूमिका मिलनी चाहिए.
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ संबंध किस ओर जाएंगे, यह एक बड़ा सवाल रहेगा. अपने पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ कई स्तर पर संपर्क किया था. 2015 में तो वह एकाएक लाहौर पहुंच गए थे, जिस पर काफी हैरत जताई गई थी. लेकिन 2019 के बाद से दोनों देशों के संबंध लगातार खराब होते गए.
हालांकि मार्च में जब पाकिस्तान में चुनाव हुए और शहबाज शरीफ वहां के प्रधानमंत्री बने तो नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी थी, लेकिन यह औपचारिकता आगे बढ़कर संवाद और बातचीत तक जाएगी, इस पर अभी संदेह ही है.