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कारोबारचीन

दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर रोक लगाकर क्या हासिल करेगा चीन

आर्थर सुलीवान
९ दिसम्बर २०२४

चीन ने गैलियम और जर्मेनियम जैसे दुर्लभ खनिजों को अमेरिका निर्यात करने पर रोक लगा दी है. इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है. इस पाबंदी से चीन आखिर क्या हासिल करना चाहता है और इससे अमेरिका पर कैसा असर होगा.

पीरियॉडिक टेबल में गैलियम तत्व
पीरियॉडिक टेबल में गैलियम तत्व जो सोलर पैनल से लेकर रडार बनाने तक में काम आता हैतस्वीर: Florence Lo/REUTERS

चीन कुछ खनिजों और धातुओं को अमेरिका निर्यात करने पर प्रतिबंध लगा रहा है. इनमें गैलियम, जर्मेनियम और एंटीमनी आदि शामिल हैं, जिन्हें दोहरे इस्तेमाल वाला उत्पाद कहा जाता है. इनका उपयोग सेमीकंडक्टर उत्पादन के साथ-साथ बहुत सारे सैन्य और प्रौद्योगिकी संबंधी कार्यों में किया जा सकता है.

चीन ने यह कदम क्यों उठाया

चीन की इस घोषणा से पहले अमेरिका ने चीन को होने वाले निर्यात पर लगाम लगाने के लिए कुछ कदम उठाए थे. चीन ने भी प्रतिबंध लगाकर इसका जवाब दिया है. यह दोनों देशों की आपसी प्रतिस्पर्धा का ताजा उदाहरण है. हालिया समय में प्रतिस्पर्धा का ज्यादातर फोकस व्यापार, सैन्य प्रौद्योगिकी के उत्पादन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास पर रहा है.

अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों की विशेषज्ञ क्लेयर रीड कहती हैं कि चीन और अमेरिका दोनों की ही तरफ से कठोरता और रक्षात्मकता दिखाई जा रही है और यह इन देशों के लिए कोई नई बात नहीं है. रीड वाशिंगटन डीसी की कानूनी फर्म एर्नोल्ड एंड पोर्टर की वरिष्ठ वकील हैं.

रीड कहती हैं कि चीन में बड़े स्तर पर यह धारणा बन गई है कि अमेरिका उनके देश के विकास में बाधा डालने की कोशिश कर रहा है. वहीं, अमेरिका इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे के तौर पर देखता है कि चीन को कुछ खास क्षेत्रों में प्रभुत्व हासिल करने से रोका जाए.

खनिज भंडार बनाएगा यूरोप को ई-कार उत्पादन का बड़ा खिलाड़ी

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि निर्यात नियंत्रण के उपायों को मजबूत करने का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करना है. दूसरी तरफ, चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग के खिलाफ अमेरिका का अभियान भी लगातार जारी है. अमेरिका ने हाल ही में प्रतिबंधों की तीसरी सूची जारी की है.

कार्यकाल खत्म होने से लगभग एक महीने पहले बाइडेन प्रशासन ने 140 कंपनियों पर निर्यात नियंत्रण के उपाय लागू किए हैं. इनमें नौरा, पाॅयोटेक, एसीएम रिसर्च और सीकैरियर जैसी चिप उद्योग की दिग्गज कंपनियां शामिल हैं.

अमेरिका की वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने कहा है, "यह अमेरिका द्वारा लागू किए गए अब तक के सबसे मजबूत नियंत्रण उपाय हैं जो चीन की सबसे आधुनिक चिप्स बनाने की क्षमता को कम करने के लिए लाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल वे सेना को आधुनिक बनाने में कर रहे हैं."

चीन की प्रतिक्रिया केवल कुछ खनिजों और धातुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने तक सीमित नहीं है. चीन के चार मुख्य औद्योगिक संगठनों ने अपने सदस्यों से कहा है कि वे अमेरिकी चिपों की खरीददारी कम करें. ये संगठन सेमीकंडक्टर, इंटरनेट, कार और संचार क्षेत्र को कवर करते हैं. सेमीकंडक्टर क्षेत्र के संगठन ने तो कहा है कि अमेरिका के चिप उत्पाद अब सुरक्षित और भरोसेमंद नहीं हैं.

अमेरिका पर नए प्रतिबंधों का कितना असर

अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कहा है कि वे चीन के हालिया कदम का आकलन कर रहे हैं. अधिकारियों ने अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया है, जिससे जरूरी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर से खतरा कम हो और उनमें चीन से इतर विविधता आए.

गैलियम और जर्मेनियम के अमेरिकी निर्यात पर चीन ने प्रतिबंध हाल ही में लगाया है, लेकिन इनके निर्यात पर प्रतिबंध 2023 में ही लगा दिया गया था. इनका कई खास कामों में इस्तेमाल होता है. उच्च गुणवत्ता वाले सेमीकंडक्टर, सोलर पैनल और रडार उपकरणों में गैलियम की जरूरत पड़ती है. वहीं, जर्मेनियम का इस्तेमाल फाइबर ऑप्टिक्स और सैटेलाइट में होता है.

अमेरिका स्थित थिंक टैंक, रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र का कहना है, "गैलियम आधारित सेमीकंडक्टर अमेरिका के रक्षा उद्योग के लिए जरूरी हैं, खासकर अगली पीढ़ी के मिसाइल डिफेंस और रडार सिस्टमों के लिए. साथ ही इलेक्ट्रॅानिक युद्ध और संचार उपकरणों के लिए भी."

चीन से आयात पर लगे टैरिफ से अमेरिकी कारोबारी परेशान

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सरकारी एजेंसी यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, 2023 में कच्चे गैलियम की वैश्विक आपूर्ति का 98 फीसदी हिस्सा चीन ने पैदा किया. जर्मेनियम के खनन और उत्पादन का डेटा फिलहाल उपलब्ध नहीं है लेकिन इसमें भी चीन अधिकांश वैश्विक आपूर्ति को नियंत्रित करता है.

अमेरिका इन दोनों खनिजों को चीन से आयात करता है लेकिन साथ ही कनाडा, जर्मनी और जापान के साथ भी व्यापार करता है. हालांकि, पिछले साल चीन के प्रतिबंधों की शुरुआत होने के बाद से वैश्विक बाजार में इनकी कीमतें काफी बढ़ गई हैं.

आपूर्ति बाधित होने के खतरे भी जगजाहिर हैं. नवबंर, 2024 में यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा था कि अगर चीन गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है तो अमेरिका की जीडीपी में 3.4 अरब डॉलर की कमी आ सकती है.

चीन के प्रभुत्व का यह मतलब नहीं है कि अमेरिका के पास और कोई विकल्प नहीं है. पहला-अन्य उत्पादक भी मौजूद हैं और दूसरा- गैर-चीनी उत्पादन को बढ़ाना भी संभव है. गैलियम मुख्य रूप से बॉक्साइट की प्रोसेसिंग के दौरान बाई-प्रोडक्ट के रूप में मिलता है, जो एल्युमीनियम का प्राथमिक अयस्क है. गैलियम को निकालना अमेरिका और अन्य देशों के लिए खर्चीला हो सकता है लेकिन यह संभव है.

चीन क्या हासिल करना चाहता है

ताजा घटनाक्रम डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर दूसरा कार्यकाल शुरू करने से करीब एक महीने पहले हुआ है. ट्रंप चीन से होने वाले आयात पर भारी टैरिफ लगाने की बात कह चुके हैं. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में चीन के साथ व्यापार युद्ध की शुरुआत की थी.

रीड कहती हैं, "भले ही ट्रंप के साथ भविष्य में बातचीत की संभावना ने शायद चीन के फैसला लेने में मदद की है, लेकिन निश्चित रूप से यह एक व्यापक प्रवृत्ति है, जो किसी एक राष्ट्रपति तक सीमित नहीं है."

रीड आगे कहती हैं कि यह फैसला दिखाता है कि चीन पश्चिम पर से अपनी निर्भरता खत्म करने के लिए अपने प्रयासों में ज्यादा मुखर हो रहा है.

वे जोड़ती हैं, "यह उस राह पर एक और कदम होगा, जहां चीन को उम्मीद है कि इससे उसे कोई नुकसान नहीं होगा और वह बाकी दुनिया को इस बारे में एक संदेश दे पाएगा कि अगर उसके आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता होता है या उसे धमकाया जाता है तो वह चुपचाप नहीं बैठेगा."

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