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३० अप्रैल २०१८
ये हैं भारत की 10 सबसे पुरानी कंपनियां
ये हैं भारत की 10 सबसे पुरानी कंपनियां
स्टार्टअप के दौर में जहां हर रोज देश में नई कंपनियां खुल रही हैं और बंद हो रही हैं तो वहीं आज देश में तमाम ऐसी कंपनियां भी चल रही हैं जिनकी उम्र 100 साल से भी ज्यादा है. डालते हैं एक नजर इन कंपनियों पर.
जेसॉप एंड कंपनी
ब्रिटिश इंजीनियर विलियम जेसॉप ने इस कंपनी की स्थापना साल 1788 में की थी. पहले इसे ब्रीन एंड कंपनी कहा जाता था. कोलकाता का हावड़ा पुल बनाने का श्रेय भी इसी कंपनी को जाता है. हालांकि आज यह कंपनी रुइया समूह में शामिल है.
बॉम्बे डाइंग कंपनी
साल 1879 में कंपनी की स्थापना की गई थी. डायिंग कारोबार में बड़े नुकसान झेलने के बाद कंपनी ने खुद को टेक्सटाइल कारोबार की तरफ मोड़ लिया. यह वह दौर था जाब भारतीय कपड़ा कंपनियों ने चीन के निर्माताओं से माल निर्यात करना बंद कर दिया था. अभिनेत्री प्रीति जिंटा के साथ अफेयर के चलते सुर्खियों में आए नेस वाडिया साल 2011 तक बॉम्बे डाइंग के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर भी रहे.
डाबर
आयुर्वेदिक दवाओं को बेचने वाली इस कंपनी को साल 1884 में शुरू किया गया था. इसके संस्थापक एसके बर्मन पेशे से एक डॉक्टर थे. इस कंपनी को बाजार में अपनी पहचान में लंबा संघर्ष करना पड़ा. लेकिन साल 1990 के बाद से कंपनी के कामों में तेजी आई. आज इस कंपनी में सात हजार से भी अधिक लोग काम करते हैं.
किर्लोस्कर ब्रदर्स
साल 1888 में लक्ष्मणराव किर्लोस्कर ने इस कंपनी की नींव रखी थी. पहले यह महज एक ट्रेडिंग कंपनी के रूप में स्थापित की गई थी. लेकिन आज यह देश में पंप और वॉल्व बनाने वाली 1.4 अरब डॉलर की सबसे बड़ी कंपनी है. आज कंपनी के चैयरमेन है संजर किर्लोस्कर.
ब्रिटानिया
साल 1892 में कलकत्ता के एक गुप्ता परिवार ने महज 295 रुपये से बिस्कुट बनाने वाली इस दुकान को शुरू किया था. दुकान बढ़ी और यह भारत में मशीन से बिस्कुट बनाने वाली पहली कंपनी बन गई. दूसरे विश्व युद्ध मे लड़ने वाली सेनाओं को यह कंपनी बिस्कुट भेजा करती थी जिससे इसकी अच्छी कमाई हुई. वाडिया इंटरप्राइज के अंदर आने वाली इस कंपनी में आज तीन हजार से भी अधिक लोग काम करते हैं.
सेंचुरी टेक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज
साल 1897 में नौरोसजी एन वाडिया ने इस कंपनी की शुरुआत की थी. नौरोसजी, बॉम्बे डायिंग कंपनी के मालिक नुस्ली वाडिया के दादा थे. अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान कॉटन की बढ़ती मांग को देखने के बाद वाडिया ने यह कंपनी खड़ी की थी. लेकिन तीन दशक बाद बाजार में इसके मुख्य प्रतिस्पर्धी चुन्नीलाल मेहता ने इसे खरीद लिया. और, मेहता के बाद आरडी बि़ड़ला ने इसे खरीद लिया. तब से आज तक यह कंपनी बिड़ला समूह के पास है.
गोदरेज
साल 1897 में आर्देशर गोदरेज और उनके भाई पिरोजशा गोदरेज ने इस कंपनी की स्थापना की थी. आर्देशर प्रोडक्ट्स में नयापन लाने के लिए मशहूर थे. कारोबार को समझने के लिए उन्होंने विदेशों की यात्रा और कई नई तकनीकों को कंपनी में इस्तेमाल किया. साल 1911 में जब किंग जॉर्ज पंचम और उनकी रानी मेरी, दिल्ली की यात्रा पर आए तो उनके कीमती सामानों को गोदरेज की तिजोरियों में ही रखा गया.
शालीमार पेंट्स
साल 1902 में बनी यह कंपनी दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी पेंट कंपनी है. आज तमाम सरकारी कंपनियां मसलन राष्ट्रपति भवन, एनटीपीसी, भारतीय रेलवे, बीपीसीएल और आईओसी इसके नियमित ग्राहक बने हुए हैं. आज इस कंपनी में तीन हजार से भी अधिक लोग काम कर रहे हैं.
टाटा स्टील लिमिटेड
साल 1907 में जमशेदजी टाटा ने इस कंपनी की शुरू किया था. कंपनी ने देश की पहली पंचवर्षीय योजना के तहत होने वाले कई निर्माण कार्यों के लिए स्टील की आपूर्ति की.आज यह दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी स्टील कंपनी है. टाटा समूह के अंतर्गत आने वाली इस कंपनी में आज 74 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं.
टीवीएस
टीवीएस मोटर कंपनी आज दुपहिया वाहन बनाने वाली भारत की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है. लेकिन जिस वक्त इसे शुरू किया गया था उस दौर में घोड़े गाड़ी और बग्घियों पर चलने वाले जमींदारों को गाड़ियां बेचना आसान नहीं था. इस कंपनी की स्थापना साल 1911 में टीवी सुंदरम अयंगर ने की थी. लेकिन इसने अच्छे से काम साल 1912 से शुरू किया. टीवीएस सुंदरम समूह के अंदर आने वाली इस कंपनी का टर्नओवर आज चार अरब से भी अधिक है.