विदेशों में सबसे ज्यादा प्रवासी भारत के हैं क्योंकि वे विदेशी जिंदगी को बेहतर मानते हैं. भारत में भी काफी विदेशी रहते हैं. वे भारत के बारे में क्या सोचते हैं?
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भारत में रहने वाले विदेशी भारत के बारे में क्या सोचते हैं, इसका अंदाजा इंटरनेशंस के सर्वे के नतीजों से लगाया जा सकता है. और विदेशियों की नजर से देखने पर भारत की इमेज कुछ अच्छी नहीं दिखती. इस सर्वे के मुताबिक विदेशों से भारत में जाकर रहने वालों में से 66 फीसदी लोगों ने बताया कि भारत में सेटल होना आसान काम नहीं है. लेकिन मुश्किल क्या आती हैं? सर्वे कहता है कि कोई एक हो तो बताएं.
विदेशियों को भारत के बारे में सबसे अच्छी बात लगती है यहां के लोगों का व्यवहार. 41 फीसदी लोगों ने कहा कि भारतीय संस्कृति के साथ सामंजस्य बिठाना सबसे आसान काम है और सिर्फ 10 फीसदी विदेशियों ने कहा कि विदेशियों के प्रति भारतीयों का व्यवहार दोस्ताना नहीं है. लेकिन समस्या है जिंदगी की गुणवत्ता. मसलन स्वास्थ्य सेवाओं से विदेशी बहुत नाखुश हैं. हालांकि 71 फीसदी प्रवासी कहते हैं कि भारत में स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती हैं लेकिन 26 फीसदी कहते हैं कि बहुत खराब हैं. इस सर्वे में क्वॉलिटी ऑफ लाइफ इंडेक्स में भारत को 67 देशों में 59वां रैंक मिला है. और इसकी एक बड़ी वजह प्रदूषण भी है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 28 फीसदी प्रवासियों ने कहा कि भारत में पर्यावरण बहुत ज्यादा खराब है.
देखिए, कौन से हैं प्रवासियों के फेवरेट देश
प्रवासियों के फेवरेट देश
काम करने के लिए अपने देश से बाहर जाने वाले लोग सबसे ज्यादा कहां जाना पसंद करते हैं? इंटरनेशंस के सर्वे में टॉप 10 रहे ये देश...
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नंबर 10
यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक नंबर 10 पर रहा है.
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नंबर 9
लग्जमबर्ग भले ही एक सिटी-स्टेट हो लेकिन विदेशियों को खूब पसंद है.
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नंबर 8
आमतौर पर नाम सुनाई नहीं देता लेकिन ऑस्ट्रिया नंबर 8 पर है.
क्या आपने सोचा था कि कोस्टा रिका इस लिस्ट में होगा?
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नंबर 5
न्यूजीलैंड की रैंकिंग ऑस्ट्रेलिया से बेहतर है, नंबर 5.
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नंबर 4
मेक्सिको को अगर आप सिर्फ ड्रग्स और क्राइम्स के लिए जानते हैं तो आप गलत हैं.
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नंबर 3
पिछले दो साल से नंबर वन रहा इक्वेडोर नंबर 3 पर खिसक गया है.
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नंबर 2
छोटा सा देश माल्टा विदेशियों को बहुत लुभाता है.
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नंबर 1
ताईवान सबको पीछे छोड़कर विदेशियों की पहली पसंद बन गया है.
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सुरक्षा भी प्रवासियों के लिए भारत में चिंता का बड़ा मुद्दा रहता है. 44 फीसदी प्रवासी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं. वैश्विक स्तर पर सिर्फ 33 फीसदी प्रवासी विदेश में सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. और सबसे बड़ी बात है शांतिपूर्ण जिंदगी. भारत में रहने वाले 89 फीसदी प्रवासी मानते हैं कि भारत में जिंदगी शांतिमय नहीं है. विदेशी भारत में अपने बच्चों को नहीं लाना चाहते. हालांकि उन्हें समाज से कोई दिक्कत नहीं है. बल्कि 78 फीसदी प्रवासी कहते हैं कि भारतीय हमारे परिवारों के प्रति बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं. लेकिन 42 फीसदी कहते हैं कि भारत में उनके बच्चे स्वस्थ नहीं रह पाएंगे. बच्चों की सेहत का स्तर कैसा है, इस सवाल का जवाब एक भी प्रवासी ने "बहुत अच्छा" नहीं दिया. और सिर्फ 55 प्रतिशत अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हैं. वैश्विक स्तर पर 75 फीसदी प्रवासी माता-पिताओं को अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता नहीं है.
ये हैं सबसे इनोवेटिव देश
ये हैं सबसे इनोवेटिव देश
भारत सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बनने की कोशिश में तो है लेकिन वहां नया कुछ नहीं हो रहा है. देखिए, दुनिया में नया काम कौन कर रहा है. ग्लोबल इनोवेटिव इंडेक्स के मुताबिक ये हैं टॉप 10 इनोवेटिव इकॉनमीज.
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चीन
चीन इनोवेटिव इंडेक्स में 25वें नंबर पर है. पहली बार कोई मिडल इनकम अर्थव्यस्था इस जगह तो पहुंच पाई है. और भारत कहां है, बाद में बताएंगे. पहले टॉप 10 से मिलिए.
तस्वीर: Reuters
नंबर 10
अपनी मशीनरी के लिए दुनियाभर में मशहूर जर्मनी दसवें नंबर पर है.
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नंबर 9
नीदरलैंड्स, जिसे आप हॉलैंड भी कहते हैं, नौवां सबसे इनोवेटिव देश है.
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नंबर 8
आठवें नंबर पर है एक और यूरोपीय देश डेनमार्क.
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नंबर 7
छोटा सा देश है आयरलैंड, लेकिन उसकी रैंकिंग नंबर 7 है.
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नंबर 6
सिंगापुर एक शहर बराबर देश है लेकिन इनोवेशन में नंबर 6 पर है.
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नंबर 5
फिनलैंड इनोवेटिव देशों की रैंकिंग में नंबर 5 पर खड़ा है.
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नंबर 4
अमेरिका की अर्थव्यस्था भले ही डावांडोल हो लेकिन इनोवेशन में वह कहीं आगे है.
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नंबर 3
ब्रिटेन आज भी बहुतों को मात देता है, नंबर 3 पर.
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नंबर 2
सिर्फ 99 लाख लोगों का देश स्वीडन इनोवेशन इंडेक्स में दूसरे नंबर पर है
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नंबर वन
और नंबर एक पर, यानी दुनिया का सबसे इनोवेटिव देश है स्विट्जरलैंड.
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और भारत
भारत की रैंकिंग 66 है.
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चाइल्ड केयर और एजुकेशन कैटिगरी में भी भारत की रैंकिंग काफी खराब है. 45 देशों में उसे 39वां रैंक मिला है. 69 फीसदी शिक्षा के उपलब्ध विकल्पों को लेकर संतुष्ट नहीं हैं. 48 प्रतिशत सोचते हैं कि अच्छी शिक्षा भारत में बहुत महंगी है. 67 फीसदी अपने बच्चों को इंटरनेशनल स्कूलों में भेजते हैं जबकि बाकी 33 फीसदी स्थानीय निजी स्कूलों में. भारत में रहने वाले विदेशियों में से एक भी माता-पिता ऐसे नहीं हैं जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजते हों. लेकिन एक मामले में भारत वैश्विक औसत से ऊपर है. शिक्षा की गुणवत्ता में 38 फीसदी प्रवासी माता-पिता भारत को अच्छा मानते हैं. वैश्विक स्तर पर यह औसत सिर्फ 21 फीसदी है.
25 फीसदी लोग ऐसे हैं भारत की अर्थव्यस्था की स्थिति को खराब मानते हैं. काम करने के मामले में भी भारत की स्थिति औसत ही है. 55 फीसदी लोग अपने करियर को लेकर संतुष्ट हैं. वैश्विक स्तर पर भी 55 प्रतिशत लोग ही हैं जो विदेशों में अपने करियर से संतुष्ट हैं लेकिन भारत में काम के घंटे विदेशों से कहीं ज्यादा हैं. भारत में रहने वाला प्रवासी हर हफ्ते 46.2 घंटे औसतन काम करता है. वैश्विक औसत 44.6 घंटे का है.
तस्वीरों में, कहां रहने के लिए चाहिए सबसे भारी बटुआ
केवल भारी बटुए वाले यहां रहें
दुनिया में कुछ शहर तो इतने महंगे हैं जहां एक आम शहरी के लिए सामान्य लाइफस्टाइल जीना भी बहुत मुश्किल है. मर्सर की इस साल की रैंकिंग में विदेशियों के लिए सबसे महंगा शहर हांगकांग को पाया गया.
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हांगकांग
पूर्व ब्रिटिश कालोनी रही हांगकांग में पर्ल नदी के पास स्थित एक ठिकाना जिसके नाम का अर्थ होता है "सुगंधित बन्दरगाह". घनी आबादी वाली यह जगह दुनिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय बाजारों में शामिल है. बैंकिंग उद्योग से जुड़े विदेशी बड़ी तादाद में यहां रहते हैं.
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लुआंडा
अंगोला की राजधानी लुआंडा पिछले साल टॉप पर था. यहां रहने का खर्च इतना अधिक होने का कारण यह है कि अंगोला को जीने के लिए जरूरी लगभग सभी चीजें आयात करनी पड़ती हैं. इन चीजों की कीमत मुख्यतया प्राकृतिक गैस जैसी अंगोला से निर्यात होने वाले चीजों से निकलती है.
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यूरोप के टॉपर
स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े शहर ज्यूरिख में हांगकांग की ही तरह बैंकिंग का गढ़ और प्रमुख वित्तीय केंद्र है. लेकिन उससे बहुत कम आबादी वाला शहर यूरोप का सबसे महंगा शहर है. जो खुशकिस्मत 400,000 निवासी यहां हैं वे इस बात से भी खुश हों कि उनका शहर अच्छी क्वॉलिटी के जीवन की रैकिंग में भी बहुत ऊपर है.
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येन के कारण उछाल
जापान की राजधानी टोक्यो रैंकिंग में अचानक काफी ऊपर चढ़ा. कारण है जापानी मुद्रा येन की मजबूती. एक मजबूत मुद्रा का अर्थ होता है कि विदेशियों को घर किराए पर लेने या खाने पीने पर उनकी अपनी मुद्रा यानि डॉलर, पाउंड या यूरो में जयादा रकम अदा करनी होगी. लेकिन जापान तो वैसे भी सबके लिए महंगा है.
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रूबल के कारण नीचे
जैसे येन चढ़ा, वैसे ही रूबल पिछले कुछ सालों में नीचे गिरा है. इससे मॉस्को में रहने वाले विदेशियों का खर्च भी घटा. रूसी राजधानी में सस्ती मुद्रा से विदेशियों को अपने देश की मुद्राओं के बदले काफी कुछ हासिल करने का दुर्लभ अवसर मिलता है.
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सबसे सस्ते
नामीबिया की राजधानी विंडहोक को 2016 की मर्सर रैंकिंग में शामिल सबसे सस्ता शहर होने का खिताब मिला. विश्व में स्थान है 209 और इसमें निवास, खाना-पीना, मनोरंजन की गतिविधियों और आवाजाही के खर्च को जोड़ कर इस रैंक पर रखे जाने का हिसाब लगाया गया है.
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कहां हैं जर्मन शहर
जर्मनी के शहर ना तो बहुत महंगे हैं और ना ही बड़े सस्ते. म्यूनिख सबसे महंगा होने के साथ 77वें स्थान पर है तो वहीं फ्रैंकफर्ट 88वें और राजधानी बर्लिन 100वें. हैम्बर्ग 11 स्थान कूदते हुए 133 पर पहुंचा है. मर्सर ने पाया कि बड़े शहरों में रहने की जगहों के दाम बढ़ने के कारण ही कुल मंहगाई बढ़ी है.
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इन सब दिक्कतों के बावजूद भारत को पसंद करने के पीछे एक बड़ी वजह यहां का जीवन सस्ता होना भी है. 68 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे जरूरत से कहीं ज्यादा कमा लेते हैं. वैश्विक स्तर पर ऐसा सिर्फ 48 फीसदी लोग कह पाते हैं. इस वजह से पर्सनल फाइनैंस इंडेक्स कैटिगरी में भारत का 9वां स्थान हैं और कॉस्ट ऑफ लिविंग कैटिगरी में 15वां.
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