आजादी के बाद से ही महाराष्ट्र और गुजरात देश की अर्थव्यवस्था में ग्रोथ इंजन की भूमिका निभाते रहे हैं. इसके बावजूद यह दोनों राज्य खुद अब तक भूखमरी, कुपोषण और बेरोजगारी से आजाद नहीं हो पाए हैं.
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महाराष्ट्र और गुजरात आजादी के बाद से ही देश के प्रमुख औद्योगिक राज्य रहे हैं. समय के साथ हुई इनकी आर्थिक प्रगति ने देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती प्रदान की है. नब्बे के दशक में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण का लाभ उठाते हुए इन दोनों राज्यों ने अपनी जीडीपी को मजबूत बनाया और वर्तमान में जीडीपी के हिसाब से महाराष्ट्र देश का सबसे अग्रणी राज्य है. भले ही गुजरात की जीडीपी महाराष्ट्र जितनी बड़ी ना हो पर ग्रोथ रेट के मामले में यह महाराष्ट्र पर भारी है.
पाकिस्तान से बड़ी है महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था
महाराष्ट्र की जीडीपी का आकार पकिस्तान की जीडीपी से अधिक है. वर्ष 2015 में पाकिस्तान की जीडीपी का आकार करीब 250 अरब डॉलर था, वहीं इस दौरान महाराष्ट्र की जीडीपी 295 अरब डॉलर के स्तर पर थी. ना केवल पाकिस्तान बल्कि मिस्र और दुनिया के 38 अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था बड़ी है. देश में चौथे स्थान पर मौजूद गुजरात की जीडीपी 150 अरब डॉलर के आसपास है, जो हंगरी और यूक्रेन के मुकाबले अधिक है. कर संग्रहण के मामले में भी महाराष्ट्र सबसे आगे है. कुल राजस्व प्राप्ति में 70 फीसदी हिस्सा कर का है. देश के कुल राजस्व का 40 फीसदी महाराष्ट्र से आता है जबकि औद्योगिक उत्पादन में महाराष्ट्र का योगदान 15 फीसदी है.
सबसे ऊंची मूर्ति बनाने की कवायद जारी है
दुनिया की सबसे ऊंची मूर्तियां
सरदार पटेल की मूर्ति सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया में सबसे ऊंची है. जानिए इसने दुनिया की किन जानी मानी मूर्तियों को पछाड़ दिया है.
तस्वीर: Reuters//Information Department Gujarat State
स्टैचु और यूनिटी, भारत
2013 में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 138वीं जयंती के मौके पर उनकी 182 मीटर ऊंची मूर्ति बनवाने का काम शुरू हुआ. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सहयोगी और गृह मंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया. इसे बनाने में 2,989 करोड़ रुपये का खर्च आया.
तस्वीर: Reuters//Information Department Gujarat State
स्टैचू ऑफ लिबर्टी, अमेरिका
स्टैचू ऑफ लिबर्टी अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क में स्थित है. हालांकि इसकी ऊंचाई महज 46 मीटर ही है लेकिन यह दुनिया की सबसे मशहूर मूर्तियों में शामिल है.
तस्वीर: Imago/ZumaPress
क्राइस्ट द रिडीमर, ब्राजील
यहां जाने वालों को रियो दे जनेरो का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है. यीशु की यह प्रतिमा 30 मीटर ऊंची है और 2007 में इसे दुनिया के सात नए अजूबों की सूची में शामिल किया गया था. इस सूची में चीन की दीवार, माचू पिचू और भारत का ताज महल भी शामिल हैं.
तस्वीर: AP
लेक्यून सेक्टयार, म्यांमार
म्यांमार में स्थापित गौतम बुद्ध की मूर्ति 116 मीटर ऊंची है. मूर्ति का निर्माण 13.5 मीटर ऊंचे चबूतरे पर किया गया है. चबूतरे को जो़ड़ दिया जाए तो इसकी ऊंचाई 130 मीटर हो जाती है. 2008 में मूर्ति की स्थापना के बाद से यह जगह म्यांमार में पर्यटकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र है.
तस्वीर: picture-alliance/imageBroker
नानशान हाइशांग गुनयिन, चीन
चीन में गुनियन की मूर्ति दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है. यह हन्नान में स्थित है. यह मूर्ति दया की देवी को दिखाती है. इस मूर्ति को बनाने में 6 साल लगे थे और यह 108 मीटर ऊंची है.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot
स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा, चीन
चीन के लुसान में स्थित गौतम बुद्ध की मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है. यह मूर्ति 153 मीटर ऊंची है. बुद्ध की मूर्ति मध्य चीन के जियुहुआ की पहाड़ों पर स्थापित की गई है.बुद्ध एक कमल के फूल के आकार के चबूतरे पर खड़े हैं. साल 2002 में इस मूर्ति की स्थापना की गई थी.
तस्वीर: cc-by-sa-Zgpdszz
सम्राट यान और हुआंग, चीन
यान और हुआंग प्राचीन सम्राट थे जिन्हें चीनी राष्ट्र के पूर्वजों के रूप में भी माना जाता है. हेनान प्रांत के झेंगजु में स्थापित मूर्ति 106 मीटर ऊंची है. इस मूर्ति को बनाने में 20 साल लगे और यह साल 2007 में तैयार हुई.
तस्वीर: CC-BY-SA-Qilainik
पीटर द ग्रेट, रूस
पीटर द ग्रेट की मूर्ति मॉस्को में है. पीटर द ग्रेट 17वीं और 18वीं शताब्दी में रूस के शासक थे. मूर्ति की ऊंचाई 96 मीटर है.
तस्वीर: picture alliance/dpa
उशिकु दायबुत्सु, जापान
जापान के उशिकु शहर में स्थापित भगवान बुद्ध की मूर्ति 110 मीटर ऊंची है. 1995 में बनी इस मूर्ति का वजन 4000 टन है. यह मूर्ति कितनी बड़ी है आप इस बात से ही कल्पना कर सकते हैं कि मूर्ति का चेहरा 20 मीटर लंबा है. जो कि स्टैचू ऑफ लिबर्टी का करीब आधा है.
तस्वीर: CC-BY-aerogoat
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निर्यात में अगुआ
महाराष्ट्र और गुजरात का 2014-15 में कुल निर्यात में हिस्सा 46 प्रतिशत रहा है. उद्योग संगठन एसोचैम के एक अध्ययन के अनुसार देश को निर्यात से हुई आमदनी में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत से ज्यादा है. 2014-15 में निर्यात से हुई आय करीब 310 अरब डॉलर थी. इस अवधि में महाराष्ट्र का निर्यात 72.83 अरब डॉलर रहा और यह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा. वहीं, इस दौरान गुजरात को वस्तुओं के निर्यात से 59.58 अरब डॉलर की आय हुई. यह दूसरे स्थान पर रहा. गुजरात और महाराष्ट्र से निर्यात में क्रमश: 8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
लेकिन इसके बावजूद प्रति व्यक्ति आय के मामले में महाराष्ट्र और गुजरात दोनों ही राज्य टॉप 5 में शामिल नहीं हैं. महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति आय 1.29 लाख रुपये है जबकि गुजरात की प्रति व्यक्ति आय 1.10 लाख रुपये है. जीडीपी के मामले में देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था महाराष्ट्र इनकम टैक्स भरने के मामले में भी पहले नंबर पर है. सरकार की ओर से जमा किए गए कुल टैक्स में से 39.9 फीसदी टैक्स महाराष्ट्र से इकट्ठा हुआ. गुजरात पिछले दो दशकों के दौरान इकोनॉमिक ग्रोथ के मामले में सबसे आगे रहा है. टैक्स कलेक्शन के मामले में गुजरात का नंबर पांचवां रहा. सरकार की ओर से जमा किए गए कुल टैक्स में से 5.21 फीसदी टैक्स गुजरात से एकत्र हुआ.
महाराष्ट्र की पहचान, जानलेवा कपास
जानलेवा कपास
जीन संवर्धित कपास से वैसे तो किसानों को धनी होना था लेकिन इसने उनकी जान ले ली. महाराष्ट्र के विदर्भ से किसानों की कहानी, तस्वीरों के साथ.
तस्वीर: Isabell Zipfel
जहर में डूबे
कपास की खेती में नुकसान के कारण जान देने वालों में से एक किसान. गैर सरकारी संगठनों के मुताबिक नब्बे के दशक से अब तक दो लाख से ज्यादा किसान अपनी जान ले चुके हैं.
तस्वीर: Isabell Zipfel
औरतें अकेली
पीछे रह जाती हैं औरतें, जिन्हें अपने परिवार को पालना है. विकल्प के अभाव में ये औरतें खेत में काम करने को मजबूर होती हैं. कई किसान खेत में कपास के साथ सोया भी उगाते हैं. भारत में कपास बहुत छोटे खेतों में बोया जाता है, मशीनों की मदद के बिना.
तस्वीर: Isabell Zipfel
जीन संवर्धित
भारत में 90 फीसदी खेतों में अब जीन संवर्धित बीटी कपास उगाया जाता है. अमेरिकी कंपनी मोनसैंटो ने कपास के बीज में बासिलस थुरिंजिएंसिस (बीटी) बैक्टीरिया का जीन डाला ताकि पौधा कीड़ों से बचा रहे. कपास का ये बीज महंगा है, एक से ज्यादा बार बोया भी नहीं जा सकता.
तस्वीर: Isabell Zipfel
मोनसैंटो का बाजार
भारत मोनसैंटो के लिए बड़ा बाजार है. यहां एक करोड़ बीस लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की जाती है. वर्धा में बीटी कपास बीज के साथ ही खरपतवार हटाने वाला राउंडप भी बेचा जा रहा है. ये भी मोनसैंटो का ही है. बीटी बीज राउंडप के प्रति प्रतिरोधी है.
तस्वीर: Isabell Zipfel
बिना सुरक्षा के
बीटी कपास के कारण विदर्भ में होने वाला कपास बिलकुल गायब हो गया है. खरपतवार हटाने वाली दवाई राउंडप हर कहीं बिकती है. ये दवाइयां अक्सर बहुत जहरीली होती हैं लेकिन फिर भी बिना मास्क और दस्ताने पहने डाली जाती हैं.
तस्वीर: Isabell Zipfel
जब बारिश न हो
कपास के लिए जमीन का बहुत उपजाऊ होना जरूरी नहीं है लेकिन इसे बढ़ने के लिए लगातार पानी चाहिए. कुछ बीटी कपास सूखा बिलकुल नहीं झेल सकते और विदर्भ में पानी की बड़ी समस्या है. यहां के किसान मानसून पर निर्भर हैं.
तस्वीर: Isabell Zipfel
कुल मिला के नुकसान
हर साल कपास के महंगे जीन संवर्धित बीज खरीदना, फसल का कम होना और बारिश नहीं होना.. इन सबके कारण किसान बुरी तरह कर्ज में डूब जाते हैं. वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार जीतने वाली वंदना शिवा इसी को किसानों की आत्महत्या का मुख्य कारण मानती हैं.
तस्वीर: Isabell Zipfel
कम फसल
बीटी कपास के इस्तेमाल के बाद से विदर्भ के कई किसान ज्यादा लागत और कम फसल की शिकायत करते हैं. परेशानी इसलिए और बढ़ जाती है कि पानी नहीं है. भारत के दूसरे हिस्सों में इसी कपास के कारण अच्छी फसल होने की भी रिपोर्टें हैं.
तस्वीर: Isabell Zipfel
घर और स्टोरेज
महिला के घर में रखी हुई कपास. पति की मौत के बाद उसने सारी फसल घर मंगवा ली. वह उन एक करोड़ भारतीयों में शामिल है, जो खेती करते हैं. दुनिया भर का एक चौथाई कपास भारत से आता है. चीन और अमेरिका के बाद ये कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है.
तस्वीर: Isabell Zipfel
नाउम्मीदी
विदर्भ में किसान बीटी कपास से दुखी हैं. हालांकि क्या इन आत्महत्याओं का कारण बीटी कपास का आना था, इस पर विवाद है. ये सभी तस्वीरें इजाबेल सिप्फेल ने ली हैं.
तस्वीर: Isabell Zipfel
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तस्वीर का दूसरा पहलू
महाराष्ट्र और गुजरात देश के पांच कर्जदार राज्यों में भी शामिल है. आरबीआई के मुताबिक, महाराष्ट्र पर 3.79 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. वहीँ गुजरात पर 2.29 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं, “हम अपनी आजादी का 70वां साल मनाने जा रहे हैं, लेकिन देश के अन्य राज्यों की तरह ही महाराष्ट्र और गुजरात भी कुपोषण, किसान आत्महत्या, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से आजाद नहीं हो पाए हैं.” विकास के तमाम आकड़ों के बीच सरकार के ही आकड़ों के हिसाब से महाराष्ट्र में सवा दो करोड़ से ज़्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे का जीवन जी रहे हैं.
गरीबी से उपजे कुपोषण से हर साल करीब 45,000 बच्चे मर जाते हैं. वहीँ यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात भी कुपोषण से जूझ रहा है. राज्य में करीबन 33.6 प्रतिशत बच्चे कम वजन और 41.6 प्रतिशत बच्चे खराब ग्रोथ की समस्या से जूझ रहे हैं. हालांकि महाराष्ट्र को नवजात शिशु की मृत्यु दर में कमी लाने में कामयाबी मिली है. 60 साल पहले की तुलना में अब यह मात्र एक चौथाई ही रह गई है. प्रति एक हजार पर नवजात शिशु की मृत्यु दर यहां 25 है, जबकि राष्ट्रीय दर 50 के आसपास है.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों राज्यों में लड़कियों के लिए बनाये गए कानून असफल हो रहे हैं. दोनों ही राज्य प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नैटल डायगनोस्टिक टेक्नीक एक्ट के क्रियान्वयन में असफल रहे हैं. यह विधेयक गर्भधारण से पूर्व या बाद में लिंग निर्धारण, कन्या भ्रूणहत्या के लिए नैदानिक तकनीकों पर रोक को नियमित करता है. महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामाजिक सूचकांकों पर भी गुजरात का प्रदर्शन खराब रहा है. गृहिणी संध्या पांडे कहती हैं कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर बहुत काम होना बाकी है. आजादी के इतने साल बाद भी महिलाएं असामाजिक तत्वों के ‘भय से आज़ाद नहीं' हो पाई हैं.
ब्लॉग: विश्वरत्न श्रीवास्तव
क्या आप जानते हैं, भारत में कितने गुलाम हैं?
2017 में कहां कितने गुलाम
दुनिया में दासता आज भी जारी है. ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के मुताबिक आज भी तीन करोड़ 58 लाख आधुनिक गुलाम हैं. बीते एक साल में शीर्ष 10 देशों की कतार में कई नए देश शामिल हुए हैं. भारत यहां सबसे ऊपर दिखता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S.Hamed
नंबर 10, इंडोनेशिया
इंडोनेशिया में सात लाख से ज्यादा लोग गुलाम हैं. यह शीर्ष के 10 देशों में इसी साल शामिल हुआ है.
तस्वीर: AP
नंबर 9, डीआर कांगो
इस अफ्रीकी देश में एक साल के भीतर दासों की संख्या दोगुनी हो गई है अब यहां 8 लाख से ज्यादा गुलाम हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Kurokawa
नंबर 8, नाइजीरिया
यहां 8 लाख 75 हजार गुलाम हैं.
तस्वीर: Reuters
नंबर 7, रूस
दुनिया की ताकत बनने को लड़ते रूस में 10 लाख गुलाम हैं.