120 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं जब अपने साथ खूब सारी बर्फ लेकर चलती हैं तो भारी आफत आती है. मौसम वैज्ञानिकों ने इसे ही बॉम्ब साइक्लोन कहा है. यानी बम की तरह फटने वाली आंधी.
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अमेरिका आज जिस आंधी और तूफान की चपेट में है वह बॉम्ब साइक्लोन कहा जाता है. मशहूर मौसम विज्ञानी फ्रेड सेंडर्स और जॉन ग्याकुम ने 1980 के दशक में एक स्टडी के बाद इसे यह नाम दिया था. वैसे इसका जिक्र 1940 के बाद से ही शुरू हो गया था जब बेर्गन स्कूल ऑफ मेटियोरोलॉजी ने अनौपचारिक तौर पर इसे बॉम्ब साइक्लोन कहना शुरू किया था. तब समुद्र में होने वाली घटनाओं को यह नाम दिया जा रहा था. 60-70 के दशक में इस पर व्यापक चर्चा भी शुरू हो गई. उस वक्त यह समुद्र में होने वाली घटना मानी जाती थी लेकिन बाद में पता चला कि यह जमीनी इलाकों में भी हो सकती है. वातावरण का दबाव अचानक से अत्यधिक घट जाने पर यह स्थिति पैदा होती है.
बॉम्ब साइक्लोन
बॉम्ब साइक्लोन एक बड़ी, तेज और मध्य विस्तार वाली आंधी है जिसके केंद्र में दबाव बहुत कम होता है, इसके साथ कई तरह के मौसम एक साथ चलते हैं जिनमें बर्फानी तूफान, गरज और बिजली गिराने वाली आंधी और भारी बारिश शामिल है. इसके केंद्र का दबाव जब अचानक और अत्यधिक कम हो जाता है तो यह बम की तरह व्यवहार करता है. 24 घंटे के अंदर 24 मिलीबार तक दबाव कम होने पर यह स्थिति आती है. यही कारण है कि इसे बॉम्ब साइक्लोन या फिर एक्सप्लोजिव साइक्लोन कहा जाता है. वैसे तो यह दुर्लभ मानी जाती रही है लेकिन अमेरिका के लिए अब यह दुर्लभ नहीं रही. सबसे पहले 1987 में अमेरिका में ही बॉम्ब साइक्लोन की पहली घटना रिकॉर्ड की गई थी. पूर्वी अमेरिका का समुद्री इलाका वह क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा बॉम्ब साइक्लोन बनते हैं.
भूमध्य सागर के उत्तर का वो हिस्सा जिसमें पूरा अमेरिकी महादेश शामिल है, वहां मध्य विस्तार वाली आंधियों को अधिक तापमान वाले इलाकों से ऊर्जा मिलती है. सर्दियों में अमेरिका के पूर्वी तट के इलाकों में यह ठंड और गर्मी का खेल चलता है. जमीन ठंडी होती है और खाड़ी की तरफ समंदर में तापमान ज्यादा रहता है. समंदर के पास गर्मी और नमी भारी मात्रा में होती है. जैसे ही धरती की तरफ से आने वाली हवा इनके ऊपर से गुजरती है और तापमान में अंतर पैदा होता है नीचे का वातावरण अस्थिर और उत्प्लावक बन जाता है. हवा ऊपर उठती है, यह ठंडी और घनी होती है, बादल बनते हैं और बारिश होने लगती है.
तेज चक्रवातों को सतह के ऊपर भी उपयुक्त परिस्थितियों की जरूरत होती है. खासतौर से मजबूत ऊपर के स्तर पर हवाएं जो आधियों के साथ मिल कर उन्हें ऊपर उठने में मदद करती हैं. जब मजबूत तेज हवाएं कम दबाव वाले क्षेत्र से गुजरती हैं तो इनकी वजह से गर्म हवा और ज्यादा तेजी से ऊपर उठने लगती है इसके नतीजे में केंद्र की तरफ दबाव तेजी से घटने लगता है. जैसे ही दबाव घटता है, आंधी के आसपास की हवा और मजबूत होने लगती है. वास्तव में वातावरण केंद्र की तरफ और उसके आसपास दबाव के अंतर को मिटाना चहता है और इसी वजह से हवाएं तेजी से उस ओर जाती हैं.
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कहां बनते हैं बॉम्ब साइक्लोन
पृथ्वी पर बॉम्ब साइक्लोन के लिहाज से सबसे ज्यादा प्रभावित या सक्रिय चार इलाके है. इनमें उत्तर पश्चिमी प्रशांत, उत्तरी अटलांटिक, दक्षिण पूर्वी प्रशांत और दक्षिण अटलांटिक का इलाका शामिल हैं. बीते दशकों में अमेरिका के लिए अब इसे दुर्लभ नहीं माना जाता है.
अमेरिका में घातक तूफान का कहर जारी
घातक सर्द तूफान ने अमेरिका के ज्यादातर हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया है. सड़क से लेकर मकान तक बर्फ से ढके हुए हैं और अब तक कम से कम 34 लोगों की मौत हो चुकी है.
तस्वीर: (Neil Blake/The Grand Rapids Press/AP/picture alliance
सड़क पर चलना मुश्किल
पश्चिमी न्यूयॉर्क में हालत बहुत खराब है. सड़कों पर चलना खतरनाक हो गया है, विमान की उड़ानें रद्द कर दी गई हैं और ऐसा लग रहा है कि यह पूरा हफ्ता बर्फ के साये में ही बीतेगा.
तस्वीर: Brendan McDermid/REUTERS
लोगों की मौत
पूरे देश से लोगों के मौत की खबरें आ रही हैं. न्यूयॉर्क की एरी काउंटी में 12 लोगों की मौत हुई है जिनकी उम्र 26 साल से 93 साल तक है. नायाग्रा में एक, ओहायो में 10, मिजूरी, कैंसस और केंटकी में 6 लोगों की मौत हुई है.
बड़ी संख्या में लोग ऐसे घरों में बिना बिजली की सप्लाई के रह रहे हैं. कनाडा के नजदीक ग्रेट लेक से लेकर मेक्सिको की सीमा के पास रियो ग्रांडे तक का इलाका खराब मौसम की चपेट में है.
तस्वीर: AP Photo/Jeffrey T. Barnes/picture alliance
60 फीसदी आबादी को चेतावनी
अमेरिका की 60 फीसदी आबादी को मौसम विभाग से सलाह या चेतावनी दी गई है. पूर्व के चट्टानी पर्वतों से लेकर अपलाचेंस के पर्वतों तक तापमान सामान्य से बहुत अधिक नीचे चला गया है.
तस्वीर: Gordon Donovan/NurPhoto/IMAGO
आपातकालीन सेवाएं ठप्प
बर्फीली आंधी ने बफेलो में सबसे ज्यादा मुश्किलें पैदा की हैं. हालत ये है कि यहां आपातकालीन सेवाएं भी ठप्प हो गई हैं. न्यूयॉर्क राज्य के गवर्नर ने बताया कि बफेलो में दमकल विभाग के लगभग सारे ट्रक शनिवार को बर्फ में फंस गये थे.
तस्वीर: Brendan McDermid/REUTERS
गाड़ी चलाने पर रोक
बफेलो में गाड़ी चलाने पर रविवार को रोक लगा दी गई और जगह जगह गाड़ियां बर्फ के नीचे दबी हुई हैं. आपातकालीन सेवा के लिए निकले दमकल विभाग के ट्रक चलाने की स्थिति भी नहीं बन पा रही थी.
तस्वीर: Brendan McDermid/REUTERS
बर्फ हटाना मुश्किल
बफेलो नायग्रा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रविवार सुबह सात बजे तक 43 इंच बर्फ जमी हुई थी. यहां का एयरपोर्ट मंगलवार तक के लिए बंद कर दिया गया है. सड़कों से बर्फ हटाना भी संभव नहीं.
तस्वीर: Brendan McDermid/REUTERS
हर तरफ बर्फ ही बर्फ
भारी बर्फ के ढेर ने कारों और घरों को ढक रखा है और बहुत तो क्रिसमस के मौके पर भी बिना बिजली की सप्लाई के रहे. बर्फ अब भी गिर रही है तो कई जगहों पर इसकी परत 1-2 फीट तक और मोटी हो सकती है.
तस्वीर: Brendan McDermid/REUTERS
राहत पाने की मुश्किलें
कई जगहों पर वॉर्मिंग शेल्टर बनाये गये हैं लेकिन आम लोगों के लिए वहां तक पहुंच पाना भी मुश्किल हो रहा है. घर से बाहर निकल कर 10 मिनट तक भी ठंड सहन करना मुश्किल है.
तस्वीर: Brendan McDermid/REUTERS
वॉर्मिंग शेल्टर में शरण
कई लोगों की गाड़ियां बर्फ में फंस गईं और जब तक तेल था वे उसे चालू रखे हुए थे लेकिन जब तेल खत्म हो गया तो जोखिम उठा कर पैदल ही अपने बच्चों को गोद में लेकर वॉर्मिंग शेल्टर तक गये.
तस्वीर: Katie McTiernan/AA/picture alliance
मुश्किलों से भरे दिन
जमा देने वाली सर्दी है और इसी बीच बिजली की सप्लाई नहीं है. कई लोगों ने कार में जा कर फोन चार्ज किये हैं. लोग गर्मी पाने के लिए कुछ भी कर रहे हैं. बफेलोवासियों ने पहली बार इतने लंबे समय के लिए ऐसी स्थिति देखी है.
तस्वीर: John Waller/AP/picture alliance
बिजली की समस्या
माइन से लेकर सिएटल तक की बिजली गुल हो गई थी लेकिन प्रशासन किसी तरह बिजली और हीटिंग की सेवा बहाल कर दी है. सबसे बुरे हालात में करीब 17 साथ लोग बगैर बिजली के थे अब अब यह संख्या दो लाख के आसपास है.
तस्वीर: Bridget Haslinger/AP/dpa/picture alliance
कार में फंसे लोग
कई जगहों पर लोग दो दिन तक कार में ही फंसे रहे. न्यूयॉर्क में पुलिस को कुछ कारों से शव मिले हैं और उनका कहना है कि ऐसी मौतों की संख्या और बढ़ सकती है.
64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं अब भी चल रही हैं और पुलिस के मुताबिक इसी भयंकर मौसम में लूटपाट की घटनाएं भी हुई हैं. कई लोगों की मौत इस वजह से हुई है क्योंकि आपातकालीन मदद उन तक समय पर नहीं पहुंची.