डर्टी बम को लंबे समय तक आतंकवादियों का हथियार माना जाता रहा है क्योंकि इन बमों का असल उद्देश्य वातावरण में रेडियोधर्मी धूल और धुआं उछाल कर घबड़ाहट, उलझन और चिंता पैदा करना है. डर्टी बम क्या है और कैसे नुकसान पहुंचाता है.
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रूस का आरोप है कि यूक्रेन डर्टी बम का धमाका करने की तैयारी कर रहा है ताकि इसका आरोप रूस पर लगा कर जंग को और ज्यादा फैलाया जा सके. पश्चिमी देशों ने इस दावे को खारिज करते इसे "पारदर्शी झूठ" कहा है. अभी तक दुनिया में किसी डर्टी बम के धमाके का रिकॉर्ड नहीं है. दो दशक से ज्यादा पहले की बात है जब रूस के चेचेन्या प्रांत में इस तरह का बम धमाका करने की दो नकाम कोशिशें हुई थीं.
डर्टी बम कैसे काम करता है?
तकनीकी रूप से डर्टी बम का मतलब है रेडियोलॉजिक डिस्पर्सन डिवाइस. ये बम तुलनात्मक रूप से अपने विकास के शुरुआती चरण में हैं और बहुत सटीक नहीं होते. परमाणु बमों की तुलना में इन्हें बनाना आसान और काफी सस्ता है और साथ ही यह कम नुकसानदेह होते हैं.
डर्टी बमों में डायनामाइट जैसे पारंपरिक विस्फोटक का इस्तेमाल होता है. इन्हें रेडियोधर्मी पदार्थ के साथ रखा जाता है. धमाके के जोर से यह रेडियोधर्मी पदार्थ वातावरण में फैल जाता है. फैलने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ की मात्रा इसे खतरनाक बनाती है लेकिन जरूरी नहीं है कि यह घातक भी हो.
बम में इस्तेमाल होने वाला मटीरियल दवाओं में इस्तेमाल होने वाले और उद्योगों से या फिर रिसर्च केंद्रों जैसे रेडियोधर्मी स्रोतों से हासिल किया जा सकता है. वॉशिंगटन के गैर सरकारी संगठन द न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव के न्यूक्लियर मटीरियल सिक्योरिटी प्रोग्राम के वाइस प्रेसिडेंट स्कॉट रोएकर का कहना है, "डर्टी बम बनाना सचमुच काफी आसान है. यह एक अपरिपक्व उपकरण है."
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डर्टी बम से क्या नुकसान होता है?
डर्टी बम से होने वाले नुकसान या जान की हानि कई बातों पर निर्भर करती है. इसमें एक अहम कड़ी है कि इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक विस्फोटक की प्रकृति और मात्रा. विस्फोट का परिमाण इसी से तय होता है. रेडियोएक्टिव मटीरियल की मात्रा और टाइप इसे प्रभावित करने वाले दूसरे कारण हैं और साथ ही मौसम की स्थिति भी. खासतौर से धमाके के वक्त हवा की स्थिति इस पर बहुत असर डालती है. हवा के चलते एक बड़ा इलाका जहरीला हो सकता है.
ज्यादातर डर्टी बम इस मात्रा में विकिरण नहीं फैलाते कि लोगों की जान जाए या फिर गंभीर बीमारी हो. कम मात्रा में विकिरण से आमतौर पर कोई बीमारी का लक्षण नहीं दिखता. लोगों को यह पता भी नहीं चलता कि वे उसके संपर्क में आये हैं क्योंकि विकिरण को ना तो देखा जा सकता है, ना इसकी कोई गंध होती है और ना कोई स्वाद.
कितना खतरनाक है डर्टी बम?
डर्टी बम की वजह से सीमित संख्या में लोगों की मौत हो सकती है. इसका असली असर मनोवैज्ञानिक होता है. यही वजह है कि इन बमों को "व्यापक बाधा के हथियार" कहा जाता है. रोएकर का कहना है कि डर्टी बमों का युद्धक्षेत्र में कोई इस्तेमाल नहीं है, इन्हें शहरी क्षेत्रों में इस्तेमाल के लिए रखा जाता है. रोएकर ने कहा, "ये मोटे तौर पर मनोवैज्ञानिक हथियार हैं. जब आप लोगों को डराने धमकाने की कोशिश करते हैं तो इस तरह के हथियार का इस्तेमाल होता है."
रेडियोधर्मी धूल और धुआं दूर तर फैल सकते हैं और धमाके वाली जगह के आस पास मौजूद लोगों में सांस के सहारे अंदर जा कर यह खतरनाक साबित हो सकते हैं. रेडियोधर्मी बादल दूर तक फैल सकते हैं. हालांकि वातावरण के सहारे फैल रहा रेडियोधर्मी पदार्थ कम सघन और कम नुकसानदेह होता है.
विकिरण के संपर्क में आने से नुकसान इस बात पर भी निर्भर है कि कोई कैसे संपर्क में आया, कितनी देर तक संपर्क में रहा और विकिरण त्वचा के जरिये शरीर में गई, सांस के जरिये या फिर मुंह के जरिये.
विकिरण का पता लगाने के लिए खास उपकरणों की जरूरत होती है. विकिरण के संपर्क में आए घरों, दुकानों और सार्वजनिक सेवाओं को कई महीनों तक लोगों से दूर रख कर महंगी प्रक्रिया के जरिये साफ सफाई कराने की जरूरत पड़ती है.
एनआर/वीके (एपी)
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.