क्या होता है एयर टर्बुलेंस और क्यों हो जाता है खतरनाक?
२२ मई २०२४
मंगलवार को सिंगापुर एयरलाइंस के एक विमान ने तीन मिनट में 6,000 फुट का गोता लगा दिया. इससे विमान में इतनी खतरनाक हलचल हुई कि एक व्यक्ति की मौत हो गई. एयर टर्बुलेंस कई बार जानलेवा भी साबित हुआ.
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सिंगापुर एयरलाइंस के एक विमान में मंगलवार को इतना खतरनाक टर्बुलेंस हुआ कि एक व्यक्ति की जान चली गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए. 73 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक की जान किस वजह से गई, इस बारे में अभी जांच की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि हो सकता है, उस यात्री की जान हृदय गति रुक जाने से हुई हो, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है.
इस घटना के बाद एक बार फिर एयर टर्बुलेंस को लेकर चिंताएं सामने आ गई हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि यात्रियों और विमान के चालक दल के लिए ये घटनाएं काफी खतरनाक हो सकती हैं. हालांकि टर्बुलेंस के दौरान किसी की जान जाने के मामले बहुत ज्यादा नहीं हैं. लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं इसलिए अतिरिक्त सावधानी और सुरक्षा उपाय जरूरी हो गए हैं.
टर्बुलेंस की अब तक हुई घटनाओं में से अधिकतर मामूली हुई हैं लेकिन विमानन कंपनियों ने दुर्घटनाओं को रोकने और कम करने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं. फिर भी विशेषज्ञ कहते हैं कि यात्रियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए.
क्या होता है टर्बुलेंस?
टर्बुलेंस असल में एक अस्थिर हवा होती है जिसकी गति और भार का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. अधितकतर लोग समझते हैं कि ऐसा खराब मौसम या तूफान आदि में ही होता है लेकिन सबसे ज्यादा खतरनाक टर्बुलेंस तब होता है जब मौसम साफ हो और सामने आसमान में किसी तरह का खतरा या संकेत नजर ना आ रहा हो.
दुनिया के सबसे बड़े विमान हादसे
हवाई सफर को सबसे सुरक्षित सफर माना जाता है. लेकिन इसके इतिहास में कई दर्दनाक हादसे भी दर्ज हैं. एक नजर दुनिया की सबसे बड़ी हवाई दुर्घटनाओं पर.
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25 मई 1979, 273 मौतें
मरने वालों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़े हादसों में दसवें नंबर पर है अमेरिका के इलेनॉय में 25 मई 1979 को हुई दुर्घटना. अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 191 शिकागो से उड़ान भरने के चंद मिनटों में ही क्रैश हो गई और इसमें सवार सभी 258 मुसाफिर, 13 चालक दल के सदस्य और दो लोग जमीन पर मारे गए थे.
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19 फरवरी 2003, 275 मौतें
ईरान में केरमेन के पास पहाड़ी इलाके में 19 फरवरी 2003 को बड़ा विमान हादसा हुआ जिसमें विमान पर सवार सभी 275 लोग मारे गए थे. विमान ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स के जवानों को लेकर जा रहा था.
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3 जुलाई 1988, 290 मौतें
3 जुलाई 1988 को हरमुज जलमडमरूमध्य में ईरान एयर की फ्लाइट को अमेरिकी नौसेना ने मार गिराया था, जिसमें विमान पर सवार सभी 290 लोग मारे गए थे. अमेरिकी सरकार का कहना था कि उसकी नेवी ने विमान को गलती से कोई लड़ाकू विमान समझ लिया था. तेहरान से दुबई जा रही ये उड़ान नियमित रूट पर नहीं थी.
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17 जुलाई 2014, 298 मौतें
17 जुलाई 2014 को एम्सटरडैम से कुआलालंपुर जा रहे मलेशिया एयरलाइंस के विमान को यूक्रेन में दोनेत्सक इलाके में मार गिराया गया. विमान पर सवार सभी 283 यात्री और चालक दल के 15 सदस्य मारे गए. डच सेफ्टी बोर्ड ने 2015 में अपनी जांच में कहा कि विमान को रूस समर्थक विद्रोहियों ने जमीन से हवा में मार करने वाली बक मिसाइल से गिराया था.
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19 अगस्त 1980, 301 मौतें
सऊदी अरब की राजधानी रियाद से 19 अगस्त 1980 को उड़ाने भरने के बाद ही सऊदिया एयरलाइंस की फ्लाइट 163 में आग लग गई. हादसे में सभी 287 यात्रियों समेत 301 लोग मारे गए.
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23 जून 1985, 329 मौतें
23 जून 1985 का दिन एयर इंडिया के इतिहास में एक दर्दनाक दिन था जब जमीन से 31 हजार फीट की ऊंचाई पर आयरलैंड के आसमान में उसके एक विमान को बम से उड़ा दिया गया. इसमें चालक दल के 22 सदस्यों समेत 329 लोग मारे गए थे. कनाडा की जांच में इसके लिए सिख अलगाववादी संगठन बब्बर खालसा के सदस्यों को जिम्मेदार बताया गया था.
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3 मार्च 1974, 346 मौतें
3 मार्च 1974 को टर्किश एयरलाइंस का एक विमान पेरिस के पास जंगलों में क्रैश हो गया. हादसे में विमान पर सवार सभी 346 लोग मारे गए.
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12 नवंबर 1996, 349 मौतें
हवाई दुर्घटनाओं के इतिहास का तीसरा सबसे दर्दनाक हादसा हरियाणा के चरखी दादरी में हुआ था जब आकाश में सऊदी अरब और कजाखस्तान के विमान टकरा गए. हादसे में दोनों विमानों में सवार 349 लोग मारे गए.
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12 अगस्त 1985, 509 मौतें
जापान एयरलाइंस का एक विमान 12 अगस्त 1985 को राजधानी टोक्यो से लगभग 100 किलोमीटर दूर हादसे का शिकार हो गया. इस हादसे में कुल 520 लोग मारे गए जिनमें 509 यात्री और 15 चालक दक के सदस्य थे.
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27 मार्च 1977, 583 मौतें
सबसे बड़ा विमान हादसा 27 मार्च 1977 को हुआ था जब स्पेन के द्वीप टेनेरीफ के हवाई अड्डे पर दो विमान रनवे पर एक दूसरे से टकरा गए. दो बोइंग 747 विमानों की इस टक्कर में 583 लोग मारे गए थे.
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साफ हवा में टर्बुलेंस अक्सर अधिक ऊंचाई पर मौजूद हवा की धाराओं में होता है, जिन्हें जेट स्ट्रीम कहते हैं. ऐसा तब होता है जब हवा की दो धाराएं एक दूसरे के आस-पास अलग-अलग रफ्तार से बहती हैं. अगर रफ्तार में अंतर बहुत ज्यादा हो तो वातावरण इसका दबाव संभाल नहीं पाता और हवा की धाराएं दो हिस्सों में बंट जाती हैं.
फ्लोरिडा की एंब्रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में अप्लाइड एविएशन साइंस डिपार्टमेंट के प्रमुख थॉमस गिन कहते हैं, "जब जेट स्ट्रीम के आसपास हवा तेजी से कटती है तो हवा की मात्रा बढ़ सकती है. इससे हवा में भारी उथल पुथल मचती है.”
टर्बुलेंस और विमान दुर्घटनाएं
इसका कोई आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है कि टर्बुलेंस के कारण दुनिया में कितने यात्री प्रभावित हुए हैं लेकिन कुछ देश अपने यहां इस तरह की घटनाओं के आंकड़े प्रकाशित करते रहते हैं.
मौत के मुंह से लौटे लोग
हवाई हादसों में जिंदा बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं होता. कुछ मामलों में पायलटों का जबरदस्त हुनर जान बचाता है तो कभी कभी किस्मत साथ देती है. देखिये ऐसे ही चमत्कारों को.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Thura
रसियन एयरलाइंस, मई 2019
78 लोगों को लेकर यात्रा कर रहा रसियन एयरलाइंस का विमान मॉस्को से मर्मास्क जा रहा था. तकनीकी खराबी के चलते उसे वापस मॉस्को हवाई अड्डे पर वापस लौटना पड़ा. लैंड करते समय विमान एक बार उछल गया जिससे उसमें आग लग गई. विमान में आग लगने से 41 लोगों की मौत हो गई. लेकिन 37 लोगों की जान बच गई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/V. Marchukaites
एमिरेट्स, अगस्त 2016
300 लोगों के साथ भारत के तिरुअनंतपुरम से दुबई के लिए निकले एमिरेट्स के विमान को पायलटों की सूझबूझ ने बचा लिया. विमान के लैंडिंग गियर में खराबी आई. उतरने से पहले उसके पहिये नहीं खुले. इसके बावजूद पायलटों ने विमान को उतार दिया. इमरजेंसी लैंडिंग के दौरान विमान में आग जरूर लगी, लेकिन उसे काबू कर लिया गया. विमान में 226 भारतीय सवार थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/EPA/Str
सिंगापुर एयरलाइंस, जून 2016
222 यात्रियों और चालक दल के 19 सदस्यों के साथ सिंगापुर से मिलान के लिए निकले विमान को टेक ऑफ के दो घंटे बाद इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी. पायलटों को लगातार ऑयल वॉर्निंग मिल रही थी. इमरजेंसी लैंडिंग के दौरान विमान में आग लग गई. संयोग से सभी लोग बाल बाल बचे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Yaohui
टर्किश एयरलाइंस, मई 2015
97 लोगों के साथ इटली के मिलान शहर से तुर्की के लिए निकले टर्किश एयरलाइंस के एक विमान में आग लग गई. दाहिने इंजन में लगी आग के बाद पायलटों ने इंस्ताबुल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग की. रनवे पर फिसलता हुआ विमान बहुत मुश्किल से काबू हुआ. हादसे में किसी की जान नहीं गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Str
एयर कनाडा, मार्च 2015
भारी बर्फबारी के बाद हैलीफैक्स एयरपोर्ट उतर रहा विमान रनवे पर फिसल गया. क्रैश लैंडिंग में 23 लोगों को चोट आई लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ.
तस्वीर: Transportation Safety Board of Canada/Handout via Reuters
एशियाना एयरलाइंस, जुलाई 2013
अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर लैंड करने से ठीक पहले विमान के पिछले पहिये एयरपोर्ट और समुद्र के बीच बनी दीवार से टकराये. पायलटों की गलती के कारण हुए इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई. 314 लोग बाल बाल बचे.
तस्वीर: Reuters
एंतोनोव-30, मई 2012
रूसी सेना का एएन-30 विमान प्राग में उतरने की तैयारी कर रहा था, तभी विमान में आग लग गई. पायलटों ने जबरदस्त क्षमता का प्रदर्शन करते हुए आग के गोले में तब्दील विमान को पास के खेतों में उतार दिया. हादसे में 23 लोगों की जान बची. सात जख्मी हुए.
तस्वीर: dapd
लोट पोलिश एयरलाइंस, नवंबर 2011
220 यात्रियों और 11 क्रू मेम्बरों के साथ पोलैंड का यह विमान जैसे ही उतरने को तैयार हुआ तभी पायलटों को पता चला कि विमान के पिछले पहिये नहीं खुल रहे हैं. काफी कोशिश करने के बाद भी लैंडिंग गियर नहीं खुला. इसके बाद पायलटों ने बिना पहियों के इमरजेंसी लैंडिंग की तैयारी की. पायलटों ने बहुत ही खूबसूरती से विमान को घिसटाते हुए लैंड करा दिया. विमान में सवार सभी लोगों को नया जीवन मिला.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
यूएस एयरवेज, जनवरी 2009
न्यू यॉर्क से उड़ान भरते ही विमान से पंछी टकराये, इसकी वजह से एक इंजन फेल हो गया. थोड़ी देर बाद दूसरा इंजन भी फेल हो गया. विमान की कमान संभाल रहे पूर्व एयरफोर्स पायलट चेस्ली सुलेनबर्ग ने विमान को वापस एयरपोर्ट पर लाने की कोशिश की. लेकिन जब उन्हें लगा कि यह मुमकिन नहीं है तो सुलेनबर्ग ने बेहद सावधानी से विमान को हडसन नदी में उतार दिया. विमान में सवार सभी 155 लोग बाल बाल बचे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Day
एयर कनाडा, जुलाई 1983
एयर कनाडा के पायलट ने अपना जबरदस्त हुनर दिखाते हुए 69 लोगों की जान बचाई. 41,000 फुट की ऊंचाई पर विमान का तेल खत्म हो गया. ग्लाइडर उड़ाने का लंबा अनुभव रखने वाले कैप्टन रॉबर्ट पीयर्सन ने विमान को ग्लाइडर की तरह उड़ाते हुए एक रेसिंग ट्रैक पर उतार दिया.
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नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के मुताबिक अमेरिका में 2009 से 2022 के बीच टर्बुलेंस के कारण 163 लोग इतने ज्यादा घायल हुए थे कि उन्हें कम से कम दो दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा. इनमें से अधिकतर चालक दल के सदस्य थे. चालक दल के सदस्यों को चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वे उड़ान के दौरान अपनी सीटों पर पेटी बांधकर नहीं बैठे होते.
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जलवायु परिवर्तन का असर
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी टर्बुलेंस के मामलों में वृद्धि हो सकती है. पिछले साल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स नामक पत्रिका में छपे एक शोध पत्र में ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि साफ हवा में होने वाले टर्बुलेंस के मामले बीते दशकों में खासे बढ़ गए हैं.
कोई हवाई जहाज हवा में कितना दबाव झेल सकता है?
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अपने शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि नॉर्थ अटलांटिक विमान मार्ग पर 1979 से 2020 के बीच मामले 55 फीसदी बढ़ गए. वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहा है क्योंकि ऊंचाई पर हवा गर्म हो गई है जिस कारण उसकी रफ्तार बदल गई है.
इसी टीम ने दो साल पहले एक अध्ययन में कहा था कि जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले सालों में क्लीन एयर टर्बुलेंस (कैट) के मामलों में 149 फीसदी तक वृद्धि हो सकती है.