नाटो क्या है, जो यूक्रेन पर रूसी हमला होने पर कार्रवाई करेगा
रॉब मज
९ फ़रवरी २०२२
नाटो दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन है, जिसकी मौजूदगी दुनिया भर में है. कहीं सदस्य देशों की वजह से तो कहीं क्षेत्रीय संधियों के बूते. इसका सबसे बड़ा सदस्य अमेरिका है जबकी सबसे छोटा सदस्य 200 सैनिकों वाला आइसलैंड.
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रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव को यूरोपीय शक्तियां शांतिपूर्ण ढंग से निपटाना चाहती हैं. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा के बीच यूक्रेन संकट पर 8 फरवरी (मंगलवार) को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में बातचीत हुई. जर्मन सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "नेताओं ने यूक्रेन की सीमा पर तनाव कम करने और यूरोप में सुरक्षा पर सार्थक बातचीत शुरू करने के लिए रूस से कहा है. यूक्रेन के खिलाफ किसी भी रूसी सैन्य आक्रमण के गंभीर परिणाम होंगे और इसकी भारी कीमत चुकानी होगी." इससे पहले 7 फरवरी को शॉल्त्स और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुलाकात में भी रूस पर इसी तरह की चेतावनी जारी की गई थी. अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो उस सूरत में यूरोप और अमेरिका की ओर से नाटो सेनाएं साझा कार्रवाई करेंगी.
नाटो क्या है?
नाटो (NATO) यानी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन उत्तरी अमेरिका और यूरोप का एक साझा राजनैतिक और सैन्य संगठन है. यहा साल 1949 में बना था. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने इस संगठन का उस वक्त पहला और सबसे बड़ा मकसद था सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को सीमित करना. इसके अलावा अमेरिका ने इसे यूरोप में राष्ट्रवादी विचारों को पनपने से रोकने के लिए भी इस्तेमाल किया. ताकि यूरोपीय महाद्वीप में राजनीतिक एकता कायम हो सके.
हालांकि नाटो की शुरुआत साल 1947 में फ्रांस और ब्रिटेन के बीच हुई डनकिर्क संधि से हुई थी. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की ओर से हमला होने की सूरत में मिलकर सामना करने के लिए ये संधि हुई थी. 1949 में जब नाटो बना तो इसके 12 संस्थापक सदस्य थे- अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबुर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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मूल रूप से ये संगठन साझा सुरक्षा की नीति पर काम करता है. इसका मकसद है कि अगर कोई बाहरी देश किसी नाटो सदस्य देश पर हमला करे तो बाकी सदस्य देश हमला झेल रहे देश की सैन्य और राजनीतिक तरीके से सुरक्षा करेंगे. साझा सुरक्षा के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात नाटो घोषणापत्र के अनुच्छेद पांच में लिखी है. जिसके मुताबिक,
"उत्तरी अमेरिका या यूरोप के किसी एक या एक से ज्यादा सदस्यों पर हथियारों से हमला हो तो माना जाएगा कि सब पर हमला हुआ है. साथ ही अगर ऐसा हथियारबंद हमला होता है तो हर कोई संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के अनुच्छेद 51 के अनुसार, हमला झेल रहे पक्ष की अकेले या मिलकर और बाकी सदस्यों से मशविरा करके, जरूरी होने पर सैन्य तरीकों से उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा करने और कायम रखने के लिए कार्रवाई कर सकता है."
अमेरिका ने 2001 में हुए 9/11 हमले के बाद एक बार अनुच्छेद पांच का इस्तेमाल किया था. नाटो में राजनैतिक और सैन्य गतिविधियों के लिए अलग-अलग प्रतिनिधि संगठन बने हैं. राजनैतिक मामलों के लिए उत्तरी अटलांटिक काउंसिल और न्यूक्लियर स्ट्रैटजी ग्रुप बना है. साथ ही सैन्य गतिविधियों के लिए मिलिट्री कमेटी बनी है, जिसका अपना कमांड सेंटर है.
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यूरोपीय देशों के लिए खुले दरवाजे
रूस और यूक्रेन के बीच बढ़े तनाव के पीछे एक वजह नाटो भी है. यूक्रेन की नाटो का सदस्य बनने की इच्छा है. ऐसा होने का मतलब है कि रूस की सीमा तक नाटो सेनाओं की स्थायी मौजूदगी हो सकती है. नाटो ने साल 2008 के ब्यूक्रेस्ट सम्मेलन में यूक्रेन और जॉर्जिया के नाटो सदस्य बनने की इच्छाओं का स्वागत किया था. लेकिन किन्हीं वजहों से सदस्यता नहीं दी गई. कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूक्रेन का नाटो सदस्य बन जाना रूस शासन को नहीं सुहाता. नाटो संधि के अनुच्छेद 10 में सदस्य बनने के लिए खुला आमंत्रण दिया गया है. इसके मुताबिक, कोई भी यूरोपीय देश जो उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा को बढ़ावा और कायम रखना चाहता है, वह सदस्य बन सकता है.
नाटो का सदस्य होने के लिए यूरोपीय देश होना एक जरूरी शर्त है. लेकिन नाटो ने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए कई अन्य देशों के साथ संबंध स्थापित किए हैं. भूमध्य इलाके में अल्जीरिया, मिस्र, इस्राएल, जॉर्डन, मौरितानिया, मोरक्को और ट्यूनिशिया नाटो के सहयोगी हैं. दक्षिण एशिया में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी नाटो की भूमिका रही है.
अमेरिका का सबसे लंबा युद्ध
अमेरिका ने सबसे ज्यादा समय तक किसी विदेशी धरती पर युद्ध लड़ा है तो वह है अफगानिस्तान. अमेरिका 9/11 के आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान पर धावा बोला था. तस्वीरों में देखिए अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध.
तस्वीर: U.S. Central Command/dpa/picture alliance
अफगानिस्तान युद्ध
अफगानिस्तान में अमेरिका का अभियान साल 2001 से शुरू होकर 2021 में खत्म हुआ. यह करीब 20 साल तक चला. अफगानिस्तान में 2400 के करीब अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई जबकि 20,660 अमेरिकी सैनिक युद्ध के दौरान घायल हुए. तालिबान का कहना है कि उसकी जंग में जीत हुई है.
तस्वीर: Isaiah Campbell/US MARINE CORPS/AFP
वियतनाम युद्ध
वियतनाम में 1964 तक सीआईए और दूसरे स्रोतों से मिली जानकारी को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम में लुकी छिपी जंग शुरू कर दी. जमीन पर 1965 में युद्ध तेज हुआ और 1969 में चरम पर पहुंचा. उस समय तक करीब साढ़े पांच लाख सैनिक इसमें शामिल हो चुके थे. 10 साल की लड़ाई और 58,000 अमेरिकी सैनिकों के मरने के बाद 30 अप्रैल 1975 को साइगोन (हो-ची मिन्ह सिटी) पर वियतनाम का कब्जा हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/UPI
इराक युद्ध
इराक में अमेरिकी फौज साल 2003 से लेकर 2012 तक जंग लड़ी. अमेरिकी हमले के बाद इराक को सद्दाम हुसैन से छुटकारा तो मिला लेकिन लाखों लोग युद्ध के बाद मारे गए. अमेरिका का आरोप था कि इराक के पास सामूहिक विनाश के हथियार हैं. हालांकि इसको साबित नहीं कर पाया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S.Zaklin
द्वितीय विश्व युद्ध
अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में 8 सितंबर 1941 को प्रवेश किया और 1945 तक युद्ध में रहा. करीब तीन साल 8 महीने अमेरिका ने जंग में भाग लिया और उस दौरान हजारों अमेरिकी सैनिक मारे गए.
तस्वीर: picture alliance/Usis-Dite/Lee
कोरियाई युद्ध
अमेरिका ने कोरियाई युद्ध 1950 से लेकर 1953 तक लड़ा. यह युद्ध 3 साल एक महीने तक चला था.
तस्वीर: picture-alliance/CPA Media/Pictures From History