एक्सप्लेनरः क्या है रूस के परमाणु सिद्धांत में बदलाव का मतलब
३ सितम्बर २०२४
रूस ने घोषणा की है कि वह अपने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की परिस्थितियों को निर्धारित करने वाले अपनी सिद्धांत में बदलाव करेगा. क्या है इसका मतलब?
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रूस का मौजूदा परमाणु सिद्धांत जून 2020 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा जारी एक छह-पृष्ठ के आदेश के जरिए स्थापित हुआ था. इसमें कहा गया है: " अगर रूस पर या उसके सहयोगियों पर परमाणु हथियारों या अन्य प्रकार के विनाशकारी हथियारों का प्रयोग होता है, या फिर पारंपरिक हथियारों के साथ आक्रमण की स्थिति में उसके अस्तित्व को खतरा होता है, तो रूसी संघ परमाणु हथियारों का उपयोग करने का अधिकार सुरक्षित रखता है."
इस खतरे की स्पष्ट परिभाषा न होने के कारण, पुतिन ने फरवरी 2022 में यूक्रेन में अपनी सेना भेजने पर किसी भी पश्चिमी प्रतिक्रिया को रोकने के लिए रूस के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकीदी थी.
अब सिद्धांत में बदलाव क्यों चाहता है रूस
पिछले हफ्ते, पुतिन के हथियार नियंत्रण संबंधी अधिकारी, उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि ये बदलाव "हमारे पश्चिमी प्रतिद्वंद्वियों की यूक्रेन संघर्ष के संबंध में बढ़ती आक्रामकता" के कारण हैं. उन्होंने किसी विशेष घटना का उल्लेख नहीं किया.
परमाणु सिद्धांत के बारे में सार्वजनिक चर्चा पिछले एक साल से चल रही है. इस साल फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने जब यह संभावना जाहिर की कि पश्चिमी सेनाएं यूक्रेन में लड़ाई के लिए भेजी जा सकती हैं, तो परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की चर्चा और तेज हो गई. हालांकि नाटो के सहयोगियों ने माक्रों के बयान को खारिज कर दिया था.
2023 में बढ़ गए तैनात परमाणु हथियार
स्वीडन के थिंक टैंक सिप्री (SIPRI) के मुताबिक परमाणु शक्ति संपन्न देशों की नीतियों में परमाणु हथियारों की भूमिका शीत युद्ध के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है.
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परमाणु हथियारों की भूमिका
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट ने कहा है कि परमाणु शक्ति संपन्न नौ देशों की कूटनीति में परमाणु हथियारों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है.
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हर सेकंड 2,898 डॉलर का खर्च
इंटरनेशनल कैंपेन टु अबॉलिश न्यूक्लियर वेपंस (ICAN) के मुताबिक बीते साल इन नौ देशों ने परमाणु हथियारों पर कुल मिलाकर 91.4 अरब डॉलर खर्च किए. यानी प्रति सेकेंड 2,898 डॉलर खर्च किए गए.
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10.7 अरब डॉलर की वृद्धि
2022 के मुकाबले 2023 में परमाणु हथियारों पर 10.7 अरब डॉलर ज्यादा खर्च किए गए. इसका सबसे ज्यादा 80 फीसदी अमेरिका ने खर्च किया.
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अमेरिका सबसे ऊपर
अमेरिका ने एक साल में परमाणु हथियारों पर 51.5 अरब डॉलर खर्च किए जो बाकी आठ देशों के कुल खर्च से भी ज्यादा है.
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चीन दूसरे नंबर पर
परमाणु हथियारों पर खर्च के मामले में चीन दूसरे नंबर पर रहा. 2023 में उसने 11.8 अरब डॉलर खर्च किए. 8.3 अरब डॉलर खर्च के साथ रूस तीसरे नंबर पर रहा.
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2,100 परमाणु हथियार हमले के लिए तैयार
सिप्री का अनुमान है कि इस वक्त 2,100 परमाणु हथियार हमले के लिए पूरी तरह तैयार स्थिति में रखे गए हैं. इनमें से अधिकतर अमेरिका और रूस के हैं. हालांकि चीन ने भी कुछ हथियार तैनात कर दिए हैं जो कि पहली बार है.
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12,121 परमाणु हथियार
सिप्री के मुताबिक दुनिया में कुल 12,121 न्यूक्लियर वॉरहेड हैं जिनमें से 9,585 सेनाओं के पास हैं और इस्तेमाल किए जा सकते हैं. 3,904 वॉरहेड मिसाइलों और विमानों के साथ तैनात किए गए हैं. यह संख्या जनवरी 2023 के मुकाबले 60 ज्यादा है.
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विदेश नीति विशेषज्ञ सर्गेई करगानोव ने कहा कि रूस को अपने परमाणु हथियारों के प्रयोग की सीमा को बढ़ाना चाहिए ताकि वह अपने विरोधियों को "रोक सके, डरा सके और उन्हें विवेकपूर्ण बना सके." करगानोव ने कहा कि जो देश यूक्रेन को सीधा सैन्य समर्थन दे रहे हैं, उन्हें निशाना बनाया जा सकता है.
उन्होंने कहा, "75 वर्षों की अपेक्षाकृत शांति के बाद, लोग युद्ध के भयावहता को भूल गए हैं और परमाणु हथियारों से डरना भी छोड़ दिया है. यह डर वापस आना चाहिए."
बदलाव का क्या मतलब हो सकता है?
7 जून को सेंट पीटर्सबर्ग आर्थिक मंच में एक टेलीविजन चर्चा में करगानोव ने सीधे पुतिन से पूछा कि क्या रूस को यूक्रेन के मुद्दे पर पश्चिम के खिलाफ "परमाणु बंदूक ताननी चाहिए". पुतिन ने कहा कि रूस को जीत हासिल करने के लिए परमाणु हथियारों का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह परमाणु सिद्धांत एक "जीवित उपकरण" है जो बदल सकता है.
सोवियत संघ के हथियार नियंत्रण का काम संभाल चुके निकोलाई सोकोव ने कहा कि इसका उद्देश्य पश्चिम को संकेत देना है: "परमाणु हथियारों को मत भूलिए. बहुत, बहुत सावधान रहिए."
किसके पास कितने परमाणु बम हैं?
स्वीडन के थिंक टैंक सिपरी के मुताबिक दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या फिर बढ़ने लगी है. देखिए, किस देश के पास कितने परमाणु बम हैं.
तस्वीर: KCNA VIA KNS/AFP
रूस सबसे ऊपर
रूस आज भी परमाणु हथियारों के सबसे बड़े जखीरे पर बैठा है. 2023 की शुरुआत में उसके पास 4,489 परमाणु हथियार थे. पिछले साल इस जखीरे में 12 नए बम जुड़े.
3,708 परमाणु हथियारों के साथ अमेरिका दूसरे नंबर पर है. हालांकि पिछले साल उसने कोई नया परमाणु हथियार नहीं जोड़ा.
तस्वीर: abaca/picture alliance
चीन अब तीसरे नंबर पर
अब चीन तीसरे नंबर पर आ गया है. पिछले साल उसने 60 नए परमाणु हथियार बनाए और अब उसके पास 410 बम हैं.
तस्वीर: ANTHONY WALLACE/AFP
फ्रांस
फ्रांस ने पिछले साल नए परमाणु हथियार नहीं बनाए और अब भी उसके हथियारों की संख्या 290 है.
तस्वीर: AP
यूनाइटेड किंग्डम
पांचवें नंबर पर यूके है, जिसने पिछले साल जखीरे में कुछ नया नहीं जोड़ा. उसके पास कुल 225 परमाणु हथियार हैं.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
पाकिस्तान
पाकिस्तान ने पिछले साल अपने जखीरे में पांच नए हथियार जोड़े और कुल संख्या अब 170 हो गई है.
तस्वीर: ISPR HO/epa/dpa/picture-alliance
भारत
सूची में सातवें नंबर पर भारत है, जिसके पास 164 परमाणु हथियार हैं. इनमें चार पिछले साल जोड़े गए.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल को आधिकारिक रूप से परमाणु शक्ति का दर्जा हासिल नहीं है, लेकिन सिपरी के मुताबिक उसके पास 90 परमाणु हथियार हैं.
तस्वीर: Kobi Gideon/Gpo/dpa/picture alliance
उत्तर कोरिया
पिछले साल पांच नए हथियार जोड़कर उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या 30 कर ली है.
तस्वीर: KCNA VIA KNS/AFP
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हालांकि, सोकोव ने कहा कि जैसे बदलाव करगानोव सुझा रहे हैं, रूस वैसे बदलावों की सार्वजनिक घोषणा नहीं करेगा. इसके बजाय, रूस यह घोषणा कर सकता है कि उसने अपनी नीति बदल दी है, लेकिन नई सिद्धांत को गुप्त रखा जाएगा, ताकि पश्चिम को संकेत मिल जाए और वह अंदाजा लगाने पर मजबूर रहे.
जून में, रूसी संसद की रक्षा समिति के प्रमुख ने कहा था कि अगर रूस को लगा कि खतरे बढ़ रहे हैं तो वह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के निर्णय लेने के समय को कम कर सकता है.
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परमाणु मुद्दे का यूक्रेन युद्ध पर प्रभाव
रूस के साथ परमाणु युद्ध के खतरे ने अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों को यूक्रेन के साथ लड़ने के लिए अपनी सेनाएं भेजने से रोका है. हालांकि, उन्होंने कीव को सैन्य सहायता में वृद्धि की है, जिसमें टैंक, लंबी दूरी के मिसाइल और एफ-16 लड़ाकू विमानों की सप्लाई शामिल है. यूक्रेन ने अब रूसी क्षेत्र के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया है. यूक्रेन का कहना है कि यह कब्जा पुतिन की "लाल रेखाओं" का मजाक उड़ाता है और दिखाता है कि पश्चिम को अब यूक्रेन को युद्ध जीतने में पूरी तरह मदद करनी चाहिए.
अमेरिका का नया बमवर्षक बी 21 बिना पायलट के भी उड़ेगा
पारंपरिक और परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम बी 21 अमेरिका का नया बमवर्षक जहाज है. कई दशकों के बाद अमेरिका को नया बमवर्षक जहाज मिलने वाला है.
तस्वीर: U.S. Air Force/ZUMA/dpa/picture alliance
शानदार काबिलियत
इस जहाज को अमेरिकी वायुसेना के भविष्य की रीढ़ कहा जा रहा है. अपनी रेंज, कहीं भी घुसने की काबिलियत और हथियार ढोने की क्षमता के साथ यह दुनिया में कहीं भी जा कर हमला कर सकता है.
तस्वीर: David Swanson/REUTERS
दशकों बाद नया बमवर्षक
अमेरिकी वायु सेना को कई दशकों के बाद नया बमवर्षक जहाज मिला है. इससे पहले उनके पास शीतयुद्ध के जमाने वाले बी 1 और बी 2 (तस्वीर) जहाज थे जिनकी जगह अब नया जहाज लेगा. इसे पुराने जहाज से कई मामलों में बेहतर बताया जा रहा है.
तस्वीर: Master Sgt. Nicholas Priest/U.S. Air Force/UPI Photo/Newscom/picture alliance
बी 21 का परीक्षण
जहाज बनाने वाली कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमान के मुताबिक छह जहाज अभी तैयार होने के अलग अलग चरणों में हैं और कैलिफोर्निया के पामडेल में इनका परीक्षण किया जा रहा है.
तस्वीर: U.S. Air Force/ZUMA/dpa/picture alliance
जहाज की कीमत
एक जहाज की कीमत करीब 70 करोड़ डॉलर है और अमेरिकी वायु सेना ने फिलहाल 100 ऐसे जहाज खरीदने की योजना बनाई है. जहाज की पहली उड़ान अगले साल होने की उम्मीद जताई गई है.
तस्वीर: Marcio Jose Sanchez/AP/picture alliance
"परमाणु तिकड़ी" का हिस्सा
यह बमवर्षक जहाज अमेरिकी सेना की "परमाणु तिकड़ी" का अहम हिस्सा बनेगा. इस तिकड़ी में ऐसे हथियार हैं जिन्हें जमीन, हवा और सागर से लॉन्च किया जा सकता है.
तस्वीर: Marcio Jose Sanchez/AP/dpa
बिना पायलट के उड़ान
नये बमवर्षक जहाज की सबसे बड़ी खूबी है बिना पायलट के उड़ान भरना. इस जहाज में यह खूबी मौजूद है हालांकि अमेरिकी वायु सेना के प्रवक्ता का कहना है कि बिना पायलट के इसे उड़ाने के बारे में अभी फैसला नहीं हुआ है.
तस्वीर: U.S. Air Force/ZUMA/picture alliance
ओपन आर्किटेक्चर
इस जहाज की एक और बड़ी खूबी है ओपन आर्किटेक्चर यानी कि इसे जहाज को बहुत आसानी से और कम समय में अपग्रेड किया जा सकता है. सॉफ्टवेयर से लेकर ऐसी तमाम चीजें ऐसी हैं जिनमें लगातार सुधार और बेहतरी लाई जा सकती है.
तस्वीर: Marcio Jose Sanchez/AP/picture alliance
हर तरह के हथियार ढोने में सक्षम
हर तरह के हथियार यानी पारंपरिक और परमाणु हथियारों के साथ ही छोटी और लंबी दूरी की मिसाइलें भी इस जहाज से दागी जा सकती हैं.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
छिपने की खूबी
एफ-22 और एफ-35 लड़ाकू विमानों की तरह ही इसे भी छिपने की खूबी से लैस किया गया है. इसकी आकृति और बनाने वाली चीजें ऐसी हैं जो इसे आसानी से पकड़ में नहीं आने देतीं.
तस्वीर: U.S. Air Force via ASSOCIATED PRESS/picture alliance
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सोकोव ने कहा कि यह निष्कर्ष निकालना गलत होगा कि रूस की परमाणु धमकियां केवल बातें हैं. उन्होंने कहा कि इससे पश्चिमी सहायता की गति पहले ही धीमी हो गई है.
इसके अलावा, रूस ने पहले से ही ठोस कदम उठाए हैं जैसे कि बेलारूस में सामरिक परमाणु मिसाइलों को तैनात करना और इस वर्ष ऐसे हथियारों को लॉन्च करने का अभ्यास करना.
उन्होंने कहा, "यह कहना एक बड़ी गलती है कि 'वे केवल बातें कर रहे हैं'. जब आप सिद्धांत बदलते हैं, तो सभी को ध्यान देना चाहिए."