1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सैरगाहों को ज्यादा सैलानियों से कैसे बचाया जाए

४ जून २०२५

मयोर्का से लेकर वेनिस तक और मनाली से लेकर ऊटी तक दुनिया भर में सैलानियों की बढ़ती संख्या इन जगहों की खूबसूरती बिगाड़ रही है. सैलानियों से होने वाली आय इसकी भरपाई नहीं कर सकती. तो फिर समाधान क्या है?

स्पेन के बार्सिलोना में पर्यटन के विरोध में लिखे नारे
दुनिया भर में पर्यटन केंद्रों पर सैलानियों की बढ़ती भीड़ कई समस्याओं को जन्म दे रही हैतस्वीर: Jordi Boixareu/IMAGO

सैरसपाटा दुनिया भर में  तेजी से बढ़ रहा है. साल 2024 में करीब 1.5 अरब लोग छुट्टियां मनाने गए, जो कि 2019 के बाद सैलानियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है. ग्रैन कनारिया से लेकर मयोर्का और रोम तक कई मशहूर जगहें अब सैलानियों से भर जा रही हैं. 

‘ओवरटूरिज्म' यानी जब बहुत बड़ी संख्या में एक ही समय पर बहुत सारे लोग किसी एक जगह पर छुट्टियां मनाने पहुंच जाएं. संयुक्त राष्ट्र के विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार, ओवरटूरिज्म तब होता है जब स्थानीय लोग और पर्यटक यह महसूस करने लगते हैं कि पर्यटन ने उस इलाके में जीवन की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है.

सात द्वीपों के समूह वाले कैनरी में भी ऐसा ही हुआ.अटलांटिक महासागर के इन द्वीपों पर केवल 22 लाख लोग रहते हैं. लेकिन यहां पर्यटकों की संख्या कई गुना अधिक है. पिछले साल यहां 1.52 करोड़ पर्यटक आए और इस साल इससे भी ज्यादा पर्यटकों के आने की उम्मीद है.

कैनरी द्वीपों की अर्थव्यवस्था का एक तिहाई से भी अधिक हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है, लेकिन स्थानीय समूहों के अनुसार इसका फायदा केवल बड़े निवेशकों को होता है. यहां किराए तेजी से बढ़ रहे हैं और पर्यावरणको भी भारी नुकसान हो रहा है. स्थानीय लोगों के रहने के लिए जगह कम होती जा रही है क्योंकि मकान मालिक ज्यादा मुनाफे के लिए अपने घर पर्यटकों को किराए पर देने लगे हैं. नतीजा यह हुआ कि लोगों ने पर्यटकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. 

ओवरटूरिज्म पर्यावरण पर कैसे असर डालता है?

ओवरटूरिज्म पहले से मौजूद समस्याओं को और अधिक बढ़ा देता है. खासकर बुनियादी ढांचे और संसाधनों पर इसका मुख्य प्रभाव पड़ता है.

शोर-शराबा, कूड़ा-कचरा, छुट्टियों की तस्वीरें लेने के लिए उड़ते ड्रोन और ट्रैफिक जाम, यह सब पर्यटकों की भीड़ से आने वाली आम परेशानियां हैं.

पर्यटकों के लिए बनाए गए नए फुटपाथ और पार्किंग स्थल प्राकृतिक इलाकों को हमेशा के लिए बदल देते हैं. जिससे स्थानीय पेड़-पौधों और जानवरों के आवास गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं.

घूमने वाली कई जगहों पर स्थानीय लोग विरोध का झंडा बुलंद कर रहे हैंतस्वीर: Andres Gutierrez/Anadolu/picture alliance

पर्यटन जल संसाधनों के लिए भी खतरा बना हुआ है. खासकर द्वीपों और गर्म इलाकों में, क्योंकि यहां छुट्टी मनाने आए लोग, खासकर अमीर पर्यटक, स्थानीय लोगों की तुलना में अधिक पानी का इस्तेमाल करते हैं.

इसके अलावा गंदे पानी का निकास भी एक बड़ी समस्या बन जाती है. जैसा कि स्पेन के मयोर्का के बेलेरिक द्वीप में हुआ. जब गंदे पानी को समुद्र में बहा दिया गया. इस वजह से जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने वाली वहां की समुद्री घास नष्ट हो गई. 

ओवरटूरिज्म जलवायु संकट को बढ़ा रहा है

1995 से 2019 के बीच पर्यटन से होने वाले उत्सर्जन में 65 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. आज पर्यटन दुनियाभर में कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 8 फीसदी से 10 फीसदी के लिए जिम्मेदार है. जिसमें सबसे बड़ा योगदान हवाई यात्रा का है. हालांकि, छुट्टियों के लिए की जाने वाली कुल यात्राओं का केवल एक चौथाई ही हवाई जहाज से होता है, लेकिन फिर भी यह पर्यटन से होने वाले कुल उत्सर्जन के तीन चौथाई हिस्से के लिए जिम्मेदार है.

इसके अलावा, स्थानीय परिवहन, होटलों में रुकना और घूमने-फिरने से भी उत्सर्जन बढ़ता है. यात्रा की बढ़ती संख्या अक्सर ओवरटूरिज्म को बढ़ावा देती है. जब ज्यादा लोग यात्रा करते हैं, तो मशहूर जगहों पर भीड़ बढ़ जाती है, जिससे पर्यावरण पर अधिक दबाव पड़ने लगता है.

हालांकि, अब छोटी यात्राएं ज्यादा लोकप्रिय हो रही हैं. सिर्फ जर्मनी के लोगों ने ही पिछले साल करीब 9.4 करोड़ छोटी यात्राएं की है. जो कि पिछले साल की तुलना में लगभग एक चौथाई से भी ज्यादा है. इस तरह की यात्राएं जलवायु के लिए खास तौर पर नुकसानदायक होती है. पर्यटकों के कारण होने वाला कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन सबसे ज्यादा उनके आने-जाने की यात्रा से ही होता है. इसका मतलब हुआ कि जितनी ज्यादा छोटी यात्राएं होंगी, उतनी ज्यादा बार लोग सफर करेंगे और उतना ज्यादा उत्सर्जन होगा.

ओवरटूरिज्म किन कारणों से होता है?

स्विट्जरलैंड की गैर-लाभकारी संस्था, फायरउनटरवेग्स के अनुसार, हवाई यात्रा पर्यटन को अत्यधिक बढ़ावा देने में मदद करता है. उनके अनुसार जब किसी जगह के पास हवाई अड्डा होता है, खासकर अगर वहां की उड़ानें सस्ती उड़ानों हो तो उस जगह पर अत्यधिक पर्यटन होने लगता है. मयोर्का शायद ही इतना लोकप्रिय होता अगर लोगों को वहां नाव से जाना पड़ता.

हालांकि, क्रूज जहाजों को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है कि वह इस समस्या को और बढ़ा रहे हैं. क्रूज से आने वाले पर्यटक केवल कुछ ही घंटों के लिए किनारे पर आते हैं. जिस कारण स्थानीय अर्थव्यवस्था में वह बहुत कम योगदान देते हैं क्योंकि जहाज पर ही उनको खाने-पीने की और बाकी सुविधाएं मिल जाती हैं.

कई जगहों पर सैलानियों की बढ़ती भीड़ स्थानीय लोगों की मुसीबत बन रही हैतस्वीर: JFK/EXPA/picturedesk.com/picture alliance

इसके अलावा एक और चलन है, जिसे सेट-जेटिंग कहा जाता है यानी टीवी सीरीज या फिल्मों की शूटिंग वाली जगह पर अचानक पर्यटन बढ़ जाना. अमेरिका की मशहूर सीरीज, ‘द व्हाइट लोटस' की शूटिंग माउई (हवाई) और सिसिली (इटली) में हुई थी. जिसके बाद इन द्वीपों पर पर्यटकों की संख्या 20 फीसदी तक बढ़ गई.

ऐसे ही क्रोएशिया के दुब्रोवनिक शहर, जहां ‘गेम ऑफ थ्रोन्स' का बड़ा हिस्सा फिल्माया गया था. वह अब ओवरटूरिज्म की मार झेल रहा है. दक्षिण कोरियाई नेटफ्लिक्स सीरीज, ‘स्प्रिंग वाल्ट्ज' में इस शहर के दिखाए जाने के बाद से ऑस्ट्रिया के सुंदर शहर, हालस्टाट में भी पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. वहां के स्थानीय लोग अब पर्यटकों की भीड़ के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं.

क्या ओवरटूरिज्म से बचा जा सकता है?

कुछ इलाके अब पर्यटकों की भीड़ को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं. वेनिस (इटली) में दिनभर घूमने आने वाले पर्यटकों से दस यूरो तक का शुल्क लेने का प्रावधान बना दिया गया है. जबकि लिस्बन (पुर्तगाल) में हर क्रूज यात्री के उतरने पर क्रूज कंपनियों से दो यूरो का शुल्क लिया जाता है. टेनेरीफे (स्पेन) ने ज्वालामुखी, पिको डेल टाइडे, की चोटी पर प्रतिदिन जाने वाले पर्यटकों की संख्या को 300 तक सीमित कर दिया है.

पेरिस (फ्रांस) में तो स्थानीय लोगों के अपने मकान को एयरबीएनबी जैसी साइटों पर किराए पर देने की अधिकतम वार्षिक सीमा तय कर दी है. थाईलैंड ने भी इस साल सिमिलन और सुरिन द्वीपों को शरद ऋतु तक बंद करने का फैसला किया है ताकि वहां के प्राकृतिक तंत्र को कुछ राहत मिल सके. साथ ही, भविष्य में प्रवेश शुल्क लगाने की भी योजना बनाई जा रही है.

क्या सिर्फ अमीर लोग घूम सकेंगे बार्सिलोना

04:23

This browser does not support the video element.

इसके अलावा कुछ जगहों पर पर्यटकों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए डिजिटल बुकिंग सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि ऐतिहासिक इमारतों या संग्रहालयों के बाहर लंबी कतारें लगने से बचाया जा सके. कई पर्यटन स्थलों ने अब शहर के बाहर मौजूद आकर्षक स्थलों को भी बढ़ावा देना शुरू कर दिया है.

इससे बचने के लिए कोपेनहेगन (डेनमार्क) तो बिल्कुल ही अलग तरीका अपना रहा है. वहां पर्यावरण के अनुकूल यात्रा करने वालों पर्यटकों को इनाम दिया जा रहा है. जो लोग ट्रेन से पहुंचते हैं, उन्हें मुफ्त साइकिल किराए पर लेने, योग कक्षाओं, गाइडेड टूर और किफायती टिकटों जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें