क्या वक्फ बोर्ड फतवा जारी कर सकते हैं? क्या वक्फ बोर्ड मुस्लिमों के प्रतिनिधि हैं? क्या वक्फ बोर्ड का चेयरमैन अपनी मर्जी से कोई फैसला ले सकते हैं? क्या होता है वक्फ बोर्ड और ये कैसे बनता है, जानते हैं.
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अयोध्या के जमीन विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो चुकी है. इस सुनवाई में एक पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड भी है. इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले में विवादित जमीन का एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी दिया गया था. भारत में मुस्लिमों के अधिकारों की जब बात आती हैं तो वक्फ बोर्ड का नाम भी सामने आता है. लेकिन ये वक्फ होता क्या है और मुस्लिमों की पक्षकारी करने के लिए इस संस्था के पास कौन से अधिकार हैं.
क्या है वक्फ?
वरिष्ठ पत्रकार शाजेब जिलानी के मुताबिक वक्फ शब्द का अर्थ किसी भी धार्मिक काम के लिए किया गया कोई भी दान होता है. यह दान पैसे, संपत्ति या काम का हो सकता है. कानूनी शब्दावली में बात करें तो इस्लाम को मानने वाले किसी इंसान का धर्म के लिए किया गया किसी भी तरह का दान वक्फ कहलाता है. इस दान को धार्मिक और पवित्र माना जाता है. इसके अलावा अगर किसी संपत्ति को लंबे समय तक धर्म के काम में इस्तेमाल किया जा रहा है तो उसे भी वक्फ माना जा सकता है. वक्फ शब्द का इस्तेमाल अधिकतर इस्लाम से जुड़ी हुए शैक्षणिक संस्थान, कब्रिस्तान, मस्जिद और धर्मशालाओं के लिए भी किया जाता है. अगर कोई एक बार किसी संपत्ति को वक्फ कर देता है तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता है. एक गैर मुस्लिम भी वक्फ कर सकता है लेकिन उसकी इस्लाम में आस्था होना जरूरी है. साथ ही वक्फ करने का उद्देश्य भी इस्लामिक होना चाहिए.
वक्फ काम कैसे करते हैं
सभी वक्फ बोर्ड की निगरानी करने का काम केंद्रीय वक्फ परिषद का होता है. इस संस्था को केंद्रीय सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 के जरिए स्थापित किया था. इसका काम देशभर के वक्फ बोर्डों की निगरानी करना होता है. इस परिषद के अध्यक्ष केंद्र सरकार में वक्फ मामलों के मंत्री होते हैं. उनके अलावा इस परिषद में 20 सदस्य हो सकते हैं. परिषद राज्य के वक्फों की भी मदद करता है. इस मदद को मुशरुत उल खिदमत कहा जाता है. मुशरुत उल खिदमत का शाब्दिक अर्थ एक प्रयोजन के लिए दी जाने वाली मदद होता है. वक्फ एक्ट में 1995 में एक नियम और जोड़ा गया था. अब वक्फ बोर्ड की निगरानी 1995 के कानून के तहत की जाती है. एक सर्वे कमिशनर वक्फ घोषित की गई सभी संपत्तियों की जांच करता है. इसके लिए वो गवाहों और कागजातों की भी मदद लेते हैं. वक्फ का काम देखने वाले शख्स को मुतावली कहा दाता है.
वक्फ बोर्ड के पास दी गई किसी भी संपत्ति पर कब्जा रखने या उसे किसी और को देने का अधिकार होता है. वक्फ को कोर्ट द्वारा समन किया जा सकता है. भारत में अधिकांश राज्यों के वक्फ बोर्ड हैं. गोवा और पूर्वोत्तर के छोटे राज्यों में वक्फ बोर्ड नहीं हैं. राज्य वक्फ बोर्ड में एक चेयरमैन के साथ राज्य सरकार द्वारा मनोनीत कुछ सदस्य, मुस्लिम नेता और विधायक, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य, स्कॉलर और एक लाख से ज्यादा वार्षिक आय वाले वक्फ के मुतावली शामिल होते हैं. वक्फ बोर्ड अपनी किसी भी संपत्ति को किसी और के नाम हस्तांतरित कर सकता है. इसके लिए वक्फ के दो तिहाई सदस्यों की सहमति होना जरूरी है. फतवा जारी करना वक्फ का काम नहीं होता है.
ऐसा है मुस्लिमों का पवित्र शहर हरार
इथियोपिया का हरार शहर दुनिया में मुसलमानों का चौथा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. इथियोपिया में यह इस्लाम का केंद्र है. शहर की छोटी तंग गलियां देश की पुरानी संस्कृति से पहचान कराती हैं.
तस्वीर: DW/M. Gerth-Niculescu
हरार जोगुल, पूरब का प्राचीन शहर
कहा जाता है हरार को अरब से आने वाले आप्रवासियों ने 10वीं से 13वीं शताब्दी के बीच बसाया था. प्राचीन शहर हरार जोगुल के अंदर पहुंचने के लिए पांच पुराने दरवाजे हैं. यह देश के सबसे छोटे प्रांत की राजधानी है और स्थानीय ओरोमास समुदाय का घर है. देश के पूरब में स्थित हरार साल 2006 से ही यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है.
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मुस्लिमों का तीर्थ स्थल
हरार में करीब 82 मस्जिदें और 100 दरगाहें हैं. ग्रैंड जामी मस्जिद शहर की सबसे बड़ी मस्जिद है. एक तिहाई इथियोपियाई लोग मुस्लिम हैं लेकिन यहां अन्य धर्मों के लोग भी रहते हैं.
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महिलाओं के लिए मस्जिद
जामी मस्जिद इकलौती ऐसी मस्जिद है जहां महिलाएं भी पुरूषों के साथ एक ही बिल्डिंग में नमाज पढ़ सकती हैं. महिलाएं बिल्डिंग के दाएं ओर बने छोटे से दरवाजे से अंदर जाती हैं लेकिन उन्हें बाहर नमाज पढ़ते देखना भी आम बात है.
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शांति का शहर
शहर के भीतर दो चर्च हैं. हरार के निवासी इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि उनका शहर सभी धर्मों का स्वागत करता है. साल 2003 में हरार को यूनेस्को से शांति पुरस्कार भी मिला था. पुरस्कार इसलिए दिया गया था क्योंकि शहर में अलग-अलग धर्मों और समुदाय के लोग शांति और सौहार्द्रता से रहते हैं. हालांकि बीते सालों में जमीन और राजनीति से जुड़े विवाद जरूर सामने आए हैं.
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रहस्य और पवित्रता
1.20 लाख लोगों के शहर में पवित्रता के साथ रहस्यों का भी अहसास होता है. इसका एक कारण सूफीवाद का बढ़ता प्रभाव भी हो सकता है. सूफीवाद इस्लाम की ऐसी शाखा है जिसमें परमात्मा से जुड़ने के लिए रीति रिवाज और ध्यान को रास्ता माना गया है. शहर के संस्थापक शेख अबादिर का मकबरा भी यहां का पवित्र स्थान माना जाता है. यहां लोग घंटों बैठकर स्थानीय पौधे खत की पत्ती चबाते रहते हैं. इस पत्ती में मादक तत्व होते हैं.
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एक खास पत्ती
पहले खत का इस्तेमाल धार्मिक कर्मकांडों में होता था लेकिन अब इसका इस्तेमाल इथियोपिया में काफी बढ़ा है. हरार के आसपास का क्षेत्र खत के इस्तेमाल और व्यापार का गढ़ है. कृषि से होने वाली 70 फीसदी कमाई इस पर निर्भर करती है. पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी इसे चाव से चबाती हैं. खत की पत्ती चबाने से लोगों की थकान और भूख कम होती है. जो लोग नियमित रूप से इस पत्ती का सेवन करते हैं उन्हें इसकी लत लग जाती है.
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कपड़े खरीदना
हरार की अर्थव्यवस्था में इसके कपड़े बाजार का भी बड़ा योगदान है. इस गली को सिलाई मशीन की आवाज के चलते "मकीना घिरघिर" कहा जाने लगा है. यह तंग गली अक्सर गांवों से आने वाली महिलाओं के कारण भरी रहती है. महिलाएं नए कपड़े खरीदती हैं और दर्जियों के पास जाकर नई ड्रेस और हेडस्कार्फ बनवाती हैं. दर्जी अधिकतर पुरुष होते हैं.
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हर दिन हाट
सुबह से ही आसपास के इलाके में रहने वाले ओरमो लोग अपने सामानों को बेचने शहर आ जाते हैं. अपने गधों के साथ लंबी यात्रा कर हरार पहुंचने में इन्हें कई घंटे लग जाते हैं. जो भी कमाई होती है उसे कपड़े, मांस और घर के सामानों पर खर्च कर देते हैं. हरार की अर्थव्यवस्था शहर के तस्करी बाजार, मुस्लिम बाजार, मसाला बाजार, फूड बाजार आदि पर निर्भर करती है.
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ऊंटों का मोलभाव
हफ्ते में दो बार हरार से 40 किमी की दूरी पर मशहूर ऊंट बाजार लगता है. एक दिन में करीब 200 ऊंट यहां बिकने के लिए पहुंचते हैं. ऊंटों की कीमत 500 यूरो मतलब करीब 40 हजार रुपये से शुरू होती है. ऊंटों के कारोबारी अधिकतर सोमाली समुदाय के होते हैं. यहां ऊंटों को आने-जाने में इस्तेमाल तो किया ही जाता है साथ ही इनका मांस भी खाया जाता है.
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क्या वक्फ बोर्ड मुस्लिमों का पक्षकार हो सकता है
वक्फ किसी भी मामले में एक संस्था के तौर पर पक्षकार तो हो सकता है. लेकिन ये पक्षकार मुस्लिम समुदाय का नहीं माना जाएगी. वक्फ के अध्यक्ष या कोई सदस्य अगर अपनी तरफ से किसी अदालत में कोई केस करते हैं तो इसकी मुस्लिम समुदाय के लिए कोई बाध्यता नहीं होती. बोर्ड की इजाजत के बिना किसी भी सदस्य या अध्यक्ष बोर्ड की तरफ से कोई मुकदमा करना गैर कानूनी है. ऐसे विवाद की सुनवाई के लिए विशेष प्राधिकरण बने हैं. अयोध्या जमीन विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की सात याचिकाएं हैं. इनमें छह याचिका छह अलग अलग लोगों ने और एक सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दाखिल की है. सुन्नी वक्फ बोर्ड की किसी भी याचिका को वापस लेने जैसा फैसला वक्फ बोर्ड की वोटिंग में दो तिहाई के बहुमत के बाद ही लिया जा सकता है. सुन्नी वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्ष की तरफ से मुकदमा लड़ रहा है इसलिए इसे मुस्लिमों का प्रतिनिधि माना जा रहा है.
सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया बढ़ते कट्टरपंथ और शरिया के मुताबिक सजा देने के लिए चर्चा में रहा है. लेकिन इस देश में आज भी लोग बच्चों के नाम हिंदू देवताओं या पौराणिक चरित्रों के नाम रखते हैं.
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कृसना (Krisna)
इंडोनेशिया में हिंदू नामों की वर्तनी कुछ अलग हैं, लेकिन उनका मूल एक ही है. जिसे हम कृष्ण के तौर पर जानते हैं, उसे इंडोनेशिया में कृसना कहा जाता है.
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रामा (Rama)
इंडोनेशिया में इस्लाम के प्रसार से पहले हिंदू और बौद्ध धर्म प्रचलित थे. अब भी हिंदू नाम और संस्कृति दिखती है. इसीलिए आज भी रामा या कहें राम वहां एक प्रचलित नाम है.
तस्वीर: AP
सीता (Sita)
सीता भी इंडोनेशिया में रखे जाने वाले पसंदीदा नामों में से एक है. राम की पत्नी और राजा जनक की बेटी सीता रामायण के सबसे अहम किरादारों में से एक है.
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विसनु (Wisnu)
विसनु यानी विष्णु. इस नाम वाले लोग भी आपको इंडोनेशिया में खूब मिलेंगे. अरकी डिकानिया विसनु नाम के एक नामी अमेरिकी-इंडोनेशियाई बास्केट बॉल खिलाड़ी हैं.
तस्वीर: Presse
लक्ष्मी (Lakshmi)
लक्ष्मी नाम जितना प्रचलचित भारत में है, उतना ही इंडोनेशिया में भी है. हिंदू धर्म में लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी के तौर पर पूजा जाता है.
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सरस्वती (Saraswati)
ज्ञान की देवी मानी जाने वाली सरस्वती का नाम भी इंडोनेशिया में बहुत जाना माना है. 2013 में इंडोनेशिया की सरकार ने 16 फीट ऊंची सरस्वती की एक प्रतिमा अमेरिका को भेंट की थी.
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सेतियावान (Setiawan)
सत्यवान नाम आपको भारत में आजकल शायद ही सुनने को मिलता है. लेकिन सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा से निकले इस नाम को आज भी इंडोनेशिया में शौक से रखा जाता है.
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सावित्री (Savitri)
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री यमराज से अपने पति सत्यावान की जिंदगी को वापस ले आयी थी. सावित्री भी इंडोनेशिया में एक प्रचलित नाम है.
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देवा/देवी (Devi/Deva)
इंडोनेशिया में आपको बहुत से लोग मिल जाएंगे जिनके नाम देवा या देवी होते हैं. स्वाभाविक रूप से देवा पुरुष तो देवी एक महिला नाम है.
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युदिसथीरा (Yudisthira)
महाभारत और रामायण इंडोनेशिया में अब भी प्रचलित संस्कृति का हिस्सा है. महाभारत में धर्मराज कहे जाने वाले युधिष्ठिर का नाम भी इसीलिए आपको इंडोनेशिया में खूब मिलता है.
तस्वीर: picture alliance/united archives
अर्जुना (Arjuna)
अर्जुना भी इंडोनेशिया में एक लोकप्रिय नाम है. महाभारत में श्रेष्ठ धनुर्धर होने के साथ साथ अर्जुन उस गीता उपदेश प्रकरण का भी हिस्सा रहे हैं जो हिंदू दर्शन के बड़े आधारों में से एक है.
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भीमा (bima/Bhima)
भीम पांडवों में दूसरे नंबर पर आते थे और बहुत बलशाही थे. उन्हीं के नाम पर इंडोनेशिया में बीमा या भीमा नाम रखा जाता है. बीमा इंडोनेशिया में एक शहर का नाम भी है.
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पार्वती (Parwati)
पौराणिक कथाओं के अनुसार पार्वती शिव की पत्नी हैं. यह नाम भी इंडोनेशिया में प्रचलित उन नामों से एक है, जिनका मूल हिंदू धर्म से जुड़ा है.
इंद्र (Indra)
इंद्र भी इंडोनेशिया में एक प्रचलित नाम है. देवराज कहे जाने वाले इंद्र को वर्षा का देवता कहा जाता है. उनके दरबार की अप्सराओं और उनके गुस्से को लेकर कई कहानियां हैं.
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गनेसा (Ganesa)
गनेसा नाम हिंदू देवता गणेश के नाम का इंडोनेशियाई संस्करण है. इंडोनेशिया के बांडुंग शहर में मशहूर तकनीकी शिक्षण संस्थान आईटीबी में गनेशा कैंपस बहुत मशहूर है. वहां गणेश की बहुत ही प्रतिमाएं भी हैं.
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गरुणा (Garuna)
गरुणा इंडोनेशिया की सरकारी एयरलाइन कंपनी है जिनका नाम गरुण से प्रेरित है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार गरुण पक्षी भगवान विष्णु की सवारी है.
तस्वीर: picture alliance/Heritage Images
सूर्या (Surya/Suria)
सूर्य नाम अब भारत में नई पीढ़ी के बीच पहले जितना प्रचलित नहीं है, लेकिन इंडोनेशिया में अब भी आपको बहुत से लोग मिल जाएंगे जिनका नाम सूर्या है.