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इस्राएली बंधकों के बारे में अब तक क्या पता चला है

१८ अक्टूबर २०२३

इस्राएल के बंधकों की स्थिति और भविष्य के बारे में पक्के तौर पर कुछ कहना मुश्किल है लेकिन हाल के कुछ बयानों से आतंकवादी गुट की मंशा के बारे में कुछ बातें सामने आई हैं. हमास ने करीब 200 लोगों को बंधक बनाया है.

DW Screenshot I Wachsende Wut in Israel über das Schicksal der Geiseln
तस्वीर: Max Zander/Naama Muflag/DW

इस्राएली सेना (आईडीएफ) का कहना है कि 199 आम लोग और सैनिकों को हमास ने इस महीने इस्राएल पर आतंकी हमले के दौरान बंधक बना लिया. बंधकों का यह नया आंकड़ा सोमवार को आईडीएफ के प्रवक्ता डानियल हागरी ने मीडीया के सामने पेश किया.

इससे पहले बंधकों की संख्या 160 बताई गई थी. सोमवार को ही बाद में हमास ने एक वीडियो जारी किया जिसमें सैन्य शाखा के प्रवक्ता अबू ओबैदा ने इस बात की पुष्टि की कि कम से कम 200 लोग बंधक बनाए गए हैं.

इसके साथ ही ओबैदा ने यह भी कहा कि 50 दूसरे लोगों को "दूसरे प्रतिरोधी गुटों ने दूसरी जगहों पर रखा" है. इस बारे में और जानकारी नहीं दी गई.

फ्रांस की मिया शेम के परिजन तस्वीर: Ronen Zvulun/REUTERS

अबू ओबैदा ने यह भी कहा कि गाजा पर इस्राएली हवाई हमले में कम से कम 22 बंधक मारे गए हैं. वीडियो में हमास के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि गैर इस्राएली बंधक मेहमान हैं जिन्हें "परिस्थिति अनुकूल होने" पर छोड़ दिया जाएगा.

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इस्राएली बंधक कौन हैं?

हमास का टीवी संदेश आने के कुछ ही घंटे पहले उसने एक वीडियो जारी किया जिसमें मिया शेम को दिखाया. शेम 21 साल की फ्रेंच इस्राएली महिला है जिसे हमास ने इस्राएल पर हमले के दौरान बंधक बना लिया.

वीडियो में शेम का उपचार होते देखा जा सकता है. उपचार देने वाले की पहचान नहीं की जा सकी है. इस महिला ने खुद को उसके परिवार के पास पहुंचाने की गुहार लगाई है. 

फ्रेंच राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने मंगलवार को इस वीडियो की निंदा की. फ्रांस के राष्ट्रपति भवन से जारी बयान के मुताबिक माक्रों ने कहा है, "निर्दोष लोगों को बंधक बना कर इस तरह से घृणित रूप में दिखाया जाना एक कलंक है."

फ्रेंच राष्ट्रपति ने शेम को बिना शर्त रिहा करने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी सरकार सहयोगियों के साथ मिल कर हमास के द्वारा बंधक बनाए गए फ्रेंच लोगों को छुड़ाने की कोशिश में जुटी है.

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तुर्की के विदेश मंत्री हाकान फइदान ने सरकारी समाचार एजेंसी एनादोलु से मंगलवार को बातचीत में कहा, "कई देशों ने हमसे जानकारी मांगी है, खासतौर से उनके नागरिकों को छुड़ाने के लिए. हमने बातचीत शुरू की है, खासतौर से हमास की राजनीतिक शाखा से."

इस्राएली अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से बंधकों की पहचान के बारे में जानकारी नहीं दी है. हालांकि माना जा रहा है कि इसमें सैनिक, आम लोग, नाबालिग और इस्राएल के साथ दोहरी नागरिकता वाले थाईलैंड, जर्मनी और अमेरिका के लोग शामिल हैं.

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हमास ने लोगों को बंधक क्यों बनाया?

पिछले हफ्ते हमास के हथियारबंध गुट ने गाजा पर बिना आम लोगों को चेतावनी दिए होने वाले इस्राएल के हर हमले के जवाब में एक नागरिक बंधक की जान लेने की धमकी दी. हालांकि गाजा पर इस्राएल का हमला होता रहा और इस बारे में कोई और घोषणा नहीं हुई.

हमास लगातार 6,000 फलीस्तीनियों की रिहाई की मांग कर रहा है जिन्हें इस्राएली जेलों में कैद किया गया है. हमास की राजनीतिक शाखा के पूर्व नेता खालिद मशाल ने सोमवार को सऊदी अरब के अल अरबिया न्यूज चैनल से कहा कि उन के लिए यह इस्राइली जेलों में बंद फलीस्तीनियों की रिहाई सुनिश्चित कराने का जरिया है.

मशाल ने कहा, "इस युद्ध का एक लक्ष्य इस्राएली सैनिकों और अधिकारियों को पकड़ने था. हमारे पास कैदियों की अदला बदली के लिए पर्याप्त कैदी हैं."

हमास की राजनीतिक शाखा के पूर्व प्रमुख खालिद मशालतस्वीर: Jordan Pix/ Getty Images

बंधक बनाने का पुराना इतिहास 

अलग अलग चरमपंथी गुट लंबे समय से लोगों को बंधक बना रहे हैं यह इस्राएली अधिकारियों पर दबाव बनाने की एक रणनीति है.  बंधक बनाने की सबसे बड़ी घटना 1972 में म्युनिख ओलंपिक खेलों के समय हुई थी. उस वक्त फलीस्तीनी चरमपंथी गुटों ने इस्राएली ओलंपिक टीम के 11 सदस्यों को बंधक बना लिया था.

इन्हें छोड़ने के बदले में इस्राएली जेलों में बंद फलीस्तीनी कैदियों को रिहा करने की मांग की गई. इस घटना के दौरान खिलाड़ियों को बचाने की कोशिश नाकाम हो गई और सारे बंधक मारे गए.

इसी तरह 2011 में इस्राएल ने एक इस्राएली सैनिक गिलाड शालित की रिहाई के बदले सैकड़ों फलीस्तीनी कैदियों को रिहा किया था. गिलाद शालित को हमास ने अगवा कर पांच साल तक बंधक बनाए रखा.

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार गुट फलीस्तीनी लोगों को कैद करने के लिए इस्राएल की अकसर आलोचना करते है. इसी साल जुलाई में फलीस्तीनी अथॉरिटी में मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र की एक स्पेशल रिपोर्ट में कहा गया कि करीब 1,100 फलीस्तीनियों को इस्राएली जेलों में बिना किसी आरोप या मुकदमे के रखा गया है.

संयुक्त राष्ट्र ने इसे "गैरकानूनी" और "अंतराष्ट्रीय अपराध के समान" माना है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने हमास के हमलों की निंदा की है और सभी बंधकों को तुरंत छोड़ने की मांग की है.

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