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पाम ऑयल को ले कर क्यों मचा रहता है इतना हल्ला?

२१ जून २०२१

पाम ऑयल दैनिक उपयोग में एक अहम बन गया है लेकिन जंगलों की कटाई से इसके जुड़ाव ने इसे अलोकप्रिय बना दिया है. क्या यह वाकई उतना खराब है जितना कि लोग इसे मानने लगे हैं?

Weltspiegel 14.04.2021 | Indonesien 2019 | Palmölplantage
तस्वीर: Willy Kurniawan/REUTERS

यह कहना ठीक है कि पाम ऑयल की छवि नुकसानदायक नहीं है. भले ही ब्रिटिश सुपरमार्केट के विज्ञापन से लेकर खाद्य पदार्थों और सौंदर्य उत्पादों तक पर "नो पाम ऑयल" के स्टिकर चिपके रहना इस बात का सबूत है कि वनस्पति तेल उद्योग में इसकी छवि एक खराब लड़के जैसी पेश की गई है.

हालांकि, यह तेल खाद्य पदार्थों, पशुओं के चारे और ईंधन के रूप में तेल के इस्तेमाल की वैश्विक स्तर पर चालीस फीसद जरूरत को पूरी करता है. इसके बहु उपयोगी गुण के कारण तमाम जंगल काटकर ताड़ के पेड़ों को उगाने का रास्ता साफ किया गया. जाहिर है, यह वायुमंडल के लिए ठीक नहीं है.

वास्तव में ऐसा करना विनाशकारी है. पाम ऑयल का 90 फीसद से ज्यादा उत्पादन बोर्नियो, सुमात्रा और मलय प्रायद्वीप में होता है जहां ऊष्णकटिबंधीय वर्षावनों को साफ किया गया है.

जब उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को साफ किया जाता है, तो यह कई अलग-अलग प्रजातियों के आवासीय पर्यावरण को भी नष्ट कर देता है. इसके अलावा, पेड़ और मिट्टी हमें कार्बन को स्टोर करने में मदद करते हैं और हमें उनकी इसलिए आवश्यकता है कि ताकि हम जो अतिरिक्त कार्बन डाय ऑक्साइड का उत्पादन कर रहे हैं, उसका पर्याप्त मात्रा में अवशोषण हो सके.

पाम ऑयल का इस्तेमाल बंद कर दिया जाए?

श्रीलंका ने हाल ही में पाम ऑयल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और ताड़ के पेड़ों को भी लगाना कम कर रहा है. इसकी बजाय वहां रबर और दूसरे पर्यावरण अनुकूल पौधे लगाए जा रहे हैं.

लेकिन पाम ऑयल के तमाम उपयोगों को देखते हुए, इससे पूरी तरह से छुटकारा पाना आसान नहीं कहा जा सकता. चॉकलेट के अलावा, यह सौंदर्य प्रसाधनों, दवाओं, हमारे पसंदीदा स्नैक्स और कारों तक में प्रवेश कर चुका है.

वास्तव में यूरोपियन इस तेल का इस्तेमाल एक जैविक ईंधन के स्रोत के रूप में ही करते हैं, बजाय अन्य उपयोग के. और जीवाश्म ईंधन के लिए हरित विकल्प होने बावजूद, पाम ऑयल डीजल वास्तव में अपने पेट्रोलियम-आधारित विकल्पों की तुलना में तीन गुना अधिक उत्सर्जन करता है. इसलिए यह आदर्श विकल्प नहीं हो सकता.

कुछ साल पहले यूरोपियन यूनियन ने जैविक ईंधन के तौर पर पाम ऑयल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. लेकिन कुछ ही महीनों के भीतर इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे बड़े उत्पादकों ने विश्व व्यापार संगठन में इस प्रतिबंध के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी.

दूसरे वनस्पति तेल का इस्तेमाल क्यों नहीं करते?

यह थोड़ा जटिल है. हालांकि पाम ऑयल के लिए वनों को काटना पड़ता है और दक्षिणपूर्व एशिया की दलदली जमीन में जल निकासी और जंगलों में आग की घटनाएं भी होती हैं लेकिन ये जिस पेड़ से प्राप्त किए जाते हैं, उनकी पैदावार काफी अच्छी होती है. इसका मतलब यह है कि हम बहुत कम जमीन से बहुत ज्यादा मात्रा में पाम ऑयल प्राप्त कर लेते हैं.

यदि यही जमीन पर कोई अन्य फसल उगाई जाए तो उसकी पैदावार इतनी ज्यादा नहीं होगी. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के मुताबिक, किसी अन्य तेल उत्पादक फसल की तुलना में इसकी पैदावार नौ गुना ज्यादा होती है. और इसी वजह से शायद पाम ऑयल प्राप्त करने के लिए ज्यादा वनों को काटा जा रहा है.

पाम ऑयल को हां कहा जाए या ना?

निश्चित तौर पर हां. बजाय इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के, आदर्श स्थिति यह होगी कि ऊष्णकटिबंधीय वनों को काटने की बजाय उसके साथ दूसरे पौधों को भी लगाने की योजना बनानी चाहिए. हमें पाम ऑयल के सतत उत्पादन को भी सुनिश्चित करना होगा.

साल 2004 में उद्योग जगत के कई लोगों ने इस पर विचार करने के लिए राउंडटेबल ऑन सस्टेनेबल पाम ऑयल यानी आरएसपीओ नाम से बैठक आयोजित की थी. संरक्षण के लिए काम करने वाला संगठन डब्ल्यू डब्ल्यू एफ इसका एक सदस्य है और इसने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, "पाम ऑयल का उत्पादन सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से जिम्मेदार तरीके से किया गया था."

तो हल क्या है?

स्पष्ट रूप से कुछ नहीं. हालांकि सैकड़ों कंपनियों ने अपने उत्पादों के लिए आरएसपीओ प्रमाण पत्र ले रखा है, लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले दुनिया भर में कई समूह इसे खतरा बता चुके हैं. इन संगठनों में ग्रीनपीस भी है जिसने आरएसपीओ को चॉकलेट के कप से ज्यादा उपयोगी नहीं बतया है.

ग्रीनपीसी की हाल की एक रिपोर्ट में आरएसपीओ मानकों के "कमजोर कार्यान्वयन", ऑडिट विफलताओं और सदस्यता मानदंडों की उदार समझ को उजागर किया गया है. कुल मिलाकर, रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमाणित तेल को वनों की कटाई या मानवाधिकारों के हनन से मुक्त होने की गारंटी नहीं दी जा सकती है.

ग्रीनपीस और दूसरे पर्यावरण समूह औद्योगिक समूहों से प्रमाणपत्र की बजाय सरकारी कानून बनाने का दबाव बना रही हैं. इन समूहों का कहना है कि ऐसे प्रमाणपत्र "ग्राहक पर एक प्रमाणित उत्पाद की गुणवत्ता का आकलन करने की जिम्मेदारी" को खत्म कर देता है.

वे मानते हैं कि आधिकारिक विनियम होने में इस बात की अधिक संभावना है कि हम जो उत्पाद खाते और उपयोग करते हैं, वे पर्यावरणीय विनाश और मानवाधिकारों के उल्लंघन की कीमत पर नहीं आएंगे. इस बीच, औद्योगिक घराने भी अपनी आपूर्ति श्रृंखला के साथ किसी की जांच करके वनों की कटाई में योगदान नहीं दे रहे हैं.

जहां तक आम लोगों का सवाल है, तो हम यह पता लगा सकते हैं कि हमारी खरीदारी की सूची में किन उत्पादों में पाम ऑयल है और हम यह भी देख सकते हैं कि क्या कंपनियां अपने वादे निभा रही हैं. और हम अधिक पारदर्शिता और स्वच्छ उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आवाज उठा सकते हैं.

रिपोर्ट: तमसिन वॉकर/सारा श्टेफन

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