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लत में क्यों बदल जाता है खेल के प्रति जुनून

१५ दिसम्बर २०२३

बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए खेल महत्वपूर्ण है, लेकिन कभी-कभी यह जुनून लत में भी बदल जाता है. आखिर ऐसा क्यों होता है और इसके क्या नुकसान हैं?

तस्वीर: Florian Gaertner/photothek/picture alliance

फ्लोरा कोलेज को नॉर्वे में हडॉमियरफ्यूर में जंप करने से लेकर 1,883 मीटर ऊंचे गौस्टाटोपेन पर्वत की चोटी पर पहुंचकर जश्न मनाने में कुल 11 घंटे, 21 मिनट और 15 सेकंड का समय लगा. ब्रिटेन की रहने वाली 37 वर्षीय कोलेज ने इस साल अपनी नॉर्समैन ट्रायथलॉन जीत के बारे में कहा, "यह एक सपने के सच होने जैसा था. इस प्रतियोगिता को जीतने का यह मेरा पांचवां प्रयास था.”

वर्ष 2019 और 2021 में दूसरे स्थान पर रहने वाली कोलेज आखिरकार पोडियम के शीर्ष तक पहुंचने में सफल रहीं और अब वे खुद को एक्सट्री विश्व चैंपियन कह सकती हैं. एक्सट्री का मतलब है एक्सट्रीम ट्रायथलॉन. यह सामान्य आयरनमैन रेस से काफी मुश्किल होता है. इसमें 3.8 किलोमीटर की तैराकी, 180 किलोमीटर साइकिल चलाना और 42.4 किलोमीटर की दौड़ शामिल होती है. नॉर्समैन में करीब 3,000 मीटर की चढ़ाई बाइक से करनी होती है और इसके बाद 1,800 मीटर से ज्यादा का मैराथन होता है.

फ्लोरा कोलेज न सिर्फ एक एक्सट्रीम एथलीट हैं, बल्कि खेल वैज्ञानिक भी हैं. फिलहाल वह खेल की लत के मामलों पर शोध कर रही हैं. वह अपने शोध में उन खेलों में शामिल होने की इच्छा पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही हैं जो अनियंत्रित या अनूठा लगता है. साथ ही, अत्यधिक खेल गतिविधि और व्यवहार से जुड़ी लत पर भी नजर बनाई हुई हैं.

हफ्ते में सात घंटे से ज्यादा खेल गतिविधि से लत का खतरा

कोलेज ने डीडब्ल्यू को बताया, "मैंने इस पर ध्यान देना शुरू नहीं किया था, क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैं खुद जोखिम में पड़ जाऊंगी. इस विषय ने मुझे चुना. एक बेहतर एथलीट के रूप में, मुझे खेल से जुड़ी लत और स्वस्थ तरीके से मिलने वाले प्रशिक्षण के बीच अंतर का पता लगाना रोमांचक लगता है.”

कोलेज खुद हर हफ्ते करीब 25 घंटे प्रशिक्षण लेती हैं. उन्होंने अपने शोध में खेल से जुड़ी संभावित लत की सीमा के तौर पर, सप्ताह में करीब सात घंटे के प्रशिक्षण की पहचान की है. सामान्य शब्दों में कहें, तो हर हफ्ते सात घंटे से ज्यादा खेल में बिताना संभावित लत की ओर इशारा करता है.

स्विट्जरलैंड स्थित लूसर्न विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक के तौर पर काम करने वाली कोलेज बताती हैं, "अगर कोई व्यक्ति पूर्णकालिक नौकरी में है, उसके ऊपर परिवार और अन्य तरह की जिम्मेवारियां हैं, तो उसके लिए हर दिन खेल के लिए एक घंटे का समय निकालना कोई छोटी बात नहीं है. हालांकि, अगर इसी तरह का कोई व्यक्ति अपनी अन्य जिम्मेवारियों से मुंह मोड़कर खेलने के लिए हफ्ते में सात घंटे से ज्यादा समय निकालता है, तो इसे खेल से जुड़ी लत कहा जा सकता है.”

खेल की लत से जुड़े मामले की खोज 1970 में हुई थी. न्यूयॉर्क के डॉक्टर फ्रेडरिक बेकलैंड यह जांच करना चाहते थे कि क्या काफी ज्यादा व्यायाम गहरी नींद को बढ़ावा देता है. इस मकसद से उन्होंने हर दिन प्रशिक्षण लेने वाले धावकों को पैसे की पेशकश की. इसके बदले उन धावकों को एक महीने तक खेल के मैदान से दूरी बनाने की शर्त रखी गई थी. अधिकांश धावकों ने इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया, जबकि उन्हें बड़ी रकम की पेशकश की गई थी. तब बेकलैंड ने ‘व्यायाम की लत' शब्द का ईजाद किया. इस घटना पर अब तक 1,000 से ज्यादा वैज्ञानिक लेख हैं और पिछले पांच वर्षों में वाकई में इस दिशा में अनुसंधान बढ़ा है.

जिस तरह से जुए और सट्टेबाजी की लत को मानसिक विकार के तौर पर मान्यता दी गई है उस तरह से अभी खेल की लत को विकार के तौर पर नहीं माना गया है. कोलेज का मानना है कि कुछ अध्ययनों में सावधानी बरतने की जरूरत है. उनका कहना है कि खेल की लत की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके ‘काफी ज्यादा सरल' हैं.

अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली प्रश्नावली में एथलीटों से पूछा जाता है कि क्या वे प्रशिक्षण की गतिविधि को बढ़ाते हैं और क्या वे अपने मूड को बेहतर बनाने के लिए खेल खेलते हैं? छह में से दो सवाल यही होते हैं. कोलेज बताती हैं, "कोई भी एथलीट इन दोनों सवालों का जवाब ‘हां' में देगा. निश्चित तौर पर वे अपने प्रशिक्षण की गतिविधि बढ़ाते हैं. साथ ही, शारीरिक गतिविधि से मूड भी अच्छा होता है. इसलिए, हम खेल की सलाह देते हैं.”

मौत का कुआं, जिंदगी का खेल

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चिंता और अवसाद के लक्षण

हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि खेल के प्रति जुनून कब लत बनने लगता है? कोलेज कहती हैं, "खेल आपके जीवन में अहम भूमिका निभा सकता है, लेकिन खेल ही एकमात्र प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए. जो लोग खेल के प्रति प्रतिबद्ध हैं, उनके लक्ष्य स्पष्ट हैं. हालांकि, अगर उन्हें खेल की लत नहीं है, तो वे प्रशिक्षण से मिले ब्रेक का बेहतर इस्तेमाल भी कर सकते हैं.”

वह आगे कहती हैं, "एक दिन की छुट्टी लेना ठीक है और इसे खेल छोड़ने के लक्षण के तौर पर नहीं माना जाता है. वहीं दूसरी ओर, खेल के लती लोगों में गंभीर चिंता और अवसाद से ग्रसित होने के लक्षण दिखते हैं. अगर वे नियमित तौर पर व्यायाम नहीं कर पाते हैं, तो उनमें आत्महत्या जैसे विचार आने लगते हैं.” हर स्थिति में व्यायाम करने और व्यायाम से जुड़ी गतिविधि कभी कम न करने की यह आंतरिक मजबूरी लत से जुड़ी चेतावनी के संकेतों में से एक है. इसलिए, शौकिया एथलीट संभावित रूप से और भी अधिक जोखिम में हैं.

कोलेज के पास पेशेवर ट्रायथलॉन लाइसेंस है. वह कहती हैं, "पेशेवर एथलीट आम तौर पर समझते हैं कि आप सिर्फ प्रशिक्षण के माध्यम से फिट नहीं होते हैं, बल्कि गहन प्रशिक्षण की भरपाई के लिए आपको रिकवरी की भी जरूरत होती है. सामान्य शब्दों में कहें, तो कड़े प्रशिक्षण के बाद कुछ समय के लिए आराम की भी जरूरत होती है. वहीं, खेल के लती लोग इस बात को नहीं समझते हैं. यह बात बेहतर, तेज या फिट होने के बारे में नहीं है, यह सिर्फ हर दिन के प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बारे में है. उन्हें लगता है कि आज हमने जितना प्रशिक्षण लिया है, कल इससे कम नहीं होना चाहिए. थोड़ा ज्यादा ही होना चाहिए.”

चोट और बुखार के बावजूद प्रशिक्षण

वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर अलग-अलग राय है कि कितने सक्रिय लोगों को खेल की लत लग सकती है. सहनशक्ति वाले खेलों को विशेष रूप से जोखिम भरा माना जाता है. उदाहरण के लिए, 2022 में शोधकर्ताओं ने पाया कि साइकिल चालकों के बीच खेल की लत का खतरा छह फीसदी है. वहीं, मैराथन धावकों में यह खतरा सात फीसदी से थोड़ा कम है. दूसरे शब्दों में कहें, तो 100 में से 7 मैराथन धावकों को खेल की लत लग सकती है.

हालांकि, उच्च जोखिम का मतलब यह नहीं है कि उन्हें किसी तरह की मानसिक बीमारी है. इस मामले पर जर्मन स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन के सिमोन ब्रूयर और येंस क्लाइनर्ट के अनुमान का अक्सर हवाला दिया जाता है. इस अनुमान के मुताबिक, लगभग सौ में एक एथलीट में असामान्य लक्षण दिखता है. एक हजार में से एक में विकार के ठोस लक्षण दिखते हैं. संभवतः दस हजार में से एक को इलाज की जरूरत है. उदाहरण के लिए, यह तब भी लागू होता है, जब खाने से जुड़े विकार के लक्षण खेल की लत के उन लक्षणों से मेल खाते हैं.

फ्लोरा कोलेज कहती हैं, "जब खेल एक मनोवैज्ञानिक बोझ बन जाता है, तो यह मानसिक विकार बन जाता है.” उन्होंने उदाहरण के जरिए समझाया कि किस स्थिति में लोगों को इलाज कराना चाहिए. वह कहती हैं, "मेरे पास आज दो घंटे प्रशिक्षण लेने का समय नहीं है, क्योंकि मुझे काम करना है या अपने परिवार की देखभाल करनी है. इसके बावजूद, मैं किसी भी तरीके से दो घंटे का प्रशिक्षण लेती हूं. भले ही रात दो बजे से सुबह चार बजे का समय हो, क्योंकि इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है और मेरे हिसाब से ऐसा करना जरूरी है.” ऐसी स्थिति में लोगों को इलाज कराना चाहिए. कोलेज कहती हैं कि जो लोग बुखार होने या चोट लगने के बाद भी प्रशिक्षण जारी रखते हैं उन्हें भी इलाज की जरूरत है.

सही इलाज की तलाश

आप व्यवहार से जुड़ी लत का इलाज कैसे करती हैं, जिसे अभी तक आधिकारिक तौर पर मानसिक बीमारी के रूप में मान्यता नहीं दी गई है? इसके जवाब में कोलेज कहती हैं, "हम अभी अनुसंधान के उस प्रारंभिक चरण में हैं कि इलाज के अलग-अलग तरीकों का परीक्षण नहीं कर पाए हैं. खेल की लत के इलाज के लिए अभी कोई दवाई, मेडिकल डिवाइस या मेडिकल उपचार उपलब्ध नहीं है.”

हालांकि, इस बात के प्रमाण हैं कि तथाकथित कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) से मदद मिल सकती है. कोलेज कहती हैं, "आप खेल से जुड़ी अपनी भावनाओं से अलग तरीके से निपटते हैं. आप इसके लिए धीरे-धीरे खेल से जुड़ी गतिविधियों को कम करने की कोशिश करते हैं. शराब की लत के मामले में पूरी तरह शराब छोड़ने के लिए कहा जाता है, लेकिन खेल को पूरी तरह छोड़ने का कोई मतलब नहीं है. लोगों को खेल की जरूरत है. इसलिए इसे पूरी तरह छोड़ना कोई विकल्प नहीं है.”

कोलेज का कहना है कि वह एक्सट्रीम ट्रायथलॉन में शामिल होना जारी रखेंगी. वह कहती हैं, "मैं सहनशक्ति वाले खेलों के लिए अधिक तैयार हूं. जितना लंबा खेल होगा उतना मजा आएगा. मुझे बड़े प्राकृतिक परिवेश और छोटे मैदान, दोनों जगहों पर प्रतिस्पर्धा में मजा आता है. मेरा मकसद अन्य एथलीटों से प्रतिस्पर्धा करना नहीं है, बल्कि मैं इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करती हूं. इससे मुझे खुशी और संतुष्टि मिलती है. मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा है. और निस्संदेह, बिना किसी लत के.”

रिपोर्ट: स्टेफान नेस्टलर

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