भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा सैन्य संघर्ष दुनिया में इकलौता ऐसा संघर्ष है जिसमें सीधे तौर पर दो परमाणु शक्तियां लड़ती भिड़ती रहती हैं.
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा सैन्य संघर्ष दुनिया में इकलौता ऐसा संघर्ष है जिसमें सीधे तौर पर दो परमाणु शक्तियां लड़ती भिड़ती रहती हैं.तस्वीर: Aman Sharma/AP Photo/picture alliance
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भारत और पाकिस्तान के बीच समय समय छिड़ने वाला सैन्य संघर्ष कोई नई बात नहीं है. 1947 से चले आ रहे आपसी मतभेदों ने 78 साल में तीन बार जंग का रूप लिया है. बाकी मौकों पर हुए टकराव में संघर्ष सेनाओं के बीच ही सीमित है और आमतौर पर, सीमा के आस पास ही खत्म हो गया.
भारत-पाकिस्तान तनाव सात मई 2025 से शुरू हआ और तीन दिन की भीषण गोलाबारी के बाद थम गया. कई हलकों में कहा जा रहा है कि इस बार संघर्ष युद्ध में तब्दील होते होते बच गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से लेकर सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने भारत और पाकिस्तान से बातचीत कर के इस मसले में संघर्ष विराम की लकीर खींच ही दी.
इस बार का सीमा संघर्ष भारतीय कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले से शुरू हुआ. भारत को यकीन था कि पाकिस्तान इस हमले के पीछे है, जबकि इस्लामाबाद इससे इनकार करता रहा. दोनों देशों के बीच इससे पहले भी कश्मीर में हुए हमलों को लेकर संघर्ष हुआ. चाहे मामला बालाकोट का हो या पुलवामा का, दोनों मौकों पर शुरुआती संघर्ष, जल्द ही शांत हो गया.
तो जंग के करीब आते आते आखिर कैसे पाकिस्तान और भारत संयम बरत लेते हैं? इन दो देशों की लड़ाई, दुनिया की बाकी जंगों से अलग कैसे है?
भारत पाकिस्तान की दुश्मनी
भारत के बंटवारे के साथ 1947 में जब से पाकिस्तान बना है और तब से ही दोनों के बीच बैर का सिलसिला जारी है. इन तस्वीरों में देखिए दोनों देशों की रंजिश की कहानी.
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1947 में आजादी के साथ विभाजन
1947 में भारत आजाद हुआ लेकिन विभाजन की कीमत पर. भारत और पाकिस्तान दो देश बन गए. पाकिस्तान मुसलमानों का देश बना जबकि भारत ने धर्मनिरपेक्षता को चुना. विभाजन के समय करीब डेढ़ करोड़ लोग विस्थापित हुए. इस दौरान हुए दंगों में दोनों ओर के हजारों लोगों की जान गई.
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1947 की लड़ाई
विभाजन के कुछ ही महीनों बाद दोनों देशों के बीच कश्मीर में लड़ाई छिड़ गई. हिंदू राजा और मुसलमान बहुसंख्यक आबादी वाले कश्मीर पर नियंत्रण के लिए दोनों देश भिड़ गए. कश्मीर पर पहले पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ और तब राजा हरि सिंह ने भारत में कश्मीर के विलय के कागजात पर दस्तखत कर दिए. 1948 में युद्ध खत्म होने के पहले दोनों तरफ के हजारों लोगों की मौत हुई.
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कश्मीर का बंटवारा
संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में हुए युद्धविराम ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच बांट दिया. उस वक्त वादा किया गया था कि कश्मीर में जनमत संग्रह के जरिए यह तय होगा कि कश्मीर किधर जाएगा. यह जनमतसंग्रह कभी नहीं हुआ. भारत का कहना है कि कश्मीर के लोगों ने चुनाव में हिस्सा लेकर अपनी मंशा जता दी है.
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1965 की लड़ाई
साल 1965 में दोनों देश एक बार फिर भिड़ गए. हजारों लोगों की मौत के बाद सोवियत संघ और अमेरिका की मध्यस्थता में संघर्षविराम हुआ. उसके बाद कई महीनों की बातचीत से ताशकंद समझौता हुआ. दोनों देशों ने युद्ध के दौरान कब्जाई गई एक दूसरे की जमीन वापस कर दी और सेना को पीछे खींच लिया.
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1971 की लड़ाई
पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह के दौरान भारत ने बंगालियों का साथ दिया. इस जंग में पाकिस्तान की सेना को हार का मुंह देखना पड़ा. सिर्फ इतना ही नहीं उसका पूर्वी हिस्सा आजाद हो कर बांग्लादेश के नाम से एक नया देश बन गया.
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1972 का शांति समझौता
भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में एक शांति समझौता हुआ. इसके तहत कश्मीर में संघर्षविराम की रेखा को नियंत्रण रेखा घोषित किया गया. दोनों देशों ने इस मोर्चे पर बड़ी संख्या में अपनी सेनाएं तैनात कर दी.
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1989 का संघर्ष
पाकिस्तान की मदद से कश्मीर में भारत के खिलाफ उग्रवादी आंदोलन की शुरुआत हुई. इसी दौरान कश्मीरी पंडितों को वहां से भागने पर मजबूर किया गया. भारत ने इसका सख्ती से जवाब दिया. इसका नतीजा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य संघर्ष के रूप में सामने आया.
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1999 का कारगिल युद्ध
पाकिस्तानी सैनिकों और कश्मीरी लड़ाकों ने भारत की सीमा में हिमालय की कई चोटियों पर कब्जा कर लिया. भारत ने टैंक और हवाई बमबारी से जवाब दिया. 10 हफ्ते की लड़ाई में हजारों सैनिकों की मौत हुई. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध का खतरा उभर आया. अमेरिका के दखल से यह लड़ाई बंद हुई.
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2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमला
पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई शहर में खूब तांडव मचाया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. भारतीय सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 9 आतंकवादी मारे गए जबकि एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ कर उस पर मुकदमा चला. बाद में अदालत ने उसे मौत की सजा दी. पाकिस्तान इस हमले के सबूत मांगता रहा लेकिन दोषियों पर कभी कार्रवाई नहीं हुई.
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पहलगाम में सैलानियों पर हमला
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में सैलानियों पर हमला करके आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी. उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव फिर चरम पर है. भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि रोकने की घोषणा की और फिर पाकिस्तानी इलाकों पर मिसाइलों से हमला किया है.
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2016 की सर्जिकल स्ट्राइक
भारतीय कश्मीर में सेना के अड्डे में घुसे आतंकवादियों के हमले में कम से कम 18 सैनिकों की मौत हुई. भारत ने इसका जवाब सर्जिकल स्ट्राइक से दिया और कई संदिग्धों को मार गिराया. पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक होने से इनकार करता रहा. हालांकि इस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा पर काफी तनाव फैला रहा.
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पाकिस्तानी कश्मीर पर हमला
2019 में भी दोनों देश युद्ध के करीब आ गए थे जब कश्मीरी चरमपंथियों ने विस्फोटकों से भरी कार भारतीय सुरक्षा बलों को ले जा रही बस से टकरा दी. इस हमले में 40 सैनिक मारे गए. भारत ने इसके बाद पाकिस्तान के इलाके में आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया. इस दौरान पाकिस्तान ने भारत के एक लड़ाकू विमान को मार गिराया और पायलट को गिरफ्तार कर लिया. बाद में पायलट को छोड़ दिया गया.
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दोनों देशों की परमाणु क्षमता लगभग एक समान
परमाणु हथियार भारत और पाकिस्तान के झगड़े में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं. दोनों के बीच लंबे समय से सीमा में तनाव रहने के बावजूद हालात संभल जाते हैं. समाचार एजेंसी एपी को दिए गए एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के सुरक्षा विशेषज्ञ सईद मोहम्मद अली ने एजेंसी को बताया, "दोनों ही देशों के पास इतना परमाणु हथियार है कि वो एक दूसरे को कई कई बार खत्म कर सकते हैं. ऐसे में दोनों देश एक दूसरे को तबाह करने का दम रखते हैं.”
उन्होंने आगे यह भी कहा कि दोनों ही देशों ने ‘जानबूझकर एक समान परमाणु क्षमता' बनाए रखी है ताकि सामने वाले को यकीन हो जाए कि तबाही दोनों तरफ एक समान ही होगी.
भारत के सेवानिवृत्त राजनयिक सईद अकबरुद्दीन ने डीडब्ल्यू से बातचीत में बताया कि भारत और पाकिस्तान ने हमेशा ही अपनी जनता को युद्ध से दूर रखने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा, "भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश, परमाणु हथियार हासिल करने से पहले भी जनता को युद्ध से बाहर रखते थे. लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद को ही बाद में युद्ध का एक जरिया बना लिया जिससे उसने आम लोगों को टारगेट किया.”
दोनों ही देश अपनी परमाणु क्षमता का खुलासा नहीं करते हैं, लेकिन माना जाता है कि दोनों के पास 170 से 180 एटम बम हैं, जो मिसाइलों के जरिए कम दूरी, लंबी दूरी और मध्यम दूरी तक मार कर सकते हैं. दोनों देशों के पास अलग-अलग डिलीवरी सिस्टम हैं जिनसे इन हथियारों को लॉन्च करके लक्ष्य तक पहुंचाया जाता है.
वो हथियार जिसके लिए भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की भी परवाह नहीं की
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे ताजा सैन्य तनाव के बीच दावा किया जा रहा है कि भारत द्वारा रूस से खरीदा हुआ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. जानिए क्या करता है ये सिस्टम और इसकी क्या अहमियत है.
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क्या करता है एयर डिफेंस
एयर डिफेंस सिस्टमों का काम होता है आसमान से आ रहे किसी भी मिसाइल, ड्रोन, दुश्मन के विमान आदि को मार गिराना. इस तरह के सिस्टमों में अमूमन राडार, कंट्रोल सेंटर और मिसाइलें होती हैं. भारत के पास कई तरह के एयर डिफेंस सिस्टम हैं.
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भारत के पास कई एयर डिफेंस सिस्टम
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास रूस का 'एस-400 ट्रायंफ', इस्राएल का 'स्पाइडर', इस्राएल का साथ मिल कर बनाया गया 'बराक-आठ एमआर-एसएएम', भारत का अपना 'आकाश' और कुछ और कम रेंज के एयर डिफेंस सिस्टम हैं.
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रूस का एस-400 सबसे अहम
इनमें से सबसे ज्यादा रेंज (300 किलोमीटर से ज्यादा) रूसी 'एस-400 ट्रायंफ' सिस्टम की है. यह सतह से हवा (सरफेस टू एयर) में मिसाइल दागने वाला मोबाइल सिस्टम है. इसे रूस ने 1990 के दशक में बनाया था. हालांकि इसे रूसी सेना में शामिल होने में उसके बाद कई साल लग गए.
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40,000 करोड़ रुपयों का सिस्टम
2018 में भारत ने रूस से करीब 40,000 करोड़ रुपयों में इसकी पांच टुकड़ियां खरीदीं. माना जाता है कि तीन टुकड़ियां भारत को मिल चुकी हैं और दो और मिलनी बाकी हैं. आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह इस समय दुनिया का सबसे अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है और इसी तरह के पश्चिमी सिस्टमों से आधे दाम पर मिलता है.
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एक बार में 36 टारगेट
सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के मुताबिक यह 400 किलोमीटर की दूरी तक एक ही बार में 36 टारगेट गिरा सकता है. यह क्रूज और बैलिस्टिक दोनों तरह की मिसाइलों, विमान और 3,500 किलोमीटर तक की रेंज और 4.8 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से उड़ने वाले ड्रोनों को गिरा सकता है.
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पांच मिनट में किया जा सकता है तैनात
वेबसाइट दजियोस्ट्राटा डॉट कॉम के मुताबिक इसे पांच मिनट में तैनात किया जा सकता और यह आसमान में 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक हमला कर सकता है. इसमें एक मोबाइल कमांड पोस्ट गाड़ी भी है जिसमें निगरानी और डाटा प्रोसेसिंग के लिए आधुनिक एलसीडी कंसोल भी लगे हैं.
कई समीक्षक इसे अमेरिका के 'थाड़' डिफेंस सिस्टम से भी ज्यादा प्रभावशाली मानते हैं. अमेरिका रूस से इसे खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा देता है. उसने भारत पर भी प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, लेकिन भारत पीछे नहीं हटा. अमेरिका ने आज तक इसे लेकर भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं.
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हो सकता है कि कुछ लोगों को इसका आभास ना हो, लेकिन दोनों देशों की सरकारें जानती हैं कि भीषण जंग हुई तो दोनों देशों में एक जैसी तबाही होगी. यह समझ ही दोनों देशों को संयम बरतने के लिए मजबूर कर देती है.
अली कहते हैं कि अभी भी यह साफ नहीं है कि दोनों देशों में से कौन सा देश पहला परमाणु हमला झेलकर, वापस पलटकर एक और परमाणु हमला कर सकेगा. इसे कहते हैं ‘सेकंड स्ट्राइक केपेबिलिटी'. चूंकि यह बात साफ नहीं है, इसलिए सामने वाला परमाणु हथियार इस्तेमाल करने से पीछे हट जाता है. जानकारों का मानना है कि यही असमंजस है जो भारत और पाकिस्तान को एक दूसरे पर परमाणु हथियार तानने से रोक देता है.
कश्मीर का मुद्दा
भारत और पाकिस्तान दोनों ही 1947 से कश्मीर पर अपना हक जताते आए हैं. दोनों ही देश कश्मीर के एक एक हिस्से पर शासन कर रहे हैं और इलाके में उन्हें अलग करती है, सेना की भारी तैनाती वाली सीमा और नियंत्रण रेखा.
दोनों देशों ने अब तक तीन जंगें लड़ी हैं जिनमें से दो कश्मीर के मुद्दे पर हुई हैं. हालांकि कश्मीर में दोनों ही तरफ, कुछ लोग भारतीय शासन चाहते हैं, कुछ पाकिस्तानी और कुछ चाहते हैं कि कश्मीर अलग देश बने. इन मतों के अलग अलग समर्थक और विरोधी भी मौजूद हैं. इस कारण यह लड़ाई केवल सेनाओं के बीच ना रहकर आम लोगों के बीच भी पसर जाती है.
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अलग अलग सैन्य क्षमताएं और चीन की दखल
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की मिलिट्री बैलेंस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2025 में सेना पर 74.4 अरब डॉलर खर्च किए. इसके साथ वह उन सबसे बड़े देशों की लिस्ट में आ गया जो अपनी रक्षा और सेना पर बेतहाशा पैसा खर्च करते हैं. भारत, दुनिया में हथियार के सबसे बड़े आयातकों में से भी एक है.
पाकिस्तान ने भी पिछले साल सेना पर 10 अरब डॉलर खर्च किए, लेकिन अब भी वह भारत के खर्चे की बराबरी नहीं कर सकता. भारत के पास पाकिस्तान की तुलना में सशस्त्र बलों की संख्या भी दोगुनी से भी अधिक है.
भौगोलिक रूप से देखा जाए तो पाकिस्तान अपने प्रतिद्वंद्वी भारत के साथ पूरब में लंबी सीमा साझा करता है. पश्चिम में उसका बॉर्डर अफगानिस्तान और ईरान से लगता है. इन बॉर्डरों की सुरक्षा को आधार बनाकर पाकिस्तानी सेना बजट से रक्षा के लिए बड़ा हिस्सा निकाल लेती है.
अकबरुद्दीन इस मामले में एक पहलू और जोड़ते हुए कहते हैं, "चाणक्य की राजमंडला ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही थी– आपके दुश्मन का दुश्मन आपका दोस्त होता है. पाकिस्तान और चीन इस कहावत को चरितार्थ करते हैं.”
डिप्रेशन से लड़ने के लिए योग का सहारा ले रहे हैं भारतीय सैनिक
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भारत और पाकिस्तान के बीच ताजा सैन्य संघर्ष इस्तेमाल हुए कई हथियार चीन से आने की खबरों पर लोगों का कयास है कि कहीं ये दो देश दूसरे देशों की लड़ाई अपने मैदान में तो नहीं लड़ रहे हैं. इस पर सईद ने बताया कि "भारत, जो दुनिया में अपनी जगह स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, यह आरोप उसके लिए दुःखद है.”
वो कहते हैं कि यह बात सच है कि विकासशील देश होने के नाते हम दूसरे देशों से हथियार ले रहे हैं लेकिन "वो इसलिए क्योंकि भारत की प्राथमिकताएं विकास की है और वो वहां ज्यादा खर्च करना चाहता है. हालांकि मेक इन इंडिया के जरिए यह कोशिश की जा रही है कि डिफेंस क्षेत्र की चीजें भारत में ही बनें. लेकिन इसमें अभी समय लगेगा.”
किसी भी संसाधन, इंसान या चीज पर कब्जा जमाने की लड़ाई नहीं
गौर करने की बात है कि दोनों ही देश ज्यादातर रात या तड़के सुबह ही सैन्य कार्रवाई करते हैं. वो इसलिए ताकि दोनों देशों को आम जनता की निगरानी के बीच यह खेल नहीं खेलना है. ज्यादातर लड़ाई घनी आबादी से अलग हटकर होती है या सीमा पर. और इसलिए ऐसे हालातों में सीमा पर रह रहे लोगों को उनके देशों द्वारा विस्थापित किया जाना चाहिए.
आम तौर पर भारत के हमले या तो सर्जिकल होते हैं, यानी वो हमले जो सिर्फ एक केंद्र या एक निशाने पर जाकर लगें, या फिर छोटे स्तर के होते हों.
दोनों ही देशों के बीच संसाधनों की होड़ भी नहीं है. केवल सिंधु जल संधि के पानी पर विवाद सिर उठाकर शांत हो जाता है. भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों में अलग अलग तरह की धातुओं और खनिजों के भंडार हैं. दोनों इन पर कब्जे के लिए नहीं लड़ रहे हैं. ना ही दोनों में से कोई भी देश एक दूसरे के नागरिकों पर अपना अधिकार जताता है. कश्मीर के अलावा कोई और बड़ा जमीन का मुद्दा भी दोनों देशों के बीच नहीं है.
ये वो तमाम वजहें हैं जो भारत और पाकिस्तान को बता देती हैं कि परमाणु हथियारों से लैस देश, भीषण जंग में कुछ हासिल करने के बजाए, बहुत कुछ खो ही सकते हैं.