पिछले हफ्ते क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन 73 हजार अमेरिकी डॉलर के अपने सर्वोच्च स्तर को छू गया. उसके बाद यह गिरा और 64 हजार के नीचे चला गया. क्या बिटकॉइन और ऊपर जाएगा?
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आप टिकटॉक और इंस्टारील्स पर बिटकॉइनके चाहने वालों पर यकीन करें तो यह साल बिटकॉइन में निवेश का साल है. ये लोग कह रहे हैं कि इस साल बिटकॉइन की कीमत डेढ़ लाख अमेरिकी डॉलर के पार हो जाएगी. वे आम लोग जो इकोनॉमी की गहरी समझ नहीं रखते लेकिन पैसा बनाना चाहते हैं, पसोपेश में हैं कि क्या वे भी बिटकॉइन के इस ऊफान से कुछ पैसा बना सकते हैं.
सवाल यही है कि क्या बिटकॉइन एक लाख डॉलर को पार कर जाएगा? विशेषज्ञ इस सवाल के अलग-अलग जवाब देते हैं. सिंगापुर की ट्रेडिंग रिसर्च कंपनी ‘10एक्स रिसर्च‘ ने कहा है कि 73 हजार से नीचे गिरने की बिटकॉइन की यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है और यह 59 हजार तक गिर सकता है. फिलहाल बिटकॉइन 67 हजार के आस-पास झूल रहा है.
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
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एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
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कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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उधर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने कहा है कि इस साल के आखिर तक एक बिटकॉइन की कीमत डेढ़ लाख डॉलर तक जा सकती है. बैंक का तो यह भी अनुमान है कि अगले साल यह ढाई लाख तक जाकर उसके बाद दो लाख डॉलर के आसपास रुकेगा.
ईटीएफ निवेश धीमा हुआ
10 एक्स रिसर्च का अनुमान कम अवधि के लिए है जबकि स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने लंबी अवधि की बात की है. इसलिए ये दोनों ही बातें सच हो सकती है. संभव है कि पिछले हफ्ते से गिरना शुरू हुआ बिटकॉइन का ग्राफ एक बार 59 हजार पर जाकर फिर चढ़ने लगे और नए रिकॉर्ड बनाए.
दरअसल, बिटकॉइन में आया ताजा ऊफान एक्सचेंज ट्रेडेड-फंड्स (ईटीएफ) के निवेश का नतीजा है. पिछले कुछ हफ्तों में दुनियाभर के ईटीएफ बिटकॉइन खरीद रहे हैं. यही खरीदी इस क्रिप्टोकरंसी की कीमत को ऊपर की ओर धकेल रही है. लेकिन 10 एक्स का कहना है कि ईटीएफ अपना पैसा निकाल रहे हैं.
फारसाइड इन्वेस्टर्स नाम की एक कंपनी ने बताया है कि पिछले हफ्ते 10 ईटीएफ कुल मिलाकर 2.6 अरब डॉलर निकाल चुके हैं. फारसाइड इन्वेस्टर्स के मुताबिक 10 से 15 मार्च तक के बीच यह पैसा निकाला गया. 13 मार्च को ही बिटकॉइन ने 73 हजार को पार किया था और 15 मार्च को यह गिरकर 65 हजार पर आ गया था.
कैसे काम करती है क्रिप्टोकरेंसी
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10 एक्स रिसर्च का कहना है कि बिटकॉइन में लगने वाले ईटीएफ के पैसे की गति अब धीमी पड़ रही है. सोमवार को 10 एक्स के संस्थापक मार्कुस थीलन ने लिखा था कि ईटीएफ अब 59 हजार की ओर बढ़ रहा है.
अपनी रिपोर्ट में थीलन ने लिखा, "लोग इस बात को पसंद नहीं करेंगे लेकिन बिटकॉइन में अब ईटीएफ का निवेश धीमा पड़ रहा है. हमारे इंडीकेटर्स बताते हैं कि 59035 तक गिरावट की संभावना ज्यादा है.”
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थमा नहीं है ऊफान
हालांकि इस रिपोर्ट में थीलन ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ करेक्शन है और बिटकॉइन का ऊफान अभी थमा नहीं है. उन्होंने कहा, "हम अभी भी कह सकते हैं कि आने वाले महीनों में बिटकॉइन काफी ऊपर जाएगा क्योंकि खरीदारों का उत्साह जारी रह सकता है. अगर यह 2021 के सर्वोच्च स्तर 70 हजार को दोबारा पार कर लेता है तो नई ऊंचाइयों का रास्ता खुल सकता है.”
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने भी अपने निवेशकों को भेजे एक ईमेल में ऐसी ही संभावना जाहिर की है. बैंक ने अनुमान जाहिर किया कि इस साल के आखिर तक बिटकॉइन की कीमत डेढ़ लाख डॉलर पर जा सकती है. बैंक ने यह भी कहा है कि अगले साल एक बिटकॉइन की कीमत ढाई लाख तक जाकर दो लाख पर लौट आने की संभावना है.
क्या डिजिटल यूरो से खत्म हो जाएगा नकदी का चलन
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बैंक का यह अनुमान सोने की कीमतों के आधार पर है. अमेरिका में जब सोने में ईटीएफ के निवेश की इजाजत दी गई थी, तब सोने की कीमत का उभार भी कुछ इसी तरह हुआ था. अमेरिका में इस साल जनवरी में ही बिटकॉइन में ईटीएफ का निवेश शुरू हुआ था.
सोमवार को अपने निवेशकों को भेजे ईमेल में स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने लिखा, "अगर ईटीएफ का निवेश हमारे अनुमान यानी 75 अरब डॉलर तक पहुंचता है तो बहुत संभावना है कि 2025 में किसी वक्त यह ढाई लाख को छू सकता है.
पर बिटकॉइन का इतिहास बहुत बड़े उतार-चढ़ाव का रहा है. 1 नवंबर 2021 को उसने 68,800 की ऊंचाई छुई थी लेकिन उसके बाद जो यह गिरना शुरु हुआ तो दिसंबर 2023 तक 15 हजार पर आ गया था.