अंतरराष्ट्रीय यात्रा का नया सिस्टम बना रहा है अमेरिका
१६ सितम्बर २०२१
अमेरिका अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की नई व्यवस्था तैयार कर रहा है. इस व्यवस्था में लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को संभव बनाया जाएगा. फिलहाल ज्यादातर देशों के साथ अमेरिका ने सीमाएं बंद कर रखी हैं.
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अमेरिका का कहना है कि जब कोरोना वायरस के कारण लगीं पाबंदियां हटाई जाएंगी और अंतरराष्ट्रीय यात्रा शुरू हो जाएगी, तब एक नया सिस्टम इस्तेमाल किया जाएगा. बुधवार को व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी जेफ जिएंट्स ने कहा कि अमेरिका के ट्रैवल एंड टूरिज्म बोर्ड की फिलहाल पाबंदियां हटाने की कोई योजना नहीं है.
कोरोना वायरस के लिए प्रतिक्रिया संयोजक जिएंट्स ने कहा कि अमेरिका और बाकी दुनिया में भी डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों के चलते फिलहाल यात्राओं पर प्रतिबंध लगा रहेगा.
कैसा होगा नया सिस्टम?
अगस्त में ऐसी खबरें आई थीं कि अमेरिका ऐसे नियम बना रहा है जिनसे वैक्सीन ले चुके लोगों को यात्राओं की सुविधा दी जा सकती है. पहले भी सरकार कह चुकी है कि अमेरिका आने के लिए टीका लगवाना अनिवार्य कराए जाने पर विचार किया जा रहा है.
बुधवार को जिएंट्स ने कहा, "जब हम ज्यादा लोगों को अमेरिका की यात्रा की इजाजत देंगे, तब भी अमेरिकी लोगों को भरोसा होना चाहिए कि नई व्यवस्था पूरी तरह सुरक्षित है." उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था ही मौजूदा पाबंदियों की जगह लेगी.
जिएंट्स ने कहा, "हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि विदेशियों को अमेरिका आने के लिए वैक्सीन लगवाना जरूरी किया जाए या नहीं."
घरेलू स्थिति भी जरूरी
अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना राएमोंडो भी उस बैठक में मौजूद थीं, जहां यह चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि कोविड के मामलों में बार बार हो रही वृद्धि यात्रा प्रतिबंधों को हटाने नहीं दे रही है. उन्होंने कहा, "हम एक मीट्रिक्स आधारित व्यवस्था लाना चाहते हैं. लेकिन वैसा करने से पहले हमें अपने यहां की स्थिति नियंत्रित करनी होगी, जिसके लिए जरूरी है कि सबको टीका लग जाए."
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जिएंट्स ने कहा कि नई योजना "ज्यादा सुरक्षित, ज्यादा मजबूत और स्थिर होगी." उन्होंने यह तो नहीं बताया कि कब से यह नई योजना लागू की जा सकती है लेकिन कहा, "टीकाकरण की दर पर निर्भर करता है. घरेलू स्तर पर भी और दूसरे देशों में भी." उन्होंने यात्रा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों जैसे एयरलाइंस आदि को अपने कर्मचारियों का टीकाकरण जल्द से जल्द कराने का आग्रह भी किया.
जिएंट्स ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द प्रतिबंध हटाना चाहती है. उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी शामिल होगी, जिसके लिए अमेरिका की यात्रा करने वाले लोगों की जानकारियां जमा की जाएंगी.
2020 में ट्रंप सरकार ने ऐसी जानकारियां जमा करने के प्रस्ताव को तब रोक दिया था जब कुछ मंत्रियों ने निजता के अधिकार की चिंताएं जाहिर की थीं.
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कब हटेंगे प्रतिबंध
कुछ औद्योगिक क्षेत्रों का मानना है कि बाइडेन सरकार 2022 से पहले यात्रा प्रतिबंध नहीं हटाएगी. अमेरिका ने पिछले साल जनवरी में ही यात्रा प्रतिबंध लगा दिए थे जब चीन में कोरोना वायरस से कई मौतें हो चुकी थीं. पहले ये प्रतिबंध सिर्फ चीन पर थे लेकिन धीरे धीरे इनमें नए देश जोड़े जाते रहे. भारत का नाम इस सूची में इस साल मई में ही जोड़ा गया था.
तस्वीरेंः कोरोना ने ठप्प किए ये काम
कोरोना ने ठप्प कराया इन पेशों में काम
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कई व्यवसायों को ठप्प कर दिया है. सीमाओं को बंद कर दिया गया है, लोगों की आवाजाही को रोक दिया गया है. सबसे ज्यादा असर पर्यटन और मनोरंजन उद्योग को हुआ है.
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ट्रेवल एजेंसी
जर्मनी की ट्रेवल एजेंसियां अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं. कोरोना की वजह से पर्यटन उद्योग को खासा नुकसान हुआ है. जर्मनी आने जाने दोनों पर रोक है. ट्रेवल एजेंसियों को ग्राहकों को कैंसिल की गई छुट्टियों का पैसा वापस करना पड़ रहा है. अभी तो कोई कमाई नहीं ही हो रही है, पुरानी कमाई भी वापस करनी पड़ रही है.
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एयरपोर्ट
कोरोना पर काबू पाने के लिए हवाई यातायात को रोक दिया गया है. उसका असर जर्मनी के भी हवाई अड्डों पर पड़ा है. कोलोन-बॉन हवाई अड्डा जर्मनी के बड़े हवाई अड्डों में शामिल है. यहां से साल में 1.3 करोड़ लोग दुनिया के 130 ठिकानों के लिए हवाई यात्रा करते हैं. इस समय ये सूना पड़ा है.
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विमान सेवा
पहले तो विमान सेवाओं ने कोरोना के कारण यात्रियों की घटती संख्या के कारण अपनी उड़ानें घटानी शुरू की, फिर जब कई देशों ने बाहर से आने वाले यात्रियों पर पाबंदियां लगानी शुरू की तो उन्हें अपनी सेवाएं पूरी तरह ही बंद कर देनी पड़ी. जर्मनी विमान कंपनी लुफ्तहंसा ने इस समय 90 फीसदी विमान पार्क कर रखा है.
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पायलट
विमान नहीं उड़ेंगे, तो पायलट क्या करेंगे. वे इस समय बेकार पड़े हैं. दुनिया की प्रमुख विमान सेवाओं ने अपनी सेवाएं रोक दी हैं और लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. पायलट इस समय उन्हीं विमानों को उड़ा रहे हैं जो दूसरे देशों में फंसे यात्रियों को वापस लाने के लिए हैं.
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एयर हॉस्टेस
पायलट जैसा ही हाल एयर हॉस्टेसों का भी है. उनके लिए भी इस समय कोई काम नहीं है. और परेशान करने वाली बात ये भी है कि उन्हें पता नहीमं कि वे कब काम शुरू कर पाएंगी. कोई धंधा न होने के कारण बहुत सी विमान कंपनियों के सामने दिवालिया हो जाने की भी खतरा है. कर्मचारी डर के साए में जी रहे हैं.
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एयरपोर्ट कर्मचारी
एयरपोर्ट कर्मचारी भी हवाई यातायात रुकने के कारण परेशान हैं. कोलोन का उदाहरण लें तो 1.3 करोड़ यात्रियों को हवाई अड्डे पर विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बहुत से लोगों की जरूरत होती है. कोलोन एयरपोर्ट पर 130 कंपनियों और सरकारी संस्थानों के 15,000 लोग काम करते हैं.
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होटल
कोरोना से होटल उद्योग को भारी नुकसान हुआ है. 2001 या 2008 के पिछले वित्तीय संकट के दौरान 25 प्रतिशत का नुकसान हुआ था तो इस बार तो वायरस की वजह से होटल पूरी तरह खाली हैं. कुछ होटल चेन ने होम ऑफिस की वजह से घर में परेशान रहने वालों को होटल में आकर काम करने का ऑफर दिया है.
होटल कर्मचारी
होटल खाली रहेंगे तो होटल कर्मचारियों के पास भी कोई काम नहीं रहेगा. मालिकों की मुश्किल है कि आमदनी न हो तो होटल को चलाने का, कर्मचारियों को वेतन देने का खर्च कैसे उठाएं. होटल और रेस्तरां उद्योग सालाना 90 अरब यूरो का कारोबार करता है, लेकिन इस समय पूरा कारोबार ठप्प पड़ा है.
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मेकैनिक
लॉकडाउन में कहीं ऐसा काम नहीं हो रहा है जो सामान्य जनजीनम को चलाने के लिए एकदम जरूरी न हो. जर्मनी की प्रसिद्ध कार बनाने वाली कंपनियों ने भी अपना उत्पादन रोक रखा है. जितने कम कर्मचारी दफ्तर या कारखाने आएंगे उतनी ही ज्यादा सोशल डिस्टैंसिंग होगी.
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कारीगर
घर बनाने से लेकर घरों में बिजली और सैनिटरी फिटिंग और मरम्मत के लिए पेशेवर कारीगरों की जरूरत होती है. लॉकडाउन की वजह से सारा काम ठप्प पड़ा है. ग्राहक नहीं आ रहे. हालांकि छोटे उद्यमों और एकल कारीगरों को सरकार 15,000 यूरो की मदद देगी, लेकिन उनके अस्तित्व पर संकट फिर भी है.
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सिनेमा हॉल
कोरोना की वजह से हर उस जगह को बंद कर दिया गया है जहां लोगों के इकट्ठा होने की संभावना होती है. सिनेमा हॉल भी बंद हैं. नहीं भी बंद किए जाते तो इस बीच बंद हो जाते क्योंकि लोग अपने घरों में बंद हैं. जर्मनी में 700 सिनेमाघरों में करीब 4000 पर्दे हैं. बंदी की वजह से उन्हें हर हफ्ते 1.7 करोड़ यूरो का घाटा हो रहा है.
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फिल्म की शूटिंग
कोरोना वायरस के खतरे को रोकने के लिए फिल्मों की शूटिंग भी रद्द है. पहले तो स्थानीय निकायों ने शूटिंग की अनुमति वापस ले ली. कुठ जगहों पर निजी घरों में शूटिंग हुई. लेकिन बाद में मामला गंभीर होने लगा और वायरस के तेजी से फैलने के मामले सामने आने लगे तो शूटिंगें रोक दी गईं.
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थिएटर
जर्मनी में कोरोना के चलते थिएटर भी बंद पड़े हैं, कम से कम 19 अप्रैल तक. यूरोप के थिएटर भी बंद हैं. थिएटरों के प्रबंधक यह हिसाब करने में लगे हैं कि नुकसान की भरपाई कैसे होगी. बर्लिन के शाउब्यूनेथिएटर के टोबियास फाइट के अनुसार इस अवधि में नुकसान करीब 5 लाख यूरो का है.
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ऑर्केस्ट्रा
थिएटर बंद हैं तो ऑर्केस्ट्रा के प्रदर्शन भी बंद हैं. इसका असर कलाकारों की आमदनी पर भी पड़ रहा है. ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाले बहुत से आर्टिस्ट छोटे छोटे अनुबंधों से बंधे होते हैं. नए अनुबंध नहीं होंगे तो आमदनी भी नहीं होगी. उनमें से बहुत लोगों पर भी बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है.
तस्वीर: Barbara Frommann
कॉफी हाउस
कोरोना की वजह से कॉफी हाउस भी बंद हैं. सारे देश में लॉकडाउन की स्थिति है तो कोई बाहर निकल भी नहीं रहा. मौसम इन दिनों अपेक्षाकृत बहुत ही अच्छा है. साधारण सी ठंड और चमचमाती धूप, लेकिन बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं. आफत है कॉफी हाउस चलाने वालों की.
तस्वीर: Imago Images/Lichtgut/M. Kovalenko
बार
होटलों और रेस्तरां की तरह जर्मनी में बार भी बंद हैं. बार चलाने की अनुमति नहीं है लेकिन होम सप्लाई हो सकती है. बहुत से लोगों ने इसका फायदा उठाया है. वे ड्रिंक ग्राहकों के घरों में पहुंचा रहे हैं. ऑर्डर कीजिए और डिलीवरी लीजिए. लेकिन ये कमाई किराये और बिजली जैसे खर्चों को पूरा करने के ले काफी नहीं है.
कोरोना की बंदी का असर किताब की दुकानों पर भी पड़ा है. हालांकि वे उन दुकानों में हैं जो बंदी के दौरान खुली रह सकती हैं, लेकिन छोटी दुकानें ग्राहकों की भीड़ का सामना नहीं कर सकतीं. वे तकनीक का सहारा ले रही हैं. दुकान की लाइव स्ट्रीमिंग और कूरियर के जरिए किताबों को ग्राहक तक पहुंचाना.
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जिम
जर्मनी में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए जिम और फिटनेस स्टूडियो को भी बंद कर दिया गया. खेलकूद और व्यायाम के दूसरे सार्वजनिक साधन या संस्थान भी बंद हैं. स्वीमिंग पूल और खेल के मैदान भी काम नहीं कर रहे हैं, जहां आम तौर पर फुटबॉल जैसे खेल खेले जाते हैं या जॉगिंग की जाती है.
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सैलून
बाल काटने छांटने या रंगने का काम भी दूरी से नहीं हो सकती. वायरस को रोकने के लिए सरकार की सोशल डिसटेंसिंग की कोशिशों के बीच सैलून चलाना तो अत्यंत मुश्किल हो गया था. सरकार से पहले सैलून के मालिक ही कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए दुकान बंद किए जाने की वकालत कर रहे थे.
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ऑटो वर्कशॉप
जर्मनी में कार खराब होने पर लोग वर्कशॉप में जा सकते हैं लेकिन पुर्जे खरीदने कार की दुकान में नहीं जा सकते. सरकार का यही फैसला है. मुश्किल कार की दुकानों में काम करने वाले वर्कशॉपों की है. वे गाड़ियां ठीक तो कर सकते हैं लेकिन ग्राहकों को कोई स्पेयर पार्ट बेच नहीं सकते.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Stratenschulte
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फिलहाल जो लोग बीते 14 दिनों में ब्रिटेन, यूरोप के शेनेगन इलाके के 26 देशों, आयरलैंड, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका, ईरान और ब्राजील में रहे हों, उन्हें अमेरिका की यात्रा की इजाजत नहीं है. इसके अलावा मेक्सिको और कनाडा से भी गैर जरूरी यात्राओं पर प्रतिबंध है.
आलोचकों का कहना है कि इस सूची का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इसमें ऐसे कई देश शामिल नहीं हैं जहां कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बहुत ज्यादा हैं.